कविता ये मौसम भी बेईमान है May 11, 2020 / May 11, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment ये हवाएं भी बदचलन हैं ,पहले जैसी चलती नहीं।ये भी रुख बदल देती हैं,हमारी बाते कहती नहीं।। चलो इन हवाओं का रुख मोड़ दे,और प्यार भरी बाते हम करेकब ये रूख बदल दे अपना,हमे पता लगने देती नहीं।। बेबस हो जाती है धड़कने,जब ख्याल मेंआ जाते हो ।कहने को तो बहुत कहना है,पर कुछ तुमसे […] Read more » This weather is also dishonest ये मौसम भी बेईमान है
व्यंग्य हे महामारी! आपकी महिमा अपरम्पार है May 11, 2020 / May 11, 2020 by अवधेश कुमार सिंह | Leave a Comment अवधेश कुमार सिंह कोरोना का कमाल देखिए। अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा सम्पूर्ण विश्व आज कोरोना के प्रकोप के आगे विवश है। लाचार है, अर्थात “एक महामारी सब पर भारी” सिध्द हो रहा है। चीन के वुहान शहर से चला है एक राक्षस, नाम है जिसका करोना वाइरस। कोविड -19 दिया गया जिसका नाम, अब […] Read more » करोना वाइरस
लेख समाज संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं May 10, 2020 / May 11, 2020 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (मातृ दिवस 10 मई 2020 पर विशेष आलेख) आज मातृ दिवस है, एक ऐसा दिन जिस दिन हमें संसार की समस्त माताओं का सम्मान और सलाम करना चाहिये। वैसे माँ किसी के सम्मान की मोहताज नहीं होती, माँ शब्द ही सम्मान के बराबर होता है, मातृ दिवस मनाने का उद्देश्य पुत्र के उत्थान में उनकी महान भूमिका को सलाम करना है। श्रीमद भागवत गीता में कहा गया है कि माँ की सेवा से मिला आशीर्वाद सात जन्म के पापों को नष्ट करता है। यही माँ शब्द की महिमा है। असल में कहा जाए तो माँ ही बच्चे की पहली गुरु होती है एक माँ आधे संस्कार तो बच्चे को अपने गर्भ में ही दे देती है यही माँ शब्द की शक्ति को दशार्ता है, वह माँ ही होती है पीडा सहकर अपने शिशु को जन्म देती है। और जन्म देने के बाद भी मॉं के चेहरे पर एक सन्तोषजनक मुस्कान होती है इसलिए माँ को सनातन धर्म में भगवान से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है। ‘माँ’ शब्द एक ऐसा शब्द है जिसमे समस्त संसार का बोध होता है। जिसके उच्चारण मात्र से ही हर दुख दर्द का अंत हो जाता है। ‘माँ’ की ममता और उसके आँचल की महिमा को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है, उसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। रामायण में भगवान श्रीराम जी ने कहा है कि ‘‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।’’ अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा जाए तो जननी और जन्मभूमि के बिना स्वर्ग भी बेकार है क्योंकि माँ कि ममता कि छाया ही स्वर्ग का एहसास कराती है। जिस घर में माँ का सम्मान नहीं किया जाता है वो घर नरक से भी बदतर होता है, भगवान श्रीराम माँ शब्द को स्वर्ग से बढकर मानते थे क्योंकि संसार में माँ नहीं होगी तो संतान भी नहीं होगी और संसार भी आगे नहीं बढ पाएगा। संसार में माँ के समान कोई छाया नहीं है। संसार में माँ के समान कोई सहारा नहीं है। संसार में माँ के समान कोई रक्षक नहीं है और माँ के समान कोई प्रिय चीज नहीं है। एक माँ अपने पुत्र के लिए छाया, सहारा, रक्षक का काम करती है। माँ के रहते कोई भी बुरी शक्ति उसके जीवित रहते उसकी संतान को छू नहीं सकती। इसलिए एक माँ ही अपनी संतान की सबसे बडी रक्षक है। दुनिया में अगर कहीं स्वर्ग मिलता है तो वो माँ के चरणों में मिलता है। जिस घर में माँ का अनादर किया जाता है, वहाँ कभी देवता वास नहीं करते। एक माँ ही होती है जो बच्चे कि हर गलती को