खान-पान विश्ववार्ता स्वास्थ्य-योग मांसाहारी बनाकर कुपोषण दूर करने की कोशिश January 3, 2020 / January 3, 2020 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गवसंयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 19.5 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार हैं। दुनिया के कुपोषितों में यह अनुपात करीब 25 प्रतिशत है। यदि बच्चों के स्तर पर बात करें तो देश के 10 बच्चों में से चार कुपोषित हैं। यह स्थिति उस कृषि-प्रधान देश की है, जो खाद्यान्न उत्पादन के […] Read more » Trying to eradicate malnutrition Trying to eradicate malnutrition by making it a non-vegetarian मांसाहारी बनाकर कुपोषण दूर
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग ऑस्टियोआर्थराइटिस की संभावना महिलाओं में ज्यादा…… December 19, 2019 / December 19, 2019 by उमेश कुमार सिंह | Leave a Comment ओस्टियोआथ्र्राइटिस जोड़ों का एक विकार है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित करता है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं और फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है। आस्टियोपोरोसिस एक बिना किसी बाहरी लक्षण लगातार बढऩे वाली बीमारी है, जिसके कारण हड्डियां पतली और कमजोर होने लगती हैं और रजोनिवृत हो चुकी महिलाओं में आमतौर पर यह बीमारी […] Read more » osteoartritis osteoartritis in women ऑस्टियोआर्थराइटिस
महिला-जगत स्वास्थ्य-योग क्योंकि माँ बनने का अहसास होता है खास December 10, 2019 / December 10, 2019 by डा. नुपुर गुप्ता | Leave a Comment माँ बनना इस दुनिया का सबसे खूबसूरत अहसास होता है। इस अहसास को सेलिबे्रट करने का मौका देता है मदर्स-डे। मगर जो महिलाएं किसी परेशानी की वजह से मां नहीं बन पाती है, उनके लिए भी उम्मीदें बाकी हैं।वो भी मदर्स-डे पर मातृत्व को महसूस कर सकती है। इसमें अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आईवीएफ काफी कारगर साबित हो रही है। आईवीएफ के जरिये कई महिलाओं को मां बनने का सुख मिला है और उन्होंने भी मनाया हैअपनी जिंदगी का पहला मदर्स-डे। एक मां को अपने मातृत्व का आनंद लेने का। वहीं बच्चों को मौका मिलता है इस खास दिन अपनी मां को खास महसूस कराने का। मां और बच्चे दोनों के लिए ही मदर्स-डे एक बेहद खास दिन होता है। दोनों एक-दूसरे सेजुड़े ही इस तरह होते हैं कि उनकी खुशियां भी दोनों के साथ से जुड़ जाती है। मगर मातृत्व का जश्न मनाने वाला ये दिन उन मांओं के लिए बेहद तकलीफदेह साबित होता है, जो किसी कारण से मां नहीं बन पाई है। आखिर मांबनना किसी भी महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है। इस पल का वो बेसब्री से इंतजार करती है। मगर कुछ कारणों से कुछ महिलाएं सही समय पर मां नहीं बन पाती है। कई कोशिशों के बावजूद भी जब गर्भधारण मेंसफलता नहीं मिलती है, तो यह स्थिति निराशा और अवसाद का भी कारण बन जाती है। इस दौरान अक्सर महिलाओं की उम्र भी 40 तक पहुंच जाती है। माना जाता है कि इस उम्र के बाद गर्भधारण में समस्या होती है। ऐसे मेंहमेशा के लिए संतानहीनता का सामना भी करना पड़ सकता है। निसंतानता के कारण : जानकार बताते हैं कि शादी की बढ़ती उम्र, भाग-दौड़ व तनाव के चलते इन दिनों संतानहीनता की समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में दंपत्ति नि:संतान रह जाते हैं। इस बात को वे परिवार व समाज के सामने जाहिर करने सेभी बचते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर वर्ष जितनी शादियां होती है, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं संतानहीनता से ग्रस्त होती है। ऐसे में क्या किया जाए? इस सवाल का जवाब है किसी अच्छे फर्टिलिटी केन्द्र काचुनाव कर चिकित्सकीय मार्गदर्शन में इलाज प्रक्रिया सुनिश्चित करनी चाहिए। आईवीएफ किनके लिए है उपयोगी ? १. बंद ट्यूब व ट्यूब में संक्रमण किसी भी ट्यूबल ब्लॉक का मुख्य कारण है यूटरस में इन्फेक्शन, यह इन्फेक्शन शारीरिक संबंध या यूरीन में इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। ऑपरेशन या ओवरी सिस्ट के कारण भी यह हो सकता है, यूटरस में टी.बी.होने से भी ट्यूबल ब्लॉक हो जाता है और फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी होने से भी दिक्कतें और बढ़ सकती है। फैलोपियन ट्यूब के बंद होने के कई कारण होते हैं- जैसे संक्रमण, टी.