लेख समाज साइलेंट किलर ‘ध्वनि प्रदूषण’ के आगोश में मानवजाति December 2, 2024 / December 2, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला ध्वनि प्रदूषण की समस्या भारत में आज एक बड़ी शहरी समस्या है, जो एक अदृश्य प्रदूषण है। सच तो यह है कि ध्वनि प्रदूषण एक साइलेंट किलर है। बढ़ती जनसंख्या, लगातार बढ़ते शहरीकरण, अंधाधुंध औधोगिकीकरण, लगातार बढ़ते ट्रैफिक, विकास के आयामों के कारण आज ध्वनि प्रदूषण की समस्या ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है। औधोगिक घरानों में मशीनों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण,वाहनों के हॉर्न बजाने से होने वाला प्रदूषण, सड़क पर काम करने वाले लोगों द्वारा ड्रिलिंग करने से होना वाला प्रदूषण, डीजे, बैंड व लाउडस्पीकरों से होने वाला प्रदूषण तथा अन्य चीजों से पैदा होने वाला शोर हमारे शांत वातावरण में जहां एक ओर व्यवधान पैदा करता है वहीं दूसरी ओर जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं, ध्वनि प्रदूषण प्रजनन चक्र बाधित होने के साथ ही साथ प्रजातियों के विलुप्त होने को भी तेज करता है। आज प्लंबिंग, बॉयलर, जनरेटर, एयर कंडीशनर और पंखे, कूलर शोर का कारण बनते हैं।बायलर, टरबाइन, क्रशर तो बड़े कारक हैं ही, परिवहन के लगभग सभी साधन तेज ध्वनि पैदा कर, कोलाहल के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ाते हैं। विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्यों के पैदा होने वाला शोर भी बड़ा कारण है। इतना ही नहीं,बिना इन्सुलेशन वाली दीवारें और छतें पड़ोसी इकाइयों से आने वाले संगीत, आवाज़ें, कदमों और अन्य गतिविधियों को प्रकट करतीं हैं। विमान, ड्रिलिंग , विभिन्न आपातकालीन वाहन यथा एंबुलेंस, अग्निशमन यंत्र व गाड़ियां, पटाखों का फोड़ना भी शोर के कारण बनते हैं। मनोरंजन के साधन टीवी, रेडियो भी ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं। जेट विमान तो शोर के कारण हैं ही। विभिन्न धार्मिक, वैवाहिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक कार्यक्रमों में भी ध्वनि विस्तारकों का प्रयोग शोर को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं बिजली कड़कने, ज्वालामुखी, भूकंप , विस्फोट अन्य कारण हैं। यहां तक कि वैक्यूम क्लीनर और विभिन्न रसोई उपकरण शोर पैदा करते हैं। आज के समय में विवाह शादियों में खानपान, डीजे डांस और नाइटलाइफ़, आउटडोर बार, रेस्तरां और छतों पर 100 डीबी से ज़्यादा शोर सुनने को मिलता है। सच तो यह है कि पब और क्लब शोर करते हैं। यहां तक कि मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और अन्य संस्थानों में भी आज निश्चत डेसिबल स्तरों से ऊपर शोर सुनने को मिलता है। इतना ही नहीं,पशु-पक्षियों तक की भूमिका भी बहुत बार शोर में होती है।उल्लेखनीय है कि ध्वनि प्रदूषण एक अवांछित ध्वनि है जो पशु (वन्य जीवों ) और मानव व्यवहार को प्रभावित कर सकती है, हालांकि यह भी एक तथ्य है कि सभी शोर प्रदूषण नहीं होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन 65 डेसिबल से ऊपर के शोर को प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत करता है। 75 डेसिबल पर शोर हानिकारक है और 120 डेसिबल पर कष्टदायक है। शोर का उच्च स्तर मनुष्य और प्राणियों दोनों के ही स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।शोर का उच्च स्तर बच्चों और बुजुर्गों में टिनिटस या बहरापन पैदा कर सकता है। चिकित्सकों का मानना है कि 80 डीबी(डेसिबल) वाली ध्वनि कानों पर अपना प्रतिकूल असर डालती है। 