माफ कर गले से लगा लेती है। यदि नारी नहीं होती तो सृष्टि की रचना नहीं हो सकती थी। स्वयं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तक सृष्टि की रचना करने में असमर्थ बैठे थे। जब ब्रह्मा जी ने नारी की रचना की तभी से सृष्टि की शुरूआत हुई। बच्चे की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी चुनौती का डटकर सामना करना और बड़े होने पर भी वही मासूमियत और कोमलता भरा व्यवहार ये सब ही तो हर ‘माँ’ की मूल पहचान है। दुनिया की हर नारी में मातृत्व वास करता है। बेशक उसने संतान को जन्म दिया हो या न दिया हो। नारी इस संसार और प्रकृति की ‘जननी’ है। नारी के बिना तो संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। इस सृष्टि के हर जीव और जन्तु की मूल पहचान माँ होती है। अगर माँ न हो तो संतान भी नहीं होगी और न ही सृष्टि आगे बढ पाएगी। इस संसार में जितने भी पुत्रों की मां हैं, वह अत्यंत सरल रूप में हैं। कहने का मतलब कि मां एकदम से सहज रूप में होती हैं। वे अपनी संतानों पर शीघ्रता से प्रसन्न हो जाती हैं। वह अपनी समस्त खुशियां अपनी संतान के लिए त्याग देती हैं, क्योंकि पुत्र कुपुत्र हो सकता है, पुत्री कुपुत्री हो सकती है, लेकिन माता कुमाता नहीं हो सकती। एक संतान माँ को घर से निकाल सकती है लेकिन माँ हमेशा अपनी संतान को आश्रय देती है। एक माँ ही है जो अपनी संतान का पेट भरने के लिए खुद भूखी सो जाती है और उसका हर दुख दर्द खुद सहन करती है। लेकिन आज के समय में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपने मात-पिता को बोझ समझते हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसे लोगों को आज के दिन अपनी गलतियों का पश्चाताप कर अपने माता-पिताओं को जो वृध्द आश्रम में रह रहे हैं उनको घर लाने के लिए अपना कदम बढाना चाहिए। क्योंकि माता-पिता से बढकर दुनिया में कोई नहीं होता। माता के बारे में कहा जाए तो जिस घर में माँ नहीं होती या माँ का सम्मान नहीं किया जाता वहाँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती का वास नहीं होता। हम नदियों और अपनी भाषा को माता का दर्जा दे सकते हैं तो अपनी माँ से वो हक क्यों छीन रहे हैं। और उन्हें वृध्दाआश्रम भेजने को मजबूर कर रहे है। यह सोचने वाली बात है। माता के सम्मान का एक दिन नहीं होता। माता का सम्मान हमें 365 दिन करना चाहिए। लेकिन क्यों न हम इस मातृ दिवस से अपनी गलतियों का पश्चाताप कर उनसे माफी मांगें। और माता की आज्ञा का पालन करने और अपने दुराचरण से माता को कष्ट न देने का संकल्प लेकर मातृ दिवस को सार्थक बनाएं. Read more » (मातृ दिवस 10 मई 2020 mothers day माँ मातृ दिवस
कविता उर की उड़ान औ उफान! May 10, 2020 / May 10, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment उर की उड़ान औ उफान, फुर लिया करो; आयाम सृष्टि झाँके सुर को, सुध लिया करो! हर कोश कोशिका के कोष, किलकिला रहे; नव चक्र चिन्मयी को तके, झिलमिला रहे! तर पंचभूत जीव कोटि, ज्वार ले रहे; बुद्धि के बोध स्वयंभू के, चरण छू रहे! स्थूल भाव अनमने से, अचेतन रहे; त्वर त्राण प्राण उनमें […] Read more »
लेख समाज त्याग, समर्पण व ममता की प्रतिमूर्ति जीवनदायिनी माँ May 10, 2020 / May 10, 2020 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीहमारे देश की प्राचीन गौरवशाली संस्कृति में वैसे तो माँ आदिकाल से ही पूज्यनीय रही है उसके लिए हमको मातृ-दिवस के एक दिन इंतजार करना आवश्यक नहीं है। लेकिन पश्चिमी संस्कृति से प्रभाव के चलते अब भारत में भी प्रत्येक वर्ष मातृ-दिवस मई महीने के दूसरे रविवार को जोरशोर से मनाया जाने लगा […] Read more » जीवनदायिनी माँ त्याग ममता की प्रतिमूर्ति
