व्यंग्य व्यंग्य : शामिल बाजा March 2, 2012 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य : शामिल बाजा विजय कुमार आपका विवाह हो चुका है, तो अच्छी बात है। नहीं हुआ, तो और भी अच्छी बात है; पर आप दस-बीस शादियों में गये जरूर होंगे। नाच-गाने के बिना शादी और बैंड-बाजे के बिना नाच-गाना अधूरा रहता है। बैंड में कई तरह के वाद्य होते हैं, जो समय-समय पर अपने हिस्से का काम करते […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य:होली कंट्री और होलीवाटर March 1, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव वो कितने नासमझ हैं जो कहते हैं कि होली आ रही है। मैं उनसे पूछता हूं कि भैया मेरे होली गई कहां थी जो आ रही है। कौन समझाए इन्हें कि होली तो हमारे प्राणों में है और होली में ही हमारे प्राण हैं। हम सब इस महान होली कंट्री के मासूम […] Read more » satire on Holi होली कंट्री होलीवाटर
महत्वपूर्ण लेख व्यंग्य व्यंग्य/ क्या मैं तुम्हें सोनिया गांधी लगता हूं? February 28, 2012 / April 13, 2012 by अम्बा चरण वशिष्ठ | 1 Comment on व्यंग्य/ क्या मैं तुम्हें सोनिया गांधी लगता हूं? अम्बा चरण वशिष्ठ कल मेरी एक पत्रकार से भेंट हो गयी। मुझे कहने लगा कि मैं तुम्हारा साक्षात्कार लेना चाहता हूँ। मैंने कहा, तुझे कोई और नहीं मिला? मैं कौन सा इतना बड़ा नेता हूँ कि तू मेरा साक्षात्कार लेगा? पर वो न माना। कहने लगा देखो, बड़े-बड़े लोग मेरे पीछे पड़े रहते हैं कि […] Read more » सोनिया गांधी
व्यंग्य हमारे उंगल पर आपका अंगूठा February 28, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on हमारे उंगल पर आपका अंगूठा उंगलबाज.काम मुझे नहीं पता, आपने उंगलबाज का नाम पहले कभी सुना है या नहीं सुना। यह भारतीय मीडिया उद्योग का सबसे अविश्वनीय नाम है। इंडिया टीवी से भी अधिक अविश्वनीय। पंजाब केसरी से भी अधिक अविश्वनीय। डर्टी पिक्चर की सिल्क की तरह, जिसका नाम बदनाम होकर हुआ। हमारी विश्वसनीयता इतनी संदिग्ध है कि हमने दुनिया […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य-जनता बदलाव चाहती है February 13, 2012 / February 13, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव अब अपने भारत के दिन फिर बहुरेंगे। पहले सुनहरे कल में बेचारा घुसते-घुसते रह गया था। फिर शाइनिंग इंडिया होते-होते भी बाल-बाल बच गया। मगर अबकी बार कोई चूक नहीं हो सकती है। क्योंकि मंहगाई और घोटालों के साथ-साथ मतदान का ग्राफ भी लप-लपाता हुआ आगे बढ़ा है। मतदाताओं के सर मुंडाते […] Read more » satire by pandit Suresh Neerav जनता बदलाव चाहती है
व्यंग्य साहित्य हास्य-व्यंग्य – ऋतुओं का सुपर स्टारःवसंत February 10, 2012 / February 10, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव कलैंडर के हेलीकॉप्टर से उतरकर ऋतुओं का सुपर स्टार ऋतुराज वसंत धरती पर उतर आय़ा है। शोखियों की क्रीम और रोमांस के पाउडर से लिपी-पुतीं सजी-संवरीं कलियां वसंत को देख-देखकर- वाओ..हाऊ क्यूट-जैसे जुमलों को मादक सिसकियों में ढालकर बिंदास वसंत को रिझाने में लग गई हैं। एअरपोर्ट पर नेता के स्वागत में आए चमचों की तरह […] Read more » basant ऋतुओं का सुपर स्टार वसंत