120 डीबी की ध्वनि कान के पर्दों पर भीषण दर्द उत्पन्न कर देती है और यदि ध्वनि की तीव्रता 150 डीबी अथवा इससे अधिक हो जाए तो कान के पर्दे फट सकते हैं, जिससे व्यक्ति बहरा हो सकता है। गौरतलब है कि मानव कान अनुश्रव्य (20 हर्ट्ज से कम आवृत्ति) और पराश्रव्य (20 हजार हर्ट्ज से अधिक आवृत्ति) ध्वनि को सुनने में अक्षम होता है। आज लगातार शोर के संपर्क में रहने से मानव कान कमजोर होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनियाभर में लगभग डेढ़ अरब लोग इस समय कम सुनाई देने की अवस्था के साथ जीवन गुजार रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट दर्शाती है कि 2050 तक दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति यानी लगभग 25 प्रतिशत आबादी किसी न किसी हद तक श्रवण क्षमता में कमी की अवस्था के साथ जी रही होगी। अत्यधिक तेज, लगातार शोर के कारण श्वसन संबंधी उत्तेजना, नाड़ी का तेज चलना, उच्च रक्तचाप, माइग्रेन, गैस्ट्राइटिस, कोलाइटिस और दिल का दौरा पड़ना आदि हो सकता है। शोर परेशानी, थकान, अवसाद, चिंता, आक्रामकता और उन्माद पैदा कर सकता है। यह हमारी एकाग्रता में कमी लाता है। अध्ययन में विशेष व्यवधान पैदा करता है। 45 डेसिबल से अधिक शोर नींद में खलल(अनिद्रा की शिकायत) डालता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) 30 डेसिबल की सिफारिश करता है। बहरहाल, आंकड़े बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि हर वर्ष योरोपीय संघ में ध्वनि प्रदूषण के कारण 12 हजार लोगों की असामयिक मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वायु प्रदूषण के बाद शोर स्वास्थ्य समस्याओं का दूसरा सबसे बड़ा पर्यावरणीय कारक है। शोर हमारे हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही हमारी जीवनशैली को भी प्रभावित करता है। अवांछित और अप्रिय शोर मनुष्य में तनाव, अवसाद लाता है और चिड़चिड़ापन पैदा करता है। यहां यह गौरतलब है कि वर्ष 2018 में जारी अपने दिशा-निर्देशों में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिन के समय ध्वनि प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों के लिए पृथक मापदंड जारी किये थे, जिसके अनुसार सड़क यातायात में दिन के समय शोर का स्तर 53 डेसिबल, रेल परिवहन में 54, हवाई जहाज और पवन चक्की चलने के दौरान 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। आज लोग भले ही ध्वनि विस्तारकों को प्रतिष्ठा का प्रश्न मानने लगें हों लेकिन ये प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है। वर्ष 2005 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लाउडस्पीकरों पर आदेश देते हुए यह कहा था कि ऊंची आवाज़ सुनने के लिए मजबूर करना मौलिक अधिकारों का हनन है। आज सार्वजनिक स्थलों पर रात दस बजे से सुबह छह बजे तक शोर मचाने वाले उपकरणों पर पाबंदी है लेकिन बावजूद इसके लोग ऐसा करते हैं। आज आबादी, अस्पताल और स्कूली क्षेत्र में प्रेशर हार्न बजाने,तेज पटाखों को छोड़ने पर रोक है।ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के अनुसार व्यावसायिक, शांत और आवासीय क्षेत्रों के लिए ध्वनि तीव्रता की सीमा तय है।