लेख बच्चों में कौतूहल भरने वाली लोक कहावतें और खेल कहां खो गये ? January 20, 2020 / January 20, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव बच्चों में मेघनाशक्ति का अद्भुत संचार करने वाली किस्से कहानियाँ, कहावतों का एक दौर गुजरे मुश्किल से तीन दशक बीते हैं। इतिहास गवाह है कि दादी और नानी जब अपने नौनिहाल को शाम को भोजन के बाद बिस्तर में लेकर लेटती थी तब विश्वास,आश्चर्य और समाधानकारक बाल मनोवृत्ति […] Read more » Where are the folk proverbs and games that mislead children?
लेख शख्सियत आदर्श जीवन की विलक्षण दास्तान : श्री रामनिवास लखोटिया January 20, 2020 / January 20, 2020 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग जन्म लेना नियति है किंतु कैसा जीवन जीना यह हमारे पुरुषार्थ के अधीन है। खदान से निकले पाषाण के समान जीवन को पुरुषार्थ के द्वारा तरास कर प्रतिमा का रूप दिया जा सकता है। राजस्थान के गौरव एवं दिल्ली की सांसों में बसे श्री रामनिवास लखोटिया भी ही एक ऐसे ही जीवन […] Read more » श्री रामनिवास लखोटिया
पुस्तक समीक्षा आलेख रूपी मोतियों से सजी पुस्तक ‘दो टूक’ January 20, 2020 / January 21, 2020 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment पुस्तक: दो टूक लेखक: योगेश कुमार गोयल पृष्ठ संख्या: 112 प्रकाशक: मीडिया केयर नेटवर्क, 114, गली नं. 6, वेस्ट गोपाल नगर, नजफगढ़, नई दिल्ली-43. कीमत: 150/- रु. मात्र पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता और साहित्य जगत में निरन्तर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक योगेश कुमार गोयल की चौथी पुस्तक […] Read more » पुस्तक ‘दो टूक’
मीडिया लेख आज की भी जरूरत है कर्मवीर और मूकनायक January 18, 2020 / January 18, 2020 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार शब्द सत्ता की शताब्दी मनाते हुए हम हर्षित हैं लेकिन यह हर्ष क्षणिक है क्योंकि महात्मा गांधी जैसे कालजयी नायक के डेढ़ सौ वर्षों को हम चंद महीनों के उत्सव में बदल कर भूल जाते हैं, तब सत्ता को आहत करने वाली पत्रकारिता की जयकारा होती रहे, यह कल्पना से बाहर है। इन […] Read more » गांधी-तिलक की पत्रकारिता पीत पत्रकारिता पेज-थ्री की पत्रकारिता पेडन्यूज प्रिंट पत्रकारिता
व्यंग्य कंबल है कि पद्श्री अलंकरण ! January 18, 2020 / January 18, 2020 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल गरीबी और ठंड का रिश्ता जन्म जन्मांतर का है। जिस तरह लैला का मजनू से स्वाती का पपीहे से है। ठंड और गरीबी एक दूजे के लिए बने हैं। कहते हैं कि जोड़ियां बनकर आती हैं। भगवान ने ठंड और […] Read more » पद्श्री अलंकरण
लेख संस्कृत भाषा है भारत के प्राण January 16, 2020 / January 16, 2020 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला अर्थात शस्त्र और शास्त्र का उचित समन्वय बनाना आर्य हिंदू संस्कृति का एक बहुत ही गहरा संस्कार है । भारत की चेतना में यही संस्कार समाविष्ट रहा है । इसी संस्कार ने समय आने पर संत को भी सिपाही बनाने में देर नहीं की । इसी […] Read more » Sanskrit sanskrit is the heart and soul of india संस्कृत भाषा संस्कृत भाषा है भारत के प्राण
कविता यह खूनी सड़क January 16, 2020 / January 16, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरे शहर की यह शांतचित्त सड़क कभी बहुत खिलखिलाया करती थी बचपन में इसके तन पर हम खेला करते थे गिल्लीडंडा तब कभी कभार दिन में दो-चार बसें और इक्का-दुक्का वाहन भोंपू बजाकर सड़क से गुजर जाते थे। पूरे शहर के हर मोहल्ले के बच्चे इस सड़क पर इकटठा होते और कोई गिल्लीडंडा खेलता तो […] Read more » गिल्लीडंडा
कविता सीख देती चीटियाॅ January 16, 2020 / January 16, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव कभी चीटियों को देखों मुॅह मिलाकर प्रेम करती है अंजान चीटी से पहचानकर नेह का यह मिलाप असीम अपनत्व का इजहार है वे मुॅह मिलाकर एक दूसरे को आभार व्यक्त करने के साथ नमस्कार करती है। कभी चीटी जैसे किसी जीव का ओढ़ना-बिछाना, चैका-चूल्हा थाली बघौनी देखी है किस रंग के होते […] Read more » सीख देती चीटियाॅ
लेख राम से मित्रता के बाद सुग्रीव को भय ओर संदेहों से मिली मुक्ति January 15, 2020 / January 15, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment (2) सुग्रीव के जीवन मे झाँका जाये तो वह एक विषयी जीव रहा है जिसका आत्मविश्वास कभी भी खुद पर नही रहा ओर संदेहो से भरा होने पर वह इतना आतुर रहा जिसमे किसी भी कार्य के परिणाम जाने बिना स्वंम निर्णय लेकर समस्याओ ओर परिस्थियों से वह भाग खड़ा होता था । […] Read more » सुग्रीव सुग्रीव को भय ओर संदेहों से मिली मुक्ति
लेख युवा ही समाज के नवनिर्माता January 15, 2020 / January 16, 2020 by डॉ .राजकुमारी | Leave a Comment हाथ बाँध , आँख मूँद किसी भी समय में अच्छे समय की परिकल्पना करना बेवकूफ़ी भरी कल्पना ही कहीं जायेगी । किसी भी गलत का विरोध करने पर ही परिवर्तन की उम्मीद की जाती है। सर्वविदित हैं कि देश का युवा ही समाज में नवनिर्माण , नव चेतना का संचार , देश का प्रतिनिधित्व कर […] Read more » Youth is the new creator of society युवा ही समाज के नवनिर्माता
कविता खानावदोश झुग्गिया January 14, 2020 / January 15, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment भारत के हर शहर में होती है अछूत झुग्गियाॅ बसाहट से दूर किसी भी सड़क के किनारे खास मौके पर चार खूटियों और तिरपाल से तन जाती है दर्जनों झुग्गियाॅ। ये वे अछूत झुग्गियाॅ है जिनमें रहने वाले गरीब दो वक्त की रोटी कमाने हर शहर की गली-कूंचे में घरों-महलों की सजावट का सामान बेचते […] Read more » खानावदोश झुग्गिया
कविता बुढ़ापे पर सवार अजगर January 14, 2020 / January 15, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव बड़ी मासूमियत से बुजुर्ग पिता ने कहा- बेटा] बुढ़ापा अजगर सा आकर मेरे बुढ़ापे पर सवार हो गया है जिसने जकड़ रखे है मेरे हाथ पैर न चलने देता है न उठने-बैठने देता है। बेटा, मेरे बाद तेरी माँ को अपने ही पास रखना। पिता के चेहरे पर पॅसरी हुई थी उदासी […] Read more » बुढ़ापे पर सवार अजगर