स्वास्थ्य-योग मिलावटख़ोरी के इस दौर में खाएं क्या तो पियें क्या ? February 14, 2020 / February 14, 2020 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी एक और त्रासदी जिससे हमारा देश दशकों से जूझ रहा है वह है मिलावटख़ोरी। मिलावटख़ोरी करने वाले लालची लोग जो कि कम समय में ज़्यादा पैसे कमाने के इच्छुक हैं, वैसे तो जहाँ तक संभव हो प्रत्येक वस्तु में मिलावट करने की कोशिश करते हैं। परन्तु इन लालची लोगों द्वारा मिलावटख़ोरी का जो […] Read more » मिलावटख़ोरी
महिला-जगत लेख समाज स्वास्थ्य-योग जानिए किराए की कोख अर्थात सरोगेसी आखिर क्या है बला! February 14, 2020 / February 14, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे दुनिया भर में हर प्राणी, चाहे वह मनुष्य हो, जलचर हों, नभचर हों या धरती पर रहने वाले जीव, सभी के द्वारा अपने अपने तौर तरीकों से संतानोत्पत्ति की अभिलाषा रखी जाती है। इन सभी में मनुष्य ही इकलौता ऐसा जीव है जो वंश बढ़ाने के अलावा आनंद के लिए संसर्ग करता है। […] Read more » Know what the hell is for surrogacy surrogacy सरोगेसी
स्वास्थ्य-योग इसके पहले कि देश में कोरोना वायरस पहुंचे, सावधानी जरूरी! January 31, 2020 / January 31, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment वायरस के हमलों की खबरें लगभग हर साल ही सामने आ रहीं हैं। नए नए प्रकार के वायरस अब लोगों के खतरे का सबब बने हुए हैं। वायरस का जन्म कहां से हो रहा है, इस बारे में शोध करने की महती आवश्यकता आज के समय में महसूस हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाऊस […] Read more » Before Corona virus reaches the country caution is necessary before corona virus reaches India कोरोना वायरस
विश्ववार्ता स्वास्थ्य-योग कोरोनाः खतरनाक वायरस से सहमी दुनिया January 28, 2020 / January 28, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव खतरनाक विषाणु (वायरस) कोरोना से पूरी दुनिया सहमी है। चीन के ग्यारह करोड़ की आबादी वाले वुहान नगर में संक्रमित हुए वायरस के विस्तार ने चीन के अनेक शहरों में दहशत फैला दी है। यहां के करीब 1283 लोग इसकी चपेट में हैं। 42 की मौत हो चुकी है और अनेक की हालत […] Read more » Corona virus कोरोना कोरोनाः खतरनाक वायरस कोरोना खतरनाक वायरस
बच्चों का पन्ना स्वास्थ्य-योग देश में आखिर कैसे रूकेगी बच्चों की असमय मौतें! January 27, 2020 / January 27, 2020 by लिमटी खरे | Leave a Comment लिमटी खरे देश भर में अनेक स्थानों पर सरकारी अस्पतालों में अचानक ही बड़ी तादाद में बच्चों की मौतों से व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लग रहे हैं। सियासी दल इसके मूल में जाकर कारण खोजने के बजाए आरोप प्रत्यारोपों के जरिए अपनी रोटियां सेंकते दिख रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट को अगर सच […] Read more » untimely deaths of children बच्चों की असमय मौतें
खान-पान स्वास्थ्य-योग मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन January 24, 2020 / January 24, 2020 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन -प्रमोद भार्गव खानपान पर ऑक्सफोर्ड और मिनेसोटा विश्वविद्यालयों के संयुक्त अध्ययन के निष्कर्षों ने सारी दुनिया को चौंका दिया है। इसमें कहा गया है कि शाकाहारी भोजन के मुकाबले रेड मीट पर्यावरण के लिए 35 गुना अधिक घातक है। यदि लोग मांस खाना छोड़ दें तो दुनिया में खाद्य पदार्थों के कारण होने वाले कार्बन उत्सर्जन […] Read more » मांसाहार मांसाहार कार्बन उत्सर्जन मांसाहार बढ़ा रहा है कार्बन उत्सर्जन
समाज स्वास्थ्य-योग कोटा में बच्चों की मौत से जुड़े सवाल January 6, 2020 / January 6, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तथाकथित बवाल एवं हौ-हल्ला के बीच कोटा संभाग के सबसे बड़े सरकारी जेके लोन चिकित्सालय में भर्ती बच्चों की लगातार हो रही मौतों पर जिस तरह की असंवेदनहीनता एवं अराजकता देखने को मिल रही है, वह न सिर्फ दुखदायी है बल्कि राजस्थान सरकार की चिकित्सा व्यवस्था […] Read more » CAA death of children in Kota death of kids in kota Kota Questions related to the death of children in Kota एनआरसी कोटा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)
