कविता आज जैन बौद्ध वैदिक सिख मिलकर हिन्दू कहलाने लगे November 3, 2023 / November 3, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक वर्तमान हिन्दू धर्म बौद्ध जैन धर्म का ब्राह्मणीकरण है, बुद्ध ने कहा ‘एस धम्मो सनंतनो’ धम्म ही सनातन है! सच यह है कि बौद्ध धर्म का धम्म ही सनातन धर्म है, बुद्ध का ये धम्म सनातन है,सनातन कोई धर्म नहीं है! बुद्ध के धम्म औ वैदिक धर्म में अंतर होता बहुत अधिक, […] Read more »
कविता दानी और उदार होने के लिए जरूरी नहीं है धनी होना November 3, 2023 / November 3, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक दानी और उदार होने के लिए जरूरी नहीं है धनी होना अक्सर अधिक धनी व्यक्ति अत्यधिक कृपण होता ज्यों-ज्यों धन बढ़ते जाता त्यों-त्यों कृपणता बढ़ती जाती! कृपण व्यक्ति अंततः अपना ही कर लेता है क्षति धन जमा करने की नशा ऐसी होती कि हर रोजमर्रा के खर्च में करने लगता है वो […] Read more » It is not necessary to be rich to be charitable and generous.
कविता मैं तो तेरे पास हूँ November 3, 2023 / November 3, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मैं तो तेरे पास हूँ अन्तर्मन के आंखे खोल वंदे मैं तो तेरे पास हूँ कर्म में धर्म में भक्ति में शक्ति में राग में रंग में हरदम बैठा मैं तेरे साथ हूँ । सरिता में सिंधु में धरा में गगन में अगन में पवन में करता मैं ही वास हूँ ॥ सृष्टि में वंदनीय […] Read more » I am with you
कविता निजत्व की ओर November 2, 2023 / November 2, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरा नगर शाश्वत काल से अत्यन्त रमणीक और सुन्दर रहा है और उसका महाशून्य कार आकाश शाश्वत निर्मल असीम नीलिमा लिये रहा है। न जाने कहां से मॅडराते घने काले बादलों ने मेरे नगर के सौन्दर्य को निगल लिया है। मैं दूसरे नगर में गया हूँ तब मेरे नगर में ये बादल शुभ्र रहे थे […] Read more » निजत्व की ओर
कविता कहाँ गये पखेरू, वीरान पेड़ रोते November 2, 2023 / November 2, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आज भी दरवाजा खोलते ही, मुझे अपने घर से नजर आता है नीम का पेड़, जो देवी की मडिया से सटकर खड़ा है। और कुछ दूरी पर एक विशाल इमली का पेड़ हुआ करता था जिसे चंद स्वार्थियों ने जड़ से काटकर जमीन पर कब्जा कर विशाल भवन खड़ा किया है। घर के पिछवाड़े की […] Read more » Where have the birds gone
कविता आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता November 2, 2023 / November 2, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक आज का समय है छल-छंद का आज का समय है घृणा द्वेष जलन का आज का समय है बेगानापन का आज का समय नहीं है अपनापन का आज का रिश्ता झटके में टूट जाता आज हर कोई छोटे से कारण से रूठ जाता एक वाट्सएप मैसेज छूने नहीं छूने पर डबल […] Read more »
कविता आ जाओ शरण धूनीश्वर की October 27, 2023 / October 27, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment ए दिल, तू पुकार धूनीधर को,तेरी टेर सुनेंगे कभी न कभी।वे दीनदयाल हरिहर हैदिन तेरे फिरेंगे कभी न कभी ।हे मोहन मधुर प्रभाधारी,जब देखें नजर परम प्यारी।बस धन्यं बने तू उसी क्षण में,तेरा दर्द हरेंगे कभी न कभी।दर पर नित फेरी लगाता जाअपना दुख दर्द सुनाता जा।जब मौज में आयेंगे मेरे प्रभु,तब पूछ ही लेंगे […] Read more »
