कहानी दीवाली के तीन दीये November 3, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment ख्वाजा अहमद अब्बास उस स्त्री ने कहा, ”मैं यहां तुम लोगों के पास रहती हूं… मैं इन खेतों के पास रहती हूं, जहां लक्खू भैया के बाबा अनाज उगाया करते थे और मैं उस कारखाने में भी रहती हूं, जहां लक्खू भैया मशीनों से कपड़ा बुनते हैं। जहां इंसान अपनी मेहनत से अपनी जरूरतें पैदा […] Read more »
कहानी सुबह की कालिमा -सुधीर मौर्य September 2, 2013 / September 2, 2013 by सुधीर मौर्य 'सुधीर' | 1 Comment on सुबह की कालिमा -सुधीर मौर्य अंकिता आज थोड़ा उलझन में है। वो जल्द से जल्द अपने रूम पर पहुँच जाना चाहती है। न जाने क्यूँ उसे लग रहा है, ऑटो काफी धीमे चल रहा है। वो ऑटो ड्राइवर को तेज़ चलाने के लिए बोलना चाहती है, पर कुछ सोच कर चुप रह जाती है। आज उसे निर्णय लेना है। जिसके […] Read more »
कहानी साहित्य आसक्ति से विरक्ति की ओर …..! August 30, 2013 / August 30, 2013 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on आसक्ति से विरक्ति की ओर …..! दोस्तों , ये एक प्राचीन बुद्ध कथा है , जिसे मैंने बड़ी मेहनत से अपने शब्दों से सजाया है . इस कथा में एक देशना हम सभी को मिलती है . आपको ये कथा जरुर अच्छी लगेंगी . ::: भाग एक :::: श्रावस्ति नगर के निकट स्थित प्रकृति की सुन्दरता से सजी जेतवन में सुबह की नर्म धूप […] Read more »
कहानी व्यंग्य रोबोट August 28, 2013 / August 28, 2013 by बीनू भटनागर | 1 Comment on रोबोट एक समय की बात है किसी देश मे एक विद्वान रहता था, उसे अर्थशास्त्र का बहुत ज्ञान था। उसी देश मे एक विदेशी देवी रहती थीं जिनके भक्तों का एक बड़ा समूह था। ये विद्वान भी उसी समूह से जुड़े थे और विदेशी देवी के भक्त थे। एक दिन देवी ने इन विद्वान महोदय को […] Read more » रोबोट
कहानी साहित्य शराफत के पेरोकार July 30, 2013 / July 31, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मोहल्ले वालों ने आसमान सिर पर उठा रखा था|पास पड़ौस के सभी धुरंधर उसके मकान के पास एकत्रित थे|सत्तरह मुँह सत्तरह बातें हो रही थीं| |”निकालो उसको यहां से अभी इसी वक्त,कैसे कैसे लोग चले आते हैं,बच्चों पर क्या असर पड़ेगा|”यह नगरप्रमुख लल्ला प्रसाद जी की आवाज़ थी जो भीड़ की अगुआई करते हुये चीख […] Read more » शराफत के पेरोकार
कहानी राष्ट्र वादी July 17, 2013 / July 17, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 7 Comments on राष्ट्र वादी भविष्य की कहानी क्या ऐसी होगी दरवाजे पर दस्तक हुई|”मम्मा मम्मा, बाहर कोई दरवाजा पीट रहा है”एक दस ग्यारह साल के बेटे ने अपनी मां को आवाज़ लगाई| “अब इतनी रात गये कौन आ गया”,वह बड़बड़ाआई|”पूछो कौन है,क्या काम है इतनी रात को?”उसने किचिन में से ही जोर से चिल्लाकर बेटे को […] Read more » राष्ट्र वादी
कहानी खुशी July 16, 2013 / July 16, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment “क्या बात है,बहुत खुश हो आज|”उसने उससे कहा| “बात ही ऐसी है,आज खुश नहीं होऊंगा तो कब होऊंगा|’ “अरे भाई पता भी तो लगे हमारे प्रिय मित्र की खुशी का रहस्य|” “आज बहुत बड़ी साध पूरी हो हई मेरी|” “क्या कोई लाटरी लग गई या कारूं का खजाना मिल गया?” “इससे भी बड़ी उपलब्धि” “अरे […] Read more » खुशी
कहानी ऊंचे विचार वाले July 15, 2013 / July 15, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on ऊंचे विचार वाले साहित्यिक गोष्ठी समाप्त हो चुकी थी और मैं अपने गृह नगर वापिसी के लिये ट्रेन पकड़ने कॆ उद्देश्य से स्टेशन आ गया था||ट्रेन करीब दो घंटे लेट थी| हम पति पत्नी समय बिताने के लिये एक बेंच पर बैठ गये|प्लेट फार्म पर बहुत चहल पहल थी| थोड़ी […] Read more » ऊंचे विचार वाले
कहानी लघु कथा-स्टाफ July 13, 2013 / July 13, 2013 by जगमोहन ठाकन | 2 Comments on लघु कथा-स्टाफ जग मोहन ठाकन अम्बेडकर चौक । राजस्व विभाग का नाका। हर समय दो प्रहरी तैनात । पद के अनुरूप भारी तोंद वाला हवलदार कुर्सी पर विराजमान । छरहरे बदन वाले सिपाही द्वारा हर आने जाने वाले वाहन को चैकिंग के बहाने रोक कर रिजर्व बैंक द्वारा छापी गर्इ मुद्रा की वसूली कर आगे बढ़ने का […] Read more »
कहानी साहित्य उत्तराखण्ड का ‘बेताज’ अंग्रेज राजा July 6, 2013 / July 6, 2013 by डा.राज सक्सेना | 3 Comments on उत्तराखण्ड का ‘बेताज’ अंग्रेज राजा सन 1842 की बात है | पहले अंग्रेज-अफगान युद्ध में अंग्रेजों की हार हुई | कुछ अज्ञात कारणों से सेना से कुछ लोग भाग निकलें | शायद मरने के डर से,जेल के डर से या हारने की आत्मग्लानि से, कारण कुछ भी हो कुछ सिपाही भागे तो, इन्ही भागे हुए सिपाहियों में से एक भगोड़े […] Read more » उत्तराखण्ड का 'बेताज' अंग्रेज राजा
कहानी साहित्य “एक सौ नवासी का कफन” June 22, 2013 / June 22, 2013 by सेराज खान 'जासम' | 1 Comment on “एक सौ नवासी का कफन” जून का महीना था, सुबह के दस बजे होंगे| हवाओं मे इतनी गर्माहट थी मानो भट्टे से गर्म करके भेजी जा रही हो| खिड़की के सामने की दीवार पे एक पुरानी तस्वीर लगी थी तस्वीर दो कील वाली थी जिसकी एक कील गिर गयी है और तस्वीर एक कील पे दोलन गति कर रही थी| […] Read more » “एक सौ नवासी का कफन”
कहानी साहित्य लधुकथा(राजनीति) June 15, 2013 / June 15, 2013 by नरेंद्र भारती | Leave a Comment गरीब थी ,बेचारी रोज शहर में दिहाड़ी कमाने जाती, शाम ढलते ही वापस घर आ जाती थी । एक दिन उसकी बस छूट गई । बस अड्डे पर अकेली खड़ी थी । तभी एक दम तेज गति से एक कार रूकी,एक दादा टाईप लड़का उसके पास आया, बोला कहां जाना है, जी रामनगर !चलो कार […] Read more » लधुकथा(राजनीतिद्ध)