खान-पान विश्ववार्ता स्वास्थ्य-योग मांसाहारी बनाकर कुपोषण दूर करने की कोशिश January 3, 2020 / January 3, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गवसंयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19.5 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार हैं। दुनिया के कुपोषितों में यह अनुपात करीब 25 प्रतिशत है। यदि बच्चों के स्तर पर बात करें तो देश के 10 बच्चों में से चार कुपोषित हैं। यह स्थिति उस कृषि-प्रधान देश की है, जो खाद्यान्न उत्पादन के […] Read more » Trying to eradicate malnutrition Trying to eradicate malnutrition by making it a non-vegetarian मांसाहारी बनाकर कुपोषण दूर
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना महिलाओं में ज्यादा…… December 19, 2019 / December 19, 2019 by उमेश कुमार सिंह | Leave a Comment ओस्टियोआथ्र्राइटिस जोड़ों का एक विकार है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। आस्टियोपोरोसिस एक बिना किसी बाहरी लक्षण लगातार बढऩे वाली बीमारी है, जिसके कारण हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती हैं और रजोनिवृत हो चुकी महिलाओं में आमतौर पर यह बीमारी […] Read more » osteoartritis osteoartritis in women ऑस्टियोआर्थराइटिस
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग क्योंकि माँ बनने का अहसास होता है खास December 10, 2019 / December 10, 2019 by डा. नुपुर गुप्ता | Leave a Comment माँ बनना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। इस अहसास को सेलिबे्रट करने का मौका देता है मदर्स-डे। मगर जो महिलाएं किसी परेशानी की वजह से मां नहीं बन पाती है, उनके लिए भी उम्मीदें बाकी हैं।वो भी मदर्स-डे पर मातृत्व को महसूस कर सकती है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आईवीएफ काफी कारगर साबित हो रही है। आईवीएफ के जरिये कई महिलाओं को मां बनने का सुख मिला है और उन्होंने भी मनाया हैअपनी जिंदगी का पहला मदर्स-डे। एक मां को अपने मातृत्व का आनंद लेने का। वहीं बच्चों को मौका मिलता है इस खास दिन अपनी मां को खास महसूस कराने का। मां और बच्चे दोनों के लिए ही मदर्स-डे एक बेहद खास दिन होता है। दोनों एक-दूसरे सेजुड़े ही इस तरह होते हैं कि उनकी खुशियां भी दोनों के साथ से जुड़ जाती है। मगर मातृत्व का जश्न मनाने वाला ये दिन उन मांओं के लिए बेहद तकलीफदेह साबित होता है, जो किसी कारण से मां नहीं बन पाई है। आखिर मांबनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है। इस पल का वो बेसब्री से इंतजार करती है। मगर कुछ कारणों से कुछ महिलाएं सही समय पर मां नहीं बन पाती है। कई कोशिशों के बावजूद भी जब गर्भधारण मेंसफलता नहीं मिलती है, तो यह स्थिति निराशा और अवसाद का भी कारण बन जाती है। इस दौरान अक्सर महिलाओं की उम्र भी 40 तक पहुंच जाती है। माना जाता है कि इस उम्र के बाद गर्भधारण में समस्या होती है। ऐसे मेंहमेशा के लिए संतानहीनता का सामना भी करना पड़ सकता है। निसंतानता के कारण : जानकार बताते हैं कि शादी की बढ़ती उम्र, भाग-दौड़ व तनाव के चलते इन दिनों संतानहीनता की समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में दंपत्ति नि:संतान रह जाते हैं। इस बात को वे परिवार व समाज के सामने जाहिर करने सेभी बचते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर वर्ष जितनी शादियां होती है, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं संतानहीनता से ग्रस्त होती है। ऐसे में क्या किया जाए? इस सवाल का जवाब है किसी अच्छे फर्टिलिटी केन्द्र काचुनाव कर चिकित्सकीय मार्गदर्शन में इलाज प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए। आईवीएफ किनके लिए है उपयोगी ? १. बंद ट्यूब व ट्यूब में संक्रमण किसी भी ट्यूबल ब्लॉक का मुख्य कारण है यूटरस में इन्फेक्शन, यह इन्फेक्शन शारीरिक संबंध या यूरीन में इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। ऑपरेशन या ओवरी सिस्ट के कारण भी यह हो सकता है, यूटरस में टी.बी.होने से भी ट्यूबल ब्लॉक हो जाता है और फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने से भी दिक्कतें और बढ़ सकती है। फैलोपियन ट्यूब के बंद होने के कई कारण होते हैं- जैसे संक्रमण, टी.