कविता प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें October 27, 2023 / October 27, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment भोर भये रेवा तीरे, पावस पवन श्रृंगार किये। धन्य हुई है मेरी नगरी, जन-मानस सत्कार किये।। हर दिन यहां पर प्रफुल्लित आये, पर्वो की सौगात लिये। रोज नहाये रेवा जल में, हम खुशियों सा मधुमास लिये।। जहं-तहं मन्दिर बने हुए हैं, रेवा तट का उल्लास लिये। नित मंत्र जपे ओैर माला फेरे, भीड़ भक्तों की […] Read more » प्राणों का हम अर्द्ध चढ़ायें
कविता हिन्दू को बचाओ जातिवाद मिटाओ तभी उल्लास होगा October 20, 2023 / October 20, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक जातिवाद क्या है? जो अपनी जाति को श्रेष्ठ और दूसरी जाति को नीच समझता हो! ब्राह्मणवाद क्या है? जो अपनी जाति के सिवा तमाम जातियों को वर्णसंकर समझता हो! तो क्या सभी ब्राह्मण एक जाति है? नहीं ब्राह्मण अनेक जातियों का एक वर्ण है कुछ देशी कुछ विदेशी आक्रांताओं के पुरोहित वर्ग […] Read more »
कविता आज सनातन धर्म विभिन्न आस्था और अवस्था से गुजर इस मुकाम पर पहुँचा October 16, 2023 / October 16, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक आज भारतवर्ष का सनातन धर्म विभिन्न आस्था और अवस्था से गुजर कर इस मुकाम पर पहुँचा, जहाँ से हम पीछे की स्थिति में लौट नहीं सकते, वस्त्र त्याग कर नग्न जिन मुनि नहीं बन सकते, ब्याहता को छोड़कर गौतम बुद्ध नहीं बन सकते! आज हम ये कहकर सनातन से मुकर नहीं सकते […] Read more » आज सनातन धर्म विभिन्न आस्था और अवस्था से गुजर इस मुकाम पर पहुँचा
कविता हम सब हिंदुस्तानी हैं October 14, 2023 / October 14, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment महिमा जोशीकन्यालीकोट, उत्तराखंड ना पूछो ज़माने से किक्या हमारी कहानी हैहमारी पहचान बस इतनी हैकि हम सब हिंदुस्तानी हैंदेश से करते प्यार इतनाकि जान भी गंवाई हैमत पूछो हम कौन हैं?हम सब हिंदुस्तानी हैंनेहरू, गांधी और शास्त्रीसबकी एक ज़ुबानी थीमत पूछो वो कौन थेवो सब हिंदुस्तानी हैंवो मां होती है खुशनसीबजिनके बच्चों का बलिदान,आता है देश की […] Read more » हम सब हिंदुस्तानी हैं
कविता जाने क्यों मुझे देवता बनाते है? October 11, 2023 / October 11, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment जाने क्यों मुझे देवता बनाते है?मैं उन्हें कैसे समझाऊ कि मैं कोई देवता नहीं हॅू एक सीधा-साधा इंसान हॅू जो इंसानियत से जीना चाहता हॅू।पर वे मानते ही नहीं मुझे देवता की तरह पूजे आते हैं, जाने क्यों मुझ इंसान को देवता बताते है?ये दुनिया बड़ी जालिम है जो हम जैसों के पीछे पडी हैकभी ढंग के इंसान तो न बन पाये पर ये देवता बनाने पर अड़ी है।किन्तु मैं देवता नहीं बनना चाहता एक इंसान बनना चाहता हॅू ?इनके लिये किसी को भी देवता बनाना कितना सरल है ये हर सीधे सादे इंसान को पहले पत्थर जड बनाते हैं।उजाडकर दुनिया उसकी ये उसे नीरस बनाते है।जिन्हें ये देवता बनाते है अक्सर वह इनके करीब होता है इनका अपना तो कम उनके अपनों का सपना होता है।दूसरों के सपनों को चुराकर ये अपनी हकीकत बनाते है।प्रेम को जीने वालों को निजी स्वार्थ सिद्धि हेतु ही पीड़ा का ताज पहनाकर बेबसी की माला पहनाते है।उनकी आँखों से जुदाई के आँसू बहाकर उनके हृदय में गर्मी का सैलाव लाते है।दो प्रेम करने वाले इंसानों को ये पहले बिछुडवाते है।प्रेम की लाश ढोने वाले हर इंसान को ये देवता बनाते है। आत्माराम यादव पीव Read more » जाने क्यों मुझे देवता बनाते है?