कविता खूबसूरत हो तुम August 6, 2014 / August 6, 2014 by लक्ष्मी जायसवाल | 1 Comment on खूबसूरत हो तुम -लक्ष्मी जायसवाल- खूबसूरती एक मुस्कुराहट है, और इस मुस्कुराहट में, अपनी हंसी से, चांदनी बिखेरती हो तुम। खूबसूरती एक सपना है, और उन सपनों में, अपनी उम्मीदों के, रंग भर जाती हो तुम। खूबसूरती एक जगमगाहट है, और उस जगमगाहट में, अपनी बातों से, रोशनी भर जाती हो तुम। खूबसूरती एक प्यारी अदा है, और उस अदा को, अपने […] Read more » कविता खूबसूरत हो तुम हिन्दी कविता
कविता लहू तो एक रंग है August 4, 2014 / October 8, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- लहू तो एक रंग है, आपस में एक दूसरे से, हो रही क्यों जंग है ? लहू तो एक रंग है, लहू तो एक रंग है। हर तरफ तो शोर है, किस पर किसका जोर है? ढ़ल रही है चांदनी, आने वाली भोर है। रक्त का ही खेल है, रक्त का ही मेल […] Read more » एकता कविता भाईचारा भाईचारा कविता लहू तो एक रंग है
कविता दूध पीकर, नाग देव प्रसन्न August 2, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’- 1.दूध पीकर, नाग देव प्रसन्न, नाग पंचमी। 2.आओ झूलेँगे, द्वारे नीम सखियां, झूला पड़ा है। 3.बहनें सजीँ, गुड़िया जैसी लगें, गुड़िया पर्व। 4.दंगल लगें, मल्लयुद्ध के लिए, योद्धा तैयार। 5.सजी दुकानें, घूम रहे हैं बच्चे, लगा है मेला। 6.घुघुरी पकी, भर-भरके दोना, सभी चबाएँ। 7.रंग-बिरंगी, धरा पोशाक धारे, गुड़िया पर्व। 8.ऊँची […] Read more » दूध पीकर नाग देव प्रसन्न नाग पंचमी
कविता मेरी नानी का घर August 2, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment –बीनू भटनागर- बहुत याद आता है कभी, मुझे मेरी नानी का घर, वो बड़ा सा आंगन, वो चौड़े दालान, वो मिट्टी की जालियां, झरोखे और छज़्जे। लकड़ी के तख्त पर बैठी नानी, चेहरे की झुर्रियाँ, और आँखों की चमक, किनारी वाली सूती साड़ी, और हाथ से पंखा झलना। नानी की रसोई, लकड़ी चूल्हा और फुंकनी, रसोई में गरम गरम रोटी खाना, वो पीतल के बर्तन , वो काँसे की थाली, उड़द की दाल अदरक वाली, देसी घी हींग, ज़ीरे का छौंक, पोदीने की चटनी हरी मिर्च वाली। खेतों से आई ताज़ी सब्ज़ियां, बहुत स्वादिष्ट होता था वो भोजन। आम के बाग़ और खेती ही खेती। नानी कहती कि, ‘’बाज़ार से आता है, बस नमक वो खेत मे ना जो उगता है।‘’ कुएँ का मीठा साफ़ पानी। और अब पानी के लिये इतने झंझट, फिल्टर और आर. ओ. की ज़रूरत। तीन बैडरूम का फ्लैट, छज्जे की जगह बाल्कनी, न आंगन न छत बरामदे की न कोई निशानी, और रसोई मे गैस,कुकर, फ्रिज और माइक्रोवेव, फिर भी खाने मे वो बात नहीं, ना सब्ज़ी है ताज़ी, किटाणुनाशक मिले हैं, फिर उस पर ,अस्सी नब्बे का भाव। क्या कोई खाये क्या कोई खिलाये। आज नजाने क्यों , नानी का वो घर याद आये। Read more » कविता मेरी नानी का घर हिन्दी कविता
कविता भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस August 1, 2014 / August 1, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस, बन गया इस देश का भक्षक, हर तरफ है ये तो फैला, लड़ा नहीं जा सकता अकेला, बन गया ये तो झमेला, जायेगा न अब ज्यादा झेला, मिलकर सभी दिखाओ जोर, कर तुम इसको कमजोर , तोड़ दो इसकी रीढ़ की हड्डी, बंध न पाए जिसमे पट्टी , कर […] Read more » भ्रष्टचार है इक मायावी राक्षस भ्रष्टाचार पर कविता
