कविता सड़कें हैं , सवार नहीं ….!! July 23, 2020 / July 23, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बड़ी मारक है , वक्त की मारहिंद में मचा यूं हाहाकारसड़कें हैं , सवार नहींहरियाली है , गुलज़ार नहींबाजार है , खरीदार नहींगुस्सा है , इजहार नहींसोने वाले सो रहेखटने वाले रो रहेखुशनसीबों पर सिस्टम मेहरबानबाकी भूखों को तो बस ज्ञान पर ज्ञानजाने कब खत्म होगा नई सुबह का इंतजारबड़ी मारक है […] Read more » सवार नहीं
कविता आया है तीजो का त्यौहार July 23, 2020 / July 23, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आओ सखि सब झूला झले,पींग बढ़ाकर नभ को छूले।आया है तीजो का त्योहार,मन में है मेरे खुशी अपार।। साजन भी मेरे आ जाएंगे,सुहाग का सामान वे लाएंगे।करूंगी मै सोलह सिंगार,महकेगा मेरा सारा संसार।भूल जाएंगे अब मन के सूले,आओ सखी सब झूला झूले।। रिमझम रिमझिम पानी बरसे,जिया मेरा पिया को तरसे।हो जाएगा जब मिलन मेरा,प्रसन्न चित्त […] Read more » आया है तीजो का त्यौहार
कविता एक दिन मंज़िल मिल जाएगी July 20, 2020 / July 20, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment ख़ुशियों का उजाला ज़रूर होगाबेबसी की ये रात बीत जाएगीकट जाएगा सफ़र संघर्ष काएक दिन मंज़िल मिल जाएगी खो गया है जो राह-ए-सफ़र मेंउससे भी मुलाक़ात हो जाएगीसूखी पड़ी दिल की ज़मीन परएक दिन बरसात हो जाएगी नामुमकिन सी लग रही है जोवो परेशानी भी हल हो जाएगीदिल में हो अगर मोहब्बतहर जंग बातों से […] Read more »
कविता थूको July 20, 2020 / July 20, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment खाया पान भरा जो मुंह में सोचा थूक कहा आऊँनाली के जब पास गया तो कीड़ा बोला हट जाऊँउद्दल सामने आया वो और मुझे देखकर गुर्रायाबहुत जोर से मुझको डॉटा और डॉटकर समझायाअगर थूकना ही है तुमको थूको उस शिक्षालय परशिक्षा का स्तर जो गिराते थूको उस विद्यालय परखाते पान चबाते गुटखा बीयर और सिगरेट […] Read more »
कविता किसान की व्यथा July 19, 2020 / July 19, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मैं किसान हूँअब आपने अनुमान लगा ही लिया होगाकि मेरे पिता एवं पितामह भीअवश्य ही किसान रहे होंगे आपका अनुमान सही है श्रीमानमेरे पूर्वज भी थे किसानकिसान का पुत्र किसान हो या ना होकिसान का पिता अवश्य किसान होता है किसान होना तो अभिशाप समझा जाता हैअगर विश्वास ना हो तो आप कभी किसी कोकिसान […] Read more » किसान की व्यथा
कविता पायलट V/S गहलौत July 19, 2020 / July 19, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment गहलौत ने ऐसा चक्कर चलाया,पायलट चारो खाने चित्त आया।कहता था मै सरकार गिरा दूंगा,पर ऐसा गिरा खुद उठ ना पाया।। अब पायलट कैसे हवा में उड़ेगा,उसका जहाज कहां लैंड करेगा।मन में मन वह पछता रहा होगा,अपनी करनी वह खुद ही भरेगा।। धोबी का कुत्ता घर का न घाट का,रहा वह अब सोलह दूनी आठ काबनना […] Read more »
