कविता धरना है।। April 16, 2019 / April 16, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment धरना है भाई धरना है, धरने में भी धरना है धरना धरने की खातिर है, धरना, धरना धरना है। चाहे भवन विधान घेराव करें, या भरी दुपहरी बदन जरे मंत्री और मुखिया मौज करें, बस भाषण देकर पेट भरे। बेरोजगार की एक चाह, रोजगार कोई अब करना है धरना है भाई धरना है, धरने में […] Read more »
कविता जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ, April 16, 2019 / April 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ,जालिम ड़ायर की कहानी सुनाता हूँ | निह्त्थो पर गोली चलवाई जिसने मरने वालो की चीख सुनाता हूँ || चश्मदीद गवाह था मै,यह सब कुछ देखा रहा था शैतान की करतूतों को | मेरे भी आँखों में आँसू थे,पर बोल रहा नहीं था देख शैतान की करतूतों को || 13 […] Read more » जलियाँ वाला बाग बोल रहा हूँ
कविता साहित्य नया भारत बनायेंगे।। April 15, 2019 / April 15, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment देश के लिए जिन्होने सुख सुविधाएं छोड़, त्याग जो किया दुनिया को बतलायेंगे। बाबा के बतायें हुए रास्ते पे चलकर, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। जाति धर्म सम्प्रदाय वाली बातें भूल प्यारे, आज इक दूसरे को गले से लगायेंगे। बाबा साहब सपनों में देखे जिस भारत को, आइये हम मिलके नया भारत बनायेंगे।। मानव […] Read more »
कविता साहित्य फिर नरेंदर ! April 15, 2019 / April 15, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सर्वेश सिंह तूं ही कविता, तूं ही मंतर सुखकारी बाहर आभ्यंतर स्वर्गिक धूनी अंदर नवल धवल मन्वंतर फिर नरेंदर ! रोग-ग्रस्त भूगोल दिखे है अड़गड़ जोग मचे है मुंह बिराते पंजर फिर नरेंदर ! देख दीखावा सब है धूल की ढेरी ढलता सूरज ढलता चँदा देश विरोधी नेता डोलें बन कर मस्त कलंदर फिर नरेंदर […] Read more » phir narendra vote for narendra फिर नरेंदर !
कविता ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। April 15, 2019 / April 15, 2019 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। वर्षों बन्द कुबेर खजाने का दरवाजा खोल गया। गोरा बादल शत्रु कंठ को तलवारों से तोल गया। सात दशक का पाप जाप की अग्नि शिखा से डोल गया। ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। अद्भुत चतुर खिलाड़ी आया दाग गोल पर गोल गया। ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।। सैनिक की […] Read more » ऐसा लगता लाल किला मर्दानी भाषा बोल गया।।
कविता मानव आज कितना सिमट गया है | April 12, 2019 / April 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मानव आज कितना सिमट गया है | केवल वह मोबाइल से चिपट गया है || उसे फुर्सत नहीं है किसी से मिलने की | उसे फुर्सत नहीं है किसी को सुनने की || वह तो अपने आप में कही खो गया है | मानव आज कितना सिमट गया है || न रही फुर्सत उसे अपने […] Read more » मानव आज कितना सिमट गया है |
कविता मतदान व मतदाता April 12, 2019 / April 12, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मत का दान जो करे,वह मतदाता कहलाय | मत का दान जो ले,वह सीधा नेता बन जाय || मन भेद न कीजिये,भले ही मत भेद हो जाय | सही सच्चा रास्ता,कभी भी दुःख न हो पाय || मतदान से पहले नेता,मतदाता के चक्कर लगाय | मतदान के बाद , मददाता नेता के चक्कर लगाय || […] Read more » Vote voters मतदाता मतदान मतदान व मतदाता
कविता आया आज बैशाखी का त्यौहार | April 10, 2019 / April 10, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आया आज बैशाखी का त्यौहार | जिसमे होती है अन्न की बौछार || इन दिनों खेतो में अन्न पाक जाता | पक कर अन्न घरो पर है आ जाता || फिर झूम जाते है सभी कृषक परिवार | मनाते ख़ुशी से ये बैशाखी का त्यौहार || आया आज बैशाखी का त्यौहार | जिसमे होती है […] Read more »
कविता प्रकृति क्यों बदला लेती है ? April 10, 2019 / April 10, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment घनघोर घटायें घिर रही,घन भी घडघडाहट कर रहे |दामिनी दम दम दमक रही,ये दिन को रात कर रहे || ओलावृष्टि भी हो रही,धरती भी सफेद चादर ओढ़ रही |चारो और हाहाकार मचा,कैसी भू पर अनावृष्टि हो रही || चारो तरफ जीवन अस्त-वयस्त है,बिजली भी चली गयी |चारो तरफ अँधेरा छा गया ये कैसी हालत हमारी […] Read more »
कविता माँ ! अम्बे कैसे उतारू तेरी आरती ? April 8, 2019 / April 8, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment माँ ! अम्बे कैसे उतारू तेरी आरती ?जब संकट में पड़ी है मेरी माँ भारती || चारो तरफ जब चुनाव माहौल बना हुआ है |उजाले में भी चारो ओर अँधेरा बना हुआ है ||ये नेता जब कोरा झूठ बोल रहे है |वोटरों को हर तरह से ये छोल रहे है ||इनका कोई धर्म ईमान न […] Read more »
कविता नवरात्र में माँ फिर आईं हैं April 8, 2019 / April 8, 2019 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment नवरात्र में माँ फिर आईं हैं प्रकृति ने भी धरती सजाई है शाखों पर नए पत्ते शर्मा रहे हैं पेड़ों पर नए पुष्प इठला रहे है खेतों में नई फसलें लहलहा रही हैं चिड़ियाँ चहक रही हैं कोयल गा रही है सम्पूर्ण सृष्टि स्वागत गान गा रही है हे शक्ति की देवी समृद्धि की देवी […] Read more » chaiti navratra maa durga in chaitra maas नवरात्र
कविता नववर्ष मंगलमय हो ! April 3, 2019 / April 3, 2019 by आलोक पाण्डेय | Leave a Comment सत्य सनातन सभ्यता के रक्षक , हे उन्नत विचारों वाले , क्रुर , दु:सह दु:ख – जड़ता का विध्वंसक , हे उन्मत्त ! सुधारों वाले ! सत्यता की मलिन दशा क्यों हो गयी है आज , बन्धु लूटे खूब बान्धव को , है नहीं बची कुछ लाज ! लूट रही संपदा विविध , सर्वत्र लगी […] Read more » नववर्ष