Category: व्यंग्य

व्यंग्य साहित्‍य

हां, भगवान है   

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अब पटना में देखो। वहां विपक्ष से अधिक बखेड़ा सत्ता पक्ष में ही चल रहा है। पहलवान हर दिन लंगोट लहराते हैं; पर बांधते और लड़ते नहीं। लालू जी का निश्चय है कि उनके घर का हर सदस्य उनकी भ्रष्ट परम्परा को निभाएगा। उन्होंने चारा खाया था, तो बच्चे प्लॉट, मॉल और फार्म हाउस खा रहे हैं। आखिर स्मार्ट फोन और लैपटॉप वाली पीढ़ी अब भी घास और चारा ही खाएगी क्या ? उधर नीतीश कुमार अपने सुशासन मार्का कम्बल से दुखी हैं। पता नहीं उन्होंने कम्बल को पकड़ रखा है या कम्बल ने उन्हें। इस चक्कर में शासन भी ठप्प है और प्रशासन भी। फिर भी हर साल की तरह वहां बाढ़ आ रही है। इससे सिद्ध होता है कि भगवान का अस्तित्व जरूर हैं।

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व्यंग्य साहित्‍य

यह आंदोलन , वह आंदोलन  ….!!

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बेशक अपराधी के गांव वाले या परिजनों के लिए यह मामूली बात थी। क्योंकि उसका जेल आना – जाना लगा रहता था। अपराधी को जीप में बिठाने के दौरान परिजनों ने पुलिस वालों से कहा भी कि ले तो जा रहे हैं ... लेकिन ऐसी व्यवस्था कीजिएगा कि बंदे को आसानी से जमानत मिल जाए। पुलिस ने केस फारवर्ड किया तो अदालत ने उसकी जमानत याचिका नामंजूर करते हुए आरोपी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बस फिर क्या था। आरोपी के गांव में कोहराम मच गया। लोगों ने पास स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग पर पथावरोध कर ट्रैफिक जाम कर दिया। सूचना पर पुलिस पहुंची तो उन्हें दौड़ा – दौड़ा कर पीटा।

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