कविता वे ही बने हैं वर्ण पर्ण! July 17, 2020 / July 17, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment वे ही बने हैं वर्ण पर्ण, वरण विभु किए; धारण किए हैं धर्म, मर्म वे ही हर छुए! हर रण में रथ उन्हीं का रहा, सारथी वे ही; हर देही चक्र शोध किए, शाश्वत वही! वे व्योम वायु ज्वाल जलधि भूतल भास्वर; उर चेतना से चित्र चित्त, बनाए अधर! साहित्य संस्कृति है रही, उनसे ही उभर; अध्यात्म ज्ञान गह्वर के, वे ही सुर प्रवर! राजा व प्रजा वे ही बने, जगत चलाए; ‘मधु’ महत मखे अहं चित्त, नाच नचाए! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » वे ही बने हैं वर्ण पर्ण
कविता एक हरियाणा लोक गीत July 17, 2020 / July 17, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment सावन का महीना है भरतार,तू मुझे झूला झुलाने आईयो,तू मुझे झूला झुलााने आईयोमै करूंगी तेरा घना इंतजार।। हाथो की चूड़ी लाना,पैरों की बिछवे लाना,मांग का सिंदूर लाना,क्रीम पाउडर भी लाना।मै करूंगी सोलह सिंगार,सावन का महीना है भरतार।। कानों के कुंडल लाना,माथे का टीका लाना,नाक की नथ भी लानामाथे की बिंदिया लानाभूलना न गले का हार,सावन […] Read more » सावन का महीना
कविता हाय ये मास्क ! July 14, 2020 / July 14, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment पर्दे पे परदा कर रुख हमसे छिपाये रखिएवक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।।लगा जरूरी तो आँखों से बात कर लेंगेपड़ी है परदे की आदत तो बनाए रखिएवक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। मास्क ने छीन लिया सुर्ख होंठों की लालीरबर ने छीन लिया उसके कानों की बालीहोंठ भी दिखते नहीं अब […] Read more » हाय ये मास्क
कविता कोरोना है इम्तिहानों का दौर July 14, 2020 / July 14, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment लौट आयेगी सभी खुशियां,अभी कुछ गमो का दौर है।जरा संभल कर रहो अभी,ये इम्तिहानों का दौर है।। बुरा वक़्त ये आया है,अच्छा वक़्त भी आयेगा।विश्वास कर ऊपर वाले पर,ये बुरा वक़्त भी टल जायेगा।। कर इबादत ऊपर वाले की,वहीं मदद तेरी कर पायेगा।ये बुरा वक़्त है चंद महीनों का,चन्द महीनों में कट जायेगा।। पहले भी […] Read more » कोरोना है इम्तिहानों का दौर
कविता “जिंदगी” क्या है July 14, 2020 / July 14, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आज “जिंदगी” संभल गई,कल सब कुछ संभल जायेगा।आज जिंदगी न संभली तो,कल सब कुछ बिगड़ जायेगा।। “जिंदगी” संवारने को तो,सारी जिंदगी पड़ी है।ये लम्हा संवार लो तुम,जहा जिंदगी खड़ी है।। “जिंदगी” है तो सब कुछ है,जिंदगी नहीं तो कुछ नहीं।अगर जिंदगी न रही तो,सारा जहान कुछ नहीं।। “जिंदगी” जिंदादिली का नाम है,बाकी सब बेकार के […] Read more » "जिंदगी" क्या है
कविता मौत एक सच्चाई July 12, 2020 / July 12, 2020 by आर के रस्तोगी | 2 Comments on मौत एक सच्चाई मौत का क्या भरोसा,कब तुझको आ जाए।भज ले प्रभु का नाम तूफिर समय न मिल पाए।। मौत है एक सच्चाई,ये सबको एक दिन आती।कब कहां किसको आयेगी,ये नहीं किसी को बतताती।। मौत कब किसको आ जाएये पता नहीं किसी को चलता।क्या बहाना लेकर ये आयेये आभास न किसी को होता।। बड़े बड़े योद्धाओं को भीये […] Read more » मौत एक सच्चाई