व्यंग्य साहित्य कवि और कल्पना June 18, 2013 by बीनू भटनागर | 2 Comments on कवि और कल्पना आजकल हर निर्माता अपनी सफल फिल्म के सीक्वल बनाने में लगा हुआ है। टी.वी. पर आने वाले रियलिटी शोज़ के तो हर साल नये सीज़न आते ही हैं। अब कुछ धारावाहिक भी नये सीज़न लेकर आ रहे हैं, तो मैंने सोचा कि इस प्रथा को लेखन में भी उतारा जाये, जो बात पहले कहने से […] Read more » कवि और कल्पना
व्यंग्य साहित्य देख लिया न दादू! June 15, 2013 / July 7, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment दादू! देख लिया न अपनी जिद का नतीजा ! अपनी तो फजीहत करवाई ही, हमारी भी बची खुची नाक कटवा कर रख दी। लुटिया डुबोते तो सुना था पर आपने तो लोटा ही डुबो दिया! अब देखो न, हमारे जैसे – कैसे परिवार का गांव में क्या मैसेज गया ! खैर, इज्जत तो हमारी पहले […] Read more » देख लिया न दादू!
व्यंग्य साहित्य भैंस की पूंछ -विजय कुमार June 11, 2013 / June 11, 2013 by विजय कुमार | 1 Comment on भैंस की पूंछ -विजय कुमार पिछले दिनों शर्मा जी के गांव में पूजा का आयोजन था। उनकी इच्छा थी कि मैं भी चलूं। यहां भी कुछ खास काम नहीं था, इसलिए उनके साथ चला गया। पूजा के बाद एक-दो दिन रुककर ग्राम्य जीवन का आनंद लिया। तीसरे दिन जब चलने लगा, तो सामने वाले घर में कुछ शोर-शराबा होता देखा। […] Read more »
व्यंग्य शहर में लगे ‘कर्फ्यू’ की वजह…? June 6, 2013 / June 6, 2013 by डॉ. भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी | 1 Comment on शहर में लगे ‘कर्फ्यू’ की वजह…? शहर में ‘कर्फ्यू’ लग ही गया। ‘कर्फ्यू’ की अवधि में शहरवासियों का साँस लेना दूभर हो गया था। बूटो की खट खटाहट से शहर के वासिन्दे सहमे-सहमें मनहूस ‘कर्फ्यू’ से छुटकारा पाने की सोच रहे थे। शहर के ‘कर्फ्यू ग्रस्त’ इलाके में हर जाति/धर्म के लोग रहते हैं, सभी के लिए ‘कर्फ्यू’ कष्टकारी रहा, लेकिन […] Read more » शहर में लगे ‘कर्फ्यू’ की वजह...?
व्यंग्य साहित्य थानेदार ढिल-ढिल पाण्डेय का अपना स्टाइल June 5, 2013 / June 6, 2013 by डॉ. भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी | Leave a Comment पुरानी बात है जिले के एक थाना क्षेत्र में चोरियों की बाढ़ आ गई थी। जिससे आम आदमी की नींद हराम हो गई थी। जिले के आला अफसरों से लेकर पुलिस महकमें के सूबे स्तरीय अधिकारी इसको लेकर काफी चिन्तित थे। यह उस समय की बात है जब सूबे के पुलिस महकमें का मुखिया आई.जी. […] Read more » थानेदार ढिल-ढिल पाण्डेय का अपना स्टाइल
व्यंग्य साहित्य सांप और सीढ़ी June 5, 2013 by विजय कुमार | Leave a Comment परसों शर्मा जी के घर गया था। वहां उनसे गपशप का सुख तो मिलता ही है, कभी-कभी शर्मा मैडम के हाथ की गरम चाय भी मिल जाती है; लेकिन परसों शर्मा मैडम घर में नहीं थीं, इसलिए चाय की इच्छा अधूरी रह गयी। तभी शर्मा जी ने बताया कि उनके पड़ोस में एक नये किरायेदार […] Read more » सांप और सीढ़ी
व्यंग्य आज मैं ऊपर, आसमां नीचे…… June 1, 2013 / June 1, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment आजकल अपने मुहल्ले में हर दूसरा जीव प्रदर्शनकारी हो गया है। लगता है मुहल्ले वालों ने जैसे सारे काम छोड़ प्रदर्शन करने का ठेका ले रखा हो। मेरे मुहल्ले का जीव देश के तमाम जीवों की तरह ऊपर से और किसी काम में पारंगत होकर आया हो या न, पर प्रदर्शन करने की कला और […] Read more » आज मैं ऊपर आसमां नीचे......