बी., बार-बार गर्भपात होना, गर्भधारण को रोकने के विकल्प, ऑपरेशन इत्यादि। २. माहवारी बंद होने की स्थिति में महिलाओं में अण्डों की मात्रा सीमित होती है जो हर महीने कम होती रहती है। 35 वर्ष की उम्र के बाद अण्डों की गुणवत्ता व संख्या में तेजी से गिरावट होती है और जब किसी महिला में अण्डे खत्म हो जाते हैं तब उनकामासिक धर्म बंद हो जाता है। ऐसी महिलाओं का गर्भाशय भी सिकुड़ जाता है। इन महिलाओं को हार्मोन की दवा देकर माहवारी शुरू की जाती है, जिससे गर्भाशय की आकृति पुन: सामान्य हो जाती है तथा आई.वी.एफ. प्रक्रिया केजरिये बाहरी (डोनर) अण्डे की सहायता से पति के शुक्राणु का इस्तमाल कर भ्रूण बना लिया जाता है। इस भ्रूण को भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से गर्भाशय के अंदर प्रत्यारोपित कर दिया जाता है। ३. शुक्राणुओं की कमी शुक्राणुओं में कमी का मतलब है पुरुषों के वीर्य में सामान्य से कम शुक्राणुओं का होना। शुक्राणुओं में कमी होने को ओलिगोस्पर्मिया भी कहा जाता है। वीर्य में शुक्राणुओं का पूरी तरह से खत्म होना एजुस्पर्मिया कहलाताहै। पुरुष के शुक्राणुओं में कमी के कारण महिला के गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में भी आईवीएफ तकनीक कारगर है। कुछ मामलों में देखा गया है कि आईवीएफ तकनीक भी बार-बारअसफल होती है। दरअसल कुछ महिलाओं को आईवीएफ के दौरान भी गर्भपात का सामना करना पड़ता है या सफल प्रत्यारोपण के बावजूद भी आईवीएफ फेल हो जाता है, ऐसे मामलों में निराश होने की जरूरत नहीं है, कई बारदूसरे से तीसरे प्रयास में सफलता संभव हो सकती है। ४. पीसीओडी की समस्या कई बार गर्भधारण ना कर पाने की वजह पीसीओडी की समस्या के रूप में भी सामने आती है। चिकित्सकीय भाषा में महिलाओं की इस समस्या को पोलीसिस्टिक ओवरी डिजीज के रूप में जाना जाता है। इससेमहिलाओं की ओवरी और प्रजनन क्षमता पर असर तो पड़ता ही है साथ ही, आगे चल कर उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और हृदय से जुड़े रोगों के होने का खतरा भी बढ़ जाता है। पीसीओडी होने पर महिलाओं की पूरी शारीरिकप्रक्रिया ही गड़बड़ा जाती है। महिलाओं के अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी कई थैलियां होती है, जिन्हें फॉलिकल्स या फिर सिस्ट कहा जाता है। इन्हीं में अंडे विकसित होते हैं और द्रव्य का निर्माण होता है। एक बार जब अंडाविकसित हो जाता है, तो फॉलिकल टूट जाता है और अंडा बाहर निकल जाता है। फिर अंडा फैलोपियन ट्यूब से होता हुआ गर्भाशय तक जाता है। इसे सामान्य ओव्यूलेशन प्रक्रिया कहा जाता है। वहीं, जो महिला पीसीओडी सेग्रस्त होती है, उसमें प्रजनन प्रणाली अंडे को विकसित करने के लिए जरूरी हार्मोन का उत्पादन ही नहीं कर पाती है। ऐसे में, फॉलिकल्स विकसित होने लगते हैं और द्रव्य बनना शुरू हो जाता है, लेकिन ओव्यूलेशन प्रक्रिया शुरूनहीं होती है। परिणामस्वरूप, कई फॉलिकल्स अंडाशय में ही रहते हैं और गांठ का रूप ले लेते हैं। इस स्थिति में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन नहीं बनते और इन हार्मोन्स के बिना मासिक धर्म प्रक्रिया बाधित या फिर अनियमित हो जातीहै, जिस कारण गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।– Read more » माँ बनने का अहसास
विविधा स्वास्थ्य-योग कैंसर का कारण बनते हैं ई-सिगरेट में मौजूद रसायन December 6, 2019 / December 6, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment डीएनए को भी क्षतिग्रस्त कर सकती है ई-सिगरेट – योगेश कुमार गोयल पिछले दिनों लोकसभा में ‘इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भण्डारण और विज्ञापन) विधेयक-2019’ पारित होने के बाद दो दिसम्बर को राज्यसभा में भी ध्वनिमत से यह विधेयक पारित हो गया। उल्लेखनीय है कि गत 18 सितम्बर को केन्द्र […] Read more » Chemicals present in e-cigarettes cause cancer e-cigarettes cause cancer ई-सिगरेट
