कविता कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल June 1, 2012 / June 1, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मै दरअसल हर चीज के प्रति दिल से उठती चीख की तरह हमेशा से किनारा करता गया इसलिए खुद ही अपनी दीवार को अस्तित्व के गहरे रहस्य मेँ ताजिँदगी उधेड़ता ही गया अभिसार और मिलन के दायरोँ से किसी एक तरफ बढ़ते हाथ वक्त के गुम्बद मेँ निरपेक्ष अस्तित्व का साया सुबह की रोशनी […] Read more » poem by motilal कविता:अस्तित्व का खतरा कविता:अस्तित्व का खतरा-मोतीलाल कविता:मोतीलाल
कविता कविता:खिलौना-श्यामल सुमन May 27, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता:खिलौना-श्यामल सुमन देख के नए खिलौने, खुश हो जाता था बचपन में। बना खिलौना आज देखिये, अपने ही जीवन में।। चाभी से गुड़िया चलती थी, बिन चाभी अब मैं चलता। भाव खुशी के न हो फिर भी, मुस्काकर सबको छलता।। सभी काम का समय बँटा है, अपने खातिर समय कहाँ। रिश्ते नाते संबंधों के, बुनते हैं […] Read more » poem by shyamal suman poem khilauna by shyamal suman कविता:खिलौना कविता:खिलौना-श्यामल सुमन कविता:श्यामल सुमन
कविता कविता:संवाद-श्यामल सुमन May 26, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment काम कितना कठिन है जरा सोचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। गीत जिनके लिए रोज लिखता मगर। बात उन तक न पहुँचे तो कटता जिगर। कैसे संवाद हो साथ जन से मेरा, जिन्दगी बीत जाती न मिलती डगर। बन के तोता फिर गीता को क्यों बाँचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। […] Read more » kavita by shyamal suman poem samvd by shyamal suman कविता:श्यामल सुमन कविता:संवाद कविता:संवाद-श्यामल सुमन
कविता कविता:अन्यथा शब्दोँ के लिए चिँता-मोतीलाल May 25, 2012 / May 25, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment जहाँ कहीँ भी होगा उठती अंतस से हूक अवसाद के चक्रवात मेँ रेखांकित नहीँ उसका वजूद गौर से यदि देखेँ मुखर होने की उनकी उपस्थिति है निश्चित ही हमसे करीब सभी समकालीन परिदृश्य चिँतन की किसी पद्धति मेँ अफसोसजनक नहीँ कि चीजेँ नहीँ वैसी जिन बुनियादोँ पर काटे जा रहे हैँ वनोँ को […] Read more » poem by motilal कविता-मोतीलाल कविता:अन्यथा शब्दोँ के लिए चिँता-मोतीलाल
कविता रघुनाथ सिंह की कविता / कैसा है यह राष्ट्र हमारा May 24, 2012 / May 24, 2012 by रघुनाथ सिंह | Leave a Comment कैसा है यह राष्ट्र हमारा हो रही हैं भ्रूण हत्याएं आई है जब से मशीन जो बता देती है निस्सहाय भ्रूण का लिंग और फिर लोग जो हैं पढ़े लिखे तथा समृद्ध और डाक्टर ली थी शपथ जिन्हों ने जीवन को जीवन देने की कर देते हैं हत्या उस निस्सहाय भ्रूण की ऐसा है यह […] Read more » राष्ट्र
कविता कविता:जहाँ कहीँ भी होगा-मोतीलाल May 23, 2012 / May 23, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मोतीलाल जहाँ कहीँ भी होगा उठती अंतस से हूक अवसाद के चक्रवात मेँ रेखांकित नहीँ उसका वजूद गौर से यदि देखेँ मुखर होने की उनकी उपस्थिति है निश्चित ही हमसे करीब सभी समकालीन परिदृश्य चिँतन की किसी पद्धति मेँ अफसोसजनक नहीँ कि चीजेँ नहीँ वैसी जिन बुनियादोँ पर काटे जा रहे हैँ वनोँ को […] Read more » kavita by motilal कविता:जहाँ कहीँ भी होगा कविता:जहाँ कहीँ भी होगा-मोतीलाल कविता:मोतीलाल
