लेख शब्दों के अध्ययन का प्रयोजन: December 5, 2019 / December 5, 2019 by डॉ. मधुसूदन | 6 Comments on शब्दों के अध्ययन का प्रयोजन: डॉ. मधुसूदन(एक)शब्दों के अध्ययन का प्रयोजन:’द्वे ब्रह्मणि वेदितव्ये शब्द ब्रह्मपरं च यत्॥शब्दब्रह्मणि निष्णातः परं ब्रह्माधिगच्छति॥संदर्भ ==> ॥अमृत बिन्दू उपनिषद॥ डॉ. एम. जी. प्रसाद लिखित मूल अंग्रेज़ी में ’गारलॅण्ड’ पुस्तक से.)Manifestations of BrahmanThere are two manifestations of Brahman to be realized:Shabda Brahman and Param Brahman. One who has realizedand is well versed in Shabda Brahman will […] Read more » Purpose of the study of words शब्दों के अध्ययन
लेख हिंदूराष्ट्र स्वप्नद्रष्टा : बंदा वीर बैरागी December 5, 2019 / December 5, 2019 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ——————————————–अध्याय —- 13 मुगल हो गए थे वह भयभीत संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जिसने विश्व को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया । इसने आत्मा के विषय में भी यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि यह सदा बनी रहती है। इसका कभी अंत नहीं हो सकता । शरीर ही मरता है, आत्मा नहीं । […] Read more » बंदा वीर बैरागी
लेख समाज हैदराबाद : यह “काण्ड” नही कई सवालों से रूबरू होने का “मुकाम” है December 5, 2019 / December 5, 2019 by अनिल अनूप | Leave a Comment – अनिल अनूप हैदराबाद में भी ‘निर्भया कांड’ को लेकर देश आंदोलित है. इस बार भी ‘निर्भया’ सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई और उसे जला कर मार दिया गया. रांची में भी ‘निर्भया’ का केस सामने आया है. उसका भी त्रासद अंत इस देश ने देखा-सुना और पढ़ा है बेटियां लगातार दरिंदों की हवस का […] Read more » दिल्ली गैंग रेप निर्भया प्रियंका रेड्डी प्रियंका रेड्डी के रेप के वीडियो बलात्कार यौन दुष्कर्म की नई परिभाषा सामूहिक रेप और दर्दनाक हत्या हैदराबाद में भी ‘निर्भया कांड’
लेख समाज भारतीय सामाजिकता का नया समय December 5, 2019 / December 5, 2019 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment -प्रो. संजय द्विवेदी हमारे सामाजिक विमर्श में इन दिनों भारतीयता और उसकी पहचान को लेकर बहुत बातचीत हो रही है। वर्तमान समय ‘भारतीय अस्मिता’ के जागरण का समय है। जबकि यह ‘भारतीयता के पुर्नजागरण’ का भी समय है। ‘हिंदु’ कहते ही उसे दूसरे पंथों के समकक्ष रख दिए जाने के खतरे के नाते, मैं ‘हिंदु’ के स्थान पर ‘भारतीय’ शब्दपद का उपयोग कर रहा हूं। इसका […] Read more » indian nationalism New time of indian sociality भारतीय सामाजिकता भारतीयता वर्णव्यवस्था और जाति सांस्कृतिक अवधारणा से बना राष्ट्र स्वातंत्र्य वीर सावरकर
लेख समाज भारतीय संस्कृति के अतित पर भारी पड़ रहा है वर्तमान का बलात्कार ! December 4, 2019 / December 4, 2019 by मुरली मनोहर श्रीवास्तव | Leave a Comment मुरली मनोहर श्रीवास्तव बलात्कार, जिसे सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सुनकर हैवानियत मानों किसी अबला के दर्द का ऐहसास कराने लगता है। बलात्कार एक मानसिकता है, वर्ना जिस अज्ञान बालिका को इसका “ब” भी नहीं मालूम हैवान उसको भी अपना कोपभाजन बनाने से बाज नहीं आते। लानत है तेरी मर्दानगी पर, अगर इसे […] Read more » increasing rape and murder cases POSCO protect women and child against rape Rape and murder heinious crime द प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन अगेन्स्ट सेक्शुअल ऑफेन्सिस एक्ट भारतीय संस्कृति में बलात्कार नया दागः
आर्थिकी लेख अब गरीबी नहीं, अमीरी समस्या है December 4, 2019 / December 4, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:-देश की प्रति व्यक्ति आय मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत बढ़कर 10,534 रुपये महीना पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 में मासिक प्रति व्यक्ति आय 9,580 रुपये थी। प्रति व्यक्ति औसत आय का बढ़ना देश की समृद्धि का स्वाभाविक संकेत है। आम आदमी की औसत […] Read more » difference increasing between poverty snd rich poverty अमीर और ज्यादा अमीर गरीब और ज्यादा गरीब गरीबी प्रति व्यक्ति औसत आय
