कविता
गंगा…
/ by राम सिंह यादव
-रामसिंह यादव- गंगा तुम क्या हो? मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी कैसी कथा हो… जो चिरकाल से हमें पाल रही हो? माई, तुम्हें नहीं पता कौन आर्य है, कौन द्रविड़, कौन बौद्ध है, कौन मुसलमां, कौन सिक्ख है, कौन जैन, पारसी या ईसाई भी तुम्हें नहीं पता… शांत, अविचल, धवल, श्वेत चन्द्र रेखा सी… अनवरत सभ्यताओं […]
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