बी., बार-बार गर्भपात होना, गर्भधारण को रोकने के विकल्प, ऑपरेशन इत्यादि। २. माहवारी बंद होने की स्थिति में महिलाओं में अण्डों की मात्रा सीमित होती है जो हर महीने कम होती रहती है। 35 वर्ष की उम्र के बाद अण्डों की गुणवत्ता व संख्या में तेजी से गिरावट होती है और जब किसी महिला में अण्डे खत्म हो जाते हैं तब उनकामासिक धर्म बंद हो जाता है। ऐसी महिलाओं का गर्भाशय भी सिकुड़ जाता है। इन महिलाओं को हार्मोन की दवा देकर माहवारी शुरू की जाती है, जिससे गर्भाशय की आकृति पुन: सामान्य हो जाती है तथा आई.वी.एफ. प्रक्रिया केजरिये बाहरी (डोनर) अण्डे की सहायता से पति के शुक्राणु का इस्तमाल कर भ्रूण बना लिया जाता है। इस भ्रूण को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ३. शुक्राणुओं की कमी शुक्राणुओं में कमी का मतलब है पुरुषों के वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणुओं का होना। शुक्राणुओं में कमी होने को ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं का पूरी तरह से खत्म होना एजुस्पर्मिया कहलाताहै। पुरुष के शुक्राणुओं में कमी के कारण महिला के गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ तकनीक कारगर है। कुछ मामलों में देखा गया है कि आईवीएफ तकनीक भी बार-बारअसफल होती है। दरअसल कुछ महिलाओं को आईवीएफ के दौरान भी गर्भपात का सामना करना पड़ता है या सफल प्रत्यारोपण के बावजूद भी आईवीएफ फेल हो जाता है, ऐसे मामलों में निराश होने की जरूरत नहीं है, कई बारदूसरे से तीसरे प्रयास में सफलता संभव हो सकती है। ४. पीसीओडी की समस्या कई बार गर्भधारण ना कर पाने की वजह पीसीओडी की समस्या के रूप में भी सामने आती है। चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज के रूप में जाना जाता है। इससेमहिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। पीसीओडी होने पर महिलाओं की पूरी शारीरिकप्रक्रिया ही गड़बड़ा जाती है। महिलाओं के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी कई थैलियां होती है, जिन्हें फॉलिकल्स या फिर सिस्ट कहा जाता है। इन्हीं में अंडे विकसित होते हैं और द्रव्य का निर्माण होता है। एक बार जब अंडाविकसित हो जाता है, तो फॉलिकल टूट जाता है और अंडा बाहर निकल जाता है। फिर अंडा फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ गर्भाशय तक जाता है। इसे सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया कहा जाता है। वहीं, जो महिला पीसीओडी सेग्रस्त होती है, उसमें प्रजनन प्रणाली अंडे को विकसित करने के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन ही नहीं कर पाती है। ऐसे में, फॉलिकल्स विकसित होने लगते हैं और द्रव्य बनना शुरू हो जाता है, लेकिन ओव्यूलेशन प्रक्रिया शुरूनहीं होती है। परिणामस्वरूप, कई फॉलिकल्स अंडाशय में ही रहते हैं और गांठ का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन नहीं बनते और इन हार्मोन्स के बिना मासिक धर्म प्रक्रिया बाधित या फिर अनियमित हो जातीहै, जिस कारण गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।– Read more » माँ बनने का अहसास
विविधा स्वास्थ्य-योग कैंसर का कारण बनते हैं ई-सिगरेट में मौजूद रसायन December 6, 2019 / December 6, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment डीएनए को भी क्षतिग्रस्त कर सकती है ई-सिगरेट – योगेश कुमार गोयल पिछले दिनों लोकसभा में ‘इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भण्डारण और विज्ञापन) विधेयक-2019’ पारित होने के बाद दो दिसम्बर को राज्यसभा में भी ध्वनिमत से यह विधेयक पारित हो गया। उल्लेखनीय है कि गत 18 सितम्बर को केन्द्र […] Read more » Chemicals present in e-cigarettes cause cancer e-cigarettes cause cancer ई-सिगरेट
स्वास्थ्य-योग स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने के लिए और जागरूक होने की जरूरत December 3, 2019 / December 3, 2019 by उमेश कुमार सिंह | Leave a Comment डा.समीर कौलसीनियर ऑकोलॉजिस्टइंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली हमारे यहां कैंसर शब्द आज भी डराता है, लेकिन पश्चिमी देशों में कैंसर का इलाज आज उसी तरह हो रहा है, जैसे अपने यहां तपेदिक का। लेकिन अपने देश में महिलाओं में स्तन का कहर तेजी से बढ़ रहा है। कुछ सर्वेक्षणों से चौकाने वाले नतीजे सामने आए […] Read more » breast cancer breast cancer in women स्तन कैंसर