लेख कब तक सताई जाती रहेंगी, अबला निर्भयाएं! December 3, 2019 / December 3, 2019 by लिमटी खरे | Leave a Comment (लिमटी खरे) लगभग सात साल पहले 2012 में जब दिल्ली में निर्भया काण्ड के चलते जनाक्रोश चरम पर था, तब माना जा रहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा रियाया के मन को पढ़ लिया जाएगा और इस तरह के जघन्य कृत्यों पर विराम लग पाएगा। एक के बाद एक घटते घटनाक्रमों से […] Read more » hyderabad rape case rape and murder case निर्भया काण्ड
लेख वो 2-3 दिसम्बर की दरम्यानी रात… December 3, 2019 / December 3, 2019 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार साल उन्नीस सौ चौरासी.. 2-3 दिसम्बर की दरम्यानी रात.. भोपाल के बाशिंदों के लिए यह कयामत की रात थी.. जिन्होंने कयामत शब्द सुना है.. उन्होंने उस दिन महसूस भी किया होगा.. कि कयामत किसे कहते हैं.. इस दिन मैं रायपुर के दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल के प्रागंण में था.. कुछ आधी-अधूरी सी खबर […] Read more » Bhopal Gas Tragedy गैस त्रासदी दुनिया की भीषणत औद्योगिक दुर्घटना भोपाल गैस त्रासदी
लेख मैं ककहरा सीख रहा था, वो प्रिंसीपल थे.. December 3, 2019 / December 3, 2019 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार मैं उन दिनों पत्रकारिता का ककहरा सीख रहा था. और कहना ना होगा कि रमेशजी इस स्कूल के प्रिंसीपल हो चले थे. यह बात आजकल की नहीं बल्कि 30 बरस पुरानी है. बात है साल 87 की. मई के आखिरी हफ्ते के दिन थे. मैं रायपुर से भोपाल पीटीआई एवं देशबन्धु के संयुक्त […] Read more » पत्रकारिता हिन्दी पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यशाला
लेख जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां देवता समान अच्छे मनुष्य नहीं होते December 3, 2019 / December 3, 2019 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां देवता समान अच्छे मनुष्य नहीं होते -मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने सृष्टि में अनेक प्राणियों को बनाया है जिनमें एक मनुष्य भी है। मनुष्य योनि में मनुष्य के दो भेद स्त्री व पुरुष होते हैं। मनुष्य अल्पज्ञ होता है। इसका अर्थ है कि मनुष्य में जो चेतन अनादि व नित्य जीव है वह अल्प ज्ञान वाला है। उसको पूरा–पूरा ज्ञान […] Read more » Hyderabad mass rape and murder case rape and murder case नारी का सम्मान
लेख परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम November 28, 2019 / November 28, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – लम्बे अरसे से कहा जा रहा है कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली जड़ होकर महज शारीरिक एवं बौद्धिक विकास को प्राथमिकता देती रही है, जबकि मानसिक एवं भावनात्मक विकास भी शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बौद्धिकता शिक्षा का एक अंग है, पर […] Read more » changes in examination pattern परीक्षा प्रणाली में बदलाव बच्चों को तनावमुक्त बनाये रखना शिक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता वर्तमान परीक्षा प्रणाली
लेख सार्थक पहल खुशी के लिये कम सोचें और ज्यादा जिएं November 26, 2019 / November 26, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – अपने भीतर झांकने पर पता चलता है कि कई तरह की तमन्नाएं और ख्वाहिशें दुबकी बैठी हैं, जो चैन से जीने नहीं देतीं। कई सवाल हैं, जिनके जवाब तक पहुंचे बिना खुशी एवं महत्वाकांक्षाएं अधूरी ही रहती है। जब दिल खुश होता है तो उसकी रौनक चेहरे पर खुद-ब-खुद झलकने लगती […] Read more » खुशी के लिये कम सोचें ज्यादा जिएं