कविता
तलाश
/ by बीनू भटनागर
यहाँ भीड़ मे हर कोई, इक पहचान ढूँढता है। जैसे परीक्षा परिणाम मे कोई, अपना नाम ढूँढता है। नाम जो मिल जाये तो, फिर काम ढूँढता है, काम मिल जाये तो, आराम ढूँता है। आराम मिल गया तो, सुख शाँति ढूढता है, सुख शाँति न मिले तो, भगवान ढूँढ़ता है!
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