औद्योगिक क्षेत्रों में दिन में 75 और रात न 70 डेसिबल की सीमा सुनिश्चित है। व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए दिन में 65 और रात में 55, आवासीय क्षेत्रों में दिन में 55 और रात में 45 तो शांत क्षेत्रों में दिन में 50 और रात में 40 डेसिबल तीव्रता की सीमा तय है। यह ठीक है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 (1) एक मौलिक अधिकार है, जो किसी को भी बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांति से इकट्ठा होने, भारत के किसी भी हिस्से में रहने आदि की स्वतंत्रता की गारंटी देता है लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कोई भी अपने मौलिक अधिकारों का दुरूपयोग करे। जीवन को शांति और संयम के साथ जीने का अधिकार धरती के प्रत्येक प्राणी को है, इसलिए इस धरती का सर्वश्रेष्ठ प्राणी होते हुए हमें यह चाहिए कि हम ऐसा कोई भी व्यवहार न करें जिससे दूसरों की ज़िंदगी में खलल, व्यवधान अथवा कोई परेशानियां पैदा हों। सुनील कुमार महला Read more » Mankind in the throes of 'noise pollution' the silent killer ध्वनि प्रदूषण
महिला-जगत लेख बाल विवाह मुक्ति बेटियों को खुला आसमान देगा December 2, 2024 / December 2, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – देश में बाल विवाह की प्रथा को रोकने, बढ़ते बाल-विवाह से प्रभावित बच्चों के जीवन को इन त्रासद परम्परागत रूढ़ियों की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने के लिये सरकार ने बाल-विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करके एक सराहनीय एवं स्वागतयोग्य उपक्रम से हिम्मत और बदलाव की मिसाल कायम की है। यह […] Read more » बाल विवाह मुक्ति
महिला-जगत लेख कब मिलेगी ग्रामीण किशोरियों के डिजिटल सपनों को उड़ान? December 2, 2024 / December 2, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment महिमा जोशीकपकोट, उत्तराखंड “हमारे गांव में कंप्यूटर सेंटर न होने की वजह से हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर हमें कोई फार्म भरना है तो उसके लिए हमें गांव से 15-16 किलोमीटर दूर कंप्यूटर सेंटर जाना पड़ता है. ये ऐसा काम है जो कभी भी एक बार के जाने पर नहीं […] Read more » When will the digital dreams of rural teenage girls take flight
लेख स्वास्थ्य-योग एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूकता जरूरी December 1, 2024 / December 2, 2024 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment विश्व एड्स दिवस (1 दिसम्बर) पर विशेषएड्स पीड़ितों के प्रति बदले समाज की सोच– योगेश कुमार गोयलन केवल भारत में बल्कि समस्त विश्व में लोगों के लिए ‘एड्स’ आज भी एक भयावह शब्द है। एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिन्ड्रोम) का अर्थ है शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होने से अप्राकृतिक रोगों के […] Read more »
लेख समाज स्वास्थ्य-योग करोड़ों ज़िंदगी लीलता एड्स का लाल फंदा December 1, 2024 / December 2, 2024 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment एक दिसंबर एड्स निरोधक दिवस : डॉ० घनश्याम बादल एड्स दुनियाभर की सबसे घातक बीमारियों में है और इस बीमारी ने कई महामारियों से भी अधिक लोगों की जान ली है । दुनिया भर में इंसान का सबसे घातक दुश्मन है एड्स । आज भी एड्स लाइलाज़ है । हालांकि एड्स के वायरस का पता 1983 […] Read more » The red noose of AIDS एड्स
टेक्नोलॉजी लेख डिजिटल ठगी से कंप्यूटर की सुरक्षा बनी चुनौती November 30, 2024 / December 2, 2024 by रमेश ठाकुर | Leave a Comment राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस (30 नवंबर) ‘राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस’ सालाना 30 नवंबर को पूरे भारत में मनाया जाता है जिसकी शुरुआत साल-1988 से हुई थी। आज इस दिवस का ये 36 वां संस्करण है। आज विभिन्न कार्यक्रमों में साइबर एक्सपर्ट बताएंगे कि कंप्यूटर इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता कैसे अपने कंप्यूटर, डाटा, डिवाइस आदि की रक्षा करें। देश का प्रत्येक […] Read more » राष्ट्रीय कंप्यूटर सुरक्षा दिवस
