पर्यावरण हरित न्यायालय और बढ़ते पर्यावरण मामले May 7, 2011 / December 13, 2011 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव हमारे देश में पर्यावरण विनाश और उसकी पृष्ठभूमि में मानव स्वास्थ पर पड़ने वाले असर से संबधित मामलों में लगातार इजाफा हो रहा हैं। जलवायु परिर्वतन, उधोगों से निकलने वाली क्लोरो फलोरो काँर्बन गैसें, जीएम बीज, कीटनाशक दवाएँ व आधुनिक विकास से उपजे संकट जैव विविधता को खत्म करते हुए पर्यावरण संकट को […] Read more » Green Court हरित न्यायालय
पर्यावरण आ मौत मुझे मार May 2, 2011 / December 13, 2011 by डॉ. राजेश कपूर | 17 Comments on आ मौत मुझे मार जीहाँ कुछ ऐसा ही हो रहा है. जापान के परमाणु हादसे में हज़ारों लोग मर चुके हैं और लाखों के सर पर मौत का ख़तरा मंडरा रहा है. ११ मार्च के भूकंप व सुनामी के बाद फुकुशिमा के परमाणु रिएक्टरों में हुए विध्वंस से शुरू हुए विनाश पर काबू पाने में असफल होने के बाद […] Read more »
पर्यावरण यम की बहन को यमलोक पहुंचाती शीला April 26, 2011 / December 13, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on यम की बहन को यमलोक पहुंचाती शीला लिमटी खरे कभी देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली की शान हुआ करने वाली कल कल बहने वाली यमुना नदी पिछले दो तीन दशकों से गंदे और बदबूदार नाले में तब्दील होकर रह गई है। विडम्बना यह है कि दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार की नाक के नीचे सारी वर्जनाएं तोड़ने वाले प्रदूषण ने यम […] Read more » Yamuna Yamuna Pollution
धर्म-अध्यात्म पर्यावरण फल्गु के बिना क्या मिल पायेगी हमारे पूर्वजों को मुक्ति? March 31, 2011 / December 14, 2011 by सतीश सिंह | Leave a Comment सतीश सिंह सदियों से सभ्यता का विकास नदियों के किनारे होता रहा है। नदी के बिना जीवन की कल्पना असंभव है। बावजूद इसके नदियों की मौत पर हम कभी अफसोस जाहिर नहीं करते। जबकि उनकी मौत के लिए सिर्फ हम हमेशा से जिम्मेदार रहे हैं। कभी हम विकास के नाम पर उनकी बलि चढ़ाते हैं […] Read more » फल्गु
पर्यावरण परमाणु रैनेसां का अंत March 17, 2011 / December 14, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on परमाणु रैनेसां का अंत जापान में प्राकृतिक विनाशलीला का ताण्डव सारी दुनिया को एक नए किस्म के आर्थिक-राजनीतिक संकट की ओर ले जा रहा है। जापान के भूकंप और परमाणु विकिरण का सामाजिक-आर्थिक राजनीतिक प्रभाव सिर्फ जापान तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसका असर आने वाले समय में समूची विश्व राजनीति पर पड़ेगा। खासकर वे देश जो परमाणु ऊर्जा […] Read more » Nuclear
पर्यावरण खत्म होते ग्लेशियर और जमती हुई धरती January 26, 2011 / December 16, 2011 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 11 Comments on खत्म होते ग्लेशियर और जमती हुई धरती मनोज श्रीवास्तव ”मौन” वैश्विक चिन्तन के विषय के रूप में एक नया अध्याय इस धरती ने स्वत: ही जुड़ गया है क्योंकि सदैव ही हरी भरी दिखने वाली धरा वैश्विक तापवर्द्धन के चपेट में आ गयी है। जिससे धरा की हरितिमा नष्ट होने को अग्रसर है साथ ही 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 […] Read more » Glacier ग्लेशियर
पर्यावरण जहरीली हो रही नर्मदा January 26, 2011 / December 16, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 4 Comments on जहरीली हो रही नर्मदा विनोद उपाध्याय देश की सबसे प्राचीनतम नदी नर्मदा का जल तेजी से जहरीला होता जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा अगले 10-12 सालों में पूरी तरह जहरीली हो जाएगी और इसके आसपास के शहरों-गांवों में बीमारियों का कहर फैल जाएगा। हाल ही मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से […] Read more » Narmada नर्मदा
पर्यावरण विकास बनाम पर्यावरण January 12, 2011 / December 16, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on विकास बनाम पर्यावरण सतीश सिंह सच कहा जाए पर्यावरण को बचाना 21वीं सदी का सबसे ज्वलंत मुद्दा है। लेकिन विश्व के किसी देश का ध्यान इस ओर नहीं हैं। सभी देश विकास के नाम पर प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं। सिर्फ दिखावे के लिए हर देश खास करके विकसित देश ‘सेव पर्यावरण’ का […] Read more » Enviroment पर्यावरण
पर्यावरण कानकुन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के निहितार्थ December 19, 2010 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सुरेश प्रकाश अवस्थी मेक्सिको के कानकुन शहर में दो सप्ताह तक चले जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में तीखे मतभेदों के बावजूद अंतत: एक सर्वमान्य समझौता हो ही गया। संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में हाल ही में सम्पन्न हुए इस समझौते का लाभ भारत जैसे विकासशील देशों को किस प्रकार और किस सीमा तक मिल सकता है, […] Read more » Sammelan कानकुन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन
पर्यावरण संतुलित विकास से सुखी बनेगा जीवन December 18, 2010 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on संतुलित विकास से सुखी बनेगा जीवन राजीव मिश्र पृथ्वी का तीन भाग जल से आच्छादित है एवं एक भाग सूखा है। इस सूखे भाग पर भी जलाशय है, नदियां हैं तथा वर्फ से आच्छादित पर्वत शृंखलाएं हैं। जंगल हैं जिनमें अनेक प्रकार के पेड़-पौधे, लताएं, घास, फल, फूल इत्यादि हैं। भारत के क्षेत्रफल के अनुरूप एक तृतीय भाग जंगलों से आच्छादित […] Read more » Balanced development संतुलित विकास
पर्यावरण तापमान नियंत्रण की नई सोच December 10, 2010 / December 19, 2011 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 4 Comments on तापमान नियंत्रण की नई सोच मनोज श्रीवास्तव ”मौन” पृथ्वी के तापमान में वृध्दि मानव जाति के लिए चिन्ता का सबब बनी हुई है। दुनिया भर के ताकतवर देशें के कद्दावार नेता आपसी सहमति बनाकर तापमान वृध्दि के नियंत्रण पर प्रयास करने के लिए कोपेनहेगन में एकत्रित हुए थे, इस सम्मेलन में कुछ ठोस हासिल तो नहीं हुआ मगर इतना जरूर […] Read more » Temperature regulation तापमान नियंत्रण
पर्यावरण ग्रामीण क्षेत्रों में परिवेश एवं व्यक्तिगत स्वच्छता November 26, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on ग्रामीण क्षेत्रों में परिवेश एवं व्यक्तिगत स्वच्छता अतुल कुमार तिवारी स्वच्छता जीवन की बुनियादी आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सदियों से सुनिश्चित स्वच्छता सुविधायें मुहैया कराने के इरादे से ग्रामीण विकास मंत्रालय का पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता विभाग सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) चला रहा है। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामवासियों की खुले में शौच जाने की आदत में बदलाव लाना है। सरकार […] Read more » village ग्रामीण क्षेत्र