राजनीति व्यंग्य मनमोहन और “बोधि धर्म” June 1, 2013 / June 1, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment बात उस समय की है जब चीन में राजा वू का शासन था। एक दिन बौद्घ भिक्षु बोधिधर्म राजधानी में पधारे। राजा वू ने भिक्षु का श्रद्घा भाव से सत्कार किया। वह बौद्घ भिक्षु के पास गया और बोला-’स्वामी मैंने बुद्घ के अनेक मंदिर बनवाए, धर्मप्रचार पर अपार धन खर्च किया, अनेक धर्मशास्त्र बंटवाए, अब […] Read more » कम्यूनिस्ट पार्टी चीनी नेता माओ चीनी राजा डा.मनमोहन सिंह नक्सलवाद बोधिधर्म भारतीय नक्सलवाद भारतीय प्रधानमंत्री राजा 'वू'
व्यंग्य व्यंग्य बाण : डंडा सैल May 28, 2013 / May 28, 2013 by विजय कुमार | Leave a Comment परसों शर्मा जी बहुत दिन बाद मिलने आये, तो उनकी सूजी हुई आंखों से दुख टपक रहा था। चेहरे से ऐसा लग रहा था मानो सगे पिताजी चल बसे हों। इतना परेशान तो मैंने उन्हें पिछले 25 साल में कभी नहीं देखा था। फिर आज… ? – क्या हुआ शर्मा जी, कुछ तो बताओ। बड़ों […] Read more » डंडा सैल व्यंग्य बाण : डंडा सैल
विविधा व्यंग्य व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा May 27, 2013 / May 27, 2013 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा बात अधिक पुरानी नहीं है। शर्मा जी के मोहल्ले में एक जैसी सूरत और कद-काठी की दो जुड़वां बहनें रहती थीं। एक का नाम था शर्म और दूसरी का बेशर्म। ऐसा नाम उनके माता-पिता ने क्यों रखा, ये आप उनसे ही पूछिये। जुड़वां होने से उन्हें कई लाभ थे। दोनों बदल-बदल कर एक दूसरे के […] Read more » व्यंग्य बाण : बेशर्म कथा
राजनीति व्यंग्य मनमोहन सिंह की अंतरिम उपलब्धि May 24, 2013 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment सिद्धार्थ मिश्र”स्वतंत्र” समाचार पत्रों में प्रकाशित हालिया दो बड़ी खबरों ने हम सभी का ध्यान आकर्षित किया है । प्रथम मनमोहन सिंह जी की राज्यसभा चुनावों के लिए नामांकन की तथा दूसरी भारतीय इतिहास की सबसे भ्रष्ट और बेशर्म सरकार द्वारा शासन के नौ वर्ष पूरे करने की । इन दोनों खबरों में निहित सार […] Read more » मनमोहन सिंह की अंतरिम उपलब्धि
व्यंग्य वफादारों की श्वान -वृति May 21, 2013 / May 21, 2013 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गाँधी नितीश मियां के दो ‘ वफादारों ‘को लालू मियां ने अल्शेशन क्या कहा के दोनों बुरा मान गए और लालू पर ठोक दिया इज्ज़त हतक का दावा …देसी बफदारों को विदेशी अल्शेशन कहा …बहुत बदतमीज़ी है .. धर्मनिरपेक्ष बोले तो सेकुलरिज्म की ठोस प्रतीक छिद्र्नुमा अरबी टोपी पहन कर लालू ने गाँधी […] Read more » वफादारों की श्वान -वृति