स्वास्थ्य-योग स्तन कैंसर से होने वाली मौतों को रोकने के लिए और जागरूक होने की जरूरत December 3, 2019 / December 3, 2019 by उमेश कुमार सिंह | Leave a Comment डा.समीर कौलसीनियर ऑकोलॉजिस्टइंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली हमारे यहां कैंसर शब्द आज भी डराता है, लेकिन पश्चिमी देशों में कैंसर का इलाज आज उसी तरह हो रहा है, जैसे अपने यहां तपेदिक का। लेकिन अपने देश में महिलाओं में स्तन का कहर तेजी से बढ़ रहा है। कुछ सर्वेक्षणों से चौकाने वाले नतीजे सामने आए […] Read more » breast cancer breast cancer in women स्तन कैंसर
स्वास्थ्य-योग एड्स के घटते रोगी December 2, 2019 / December 3, 2019 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment (एड्स दिवस 1 दिसम्बर के मौके पर) प्रमोद भार्गवएड्स के सिलसिले में जहां रोगियों के घटने की खबरें आ रही हैं, वहीं कुछ समय पहले आई खबर आश्चर्यजनक खुशी देने वाली है। एचआईवी पीड़ित 49 महिलाओं ने स्वस्थ शिशुओं को जन्म दिया है। हरियाणा के हिसार स्थित सिविल अस्पताल में इन बच्चों का जन्म एक […] Read more » एड्स दिवस 1 दिसम्बर
विश्ववार्ता स्वास्थ्य-योग किडनी के लिये योग थेरेपी का अनूठा केन्द्र December 1, 2019 / December 1, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – मानव शरीर को निरोगी, नियोजित रखने एवं कई आवश्यक नियामक भूमिकाएँ निभाने के लिए किडनी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। रक्त के संतुलित प्रवाह, उसकी शुद्धि, उसे परिवर्तित और दूषित रक्त को खत्म करने में किडनी ही सक्रिय एवं सहायक होती हैं। आजकल हमारे जीवन में किडनी रोग बहुत ज्यादा […] Read more » yog therapy for kidney किडनी के लिये योग थेरेपी
स्वास्थ्य-योग एड्स पर भारी जीने की ललक December 1, 2019 / December 1, 2019 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment -अरविंद जयतिलक एड्स जैसी खतरनाक बीमारी पर जीने की ललक भारी पड़ रही है। यह खुलासा संयुक्त राष्ट्र संघ अपने कार्यक्रम यूएनएड्स द्वारा जारी रिपोर्ट में हो चुका है। उसके मुताबिक विश्व में एड्स से होने वाली मौतों में 2005 से 2016 के बीच 48 प्रतिशत की कमी आयी है। आंकड़ों पर गौर करें तो […] Read more » aids एड्स
स्वास्थ्य-योग एड्स से बचाव ही एड्स का बेहतर इलाज December 1, 2019 / December 1, 2019 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (विश्व एड्स दिवस 01 दिसंबर पर विशेष) एड्स का मतलब है उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण (Acquired Immune Deficiency syndrome) एड्स HIV मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human immunodeficiency virus) से होता है। जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता पर आक्रमण करता है। जिसका काम शरीर को संक्रामक […] Read more » world aids day 1 december विश्व एड्स दिवस विश्व एड्स दिवस 01 दिसंबर
पर्यावरण महत्वपूर्ण लेख स्वास्थ्य-योग पॉलिथीन का प्रयोग स्वास्थ्य के लिये खतरनाक October 23, 2019 / October 23, 2019 by भरत जोशी | Leave a Comment भरत जोशी 2 अक्टूबर कहने को तो देश मे सिंगल यूजेज पॉलीथिन बन्द हो गई है । किंतु वास्तविकता में आज भी छोटे गावों से लेकर कस्बो छोटे शहरों और माहा नगरों में धड़ले से पॉलीथिन का उपयोग खुले आम हो रहा है ।सिर्फ दिखावे के तौर पर पॉलीथिन बन्द की नोटकी देश मे चल […] Read more »
लेख स्वास्थ्य-योग कहर बरपाता डेंगू का डंक September 25, 2019 / September 25, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment डेंगू के उपचार से बेहतर है बचाव – योगेश कुमार गोयल डेंगू वैसे तो हर साल खासकर बारिश के मौसम में लोगों पर कहर बनकर टूटता रहा है लेकिन इस वर्ष उत्तराखंड में इसके कारण महामारी जैसे हालात नजर आने लगे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक राज्य में डेंगू के मरीजों की […] Read more »
समाज स्वास्थ्य-योग कितनी खतरनाक है ई-सिगरेट? September 23, 2019 / September 23, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment विकासशील देशों में टाइम बम की तरह है ई-सिगरेटयोगेश कुमार गोयल अमेरिकी युवाओं में ई-सिगरेट (इलैक्ट्रॉनिक सिगरेट) की बढ़ती लत का हवाला देते हुए गत 18 सितम्बर को केन्द्र सरकार द्वारा धूम्रपान नहीं करने वालों में निकोटीन की लत बढ़ने को ध्यान में रखते हुए ई-सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का जो फैसला लिया गया […] Read more » e cigarette ई-सिगरेट