कविता ढूंढते ही रह जाओगे November 7, 2022 / November 7, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment बातो में कुछ बाते,चीजों में कुछ चीजे,इक्कीसवीं सदी में,ढूंढते ही रह जाओगे। घरों में पुरानी खाट,तराजू के लिए बाट,स्कूलों में बोरी टाट,ठेलो पर अब चाट।ढूंढते ही रह जाओगे।। आंखो में अब पानी,कुएं का ताजा पानी।दादी की अब कहानी,राजा रानी की कहानी,ढूंढते ही रह जाओगे।। शादी में अब शहनाई,कुरते में अब तुरपाई।बड़ों की अब चतुराई,दूसरे के […] Read more » ढूंढते ही रह जाओगे
कविता मातृभाषा और मातृभूमि November 5, 2022 / November 5, 2022 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment जिन्होंने छोड़ा अपना देश ,उनमें से बहुतों ने छोड़ी,अपनी भाषा अपना वेष।**जो रहते अपने ही देश,उनमें से भी युवा जनों ने,भाषा छोड़ी,त्यागा वेष।**भाषा संस्कृति की संवाहक,वेष देश का है परिचायक।भाषा ही तो अपनी निधि है,उस पर ही निर्भर संस्कृति है।**दोनों का संरक्षण यदि हो जाए,तो देश का गौरव भी बढ़ जाए।हम सब मिलकर करें प्रयास […] Read more » मातृभाषा और मातृभूमि
कविता रहा हूँ November 5, 2022 / November 5, 2022 by रोहित सुनार्थी | Leave a Comment मैं किसी का आसानी से कट जाने वाला दिन तो कभी किसी की नींद से जुदा रात रहा हूँ मैं किसी दोपहरी में जलाने वाला आग का गोला तो कभी किसी की धुप सेकने वाला सूरज रहा हूँ मैं किसी की ज़िन्दगी में पूरा उजाला भरने वाला तो कभी हर दिन घटने वाला और कभी […] Read more » रहा हूँ
कविता अर्जुन जैसे अब नहीं होते अपनों के प्रति अपनापन दिखानेवाले November 5, 2022 / November 5, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअर्जुन जैसे अब नहीं होतेअपनों के प्रति अपनापन दिखानेवालेअब तो तनिक सी बात से शत्रुता हो जातीमरने मारने पर उतारू हो जाते अपनेतुरंत ही दुर्योधन दुशासन सरीखे बन जाते बिना किसी गीता को सुने हमेशा तैयार रहतेमारने पीटने कूटने काटने अपनों को अपने हीजबकि अपनों से छले गए उन छली अपनों के प्रतिअर्जुन […] Read more » Arjun is no more like those who show their affinity towards their loved ones
कविता खुशियों का दीपोत्सव आया October 23, 2022 / October 23, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment देश में चहुं ओर छाया उजियारा, खुशियों का पर्व दीपोत्सव आया। Read more » दीपोत्सव
कविता हसरत अब दिल में है October 18, 2022 / October 18, 2022 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment नीलम ग्रेंडी चोरसौ, गरुड़ बागेश्वर, उत्तराखंड कुछ कर गुजरने की हसरत अब दिल में है। बन्द पिंजरे से निकलने की हसरत अब दिल में है।। खुल कर जी ले अपनी जिंदगी ऐ नारी। जिंदा जज्बात हमारे भी तो दिल में है।। खुले आसमानों में पंख फैलाए। उड़ने की हसरत अब दिल में है।। बहुत मुस्कुरा लिया है दूसरों की खुशी के […] Read more » हसरत अब दिल में है
कविता बारिश रानी October 13, 2022 / October 13, 2022 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment रिमझिम रिमझिम बारिश आयी Read more » बारिश रानी
कविता हर दिन करवा चौथ October 12, 2022 / October 12, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment जिनके सच्चे प्यार ने, भर दी मन की थोथ । उनके जीवन में रहा, हर दिन करवा चौथ ।। Read more » every day karva chauth हर दिन करवा चौथ
कविता गुजर जाती है उम्र,रिश्ते बनाने में। October 11, 2022 / October 11, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment गुजर जाती है उम्र,रिश्ते बनाने में।पर पल नही लगता इसे ठुकराने में।। वक्त लगता है,अपना घर बनाने में।पर पल नही लगता,इसे गिराने में।। उम्र खत्म हो जाती है,धन कमाने में।पर पल नही लगता है,उसे गवांने में।। बड़ी मुश्किलें आती है,एक सच्चा दोस्त बनाने में,पर पल भर नही लगता,उससे दुश्मनी बनाने में।। जिंदगी घटती जाती है,पल […] Read more » गुजर जाती है उम्र रिश्ते बनाने में
कविता महाभारत हकमार व हकवंचित के मध्य जंग था October 11, 2022 / October 11, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment महाभारत हकमार व हकवंचित के मध्य जंग था Read more » Mahabharata was a war between Hakmar and Hakwanchit महाभारत हकमार व हकवंचित के मध्य जंग था
कविता कोई धर्म मजहब बुरा नहीं धर्मगुरु ही पूर्वाग्रही होता October 11, 2022 / October 11, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकउसने नारी को जला दिया फिर इसने भी जला दियाउसने बलात्कार किया फिर इसने भी बलात्कार कियावो दुष्ट अगर मोमिन था तो ये दुष्ट काफिर निकला! आखिर क्यों हर मतावलंबी बुराई का ही नकल करताधर्म और मजहब से आचार-विचार क्यों निकल जाता? आखिर क्यों नहीं मानव सद्विचार को ग्रहण करता?दुष्कर्म करके आखिर क्यों […] Read more » No religion religion is bad only the religious leader is prejudiced कोई धर्म मजहब बुरा नहीं धर्मगुरु ही पूर्वाग्रही होता
कविता सबका देह देवालय है सबकी दुआ और वफा करना October 8, 2022 / October 8, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकसारे मानव भाई है सबके सब एक हीसबका देह देवालय है सबकी दुआ और वफा करना! हर देवालय में देव बसे हैं एक ही जैसेउन्हें खुद से अलग नहीं कोई दूजा पराया समझना! सबकी देह से नेह स्नेह कर ले बन्देदेह सभी मंदिर है जिसमें एक रब का है आशियाना! मंदिर मस्जिद गिरजाघर […] Read more »