कविता खुदीराम बोस ने कृष्ण की गीता को लेकर शहादत दी थी December 26, 2020 / December 26, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकयह व्यथा-कथा है तबकी जब बंगाल-बिहार-उड़ीसा एक थी,अंगिका-मैथिली-बंगला-उड़िया अलग से भाषा नहीं बनी थी! विद्यापति की पदावली अंग-बंग-कलिंग की साझी वाणी थी,ये हिन्दी आधुनिक साहित्य की भाषारुप में नहीं पनपी थी! आज की तरह हम बिहारी, बंगालियों के लिए बाहरी नहीं थे,दादी अंगिका गीत गाती थी,बाबा बंगला महाभारत पढ़ते थे! मां, सासु मां […] Read more » खुदीराम बोस
कविता उन्हें भी होगा कोविड-19 सा डर December 24, 2020 / December 24, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकचलते हैं हम मास्क लगाकरजैसे रुस का ऋक्ष और भारत केटोटमवादी वानर जामवंत, हनुमानकभी बन जाते थे ब्राह्मण औरकभी पूंछधारी लंगूर सा बन्दर! शायद उन्हें भी होगा कोविड-19 सामानव प्रजाति के विनाश का कोई डर! मानव जो भयभीत रहतेअपने अस्तित्व बचाने को लेकरतकनीकी यद्यपि थी काफी विकसित,हनुमान उड़ सकते थे सिंगल सीटरवायुयान की […] Read more » कोविड-19 सा डर
कविता श्री अनुपम मिश्र : सबसे लम्बी रात का सुपना नया December 22, 2020 / December 22, 2020 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी सबसे लम्बी रात का सुपना नयादेह अनुपम बन उजाला कर गया।रम गया, रचता गयारमते-रमते रच गया वह कंडीलों कोदूर ठिठकी दृष्टि थी जोपता उसका लिख गयासबसे लम्बी रात का सुपना नया… रमता जोगी, बहता पानीरच गया कुछ पूर्णिमा सीकुछ हिमालय सा रचा औहैं रची कुछ रजत बूंदेंशिलालेखों में रचीं कुछ सावधानीवह खरे तालाब […] Read more » श्री अनुपम मिश्र
कविता सत्य बोलने में सदा होता है भूमा का सुख December 22, 2020 / December 22, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहे भगवन!मुझे ज्ञान दो! मुझे जानना क्या? ‘सत्य जानने योग्य है, तुम सत्य को जानोऔर सत्य संभाषण करो! सच हमेशा बोलो’सत्य के सिवा सब है मिथ्या औ’ अविद्या! मिथ्या को सत्य मान कदापि नहीं बोलना! जब ज्ञान नही, तो सत्य भान कैसे होगा?सत्य से अनजान हूं,मैं सत्य कैसे बोलूंगा? ‘अस्तु सत्य जानने के […] Read more » सत्य बोल
कविता पैसा नही रचना कोई ईश्वर की December 21, 2020 / December 21, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकखत्म हुआ आदमियतसब कुछ हो गया पैसा,मिला नहीं अवैध पैसाकलतक जो अपना था,अब हो गया ऐसा-वैसा! सभी जानता पैसा अनाफना होनेवाला असासा,पास होने पर अहसासदिलाता है अच्छाई का,आदमी बुरा बिना पैसा! पैसा पाकर जैसा-तैसाआदमी समझने लगताअपने को ऐसा, मानोपैसा ही सबकुछ होता,ईश्वर से उपर है पैसा! पैसों में परख नहीं हैआदमियत इंसान का,सबकुछ […] Read more » Money is not created by any God पैसा नही रचना कोई ईश्वर की
कविता भगवान कृष्ण हैं योग क्षेम के ईश्वर December 20, 2020 / December 20, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकभगवान कृष्ण हैं नटवर!धेनु चराते वंशी धुन परनर्तन करते नाग के फन परपर्वत उठाते उंगली परयोग-क्षेम और युद्ध-प्रेम के ईश्वरभगवान कृष्ण हैं नटवर! भगवान कृष्ण हैं योगेश्वर!कर्मयोग, सांख्ययोग,भागवत भक्ति की घूंटीभ्रमित अर्जुन को पिलायायुद्ध भूमि में योगेश्वर बनकरभगवान कृष्ण हैं योगेश्वर! भगवान कृष्ण हैं मुनिवर!ज्ञान मिला था कृष्ण कोघोर आंगिरस अरिष्ठनेमी से,जो बाईसवें […] Read more » Lord Krishna is the God of Yoga भगवान कृष्ण
