लेख जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां देवता समान अच्छे मनुष्य नहीं होते December 3, 2019 / December 3, 2019 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on जहां नारी का सम्मान नहीं होता वहां देवता समान अच्छे मनुष्य नहीं होते -मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने सृष्टि में अनेक प्राणियों को बनाया है जिनमें एक मनुष्य भी है। मनुष्य योनि में मनुष्य के दो भेद स्त्री व पुरुष होते हैं। मनुष्य अल्पज्ञ होता है। इसका अर्थ है कि मनुष्य में जो चेतन अनादि व नित्य जीव है वह अल्प ज्ञान वाला है। उसको पूरा–पूरा ज्ञान […] Read more » Hyderabad mass rape and murder case rape and murder case नारी का सम्मान
दोहे देह कितनी लिये विचर चहता ! December 1, 2019 / December 1, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment देह कितनी लिये विचर चहता, कितने आयाम देखना चहता; आवरण कितने घुसे लख चहता, वरण कितने ही पात्र कर चहता ! कला कितनी में पैठना चहता, ज्ञान विज्ञान की धुरी तकता; राज कितने प्रदेश कर चहता, ताज कितने पहन सतत चहता ! मुक्त पर जब तलक न मन होता, व्यस्त स्तर हरेक रह जाता; त्रस्त […] Read more » देह कितनी लिये विचर चहता !
कविता साहित्य सरकारी हुक्म November 29, 2019 / November 29, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment कान खोलकर सुन ले बिल्ली, तुरत छोड़ दे चूहे खाना। दिल्ली से गूगल पर आया, आज सबेरे ही परवाना। बड़े खाएंगे छोटों को तो, होगा बहन जुर्म यह भारी। ऐसा वैसा हुक्म नहीं यह, यह तो हुक्म हुआ सरकारी। पूँछतांछ में लगीं बिल्लियाँ, क्या ऐसा आदेश हुआ है। अगर हुआ है सच में ऐसा, ऐसा […] Read more »
लेख परीक्षा प्रणाली में बदलाव के सार्थक कदम November 28, 2019 / November 28, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – लम्बे अरसे से कहा जा रहा है कि वर्तमान परीक्षा प्रणाली जड़ होकर महज शारीरिक एवं बौद्धिक विकास को प्राथमिकता देती रही है, जबकि मानसिक एवं भावनात्मक विकास भी शिक्षा के महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बौद्धिकता शिक्षा का एक अंग है, पर […] Read more » changes in examination pattern परीक्षा प्रणाली में बदलाव बच्चों को तनावमुक्त बनाये रखना शिक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता वर्तमान परीक्षा प्रणाली
कविता ताले में बैठा” की “होल November 28, 2019 / November 28, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बहुत आजकल गुस्सा रहता, ताले में बैठा “की” होल। चाबी डाली और घुमाया। ताला खोला और लगाया। खुलना लगना रोज मशक्कत, सबने हाथ जोर आजमाया। धकम पेल में कोई न समझा, कितने दुःख में है” की” होल. जब जब ताला खुला न भाई। सबने जहमत खूब उठाई। घर के भीतर जाएँ कैसे, सबको आई खूब […] Read more » ताले में बैठा" की "होल
लेख सार्थक पहल खुशी के लिये कम सोचें और ज्यादा जिएं November 26, 2019 / November 26, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – अपने भीतर झांकने पर पता चलता है कि कई तरह की तमन्नाएं और ख्वाहिशें दुबकी बैठी हैं, जो चैन से जीने नहीं देतीं। कई सवाल हैं, जिनके जवाब तक पहुंचे बिना खुशी एवं महत्वाकांक्षाएं अधूरी ही रहती है। जब दिल खुश होता है तो उसकी रौनक चेहरे पर खुद-ब-खुद झलकने लगती […] Read more » खुशी के लिये कम सोचें ज्यादा जिएं
