लेख आर्य समाज के जुड़े हमारे कुछ मित्रों का संक्षिप्त परिचय February 10, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य हमने दो दिन पूर्व एक लेख में अपने कुछ आर्यमित्रों की जानकारी दी है जिनके साहचर्य से हम जीवन में वर्तमान अवस्था तक पहुंचें हैं। आज इस लेख में हम कुछ अन्य मित्रों की चर्चा कर रहे हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमें एक बहुत ही अच्छी समर्पित मित्रों की मण्डली […] Read more »
कविता बच्चों का पन्ना कुक्कू मुर्गा February 10, 2020 / February 10, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment कुक्कू मुर्गा बड़ी जोर से, कुकड़ूँ कूँ चिल्लाया। सूरज बोला ,अब मत चिल्ला, में जल्दी ही आया। लेकिन प्यारे कुक्कू भाई, नहीं समझ में आया। तू अपने मालिक को अब तक, नहीं जगा क्यों पाया? रोज -रोज चिल्ला चिल्लाकर, मुझे बुला तू लेता। पर तेरी कुकड़ूँ कूँ को अब, कौन तब्बजो देता। मैं तो हर […] Read more » कुक्कू मुर्गा
दोहे हिम आच्छादित धरती रहते ! February 7, 2020 / February 7, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment हिम आच्छादित धरती रहते, हिय वसंत हम कितने देखे ! भावों से भास्वर जगती पै, आयामों के पहरे निरखे ! सिमटे मिटे समाये कितने, अटके खटके चटके कितने; चोट खसोटों कितने रोये, आहट पाए कितने सोये ! खुल कर खिल कितने ना पाए, रूप दिखा ना कितने पाए; मन की खोह खोज ना पाए, तन […] Read more » हिम आच्छादित धरती रहते !
व्यंग्य बापू ! सत्याग्रह पर हैं February 4, 2020 / February 4, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हमारे मित्र ढोंगी लाल ने काफी हाउस में चुस्कियां लेते हुए चुटकी ली। “अरे भाई ! सुना है बापू यानी गाँधी जी ने पुनः सत्याग्रह करने का ऐलान किया है। उन्हें दुःख है कि कुछ लोग उनके सत्याग्रह और आजादी मार्च […] Read more » बापू ! सत्याग्रह पर हैं
व्यंग्य साहित्य खिचड़ी बनाम बिरयानी February 4, 2020 / February 4, 2020 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “मालिन का है दोष नहीं ,ये दोष है सौदागर का, जो भाव पूछता गजरे का और देता दाम महावर का” ऐसा ही कुछ आजकल के धरना प्रदर्शनों का है जो किसी अन्य वजहों की वजह चर्चा में आ जाते हैं बजाय उसके जो वजह उन्होंने चुनी है ।धरना ,वैचारिक मतभेदों को लेकर है ,चर्चा में बिरयानी […] Read more » biryani serving to shahin bagh protester protest at shahin bagh बिरयानी
दोहे रच कौन क्या गया है सृष्टि ! February 3, 2020 / February 4, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment रच कौन क्या गया है सृष्टि, कौन देखता; कितना अनन्त उसके शून्य, वही झाँकता; गुणवत्ता आँकता है वही, सत्ता परखता; अलवत्ता उसे कोई कभी, ही है समझता ! संज्ञान उसका लेता जो भी, वो है थिरकता; अणु अपना अहं करके वही, उसमें सिमटता ! अपना विराट रूप वही, जगती में पाता; हर प्राण परश उर […] Read more » रच कौन क्या गया है सृष्टि !
कविता अपना आपा खो दॅू February 3, 2020 / February 3, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment अपने घर -परिवार के लिये, अपने सगे संबंधियों के लिये अपने समाज व देश के लिये मैं जीना चाहता हॅू सभी के लिये इस हद तक, कि अपना आपा खो दॅू। मैं अपने सारे स्वार्थो के बिना मैं अपने सारे हितों के बिना दूसरों के लिये अपना सारा जीवन जीना चाहता हॅू इस हद तक, […] Read more » अपना आपा खो दॅू
दोहे स्वर्गलोक-भूलोक हो एकीभूत February 3, 2020 / February 3, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment जो गिरा हुआ है, उसे गिरने का क्या डर होगा जो नतमस्तक है, उसे घमण्ड ने क्या छुआ होगा। खुद मालिक उसे राह दिखायेे,जो नम्र हुआ होगा। जिसने जीत लिया मन को,वह संतोशी रहा होगा। जो शरण प्रभु की पा जाये,समर्पित वह रहा होगा।। जो दिल का बोझ उठाये, वासनाओं में घिरा होगा।। जो सत्य […] Read more » स्वर्गलोक-भूलोक हो एकीभूत
दोहे उर अश्रु लिए भस्म रमा ! February 3, 2020 / February 3, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment उर अश्रु लिए भस्म रमा, कौन विचरता; शिव सरिस ललित ताण्डव कर, व्याप्ति सिहरता ! आलोक अलोकी का दिखा, जाग्रत करता; कर चित्त-शुद्धि चक्रन वरि, वरण वो करता ! आयाम अनेकों में रमा, प्राणायाम सुर; गुरु चक्र प्रणय लीला किए, प्रणवित करता ! यम नियम सुद्रढ़ शोध करा, स्वास्थ्य सुधाता; अध्यात्म रस में रास करा, […] Read more » उर अश्रु लिए भस्म रमा !
लेख साहित्य प्राचीनतम सभ्यता – नर्मदा घाटी January 31, 2020 / January 31, 2020 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment हाल ही के दशकों में किये अन्वेषणों व खुदाइयों से नर्मदा घाटी का एक नया स्वरूप उभर कर आया है। नर्मदा घाटी से ऐसे बहुत से ऐसी शिलाएं, शिलालेख, निर्मितियां, भित्ति चित्र, तैल चित्र आदि मिलें हैं जिनसे भारतीय सभ्यता के इतिहास को नए आयाम प्राप्त होते हैं। नर्मदा घाटी की खुदाई से मिले तथ्यों […] Read more » नर्मदा घाटी प्राचीनतम सभ्यता नर्मदा घाटी
लेख समाज प्रत्येक मनुष्य को देश व समाज को सुदृण करने का कार्य करना चाहिये January 31, 2020 / January 31, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हमारा जन्म भारत में हुआ। अनेक मनुष्यों का जन्म भारत से इतर अन्य देशों में हुआ है। सभी मनुष्यों का एक सामान्य कर्तव्य होता है और अधिकांश इसका पालन भी करते हैं कि जो जिस देश में उत्पन्न होते हैं वह उस देश की उन्नति व सम्पन्नता सहित उसकी रक्षा और […] Read more » देश व समाज\