व्यंग्य टीम अन्ना का संगठन शास्त्र February 7, 2012 / February 9, 2012 by विजय कुमार | 8 Comments on टीम अन्ना का संगठन शास्त्र विजय कुमार अन्ना इन दिनों बीमार हैं। यद्यपि उनका उत्साह कम नहीं हुआ; पर क्या करें, शरीर साथ नहीं दे रहा। उनके साथियों को भी समझ नहीं आ रहा कि इस सरदी के मौसम में अब आगे क्या रास्ता पकड़ें कि आंदोलन में फिर से गरमी आ सके। अन्ना अपने गांव रालेगढ़ सिद्धि के शांत […] Read more » Team Anna अन्ना हजारे
व्यंग्य साहित्य व्यंग्य ; हे अतिथि, कब आओगे?? February 1, 2012 / February 1, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम हे परमादरणीय अतिथि! अब तो आ जाओ न! माना सर्दियों में घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है, पर अब तो वसंत गया। विपक्ष ने चुनाव आयोग से कह जिन हाथियों को ढकवा दिया था वे भी वसंत के आने पर कामदेव के बाणों से आहत होकर चिंघाड़ने लग गए हैं। सच कहूं […] Read more » guest vyangya कब आओगे व्यंग्य हे अतिथि
व्यंग्य बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी? January 30, 2012 / January 30, 2012 by एल. आर गान्धी | 1 Comment on बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी? एल. आर गाँधी भारत में प्रत्येक ‘बकरे’ को पांच साल बाद ‘अपना कसाई ‘ बदलने का अधिकार है. पांच राज्यों के बकरे अपने ‘कसाईयों ‘ की कारगुजारी को तौल रहे हैं … कौन झटक देगा या हलाल करेगा ? सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के ‘ बकरों’ को बहिन जी से गिला है की पिछले […] Read more » Common People Mulayam Singh Political parties sp voters बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी
व्यंग्य गणेश जी गाँधीवादी हैं ……………… January 30, 2012 / January 30, 2012 by अनुराग अनंत | 2 Comments on गणेश जी गाँधीवादी हैं ……………… चुनावी कम्प्यूटर में चुनाव आयोग का कड़ाई वायरस क्या आया सारा आपरेटिंग सिस्टम ही करप्ट हो गया कोई विंडो खुली नज़र नहीं आ रही की जिससे अन्दर बाहर किया जा सके | बेचारी चुनावी इंजीनियरिंग की वाट ! लगी पड़ी है | शराब,गांजा,भांग,रूपए,पैसे,का सॉफ्टवेयर,और लाठी-डंडे-बन्दूकी बाहुबल का हार्डवेयर ठीक वैसे ही बेकार पड़ा है […] Read more » Ganesh ji is gandhian गणेश जी गाँधीवादी हैं
खेल जगत व्यंग्य साहित्य व्यंग्य ; क्रिकेट के नायक और खलनायक – राजकुमार साहू January 30, 2012 / January 29, 2012 by राजकुमार साहू | Leave a Comment इतना तो है, जब हम अच्छा करते हैं तो नायक होते हैं। नायक का पात्र ही लोगों को रिझाने वाला होता है। जब नायक के दिन फिरे रहते हैं तो उन पर ऊंगली नहीं उठती और जो लोग ऊंगली उठाते हैं, उनकी ऊंगली, उनके चाहने वाले तोड़ देते हैं। नायक की दास्तान अभी की नहीं […] Read more » Cricket vyangya क्रिकेट के नायक और खलनायक व्यंग्य
कविता व्यंग्य साहित्य व्यंग्य कविता ; काम वालियां – प्रभुदयाल श्रीवास्तव January 30, 2012 / January 29, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment काम वालियां नहीं कामपर बर्तन वाली दो दिन से आई इसी बात पर पति देव पर पत्नि चिल्लाई काम वालियां कभी समय पर अब न आ पातीं न ही ना आने का कारण खुलकर बतलातीं बिना बाइयों के घर तो कूड़ाघर हो जाता बड़ी देर से कठिनाई से सूर्य निकल पाता छोटी बच्ची गिरी फिसल […] Read more » poem vyangya काम वालियां व्यंग्य कविता