कविता मानवता का आज अनूठा उदहारण देखा | November 23, 2019 / November 23, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मानवता का आज अनूठा उदहारण देखा | बीमार बे सहारा लोगो का अच्छा जीवन देखा || मानवता जिनको देख कर बिलख रही थी | आज गुरुकुल आश्रम में उनको हँसते देखा || कर्मयोगी रवि ने जो कभी था सपना देखा | उस सपने को हमने आज पूरा होता देखा || वह मानव ही नहीं,वरन है […] Read more » मानवता
व्यंग्य स्वर्ग में ऑखों देखी हिंसा भी नहीं छपवा पाये पत्रकार November 21, 2019 / November 21, 2019 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीवस्वर्ग में लोकतंत्र नहीं राजतंत्र है। इन्द्र वहॉ के लोकपाल है जिनके राजकाज में कोई भी स्वर्गवासी या देवता दखल नहीं देते सभी खुश है, आनन्द से है मानो ब्रम्हानन्दी हो गये है। होशंगाबाद के पत्रकार प्रश्न कर चुके थे कि अगर सब आनंन्दमय है तो […] Read more » स्वर्ग में ऑखों देखी हिंसा
व्यंग्य स्वर्गलोक में पत्रकारो का हँगामा November 21, 2019 / November 23, 2019 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव पत्रकार की सारी नस्ले जो दुनिया में कहीं नहीं है, होशंगाबाद में मिल जायेगी इसलिये नर्मदातट पर बसा होशंगाबाद नगर भूलोक का अजीब शहर बन गया है। यहॉ के लोग दुनिया में सबसे अनूॅठे है। नेताओं का तो क्या कहना, बड़े बिरले है जिन्हें म्युजियम मे होना चाहिये वे होशंगाबाद में […] Read more » स्वर्गलोक में पत्रकारो का हँगामा
लेख ” श्रीराम की बासी” को भागीरथ की दरकार November 19, 2019 / November 19, 2019 by संजय चाणक्य | Leave a Comment संजय चाणक्य ” बचाकर रखना बासी को जरूरत कल भी बहुत होगी। यकीनन आने वाली पीढ़ी इतनी पाक भी नही होगी।।” भगवान राम के इच्छा से नारायणी से निकलकर कुशीनगर जनपद के विभिन्न श्रेत्रो से होकर तकरीबन साठ किलो मीटर की यात्रा तय करने के बाद पुन: नारायणी से समाहित हो जाने वाली “बासी नदी […] Read more » बासी नदी
कविता रोम रोम में हमारे ओम भर जाये November 19, 2019 / November 19, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment हे प्रभु ज्ञान दाता,ज्ञान हमको दीजिये | शीघ्र हमारे दुर्गणों,को दूर हमसे कीजये || लीजिये हमको शरण में,हम सदाचारी बने | ब्रह्मचारी धर्म रक्षक और वीर व्रतधारी बने || रोम रोम में ओम भर जाये हमारे | प्रभु, ऐसी शक्ति हमको दीजिये || छल कपट से कोसो दूर रहे हम प्रभु | बस अपनी भक्ति […] Read more » रोम रोम में हमारे ओम
लेख विधि-कानून सूचना अधिकार: सुप्रीम कोर्ट ,जबाबदेह तंत्र और असली चुनौती की दुरभिसंधि November 18, 2019 / November 18, 2019 by डॉ अजय खेमरिया | Leave a Comment अफसरशाही की शरणस्थली बनी सूचना अधिकार की सुविधाएं डॉ अजय खेमरियाभारत का सुप्रीम कोर्ट सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएगा।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के ही सेक्रेटरी जनरल और लोक सूचना अधिकारी की तीन याचिकाओं को खारिज करते हुए यह ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है।उत्तरदायी […] Read more » Supreme Court असली चुनौती की दुरभिसंधि जबाबदेह तंत्र जबाबदेह तंत्र और असली चुनौती की दुरभिसंधि सुप्रीम कोर्ट सूचना अधिकार सूचना अधिकार की सुविधाएं सूचना अधिकार: सुप्रीम कोर्ट