कविता लोदी वंश की दिल्ली सल्तनत December 8, 2020 / December 8, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआलम शाह सैयद ने आराम सेबहलोल लोदी अफगान कोदिल्ली की सल्तनत सौंपी थी(1451 से 1526 ई.)सन् चौदह सौ इक्यावन मेंबहलोल लोदी एक अफगानपख्तून बना दिल्ली का सुल्तानइसके पहले सभी तुर्क थे(पहले तीन वंश गुलाम,खिलजी,तुगलक तुर्क नस्ल के चौथा सैयदतुर्क-अफगान,पाँचवाँ लोदी अफगान)प्रथम अफगानी सल्तनत काबहलोल लोदी ने किया निर्माणसन् चौदह सौ नब्बासी तकदिल्ली रही […] Read more » लोदी वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता तुगलक वंश की दिल्ली सल्तनत December 7, 2020 / December 7, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकगयासुद्दीन तुगलक था तुगलक वंश स्थापक(1320-1325 ई.)हिन्दू कोख से जन्मा धर्म से मुसलमान बना थासन् तेरह सौ पच्चीस में हुआ एक हादसागयासुद्दीन मरा और जौना खाँ ( उलुग खाँ )मुहम्मद बिन तुगलक नाम सेबना सल्तनत का बादशाह (1325-1351 ई.)वह छीट खोपड़ा था या जमाने से कुछ आगे बढ़ा थादिल्ली से देवगिरी/दौलताबाद,दौलताबाद/देवगिरी से दिल्लीराजधानी […] Read more » Delhi Sultanate of Tughlaq Dynasty तुगलक वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता सौरभ तुम बेकार || December 6, 2020 / December 6, 2020 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment वक्त पड़े तो फूल हम, दीखते समझदार |कह दी सच्ची बात तो, सौरभ तुम बेकार || बस अपनी ही हांकता, करता लम्बी बात |सौरभ ऐसा आदमी, देता सबको घात || जिसने सच को त्यागकर, पाला झूठ हराम |वो रिश्तों की फसल को, कर बैठा नीलाम || दुश्मन की चालें चले, रहकर तेरे साथ |सौरभ तेरी […] Read more » सौरभ तुम बेकार
कविता खिलजी वंश की दिल्ली सल्तनत December 6, 2020 / December 6, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजलालुद्दीन फिरोज खिल्जी(1290 ई.से 1296 ई.तक)एक गैर तुर्क, सहनशील उदार दिल थाइसलिए वह शासक नाकाबिल थाअलाउद्दीन(1290 ई.से 1316 ई.तक)उसका भातृपुत्र सह जमाता मौके की ताक में थाकत्ल किया श्वसुर का उसने तत्क्षण गद्दी को पायाधन स्वर्ण बांटकर उसने हत्या का आरोप मिटायाऔर मिटाया ‘इक्तेदारी’, प्रीति भोज उत्सव बाधित थामधु का सेवन था प्रतिबंधित,ऐयारी […] Read more » Delhi Sultanate of Khilji Dynasty खिलजी वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता गुलाम वंश की दिल्ली सल्तनत December 5, 2020 / December 5, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककुत्बुद्दीन ऐबक का उतराधिकारीपुत्र ‘आराम’ को हराम कर आया इल्लतुतमिशइल्वारी नस्ल का एक नया गुलामकुत्बुद्दीन ऐबक का जमाताजो कहलाया ‘दिल्ली का प्रथम सुल्तान’उसने चलायी इक्तेदारी प्रथा,और चलाया चांदी का टंका, पीतल का जीतलऔर बनाया चालीस गुलाम का एक दल‘तुर्कन-ई-चहलगान’अब गुलाम ही गुलाम थे,यहां-वहां-जहां कभी बैठते थेभारत के बेटे वीर पृथ्वीराज चौहान!भारत में अब […] Read more » Delhi Sultanate of Ghulam Dynasty गुलाम वंश की दिल्ली सल्तनत
कविता दिल्ली सल्तनत December 4, 2020 / December 4, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment –विनय कुमार विनायकऐ गोरी! मुहम्मद गोरी!ग्यारह सौ बेरानबे ईस्वी में‘तराईन में ‘गुल’ ‘खिला’ ‘तु’ ‘से’ ‘लो’दिल्ली में सल्तनत स्थापित कर ली(गुलाम-खिल्जी-तुगलक-सैयद-लोदी)ऐ गोरी ! मुहम्मद गोरी!पर तुम्हें कहां था कोई प्यारामाता-पिता, सुत-सुता औरबहन-भ्राता कहां किसी से नातासिवा एक कुत्बुद्दीन ऐबकतुर्की नस्ल का गुलाम तुम्हें प्रिय थावही तुम्हारा अधिकारी !दिल्ली पति पृथ्वी राज चौहान को धूल चटाकरकुत्बुद्दीन […] Read more » poem on delhi sultanate दिल्ली सल्तनत
