कविता जपो पत्नी का ही नाम August 23, 2023 / August 23, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment परमपिता पर अगर हो, तुमको पूर्ण विश्वास परमेश्वरी पत्नी को मानिये, पूरी करती आस। नास्तिक बन बैठो रहो, न हो पत्नी पर विश्वास फल की आस न कीजिये, मिट जायेगा आवास।। प्राणप्रतिष्ठा पत्नी की करे, मंदिर हो जाये आवास भार पति का सदा हरे, पत्नी करे दुखों का नास।। अन्नपूर्णा बनकर घर में, अन्न धन्न […] Read more » जपो पत्नी का ही नाम
कविता कहर दोनों का यूं जारी है August 19, 2023 / August 19, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment हरीश कुमारपुंछ, जम्मू चले लहरें तूफानों की,अम्बर में धामनी कड़क रही है।कहर दोनों का यूं जारी है।मानों मानव से हिसाब की बारी है।। दरिया-नाले सब उफानो पर,भूस्खलन भी जारी है।कहर दोनों का यूं जारी है।मानों मानव से हिसाब की बारी है।। भूकंप से कांपे पहाड़,ग्लेशियर की भी तयारी हैकहर दोनों का यूं जारी है।मानों मानव से हिसाब […] Read more »
कविता नन्हीं सी बच्ची हूं August 19, 2023 / August 19, 2023 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment प्रियंका साहूमुजफ्फरपुर, बिहार नन्हीं सी बच्ची हूं,इस दुनिया में आई हूं,खुशियां तो मनाओ जरा,दुख को दूर भगाओ जरा,क्यों उदास नजरों से तुम,निहारते हो मेरी ओर?मैंने भी लिया है जन्म,वैसे जैसे जन्मे हैं बेटे,फिर क्यों उदास हैं ये चेहरे?जरा खुशियां तो मनाओ,जरा दुख को दूर भगाओ,नन्ही सी बच्ची हूं,इस दुनिया में आई हूं,न जाने एक बेटे […] Read more » नन्हीं सी बच्ची हूं
कविता मेवात के मेव मुसलमान की है हिन्दू क्षत्रिय की पहचान August 7, 2023 / August 7, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक मेवात के मेव मुसलमान की आम मुसलमान से अलग है हिन्दू क्षत्रिय की पहचान मेवाती मुस्लिम सीधे तौर पर महाभारत कालीन क्षत्रिय अर्जुन कृष्ण मत्स्यराज विराट वंश से जुड़े हुए मेवातियों का रहन-सहन वेषभूषा भाषा शादी-विवाह नाम परम्परा सबकुछ सनातनी हिन्दुओं सा वैसे तो सारे हिन्दुस्तानी पाकिस्तानी बांग्लादेशी अफगानी मुसलमान हैं हिन्दू […] Read more »
कविता बात मुझे क्यों नहीं बताती ? August 3, 2023 / August 3, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सुबह-सुबह से चें-चें चूँ-चूँ,खपरैलों पर शोर मचाती।मुर्गों की तो याद नहीं है,गौरैया थी मुझे जगाती। चहंग-चंहंग छप्पर पर करती,शोर मचाती थी आँगन में।उस की चपल चंचला चितवन,अब तक बसी हुई जेहन में।उठ जा लल्ला, प्यारे पुतरा,ऐसा कहकर मुझे उठाती। आँगन के दरवाज़े से ही,भीतर आती कूद-कूद कर।ढूँढ-ढूँढ कर चुनके दाने,मुँह में भरती झपट-झपट कर।कभी मटकती […] Read more »
कविता आओ ! थोड़ा मुस्कुरा लेते हैं August 2, 2023 / August 2, 2023 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल देखो ! दुनिया कितनी बदल गई है ना सबको तो बस ! अपनी ही पड़ी है दूसरे की कोई सुनता ही नहीं कोई दूसरे को पढ़ता नहीं दूसरे को कोई जानता नहीं आओ ! हम-तुम मन की बातें करते हैं थोड़ा मुस्कुरा और खिलखिला लेते हैं जब ! फुर्सत […] Read more »
कविता हे मानव अपनी दुर्गति के लिए ईश्वर को कसूरवार नहीं ठहराना August 2, 2023 / August 2, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक हे मानव अपनी दुर्गति के लिए ईश्वर खुदा रब को कसूरवार नहीं ठहराना ईश्वर ने सद्गति का पूरा सरंजाम कर दिया है! हे मानव ईश्वर को अकाल मृत्यु के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना बदनाम नहीं करना ईश्वर ने संपूर्ण जीवन का इंतजाम कर रखा है! हे मानव ईश्वर को अपनी नुकसान के […] Read more »
कविता बटुये में दाल August 2, 2023 / August 2, 2023 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव दाल खदबदाएगी,खूब महक आएगी।मन मयूर नाचेगा,नाक बहक जाएगी।खुशियों से मत पूछो,क्या होगा हाल।शम्मी ने मोहन ने,रम्मी ने खाई है।अम्मा को बापू को,बहुत- बहुत भाई है।दादी के हाथों की,अमृत सी दाल।ऐसी ये दाल गरम,थाल सजा देती है।चांवल में घी के संग,बहुत मजा देती है।जैसे मिल बैठे हों,सुर के संग ताल। Read more »
कविता सोच में सुधार करो सोच से ही मानव या दानव बनता August 2, 2023 / August 2, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक सोच में सुधार करो सोच से ही मानव या दानव बनता एक सोच वह भी थी जिससे पर्सिया और गांधार में शिक्षा और शांति थी दूसरी सोच वहाँ ऐसी आई, जिसने हिंसा और तबाही मचाई टूट गया पर्सिया ईरान इराक बना,गांधार कांधार बना तक्षशिला विश्वविद्यालय मिट्टी में मिल गया बना रावलपिंडी नारी […] Read more » सोच में सुधार करो सोच से ही मानव या दानव बनता
कविता आत्माराम कौन ? July 27, 2023 / July 27, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment खुद का मुख बखान करे, कैसी है खुद की करनी रीति-प्रीति से सनी हुई, भांति अनेक खुदी ने बरनी। खुद से ही सवाल है, खुद के ही जवाब खुद ने ही दे दिया, खुद परिचय लाजबाव। खुद ने पूछा कौन तुम, बताओ श्रीमान खुद ही ने खुद कहा, आत्माराम मेरा नाम।। नाम आत्माराम है, तो […] Read more »
कविता बड़ा कठिन है किसी के दिल में थोड़ी सी जगह बना लेना July 26, 2023 / July 26, 2023 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक बड़ा कठिन है किसी के दिल में थोड़ी सी जगह बना लेना अब वक्त बदल गया है बुरे नहीं अच्छे लोगों की होती आलोचना जबतक कोई नक्कारा होता सबकी आँखों का तारा होता तबतक किसी की आँखों में नहीं खटकता जब किसी की मेहनत रंग लाती किसी को कोई मंजिल मिल जाती […] Read more »
कविता मणिपुर July 24, 2023 / July 24, 2023 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल द्रौपदी भीड़ में है नग्न हमारी ! कौरव कुल करता यह नर्तन है!! सत्ता की मौन साधना करता ! धृतराष्ट्र बांध आँखों पर पट्टी !! मध्यसभा में बिखल रहीं द्रौपदी! क्या सब गूंगे-बहरे और अंधे हैं !! कुल श्रेष्ठ पिताम्ह, आचार्य द्रोण! सब हारे हैं बेचारे बन मौन खड़े […] Read more » manipur incident