कविता कविता – अगली सदी-मोतीलाल May 19, 2012 / May 19, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment बहुत संभव है चक्कियोँ के पाट से कोई लाल पगडंडी निकल आये और आँसूओँ के सागरोँ पर कोई बादल उमड़ता चला जाये गिरते पानी मेँ कदमोँ की आहट प्रायद्वीप बनने से रहे बहुत संभव है कोहनियोँ पे टिका जमीन पानी मेँ घुले ही नहीँ और बना ले प्रकृति की सबसे सुन्दर आकृति इन […] Read more » poem by motilal poem-agli sadi by motilal कविता - अगली सदी कविता - अगली सदी-मोतीलाल मोतीलाल
कविता कविता-पुत्र-पितृ आलिंगन- राजकुमार सोनी May 18, 2012 / May 18, 2012 by राजकुमार सोनी | Leave a Comment कितना पावन मन भावन यह पुत्र-पितृ आलिंगन गणपति-शंकर आलिंगन नमोऽस्तुते जै गिरिजा नंदन जयति जयति जै गजवदन गजानन जै गणपति, जै विघ्न विनाशन कितना पावन मन भावन गणपति- शंकर आलिंगन जयति विनायक, गणाध्यक्ष, इकदन्तन कपिल, सुमुख, रिद्धि-सिद्धि के स्वामिन विघ्न-विनाशक, घूमकेतु जै विकट गजानन भालचन्द्र, लम्बोदर हे- हम सदैव- गजकरण-शरण। स्वीकारो […] Read more » poem by rajkumar soni कविता-पुत्र-पितृ आलिंगन- राजकुमार सोनी
कविता बडबडाहट……गाँधीजी कि पुण्यतिथि पर मेरी दो कड़वी कविताएँ May 16, 2012 / May 16, 2012 by अनुराग अनंत | 1 Comment on बडबडाहट……गाँधीजी कि पुण्यतिथि पर मेरी दो कड़वी कविताएँ कई बार आदमी कुछ कहना चाहता है पर कुछ कह नहीं पाता,ये कुछ न कह पाना उसे बहुत कुछ कहने के लिए मथ देता है,उस वक़्त उस आदमी की स्तिथि त्रिसंकू की तरह होती है वो ”कुछ” और ”बहुत कुछ” के बीच ”कुछ नहीं” को नकार कर खुद से ”कुछ-कुछ” कहने लगता है |ये ”कुछ-कुछ” […] Read more » Death Anniversary of Gandhi Ji Gandhi Ji गाँधीजी गाँधीजी कि पुण्यतिथि
कविता कविता: जिन्दगी – लक्ष्मी नारायण लहरे May 16, 2012 / May 16, 2012 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment आपना पन कहें या दोस्ताना अजीब चाहत है इस जीवन में सिर्फ संघर्ष भरी राहें है अपनों के बीच भी हम अकेले है एक -दुसरे के प्रेम से बंध कर स्वार्थ भरी जीवन जी रहे है जिन्दगी ….. की जंग में भाई -भाई को नहीं समझता माँ -बाप को नही पहचानते स्वार्थ ,भरी जीवन जी […] Read more » कविता कविता - जिन्दगी जिन्दगी लक्ष्मी नारायण लहरे
कविता कविता:अपने ही कमरे मेँ– मोतीलाल May 13, 2012 / May 13, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment एक विस्मृत जर्जर कमरे मेँ मै गिर जाता हूँ और गुजरता हूँ नम तंतुओँ के बीच से नष्ट हो चुकी चीजोँ के बीच जैसे मवेशियाँ चरते होँ अपने चारागाह मेँ मैँ इस तीखे माहौल मेँ मरणासन्न गंधोँ की लहरोँ के सामने महसूसता हूँ उन हरे पत्तोँ की सरसराहट जो अंधेरे बरामदोँ मेँ कहीँ किसी […] Read more » poem by motilal कविता:अपने ही कमरे मेँ
कविता कविता-श्यामल सुमन May 12, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन सेवा है साहित्य सुमन व्यापार नहीं लेखन में प्रतिबंध मुझे स्वीकार नहीं प्रायोजित रचना से कोई प्यार नहीं बच के रहना साहित्यिक दुकानों से जी कर लिखता हूँ कोई बीमार नहीं मठाधीश की आज यहाँ बन आई है कितने डर से करते हैं तकरार नहीं धन प्रभाव के बल पर […] Read more » कविता-श्यामल सुमन