कविता यहाँ नहीं कुछ तेरा जोगी February 8, 2022 / February 8, 2022 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment Read more » nothing here is your jogi यहाँ नहीं कुछ तेरा जोगी
कविता अ ई ता- अ ई ता बोलें February 7, 2022 / February 7, 2022 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तुम भागो हम पीछे दौड़ें ,पकड़ा -पकड़ी खेलें | तुम किरणों की डोर पकड़कर ,चंदा के घर पहुँचो |काला उस पर दाग लगा जो ,खुरच- खुरच कर पोंछो |फिर साबुन पानी से अपने ,हाथ रगड़ कर धोलें | आँखों से, मेरी आँखों में ,धूल झोंककर जाओ |दौड़ लगाकर अम्माजी के ,आंचल में छुप जाओ |हम […] Read more » Say aee ta- a e ta अ ई ता- अ ई ता बोलें
कविता हे भारत की कोकिला…. February 6, 2022 / February 6, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment ●●●सूने-सूने गीत अब,सूने-सूने साज !संग लता के खो गयी,भारत की आवाज़ !!●●●आँखों में पानी भरा,पूरा देश उदास !गयी हमें तुम छोड़कर,गए नहीं अहसास !!●●●स्वर आपकी शान थे,स्वर आपकी आन !स्वर आपने जो चुने,स्वर बने पहचान !!●●●गूँज रही है आपकी,कण-कण में आवाज़ !हे भारत की कोकिला,हमको तुम पर नाज़ !!●●●नहीं नाम ये अब गुमे,अक्स रहेगा याद […] Read more » O Nightingale of India हे भारत की कोकिला
कविता बसंत ऋतु है आई February 4, 2022 / February 4, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आलोकिक आनंद देने वाली, बसंत ऋतु है आई।धरती ने फूलो के गहने पहने,वह आज है मुस्काई।। महक उठी सारी धरती,गगन से मिलने को है आतुर।पहन बसंती वस्त्र नर नारी बसंत मनाने को है आतुर।। पुष्प चढ़ाकर, करते है मां सरस्वती को हम नमन।देती विद्या का दान,जब हो जाती वह हमसे प्रसन्न।। ओढ़ी पीली चादर खेतो […] Read more » it's spring बसंत ऋतु है आई
कविता जातिवाद, वृन्दावन से लुम्बिनीवन तक February 3, 2022 / February 3, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —–विनय कुमार विनायकजातिवाद का जहरवृन्दावन से लुम्बिनीवन तकजस का तस पसरा पड़ा है! प्रिय दलित-अंत्यजो!ईश्वर-खुदा-भगवान भीहो सकते नहीं इस मर्ज की दवासदियों से सैकड़ों दिए इम्तहानपर क्या मिला तुम्हें आज तकएक अदद आदमी होने का सम्मान? तुम्हें शुद्ध करने में खुदभगवान हो गए अशुद्धबुद्ध से गांधी तक खूब फजीहत हुईतुम्हारी और तुम्हारे भगवान की भी! […] Read more » Casteism from Vrindavan to Lumbinivan जातिवाद वृन्दावन से लुम्बिनीवन तक
कविता ऐसे रब किस काम के जो सबके काम न आवे February 3, 2022 / February 3, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकऐसे रब को क्या माननाजिसको मानने के लिए पड़ जाएसर पर कफन को बांधनाजिसे मनवाने के लिए जरूरी हो जाएविधर्मियों पर मुक्का ताननाजिसको फरियाद सुनाने के लिए जरूरीबुक्का फाड़ फाड़कर चिल्लाना! ऐसे रब को क्या माननाजो उपलब्ध हो किसी खास स्थान मेंजिससे मिलने जाने के लिए पड़ जाएपरदेश जाना भीसा पासपोर्ट बनवाना! ऐसे […] Read more » What is the use of such a Lord who does not work for everyone? ऐसे रब किस काम के जो सबके काम न आवे
कविता एक राशि वालों की नियति एक नहीं होती January 31, 2022 / January 31, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकएक राशि वालों की नियति एक नहीं होती,राम ने रावण को संहारा,कृष्ण ने कंस को,गोडसे ने गांधी को मारा रहस्य को समझो,राशिफल देखके क्या फायदा कर्मफल देखो! जैसी करनी वैसी भरनी कहावत कैसे बनी?गीता को छूकर सिर्फ कसम मत लो, पढ़ो,जैसा कर्म करते हैं लोग वैसा फल मिलता,कोई राम रावण, कोई गोडसे गांधी […] Read more » Destiny of same zodiac is not same एक राशि वालों की नियति एक नहीं होती
कविता याद मेरी,तुम्हे आती तो होगी January 31, 2022 / January 31, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment याद मेरी तुम्हे आती तो होगीआकर तुम्हे सताती तो होगी।। सुबह जब तुम उठती तो होगी,नींद तुम्हारी खुलती तो होगी।पास न पाती जब तुम मुझको,दिल में बैचैनी होती तो होगी।।याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,,, ठंडी हवा सुबह चलती तो होगी,मेरा संदेश तुम्हे देती तो होगी।मिलता न जब संदेश तुम्हे मेरा,दिल में तडपन होती तो होगी।।याद मेरी,तुम्हे,,,,,,,,,,,,, नहाने जब […] Read more » तुम्हे आती तो होगी याद मेरी याद मेरी तुम्हे आती तो होगी
कविता डोली व अर्थी में वार्तालाप January 31, 2022 / January 31, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment एक डोली चली, एक अर्थी चली,दोनो में इस तरह कुछ बाते चली। अर्थी बोली डोली से,तू पिया के घर चली,मै प्रभु के घर चली।तू डोली में बैठ चली,मै चार कंधो पर चली।फर्क इतना है दोनो में सखि,तू अपने जहां में चलीमै अपने जहां से चली।”एक डोली चली, एक अर्थी चली,दोनो में इस तरह कुछ बाते […] Read more » conversation between doli and earth
कविता कर्ण रहे न रहे कर्ण की बची रहेगी कथा January 29, 2022 / January 29, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकवो एक कर्ण था अवांछित जाति वर्ण का,कर्ण अब नहीं पर जस की तस है व्यथा,कर्ण रहे न रहे कर्ण की बची रहेगी कथा! कर्ण मिथकीय या यथार्थ पात्र हो सकता,मगर कर्ण कथा की आज भी प्रासंगिकता,कर्ण असवर्ण,कर्ण हो सकता नहीं लापता! वो तलाश में थे एक गुरु के जो ज्ञान दे,शिष्य का […] Read more » कर्ण रहे न रहे कर्ण की बची रहेगी कथा
कविता कैसा चुनाव ? January 28, 2022 / January 29, 2022 by शिवम् श्रोत्रिय | Leave a Comment Read more » poem on election कैसा चुनाव
कविता कृष्ण ने क्यों कहा मैं शस्त्रधारियों में राम हूं January 25, 2022 / January 25, 2022 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककृष्ण ने क्यों कहामैं शस्त्रधारियों में राम हूंइसलिए कि बिना शस्त्र बिखर जाती सत्ताबुद्ध की अहिंसा नेअशोक को किया था निहत्थाबुद्ध की अहिंसा ने आमंत्रित कियाविदेशी आक्रांताओं को भारत मेंकाश कि परवर्ती शासकों ने धम्म के बजायगीता को अहमियत दिया होतातो भारत की स्थिति कुछ अलग होतीशस्त्र धारण से पाशविकता नियंत्रित होतीपशु के […] Read more » Why did Krishna say that I am Rama among the armed forces?]