कविता भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते December 2, 2020 / December 2, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकअवैध कमाते हैं जो, अहंकार में इतराते,अवैध अवैध होता वो समझ नहीं पाते! ईश्वर भक्ति है दिखावा उन कर्मियों का,जो बिन नजराने जनसेवा में टांग अड़ाते! काम के बदले मेहनताना मिले,वो अच्छा,एक काम के दो दाम हराम ही कहलाते! अवैध कमानेवालों में वैध समझौता होता,हिसाब किताब ठीक होता भातृवत रहते! उतना प्रेम शायद […] Read more » भक्त भ्रष्ट हो जाते हैं नौकरी के मिलते
कविता महान क्रांतिकारी अनाथ बालक ऊधम सिंह December 1, 2020 / December 1, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकवो तिथि तेरह अप्रैल उन्नीस सौ उन्नीस ईस्वी,गोरों के गुलाम भारत की एक मनहूस घड़ी थी! जब कायर अंग्रेज जनरल रेजीनॉल्ड ए डायर नेपंजाब गवर्नर माइकल ओ ड्वायर के आर्डर पर, रालेट एक्ट में गिरफ्तार नेताओं के समर्थन हेतुजलियांवालाबाग में बैठक करती निहत्थी भीड़ पे, अंधाधुंध सोलह सौ पचास राउंड गोलियां फायरकरके तीन […] Read more » the great revolutionary orphan boy Udham Singh अनाथ बालक ऊधम सिंह ऊधम सिंह महान क्रांतिकारी महान क्रांतिकारी अनाथ बालक ऊधम सिंह महान क्रांतिकारी ऊधम सिंह
कविता हिन्दी करती सबकी शुभकामना December 1, 2020 / December 1, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकछोड़ो अंग्रेजी की बातें करनाजरा याद करो वी ओ चिदंबरम पिल्लई कोदेशी जल जहाज चलानेवाले‘कप्पलोट्टिय तमिलन’ देशभक्त थेअंग्रेजों ने कोल्हू का बैल बना पीड़ित कियाछोड़ो अंग्रेजी में काम करनादेशी शेर के लहू का अपमान सहोगे कबतक?छोड़ो भिंगी बिल्ली बननाअपनी मांद से निकलो तो, करो सिंह गर्जना,हिन्दी को समझो अपना! ऐ वीरशैव लिंगायत कर्नाटक […] Read more » poem on hindi अल्लुरी सीताराम राजू कोयपल्ली केलप्पन नय्यर रानी किट्टूर चेन्नमा वी ओ चिदंबरम पिल्लई हिन्दी
कविता वो सारे जज्बात बंट गए November 29, 2020 / November 29, 2020 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment प्रभात पाण्डेय गिरी इमारत कौन मर गयाटूट गया पुल जाने कौन तर गयाहक़ मार कर किसी काये बताओ कौन बन गयाजिहादी विचारों सेईश्वर कैसे खुश हो गयाधर्म परिवर्तन करने सेये बताओ किसे क्या मिल गयाजाति ,धर्म समाज बंट गयेआकाओं में राज बट गयेआज लड़े कल गले मिलेंगेवो सारे जज्बात बंट गए || नफरतों की आग […] Read more » वो सारे जज्बात बंट गए
कविता डाले है कोरोना ने जीवन में व्यवधान November 29, 2020 / November 29, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment डाले है कोरोना ने जीवन में व्यवधान,कभी न कभी होगा,इनका भी समाधान। करते नहीं थे कभी,जो भगवान को याद,आज सब कर रहे,उस भगवान को याद। हैवान बन चुका था,आज का ये इन्सान,कोरोना ने निकाल दी है उन सबकी जान। शायद ले रहा हो,भगवान ये सबका इम्तिहान,सज्जन पुरुष ही पास कर पाएंगे ये इम्तिहान। मास्क नहीं […] Read more » Corona has disrupted life डाले है कोरोना ने जीवन में व्यवधान
कविता चलना जीवन सार !! November 29, 2020 / November 29, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment समय सिंधु में क्या पता, डूबे; उतरे पार !छोटी-सी ये ज़िंदगी, तिनके-सी लाचार !! पिंजड़े के पंछी उड़े, करते हम बस शोक !जाने वाला जायेगा, कौन सके है रोक !! पथ के शूलों से डरे, यदि राही के पाँव !कैसे पहुंचेगा भला, वह प्रियतम के गाँव !! रुको नहीं चलते रहो, जीवन है संघर्ष !नीलकंठ […] Read more » चलना जीवन सार