लेख जवानी कायम रखने को रानी ने किया लगातार रक्त स्नान November 29, 2024 / November 29, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अयोध्या प्रसाद भारती उस दिन महल की दासी नेरोनिका को अर्धरात्रि का बेसब्री से इंतजार था। जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा था वैसे-वैसे उसके दिल की धड़कन बढ़ रही थी। महल के नीचे उनको आज अपने प्रेमी विल्मर से मिलना तय था। दूसरे तल से वह दबे पांव नीचे की ओर चल देती है। मिलन […] Read more » रानी ने किया लगातार रक्त स्नान
लेख स्वास्थ्य-योग डग-डग डायबिटीज का खतरा ! November 29, 2024 / November 29, 2024 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला आज हमारी जीवनशैली में आमूल-चूल परिवर्तन आ गये हैं और ये परिवर्तन कहीं न कहीं अनेक लाइफ़ स्टाइल डिज़ीज़ यथा- उच्च रक्तचाप(हाई बीपी), हृदय रोग, मोटापा, मधुमेह(डाइबिटीज), पुरानी फेफड़ों की बीमारियाँ, कैंसर, अल्जाइमर रोग और अन्य बीमारियों को जन्म दे रहें हैं। वैसे तो ये सभी डिज़ीज़ अपने आप में बहुत ही चिंताजनक हैं लेकिन खान-पान, मोटापे, गरीब तबके की अज्ञानता, मधुमेह के प्रति जागरूकता का अभाव देश में डायबिटीज़ के पेशेंट्स बढ़ा रहा है। भारत में आज डग-डग पर डायबिटीज के पेशेंट्स हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार वैश्विक स्तर पर 828 मिलियन में से भारत में अनुमानित 212 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। दुनिया में मधुमेह से पीड़ित हर चार में से एक व्यक्ति (26%) भारत से है, जिससे यह दुनिया में सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया है।पिछले साल यानी कि वर्ष 2023 में आई द लैंसेट की एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। स्टडी में कहा गया है कि पिछले चार सालों में ही डायबिटीज के मामलों में 44% की बढ़ोतरी हुई है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-इंडिया डायबिटीज की इस स्टडी में यह कहा गया था कि वर्ष 2019 में भारत में डायबिटीज के सात करोड़ मरीज थे। इसके अनुसार भारत की 15.3% आबादी (कम से कम 13.6 करोड़ लोग) प्री-डायबिटीज हैं। गौरतलब है कि डायबिटीज ऐसा रोग है जिससे शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है जिससे व्यक्ति में बार-बार पेशाब आने,नींद पूरी होने के बाद भी थकान के महसूस होने, बार-बार भूख लगने, वजन कम होने, आंखों की रोशनी कम होने, धुंधला दिखाई देने तथा घाव के जल्दी न भरने जैसी समस्याएं पैदा होने लगतीं हैं। डायबिटिक फुट(मधुमेह के अनियंत्रित होने पर पैरों में होने वाले घाव) भी जन्म लेता है और मरीज धीरे धीरे रिस्क जोन में चला जाता है। इस संदर्भ में हाल ही में राजस्थान के बीकानेर में सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के डायबिटिक एंड रिसर्च सेंटर में डायबिटिक फुट पर वर्ष 2021 से जुलाई 2022 तक 900 मरीजों पर किए गए एक शोध में यह सामने आया है कि 180 के पैरों में घाव था। शोध में 20 से 79 वर्ष के 70 प्रतिशत पुरूषों में डायबिटिक फुट पाया गया। सच तो यह है कि आज अनियंत्रित शुगर लेवल शरीर के शरीर खोखले तो बना ही रही है, मधुमेह(डाइबिटीज)अनेक खतरनाक जख्म भी दे रहा