कविता मेरी बहना। May 10, 2020 / May 10, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment कभी वो दोस्त जैसी है, वो दादी मां भी बनती हैबचाने की मुझे खातिर, वो डांटे मां की सुनती हैअभी सर्दी नहीं आया, वो रखती ख्याल है मेरावो मेरी बहना है मेरे लिए स्वेटर जो बुनती है। कभी लड़ती झगड़ती प्यार भी करती वो कितनी हैजो रखती हाथ सिर पे मां के आशीर्वाद जितनी हैवो […] Read more » मेरी बहना
लेख समाज मां और भारतीय परिवार विज्ञान : विश्व की एक अद्भुत व्यवस्था जिसकी संचालिका होती है मां May 10, 2020 / May 10, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment आज मातृ दिवस है । सचमुच हम सब में वे लोग सौभाग्यशाली हैं जिनकी मां है । जिनकी नहीं है , उन्हें निश्चय ही आज अपनी मां की याद आ रही होगी । मुझे भी अपनी मां का प्यार और उसकी ममता की स्वाभाविक रूप से याद आ रही है ।अपनी उसी ममतामयी मां की […] Read more » Mother and Indian Family Science wonderful system of the world which is governed by the mother मां और भारतीय परिवार विज्ञान
लेख समाज दुनिया बदलना चाहते हैं तो शुरुआत घर से करें May 9, 2020 / May 9, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – दुःख को सुख मेें बदलने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास बहुत जरूरी है। एक ही परिस्थिति और घटना को दो व्यक्ति भिन्न-भिन्न प्रकार से ग्रहण करते हैं। जिसका चिंतन विधायक होता है, वह अभाव को भी भाव तथा दुःख को भी सुख में बदलने में सफल हो सकता है। जिसका सोच […] Read more » दुनिया बदलना चाहते हैं
व्यंग्य अथश्री कोरोना पद्मश्री’ सम्मान May 9, 2020 / May 9, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हिंदी साहित्य और कविता के विकास में कोरोना काल का अपना अलग महत्व होगा। इस युग की महत्ता शोध परिणामों के बाद निश्चित रुप से साबित होगी। इस युग को चाह कर भी कोई आलोचक और समीक्षक झुठला नहीँ सकता […] Read more »
कविता मेरा वतन है भारत May 8, 2020 / May 8, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment आबोहवा में जिसके जीवन हमारा गुजरा ।बाजुओं को जिसकी हमने बनाया झूला ।।गोदी में लोट जिसकी हमने पिया है अमृत ।वह देश हमको प्यारा बतलाया नाम भारत ।।मेरा वतन है भारतमेरा वतन है भारत — – – बलिदान देना जिसको हमने है समझा गौरव ।जिसके हितार्थ हमने जीवन किया समर्पण ।।सर ऊंचा करके जिसकी गायी […] Read more »
कविता सड़कें यूं उदास तो न थी ….!! May 8, 2020 / May 8, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा अपनों से मिलने की ऐसी तड़प , विकट प्यास तो न थीशहर की सड़कें पहले कभी यूं उदास तो न थीपीपल की छांव तो हैं अब भी मगरबरगद की जटाएंं यूं निराश तो न थीगलियों में होती थी समस्याओं की शिकायतमनहूसियत की महफिल यूं बिंदास तो न थीमुलाकातों में सुनते थे ताने […] Read more » roads in corona lockdown सड़कें यूं उदास तो न थी
लेख मां हैं प्रेम, संवेदना और ममत्व की पराकाष्ठा May 8, 2020 / May 8, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस, 10 मई 2020-ललित गर्ग-अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसे मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें यह दिन सबके मन में विशेष स्थान लिये हुए है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ […] Read more » compassion and motherhood Mother is the culmination of love अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस संवेदना और ममत्व की पराकाष्ठा