कविता तुमसे मेरे ख्वाब ! December 20, 2020 / December 20, 2020 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment घर-आँगन खुशबू बसी, महका मेरा प्यार !पाकर तुझको है परी, सपन हुआ साकार !! मंजिल कोसो दूर थी ,मैं राही अनजान !पता राह का दे गई, इक तेरी मुस्कान !! मैं प्यासा राही रहा, तुम हो बहती धार।अंजुली भर तुम बाँट दो, मुझको प्रिये प्यार।। मेरी आदत में रमे, दो ही तो बस काम।एक हाथ […] Read more » My dreams to you तुमसे मेरे ख्वाब
कविता मोहब्बत December 20, 2020 / December 20, 2020 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment नदी की बहती धारा है मोहब्बतसुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बतसागर की गहराई सी है मोहब्बतनिर्जन वनों की तन्हाई सी है मोहब्बतख्वाहिशों की महफिलों का ,ठहरा पल है मोहब्बतशाख पर अरमानों के गुल है मोहब्बतख्वाहिशों के दरमियां ,एक सवाल है मोहब्बतदर्द का किश्तों में ,आदाब है मोहब्बतलबों से दिल का पैगाम है मोहब्बतशब्द कलम […] Read more » मोहब्बत
कविता अन्न भोजन संसार का, किसान का रोना है December 17, 2020 / December 17, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायककिसान लड़ रहे कीमत पाने उस धान के लिए,जो खलिहान की खखरी, व्यापारी का सोना है! किसान आज अड़ गए अपने सम्मान के लिए,अन्न भोजन संसार का, किसान का रोना है! किसान गुहार कर रहे अपने सामान के लिए,जिसका मालिक वो, किन्तु भाग्य में खोना है! किसान कभी लड़ते नहीं स्वगुणगान के लिए,जिसे […] Read more » Food is the cry of the world the farmer अन्न भोजन संसार का किसान का रोना है
कविता जंग-ए-आज़ादी की जुबान हिन्दी December 16, 2020 / December 16, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहिन्दी अहसास है अपनापन का,हिन्दी इन्कलाब है भारतजन का,हिन्दी सम्मान है निज वतन का,हिन्दी अभियान है जन मन का! जंग-ए-आज़ादी की जुबान हिन्दी,रविन्द्र का जन मन गान हिन्दी,बंकिम की बंदे मातरम की बोली,आजाद, भगतसिंह की जुगलबंदी! बिस्मिल की शेरों-शायरी हिन्दी,गांधी के जेल की डायरी हिन्दी,असफाक की जंगी तैयारी हिन्दी,बाबू कुंवरसिंह की बिहारी हिन्दी! […] Read more » Jung-e-Azadi's tongue Hindi जंग-ए-आज़ादी की जुबान हिन्दी
कविता धन्य-धन्य हैं शहीदों के माता-पिता December 15, 2020 / December 15, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकधन्य! धन्य! है वह पिता,जिसके बेटे ने देश हित में सीना को तान दिया! धन्य! धन्य! है वह माता,जिसके लाल ने देश हित में अपने प्राण को दिया! ऐसे पिता का जोड़ कहां,जिसके खूने जिगर ने स्वदेश को अपना खून दिया! ऐसी माता का तोड़ कहां,जिसके लख्ते जिगर ने मां की कोख को […] Read more » Blessed are the parents of the martyrs धन्य-धन्य हैं शहीदों के माता-पिता
कविता हमें इंसानियत की वाजिब सूरतेहाल चाहिए December 15, 2020 / December 15, 2020 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकहमें ना दोजख, ना जन्नत बेमिसाल चाहिए,हमें तो चैन-सुकून का भारत विशाल चाहिए! हमें ना किल्लत चाहिए, ना जिल्लत चाहिए,हमें अपने देश के लोगों में मिल्लत चाहिए! हमें ना मालामाल चाहिए, ना फटेहाल चाहिए,हमें सब कोई अपने देश में खुशहाल चाहिए! हमें ना गंजेड़ी-भंगेड़ी, ना कोई मताल चाहिए,हमें टी.वी.स्क्रीन पे सच्चरित्र मिसाल चाहिए! […] Read more » fair day for humanity इंसानियत