कविता तन्हाइयां August 19, 2019 / August 19, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment चाहूं मैं तुम साथ हो, जब पास हो तन्हाइयां कोई भी न साथ दे तब साथ हो तन्हाइयां मेरी हस्ती देख करके सब बिषैले हो गये हम जहां पहुंचे वहां कितने झमेले हो गये दुनिया के मेले मे देखो हम अकेले हो गये पल में ही मिट जाती चाहें कितनी हों अच्छाइयां चाहूं मैं तुम […] Read more » Hindi Poem poem poetry
कविता आधे-अधूरे हम August 18, 2019 / August 18, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment एक वे हैं जो केवल , अधिकारों की हमेशा करते हैं मांग। अधिकारों के शोर में, भूल जाते है कर्तव्यों को । एक वे हैं, जिनका कर्तव्य पर ही , सदैव रहता ध्यान। अधिकार तो मिल ही जाएंगे, यदि हम, मनसा-वाचा-कर्मणा, अपने कर्तव्य को निभाएंगे। किसी के लेने -देने से, कुछ नहीं मिलता कभी। अगर […] Read more » hindi poem
कविता व्यर्थ ही चिन्ता किए क्यों जाते ! August 17, 2019 / August 17, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८११ अकासा) व्यर्थ ही चिन्ता किए क्यों जाते, छोड़ क्यों उनके लिए ना देते; करने कुछ उनको क्यों नहीं देते, समर्पण करके क्यों न ख़ुश होते ! कहाँ हर प्राण सहज गति है रहा, जटिलता भरा विश्व विचरा किया; ज़रूरी उनसे योग उसका है, समर्पित उसको उन्हें करना है ! कार्य जो कर सको उसे कर लो, शेष सब उनके हवाले कर दो; उचित विधि उसको लिए जावेंगे, क्षीण संस्कार करा भेजेंगे ! किए रचना जगत में धाया करो, सोच ना विचित्रों को लाया करो; चित्र जो बन रहे बना लो तुम, इत्र उनको भी कुछ छिड़कने दो ! पाएँगे कर वे कुछ ज्यों छोड़ोगे, किसी रस और में वे बोरेंगे; ‘मधु’ कुछ छोड़ भी जगत देते, प्रभु औ प्रकृति द्युति लखे चलते ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » in vain why worry
कविता दोषी ना प्राणी कोई जग होता ! August 17, 2019 / August 17, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १९०८१० सकारा) दोषी ना प्राणी कोई जग होता, सृष्टि परवश है वह पला होता; कहाँ वश उसके सब रहा होता, लिया गुण- धर्म परिस्थिति होता ! बोध कब बालपन रहा होता, खिलाता जो कोई है खा लेता; बताता जैसा कोई वह करता, धर्म जो सिखाता वो अपनाता ! विवेक अपना पनप जब जाता, समझ कुछ तत्व विश्व में पाता; ज्ञान सापेक्ष जितना हो पाता, बदल वह स्वयं को है कुछ लेता ! कहाँ सम्भव है बदलना फुरना, कहाँ आसान है प्रकृति पुनि रचना; कहाँ जीवन की राह सब मिलता, कहाँ जाती है ग्लानि सकुचाना ! साधना समर्पण है जब होता, मुक्ति रस पान प्रचुर जब होता; ‘मधु’ को प्रभु का भान तब होता, फिर कहाँ भेद दृष्टि रह पाता ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » creatures in the world no guilty
लेख काजी नजरुल इस्लाम August 17, 2019 / August 17, 2019 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गङ्गानन्द झा काजी नजरुल इस्लाम मूलतः विद्रोही कवि के रुप में परिचित हैं. लेकिन उनके श्यामासंगीत और इस्लामी भक्ति मूलक कलाम भी उत्कृष्ट कोटि के हैं। उनकी नतिनी के द्वारा डॉ पूरबी मण्डलPurabi Mondal) से शेयर किया गया एक संस्मरण—- उत्तर कलकत्ता के किसी कुलीन परिवार से एक बार काजी नजरुल को – रा दोल […] Read more » kaji najrul islam
लेख दुनिया को चाहिए मानवता का प्रकाश August 17, 2019 / August 17, 2019 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- विश्व मानवीय दिवस प्रत्येक वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है। इस दिवस पर उन लोगों को याद किया जाता है, जिन्होंने मानवीय उद्देश्यों के कारण दूसरों की सहायता के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। इस दिवस को विश्वभर में मानवीय कार्यों एवं मूल्यों को प्रोत्साहन दिए जाने के अवसर के रूप […] Read more » humanism World
कविता खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी खा रहे हो नमक,ऐसे मत दगा दीजिये | मुल्क का फर्ज कुछ तो अदा कीजिये || खाते हो किसी का,गुण गाते किसी का | ऐसे तो इस मुल्क को न दगा दीजिये || महफूज हो यहाँ पर,फिर भी डरने लगे | फितरत दिमाग की,जरा कम कर लीजिये || खा कर भी गुर्रा […] Read more » salt
कविता दहेज दानव August 16, 2019 / August 16, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनोद सिल्ला ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है, क्यों नवविवाहितों को स्टोव जला गया।। बिकने को तैयार लङके हर तरह से, मांगें मोटर कार अङके हर तरह से, हर नौजवान अपना मोल लिखा […] Read more » dowry dowry monster poem poetry
गजल हिंदी गजल -रक्षाबधन पर August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment रिश्ते है कई दुनिया में,बहन का रिश्ता खास हैबाँधती है जो धागा बहन,वह धागा कोई खास है लगाये रखती है बहन टकटकी,रक्षाबंधन के पर्व परआयेगा उसका भाई जरुर,उसका यह एक विश्वास है सजाती है बहन जब थाली,राखी रोली और मिठाई सेलगाती है जब प्यार से टीका,वह प्यार भी खास है खा लेती है रूखा-सूखा,भले ही […] Read more » hindi gazal on rakshabandhan
कविता लाल किले से मोदी जी का सन्देश August 16, 2019 / August 16, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी लाल किले की प्राचीर से,मोदी जी ने दिया ये सन्देश |एक ध्वज हो,एक कानून हो,सबका समान हो ये देश || मिले सबको समान अधिकार,किसी के साथ न हो द्वेष |तभी भारत फल फूलेगा,आगे बढ़ता रहेगा ये हमारा देश || बढ़ रहा है जनसँख्या का बोझ,कैसे उठा पायेगा ये देश |सीमित साधन,असीमित आवश्यकता […] Read more » lal kila Modi
लेख देश की आजादी और आर्यसमाज August 16, 2019 / August 16, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। सृष्टि के आदि काल से महाभारत काल तक भारत का सारी दुनिया पर चक्रवर्ती राज्य रहा है। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी प्रायः पूरे विश्व के राजा आये थे और उन्होंने युधिष्ठिर को अपना नेता व चक्रवर्ती राजा स्वीकार किया था और उनको अपने अपने देश की मूल्यवान वस्तुयें भेंट […] Read more » Aryasamaj Country independence
कविता मर्द August 16, 2019 / August 17, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment मर्द हो मर्द बनो । कुछ खा लो , कुछ पी लो , दो चार कश भी लगा लो, अरे क्या बिगड़ता है, थोड़े में , यार ! चख कर तो देखो। अरे !तुम तो अभी बच्चे हो? मां बाप की आज्ञाएं, ही ढोते रहते हो । तुम्हारा जीवन अपना है। अपने निर्णय खुद लो […] Read more » be a man Man