है। डायबिटीज़ लाइफस्टाइल से जुड़ी हुई बीमारी है। हमारी अनहेल्दी लाइफस्टाइल, मोटापा तनाव और अवसाद के कारण ही यह बीमारी बढ़ती है। लाइफस्टाइल, संतुलित व हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज से हम डायबिटीज के साथ ही साथ कई अन्य खतरनाक बीमारियों के खतरे को भी कम कर सकते हैं। हालांकि, बहुत बार डायबिटीज आनुवांशिक कारणों से भी होता है, इसलिए कई बार इसे रोकना मुश्किल व अत्यंत कठिन हो सकता है लेकिन इस संबंध में विभिन्न एहतियात व सावधानियां बरतकर हम इसके खतरे को कम कर सकते हैं। रोजाना आधे घंटे टहलकर भी डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। डायबिटीज को प्रभावी ढंग से कंट्रोल करने के लिए नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल की जांच करना जरूरी है। डायबिटीज़ से बचने के लिए रोजाना फिजीकल एक्टिविटी, पर्याप्त नींद और शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत ही जरूरी है। सुनील कुमार महला Read more » Danger of diabetes!
पर्यावरण लेख पर्यावरण को लेकर विकसित देशों की दोहरी नीति पर भारत की खरी खरी November 29, 2024 / November 29, 2024 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे अजरबैजान की राजधानी बाकू में हाल ही में एक समझौता हुआ है। यह समझौता संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन वाली शाखा ने सीओपी-29 बैठक में करवाया है। इसके तहत विश्व के विकसित और अमीर देश राजी हुए हैं कि वह 300 बिलियन डॉलर 2035 से विकासशील या गरीब देशों को देना चालू करेंगे। यह पैसा जलवायु […] Read more » पर्यावरण
लेख स्वास्थ्य-योग जरूरत है अवसाद के प्रति जागरूक होने की November 28, 2024 / November 28, 2024 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment “पहला सुख निरोगी काया” जिस समय यह कहावत बनी थी तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि मन भी कभी रोगी हो सकता है। लेकिन आज का कटु यथार्थ यह है कि विश्व भर में अधिकांश लोग डिप्रेशन या अवसाद से ग्रसित हैं। यहाँ यह समझना आवश्यक है कि अवसाद या डिप्रेशन किसी व्यक्ति की […] Read more » अवसाद के प्रति जागरूक
महिला-जगत लेख समाज बाल विवाह मुक्ति बेटियों को खुला आसमान देगा November 28, 2024 / November 28, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – देश में बाल विवाह की प्रथा को रोकने, बढ़ते बाल-विवाह से प्रभावित बच्चों के जीवन को इन त्रासद परम्परागत रूढ़ियों की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने के लिये सरकार ने बाल-विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत करके एक सराहनीय एवं स्वागतयोग्य उपक्रम से हिम्मत और बदलाव की मिसाल कायम की है। यह […] Read more » bal vivah mukti child marriage Freedom from child marriage will give open sky to daughters बाल विवाह मुक्ति
लेख विविधा भारतीय समाज में लोन लीजिए,घी पीजिए की बढ़ती प्रवृत्ति। November 28, 2024 / September 27, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment भारत में खर्च के लिए क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता की प्रवृत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां भी आज उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड जारी करने के एवज में फ्री गिफ्ट्स यथा स्मार्ट वाच, स्पीकर, इयर बड्स व अन्य गिफ्ट आइटम्स आदि बांटकर उन्हें अपने चंगुल में फंसा रहीं हैं। Read more » क्रेडिट कार्ड क्रेडिट कार्ड पर निर्भरता