व्यंग्य जिया जले, जाँ जले ! April 13, 2018 by देवेंद्रराज सुथार | Leave a Comment देवेंद्रराज सुथार अब तो न दिन को चैन आता है और न ही रात को नींद आती है। इस आलम में कुछ नहीं भाता है और न ही कोई ख्याल आता है। जिया जलता है। जाँ जलती है। नैनों तले धुआँ चलता है। रुक जाइए ! यदि आप मुझे प्रेमी समझने की भूल कर रहे […] Read more » Featured आमीर इंसान ऐसी गरीब गर्मी जानवर ठंड सर्दी
व्यंग्य मार्किट ददाति मोटिवेशन April 4, 2018 by अमित शर्मा | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) इस मीन (स्वार्थी) दुनिया में विटामिन की बहुत कमी पाई जाती है जिसके कारण बहुत सी बीमारियां बिना किसी क्लिक और एंटर के स्वतः ही डाऊनलोड हो जाती है। विटामिन सी औऱ विटामिन डी के अलावा विटामिन एम अर्थात मोटिवेशन की कमी भी पिछले काफ़ी समय से सामाजिकता के रैंप पर कैटवॉक […] Read more » Featured बाजार मोटिवेशन मोटिवेशनल स्पीकर्स रिश्ते
व्यंग्य बेइज़्ज़ती सर्वत्र अर्जयेत March 28, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) पहले मैं इस भ्रम में जीता था कि हर इंसान अपना जीवन सम्मानित तरीके से व्यतीत करना चाहता हैं लेकिन कालांतर में मेरी इस सोच में अंतर तब आया जब मुझे स्वनेत्रो से बेइज़्ज़ती के साथ जीने-मरने की कसमें खाने वाली विभूतियों का दर्शन लाभ मिला। भारत की खोज, बड़े ही मौज […] Read more » बेइज़्ज़ती बेइज़्ज़ती सर्वत्र अर्जयेत
व्यंग्य माफी के मजे… !! March 27, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा क्या पता महाभारत काल में धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा… जैसा संबोधन कहने के बाद उत्पन्न कटुता को दूर करने के लिए द्रौपदी के पास सॉरी कहने का कोई विकल्प था या नहीं या भीषण युद्ध छिड़ने के बाद रावण के पास आइ एम… एक्सट्रीमली सॉरी…. कहने का कोई […] Read more » Featured माफी
व्यंग्य साहित्य माफी एप March 22, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment मैंने बहुत मना किया, पर शर्मा जी चुनाव लड़ ही गये। अब चुनाव में तो कई तरह की झूठी-सच्ची बातें कहनी पड़ती हैं। शर्मा जी भी सुबह से शाम तक मंुह फाड़कर मन की भड़ास और दिमागी गंदगी बाहर निकालते रहे। उनकी एक पहचान तो गंदे मफलर से थी, दूसरी इन बेसिर पैर की बातों […] Read more » app for forgiveness Featured
व्यंग्य साहित्य राजनीति का भूत March 21, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी की इच्छा थी कि मोहल्ले में उनका कद कुछ बढ़े। उनके भाव भी थोड़े ऊंचे हों। असल में नगर पंचायत के चुनाव पास आ रहे थे। उनका मन था कि इस बार वे भी किस्मत आजमाएं। यद्यपि इससे पहले उनका कोई राजनीतिक कैरियर नहीं था। 40 साल सरकारी दफ्तर में पैर पीटने के […] Read more » Featured राजनीति का भूत
व्यंग्य साहित्य आम आदमी का आधार… खास का पासपोर्ट …!! March 13, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा अपने देश व समाज की कई विशेषताएं हैं। जिनमें एक है कि देश के किसी हिस्से में कोई घटना होने पर उसकी अनुगूंज लगातार कई दिनों तक दूर – दूर तक सुनाई देती रहती है। मसलन हाल में चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद त्रिपुरा में प्रतिमा तोड़ने की घटना की प्रतिक्रिया […] Read more » Featured आधार आम आदमी खास का पासपोर्ट
व्यंग्य साहित्य बैंकों का घुमावदार सीढ़ियां … !! March 8, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा तब तक शायद बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं हुआ था। बचपन के बैक बाल मन में भारी कौतूहल और जिज्ञासा का केंद्र होते थे। अपने क्षेत्र में बैंक का बोर्ड देख मैं सोच में पड़ जाता था कि आखिर यह है क्या बला। बैंकों की सारी प्रक्रिया मुझे अबूझ और रहस्यमय लगती। समझ […] Read more » Curved stairs of banks ... !! Featured घुमावदार सीढ़ियां बैंक बैंकों का घुमावदार सीढ़ियां
व्यंग्य साहित्य दिदी की मासिक धर्मनिरपेक्षता के पुनर्पाठ का स्कूली प्रसंग March 7, 2018 by मनोज ज्वाला | 2 Comments on दिदी की मासिक धर्मनिरपेक्षता के पुनर्पाठ का स्कूली प्रसंग रामकृष्ण परमहंस की तपोभूमि और विवेकानन्द की ज्ञानभूमि पश्चिम बंगाल में वहां के शासन की धर्मनिरपेक्षता इन दिनों फिर उफान पर है । सियासत की तिजारत में वामपंथियों को परास्त कर चुकी ममता दिदी अपनी धर्मनिरपेक्षता का एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में लगी हुई हैं । इस बावत हिंसक जेहाद का प्रशिक्षण देने के […] Read more » Featured Mamta Banerjee secularism of Didi दिदी
व्यंग्य साहित्य होली और बुरा ना मानो महोत्सव March 1, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment होली, भारत का प्रमुख त्यौहार है, क्योंकि इस दिन पूरे भारत मे बैंक होली-डे रहता है अर्थात अवकाश रहता है जिसकी वजह से बैंक में घोटाले होने की संभावना नही रहती है, मतलब होली के दिन केवल आप रंग लगा सकते है, चूना लगाना मुश्किल होता है। इसी कारण से होली देश की समरसता के […] Read more » बुरा ना मानो महोत्सव होली
व्यंग्य साहित्य लानत की होम डिलीवरी February 20, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment बत्रा जी , भौगोलिक और गणितीय दृष्टि से हमारे पड़ौसी है। उनसे हमारे संबंध उतने ही अच्छे है जितने भारत के संबंध पाकिस्तान से है। पाकिस्तान की तरह, बत्रा जी भी आए दिन सीज़फायर का उल्लंघन करते रहते है जिसका ज़वाब समय-असमय पर सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में उन्हें मिलता रहता है। पूरे मौहल्ले में […] Read more » Featured लानत लानत की होम डिलीवरी होम डिलीवरी
व्यंग्य साहित्य साथी हाथ छुड़ाना रे। February 10, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) हर कार्यालय की लय,वहाँ कार्य से फ़र्ज़ी एनकाउंटर करने वाले कर्मचारियों की कुशलता में लीन रहकर अंततोगत्वा अपने प्रारब्ध में ही विलीन हो जाती है। कार्यालय में कार्य करने वाले आपके सहकर्मी, कार्यस्थल को घटनास्थल बनाने के लिए दिल और जान को उचित मात्रा में मिलाकर मास्टरशेफ के रूप में अपनी महत्वपूर्ण […] Read more » साथी