कविता अब तो आ जाओ सनम July 9, 2018 / July 9, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment दिन ढल चूका है,शाम हो गई है चिराग जल चुके है,रात हो गई है मिटाने जा रहे है, वे अपने गम न जाने कहाँ हो तुम ? अब तो आ जाओ सनम तेल जल चूका है,बाति कम हो गई है चिराग की लो भी अब कम हो गई है बुझ रहा है वह,निकल रहा उसका […] Read more » अब तो आ जाओ सनम चाँद जा चूका है चाँदनी अब सो गई है तितलियाँ
कविता एक गजल बेटा बाप को नहीं देखता July 7, 2018 / July 7, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जीता हूँ अपनी धुन में,इस दुनिया का कायदा नहीं देखता रिश्ते निभाता हूँ दिल से कभी अपना फायदा नहीं देखता लिखता हूँ अपने दिल से, कभी किसी का दिल नहीं दखाता शब्दों की माला पिरोता हूँ कभी किसी की कविता नहीं चुराता आँखे सभी की दो दो है,पर वह अपने पापो को नहीं देखता अँधा […] Read more » एक गजल बेटा काबिलियत बाप को नहीं देखता मोदी देश
कविता रेप के समस्या का समाधान July 6, 2018 / July 6, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रोज रोज रेप होते हुये, एक वैश्या दुखी होकर बोली आ जाओ हवस की दरिंदो,मैंने रेप की दुकान खोली मेरे भी एक औरत है,एक औरत का दर्द समझती हूँ पेट की भूख के कारण, कोठो पर हर पल सजती हूँ मैंने इन दरिंदो के लिये, यहाँ फ्री सेल लगा रक्खी है मिटा ले अपनी हवस […] Read more » दरिंदो पुलिस बच्चियों रेप के समस्या का समाधान संसद कानून
कविता मोक्ष के लिये बुरारी मौत-कांड July 5, 2018 / July 5, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मोक्ष के लिये मौत को गले लगाया सभी तुमने एक नहीं पूरे परिवार को मौत में सुलाया तुमने पढ़-लिख कर भी,ना समझ बन गये थे क्यों तुम ? अंध विश्वासी,रुढ़िवादी अधर्मी बन गये थे तब तुम क्यों उकसाया परिवार को तुमने आत्महत्या के लिये ? क्या मजबूरी थी,उनको मजबूर किया मरने के लिये ? मोक्ष […] Read more » पढ़-लिख बुद्ध और महावीर मोक्ष के लिये बुरारी मौत-कांड मौत हिन्दू शास्त्रों
कविता नारी की पीड़ा July 4, 2018 / July 4, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment नारी तुझको कोई अबला कहता,कोई सबला भी कहता है पुरुष तुझको सबला कहकर,फिर भी वह प्रताड़ित करता है तूही द्वापर में,तूही त्रेता में,तूही कलयुग में आई है कही तुझे जुए में हारा,कही तूने अग्नि परीक्षा पाई है जो नारी का करे अपमान,वह मर्द कभी नहीं हो सकता है जो बहन का करे न सुरक्षा,वह भाई […] Read more » तूही कलयुग तूही त्रेता में तूही द्वापर में नारी की पीड़ा
कविता बारिश का मौसम है,आओ भीगे सनम July 3, 2018 / July 3, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बारिश का मौसम है,आओ भीगे सनम तन की तपन को शीतल कर ले सजन ये जीवन धीरे से ऐसे ही कट जाएगा आशाओ के सहारे ऐसे ही कट जाएगा निराशा न देना तुम मेरे प्यारे सनम आओ बारिश में भीगे हम तुम सजन बारिस का मौसम है, ………… मन को न मसोसे कभी हम और […] Read more » आओ भीगे सनम घनघोर घटाये बारिस का मौसम है सावन हरियाली
कविता सावन के महीने में विरहणी के प्रश्न July 2, 2018 / July 2, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी जब सावन का महीना आता क्या पिया का संदेशा लाता ? जब बादल आसमां में गरजते एक दूजे के लिये क्यों तरसते ? जब बिजली आसमां में चमकती माथे की बिंदिया क्यों दमकती ? जब घनघोर घटायें घिरती विरहणी क्यों दिन में डरती ? जब दिन में ही रात हो जाती पिया […] Read more » नन्नी नन्नी बुंदियाँ बिजली आसमां सावन के महीने में विरहणी के प्रश्न
कविता फांसी चढ़ा दो मंदसौर के दरिंदों को July 2, 2018 / July 2, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी फांसी पर चढ़ा दो,रेप करने वाले मंदसौर के दरिंदो को पृथ्वी पर भार बने है,जीने का हक़ नहीं इन दरिंदो को कैंडिल मार्च से कुछ नही होगा,पकड़ लो इन दरिंदो को चौपले पर गोली मारो,खत्म करो अब तुम इन दरिंदो को न्याय मिलेगा,कब मिलेगा,न्याय नहीं अब जल्द मिलता है इस प्रकार […] Read more » फांसी चढ़ा दो मंदसौर के दरिंदों को फांसी चढ़ाओ बलात्कार बेटियों
कविता ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै June 30, 2018 / June 30, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै तेरे गम में अपनी आँखे भिगोती नहीं हूँ मै ए पत्थर के सनम ! दिल को पत्थर बना लिया है मैंने जिसको माना था भगवान,उसको अब पूजती नहीं हूँ मै बहाये थे जिन आँखों से आँसू,उनको बंद कर लिया है […] Read more » आँखों से आँसू ए सनम ! तेरी याद में अब रोती नहीं हूँ मै पत्थर वैध हकीम
कविता मामूली हैं मगर बहुत खास है… June 30, 2018 / June 30, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा, मामूली हैं मगर बहुत खास है… बचपन से जुड़ी वे यादें वो छिप छिप कर फिल्मों के पोस्टर देखना मगर मोहल्ले के किसी भी बड़े को देखते ही भाग निकलना सिनेमा के टिकट बेचने वालों का वह कोलाहल और कड़ी मशक्कत से हासिल टिकट लेकर किसी विजेता की तरह पहली पंक्ति में […] Read more » कनखियों से रसगुल्लों फिल्मों बारिश मामूली हैं मगर बहुत खास है... रसगुल्लों की बाल्टियों
कविता सावन आया,उमंग लाया June 29, 2018 / June 29, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सावन आया,उमंग लाया उमड़ घुमड़ कर बदरा आये जिससे मेरा जिया घबराये काले बदलो ने आसमान घेरा जिससे छाया पृथ्वी पर अँधेरा अँधेरे में अब बिजली चमकी जिससे मेरी बिंदिया दमकी गरज गरज कर बदरा आये पिया का कुछ संदेशा लाये मैं बोली पिया का सन्देशा सुनाओ बदरा बोले हमारे करीब तो आओ अपने पिया […] Read more » उमंग लाया पृथ्वी पर अँधेरा बिजली चमकी वर्षा रानी सावन आया
कविता प्यार करते रहेगे हम जनम जनम June 26, 2018 / June 26, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment कसम खाते है आज दोनों सनम प्यार करते रहेगे हम जनम जनम प्यार की डगर है कितनी कठिन इस पर चलना और भी कठिन इस पर चलते रहेगे सदा हम किसी का साथ छोड़ेगे ना हम कसम खाते है आज दोनों सनम प्यार करते हम जनम जनम ये गमो की दुनिया है बिकते है जख्म […] Read more » कसम खाते प्यार करते रहेगे प्यार की खरीद हम जनम जनम