व्यंग्य मोबाइल न छूटे… February 3, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment आजकल तो देश के कई भागों में पानी की किल्लत होने लगी है; पर सौ साल पहले चेरापूंजी सबसे अधिक और राजस्थान सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र था। इसीलिए राजस्थान में पानी पर सैकड़ों लोकगीत, कहानियां और कहावतें बनी हैं। उन दिनों पानी भरने तथा कपड़े धोने का काम महिलाएं ही करती थीं। इस बहाने […] Read more » Featured मोबाइल
व्यंग्य साहित्य चंद्र धरा दिनकर का लुकाछिपी महोत्सव January 31, 2018 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गाँधी आज विश्व के अर्वाचीन अलौकिक प्रेमियों का क्षितिज में लुकाछिपी महोत्सव है …….. अनंतकाल से धरा अपने प्रेमी दिनकर की परिक्रमा में नृत्य निमंगम ….. दिन रात अपने प्रियतम की ग्रीषम किरणों से ऊर्जा प्राप्त कर उसे नुहारती और निहारती है ….दिनकर भी अपनी इस अलौकिक प्रेमिका को अपनी किरणों के बाहुपाश में जकड कर […] Read more » lunar eclipse चंद्र दिनकर धरा लुकाछिपी महोत्सव
व्यंग्य साहित्य ग्रीन शासन, क्लीन प्रशासन January 30, 2018 by अशोक गौतम | Leave a Comment अबके दीवाली को जब कसौली के साथ लगते गांव का गंगा कुम्हार अपने गोरू गधे की पीठ पर दीवाली के दीए लाद कालका के बाजार में बेचने गया था तो दीए आढ़ती को बेचने के बाद खुद कालका का बाजार घूमने, घर का जरूरी सामान लेने गधे ये यह कह बाजार हो लिया कि वह […] Read more » Featured क्लीन प्रशासन ग्रीन शासन
व्यंग्य साहित्य थानेदार मुर्गा January 29, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment इस शीर्षक को पढ़कर मुर्गा नाराज होगा या थानेदार, ये कहना कठिन है; पर कुछ घटनाएं पढ़ और सुनकर लग रहा है कि भविष्य में ऐसे दृश्य भी दिखायी दे सकते हैं। असल में पिछले दिनों म.प्र. के बैतूल नगर में एक अजीब घटना हुई। वहां दो लोग मुर्गे लड़ा रहे थे। भीड़ देखकर पुलिस […] Read more » Featured मुर्गा
व्यंग्य वाकई ! कुछ सवालों के जवाब नहीं होते … !! January 28, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा वाकई इस दुनिया में पग – पग पर कंफ्यूजन है। कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब तो मिलते नहीं अलबत्ता वे मानवीय कौतूहल को और बढ़ाते रहते हैं।हैरानी होती है जब चुनावी सभाओं में राजनेता हर उस स्थान से अपनापन जाहिर करते हैं जहां चुनाव हो रहा होता है। चुनावी मौसम […] Read more » Featured
व्यंग्य अभी थोड़ा बिजी हूँ! January 26, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) मैं अक्सर व्यस्त रहता हूँ। यह मेरी आसाधारण प्रतिभा ही है कि व्यस्त रहते हुए भी मैं फेसबुक, वाट्सएप और कई लोगो के दिल में बिना किराए और रेंट एग्रीमेंट के रह लेता हूँ। व्यस्तता के प्रकोप से पीड़ित होने के बावजूद भी, मैं एक अच्छे सेवक की तरह भोजन और नींद […] Read more » busy Featured व्यस्त
व्यंग्य साहित्य राजनीति के ये ब्वायज क्लब …!! January 9, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा कहीं जन्म – कहीं मृत्यु की तर्ज पर देश के दक्षिण में जब एक बूढ़े अभिनेता की राजनैतिक महात्वाकांक्षा हिलोरे मार रही थी, उसी दौरान देश की राजधानी के एक राजनैतिक दल में राज्यसभा की सदस्यता को लेकर महाभारत ही छिड़ा हुआ था। विभिन्न तरह के आंदोलनों में ओजस्वी भाषण देने वाले […] Read more » Featured राजनीति
व्यंग्य भ्रष्टाचार, हमारा मूलभूत अधिकार January 7, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment बुजुर्गों का कहना है कि बेटे कब बड़े और बेटियां कब जवान हो जाती हैं, इसका पता ही नहीं लगता। यही हाल हमारे महान भारत देश का है। कब, किस दिशा में हम कितना आगे बढ़ जाएंगे, कहना कठिन है। भारत में आजादी के बाद से ही उच्च शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है। […] Read more » Corruption Featured Our Basic Rights
व्यंग्य एक पाती लालू भाई के नाम January 7, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment प्रिय लालू भाई, जय राम जी की। आगे राम जी की कृपा से हम इस कड़कड़ाती ठंढ में भी ठीकठाक हैं और उम्मीद करते हैं कि आप भी हज़ारीबाग के ओपेन जेल में राजी-खुशी होंगे। अब तो बिहार और झारखंड का सभी जेलवा आपको घरे जैसा लगता होगा। इस बार आपकी पूरी मंडली आपके साथ […] Read more » Featured fodder scam letter in the name of lalu yadav एक पाती लालू भाई के नाम
व्यंग्य साहित्य कांग्रेसी संस्कृति के नये अध्याय January 1, 2018 by विजय कुमार | Leave a Comment डा. रामधारी सिंह ‘दिनकर’भारत के एक महान साहित्यकार थे। उनकी एक कालजयी पुस्तक है ‘संस्कृति के चार अध्याय’। चार मोटे खंडों वाली इस पुस्तक को पढ़ना और फिर समझना एक बड़ा काम है। जिन्होंने इस पुस्तक से साक्षात्कार किया है, वही इसे जान सकते हैं। लेकिन पिछले दिनों हिमाचल प्रदेश में संस्कृति का एक नया […] Read more » Congress Congress culture culture New chapters of Congress कांग्रेसी संस्कृति
व्यंग्य साहित्य जूता जासूस December 29, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment किसी जमाने में एक शायर हुआ करते थे अकबर इलाहबादी। पेशे से तो वे न्यायाधीश थे; पर उनकी प्रसिद्धि उनकी चुटीली शायरी से अधिक हुई। उनका एक प्रसिद्ध शेर है – जूता बाटा ने बनाया, मैंने इक मजमूं लिखा मेरा मजमूं चल न पाया और जूता चल गया।। अब प्रश्न उठता है कि आज जूते […] Read more » Featured जूता जूता जासूस
व्यंग्य साहित्य स्वास्थ्य की माँगे खैर, करे सुबह की सैर December 23, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment पृथ्वी, बिना किसी बुलावे के या भुलावे के निरंतर सूर्य के चक्कर लगाती है। हालाँकि अभी तक यह सिद्ध नहीं हो पाया है कि निरंतर चक्कर लगाने के पीछे ,पृथ्वी की सूर्य के प्रति दीवानगी है या केवल स्वास्थ्य संबधी जागरूकता। वैज्ञानिक, अपने ज्ञान को ललकारते हुए बताते है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती […] Read more » करे सुबह की सैर स्वास्थ्य की माँगे खैर