कविता रक्षा बंधनः भाई बहन स्नेह August 1, 2014 / August 1, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on रक्षा बंधनः भाई बहन स्नेह -बीनू भटनागर- 1 रक्षा बंधन, भाई बहन स्नेह, प्यारा त्योहार। सखी सहेली, सावन की बारिश, अंग भिगोये। 3- हर सिंगार खिलते ही, झड़ते ख़ुशबू फैले। 4- नौका विहार, झील के उस पार, कुमुद खिले। 5 नीढ़ छोड़के पंछी निकले, दूर सांझ लौटेंगे। 6. प्रत्यूष काल, सुनहरा सा जाल, धूप की ज्योति। मंद समीर के […] Read more » भाई बहन स्नेह रक्षा बंधन रक्षा बंधनः भाई बहन स्नेह हिन्दी कविताएं
कविता ये मुट्ठी भर लोग July 28, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- इन मुट्ठी भर लोगों के, भड़काने और बहकाने से, क्यों राम के भक्त और अल्लाह के बन्दे, मरने मारने पर, आमदा हो जाते हैं! कभी मुज़्जफ़रनगर तो कभी, सहारनपुर जलाते हैं। चंद नेता और कुछ कट्टरवादी (अ)धार्मिक तत्व, कैसे मजबूर कर देते हैं, अपनो को अपनो का ख़ून बहाने को, सिर्फ इसलियें कि […] Read more » कविता ये मुट्ठी भर लोग हिन्दी कविता
कविता क्रोध परिणाम July 28, 2014 / July 28, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- आग की ज्वाला से देखो, तेज़ तो है मेरी आग, मेरे चक्कर में फंसकर, जाने कितने हुये बर्बाद। काबू पाना मुश्किल मुझ पर, चाहे हो कितना खास, मिट जाता है नाम जहां से, बनते काम का हो सत्यानाश। अंग-अंग में बेचैनी दिलाऊं, तापमान शरीर का बढ़ाऊं, दिमाग काम कर देता बंद, क्रोधित को […] Read more » कविता क्रोध क्रोध कविता हिन्दी कविता
कविता वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण ताजमहल July 25, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण ताजमहल -बीनू भटनागर- 1. वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण ताजमहल। 2 ओस के कण पल्लव से बिखरे है भूमि नम। 3. समय बहे अविरल प्रवाह एक रफ़्तार। 4. ये कर्णप्रिय संगीत समारोह अभिनंदन। 5. गीत संगीत सुर ताल संगम नाद सुरीला। 6. लाख की चूड़ी बंधिनी लहरिया लावेंगे पिया। 7. नीला आकाश चमकीली दोपहर भीषण गर्मी। 8. […] Read more » ताजमहल दस हाइकु समय
कविता देश के गांवों को सलाम July 25, 2014 by रवि श्रीवास्तव | 1 Comment on देश के गांवों को सलाम -रवि श्रीवास्तव- लगा सोचने बैठकर इक दिन, शहर और गांवों मे अन्तर, बोली यहां की कितनी कड़वी, गांवों में मीठी बोली का मंतर। आस-पास के पास पड़ोसी, रखते नहीं किसी से मतलब, मिलना और हाल-चाल को, घर-घर पूंछते गांवों में सब, भाग दौड़ की इस दुनिया में, लोग बने रहते अंजान, गांवों में होती है […] Read more » गांव देश के गांवों को सलाम
कविता भारत माता की पुकार July 24, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- मैं भी थी अमीर कभी, कहलाती थी सोने की चिड़िया, लूटा मुझको अंग्रेजों ने, ले गए यहां से भर-भर गाड़ियां। बड़े मशक्कत के बाद, मिली थी मुझको आजादी, वीरों के कुर्बानी के, गीत मैं तो गाती। उस कुर्बानी को भूलें, यहां के कर्ता धरता, शुरू किया फिर दौर वही, मेरी बर्बादी का। लूटकर […] Read more » भारत माता भारत माता कविता भारत माता की पुकार
कविता खूबसूरती का एहसास July 24, 2014 by रवि श्रीवास्तव | Leave a Comment -रवि श्रीवास्तव- क्या है खूबसूरती, किसने इसे तराशा है, हर दिन, हर पल देखकर, मन में जगी ये आशा है। दिल को देता है सुकून, खूबसूरती का एहसास, दुनिया में बस है भी क्या, इससे ज़्यादा भी क्या ख़ास। नदी झील तारें चन्द्रमा, खूबसूरती के नज़ारे, झरनें पहाड़ मौसम, लगते हैं कितने प्यारे। समुन्दर की […] Read more » कविता खूबसूरती का एहसास हिन्दी कविता