कविता साहित्य कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 14, 2012 / February 14, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव एक दिवस बिल्ली रानी ने सब चूहों को बुलवाया ढीले ढाले उन चूहों को बड़े प्रेम से समझाया| अपने संबोधन में बोली मरे मरे क्यों रहते हो इंसानों के जुर्म इस तरह क्यों सहते हो डरते हो। गेहूं चावल दाल सरीखे टानिक घर में भरे पड़े क्यों जूठन चाटा करते हो खाते खाने […] Read more » famous poems poem Poem by Prabhudayal shrivastav Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:छिंदवाड़ा की बात बड़ी है-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 13, 2012 / February 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment छिंदवाड़ा की बात बड़ी है टिक टिक चलती तेज घड़ी है छिंदवाड़ा की बात बड़ी है | साफ और सुथरी सड़कें हैं गलियों में भी नहीं गंदगी यातायात व्यवस्थित नियमित नदियों जैसी बहे जिंदगी लोग यहां के निर्मल कोमल नहीं लड़ाई झगड़े होते हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में मिलजुलकर रहते रातें होती […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:मायाबी रावण बने सब आका-सुरेन्द्र अग्निहोत्री February 13, 2012 / February 13, 2012 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment मायाबी रावण बने सब आका वोटों पर डालने को डाका जमूड़े सबको पहचान लो ? पहचान लिया चारो तरफ घूम जा घूम लिया जो पूछँ वह बतलाऐगा हाँ बतलाऊँगा राजनीति का खेल निराला काले को सफेद कर डाला बन न पाया मुद्दा महँगाई आरपार की शुरू हुई लड़ाई लोकपाल को भूल रहे है लोग […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:यूपी में चुनावी जंग देखिये-विभोर गुप्ता February 12, 2012 / February 12, 2012 by विभोर गुप्ता | Leave a Comment विभोर गुप्ता उत्तर प्रेदश में सियासी योद्धाओं की चुनावी जंग देखिये ऐसे-ऐसे दांव-पेंच कि अपनी-अपनी आँखें दंग देखिये “शाम की दवा” पूछने को “छोटे यादवजी” का ढंग देखिये गिरगिटों की तरह बदलते बागियों के बागी रंग देखिये घर-घर खाना खाने को “युवराज” के मन की उमंग देखिये निर्बलों से वोट मांगने को हाथ जोड़ते दबंग […] Read more » famous poems poem by vibhor gupta poem.poems political poems कविता कवितायें प्रसिद्ध कवितायें
कविता कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 3, 2012 / February 3, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव योग्य उम्मीदवार की तलाश पार्टी के सदस्य पदाधिकारी पशोपेश में थे कुछ पद के नशे में थे कुछ होश में थे संसदीय क्षेत्र के लिये जीतने वाले उम्मीदवार का चुनाव होना था कौन कितना ताकत्वर है कितना खर्च करेगा इस बात का भाव ताव तै होना था “घसीटालालजी ठुनठुना क्षेत्र के लिये सर्व श्रेष्ठ उम्मीदवार […] Read more » famous poems Hindi Poem kavita poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविताएं श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता साहित्य कविता ; हट धर्मिता – लक्ष्मी दत्त शर्मा February 1, 2012 / February 1, 2012 by लक्ष्मी दत्त शर्मा | Leave a Comment हट धर्मिता, दब्बूपन व कायरता अहिंसा व सत्य सभी शस्त्र हैं गांधी के जिससे सुन्दर लगता हैं गुलाब के फूल की तरह कांटों में सजा गांधी गांधी का महात्मा वाला स्वरूप किसे पता है कि इसमें छिपी है पीड़ा, वेदना, सहनशीलता अहिंसा व सत्य की गहरी नींव मां ने की शुरू करवायी थी गांधी को […] Read more » Mahatma Gandhi poem कविता हट धर्मिता
कविता साहित्य कविता ; बिटिया – प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 1, 2012 / February 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 6 Comments on कविता ; बिटिया – प्रभुदयाल श्रीवास्तव इधर रोये बिटिया उधर रोये बिटिया पढ़ पढ़ के पा पा की प्यारी सी चिठिया| भईयों ने अपनी गृहस्थी सजा ली पापा से सबने ही दूरी बना ली अम्मा की तबियत हुई ढीली ढाली उन्हें अब डराती है हर रात काली सुबह शाम हाथों से खाना बनाना धोना है बरतन और झाड़ू लगाना जीने का […] Read more » daughter girls बिटिया
कविता साहित्य कविता ; लेन देन – दीपक खेतरपाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by दीपक खेतरपाल | Leave a Comment लगती थी साथ साथ सीमा गांव और शहर की पर दोनों थे अलग अलग हवा शहर की एक दिन कर सीमा पार पंहुच गई गांव में और छोड़ आई वहां आलस्य फरेब मक्कारी आंकाक्षाएं महत्वआंकाक्षाएं बदले में ले आई निश्छलता निष्कपटता निस्वार्थ व्यव्हार पर इस लेन देन के बाद गांव गांव न रहा और ठुकरा […] Read more » city poem village कविता लेन देन
कविता व्यंग्य साहित्य व्यंग्य कविता ; काम वालियां – प्रभुदयाल श्रीवास्तव January 30, 2012 / January 29, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment काम वालियां नहीं कामपर बर्तन वाली दो दिन से आई इसी बात पर पति देव पर पत्नि चिल्लाई काम वालियां कभी समय पर अब न आ पातीं न ही ना आने का कारण खुलकर बतलातीं बिना बाइयों के घर तो कूड़ाघर हो जाता बड़ी देर से कठिनाई से सूर्य निकल पाता छोटी बच्ची गिरी फिसल […] Read more » poem vyangya काम वालियां व्यंग्य कविता
कविता विपिन किशोर सिन्हा की कविता : वसन्त January 29, 2012 / January 29, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | 1 Comment on विपिन किशोर सिन्हा की कविता : वसन्त झीने कोहरे की साड़ी का अवगुंठन सूर्य उठाता था, पोर-पोर में मस्ती भर जब पवन जगाने आता था। आम्र-कुन्ज में बौरों पर, भौंरे संगीत सुनाते थे, पंचम स्वर में श्यामल कोयल के गीत उभरते जाते थे। रक्त-पुष्प झूमे पलाश, सम्मोहित करते दृष्टि को, रसभरे फूल महुआ के गिर, मदहोश बनाते सृष्टि को। फूली सरसों ने […] Read more » बसंत
कविता साहित्य कविता : “विद्या बालन के लिए गीतों को गाना चाहती हूँ” – कृष्णमूर्ति January 28, 2012 / January 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment कविता कृष्णमूर्ति की आवाज में ऐसी कशिश है कि उसे सुन कर कोई भी उनकी आवाज का दीवाना बने हुए नही रह सकता. आज कल कविता फिल्मों में न के बराबर ही गा रही हैं. बहुत दिनों के बाद उनकी आवाज फिल्म “रॉक स्टार” के गीत “तुम हो पास मेरे” में सुनाई दी. पिछले दिनों […] Read more » poem Vidya Balan कविता विद्या बालन
कविता कविता : अलविदा– विजय कुमार January 27, 2012 / January 25, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment सोचता हूँ जिन लम्हों को ; हमने एक दूसरे के नाम किया है शायद वही जिंदगी थी ! भले ही वो ख्यालों में हो , या फिर अनजान ख्वाबो में .. या यूँ ही कभी बातें करते हुए .. या फिर अपने अपने अक्स को ; एक दूजे में देखते हुए हो …. […] Read more » famous poems Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता कविताएं विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता