कविता व्यंग्य टीके का असर May 12, 2021 / May 13, 2021 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment एक सहेली ने फोन उठाया,अपनी दूसरी सहेली को फोन लगाया,बोली,”बहन तुमने टीका लगवाया,अगर लगवाया तो क्या असर पाया”। दूसरी सहेली तपाक से बोली,“मैंने अपने ही नहीं,अपने पति को भी टीका लगवाया,जिसका बहुत भयंकर असर पाया”। पहले तो उनसे लडने मे मेरापांच मिनिट मे सांस फूल जाता था,और उनका भी सांस फूल जाता थाअब तो पांच […] Read more » टीके का असर
व्यंग्य सर्वत्र व्याप्तम ‘कोरोना’ द्वितीयोनास्ति May 10, 2021 / May 10, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment हे ! कोरोना देव आपको नमस्कार है। क्योंकि आप चमत्कार हैं। आपका विस्तार अनंत आकाश से लेकर भूगर्भ लोक तक है। पूरी दुनिया आपके सामने नतमस्तक है और भय से कांप रही है। आपने युगों- युगों में श्रेष्ठ अकासुर- बकासुर, नरकासुर, महिषासुर जैसे दिव्य असुर शक्तियों को भी मात दे दिया है। इन सबका वध […] Read more » corona सर्वत्र व्याप्तम कोरोना
व्यंग्य सैंया भये कोतवाल May 4, 2021 / May 4, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “हर आम -ओ- खास को इत्तला दी जाती है कि फेसबुक और व्हाट्सएप्प ग्रुप की महारानी हवाखोरी के लिये नैनीताल गयी हैं ,उनकी रियाया जो कि इल्म की भूखी है उसकी जेहनी खुराक के लिए जनाब कालीन कर्मा और मोहतरमा ओमनी शर्मा को वजीर घोषित किया जाता है ,मोहतरमा ओमनी शर्मा खरीद -बिक्री का हिसाब […] Read more » सैंया भये कोतवाल
व्यंग्य फेला होबे’ की नहीं चली गुगली, ‘खेला होबे’ डबल सैंचुरी पार… May 3, 2021 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार ‘नवीन’ भाजपा के लिए बंगाल फतेह स्वप्न ही रहा। वो ‘फैला होबे, फैला होबे’ कहते रह गए, उधर दीदी ‘खेला होबे’ बोलती-बोलती हैट्रिक बना गई। हालांकि नन्दीग्राम से दीदी की हार जरूर जख्म पर मरहम है पर मलहम जरा तीखा है। जो दर्द कम करने की जगह बढ़ाएगा ही। बंगाल चुनाव में इस […] Read more » bengal election 2021 खेला होबे फेला होबे
व्यंग्य देश के हाल देखकर लगता है कि वैक्सीन नहीं राजनेताओं व चुनावी रैलियों से थर-थर डरता है कोरोना! April 21, 2021 / April 21, 2021 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागीलोगों के अनमोल जीवन को लीलने वाली कोरोना नामक घातक महामारी से सम्पूर्ण विश्व बहुत ज्यादा परेशान है, दुनिया के हालात बेहद चिंताजनक हैं। हमारा प्यारा देश भारत भी वर्ष 2020 से ही इस गंभीर बिमारी के संकट से जूझ रहा है, देश में हजारों लोग इस गंभीर बिमारी के चलते असमय काल […] Read more » it seems that Corona is not afraid of the vaccine but politicians and election rallies! Looking at the condition of the country चुनावी रैलियों से थर-थर डरता है कोरोना
व्यंग्य “खेला होबे “ April 11, 2021 / April 11, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment पूर्वी भारत से हमारे राम जय बाबू पधारे । मैंने उनको रोसगुल्ला देकर कहा- “राम राम राम जय बाबू “।जय राम बाबू चिहुंक उठे ,पसीना -पसीना हो उठे और बोले -“शत्रु से मैं खुद निबटना जनता हूँमित्र से पर ,देव!तुम रक्षा करो ” कविवर दिनकर ने ये लाइनें तुम्हारे जैसे मित्र-शत्रु के लिये ही कहीं होंगी। सही बात […] Read more » khela hobe
व्यंग्य कुविता में कविता March 30, 2021 / March 30, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “जुड़ती है सड़क एक सड़क से बासी रोटी ने महका रखा है घर को मैं कौन,निश्चित मैं मौन हूँ टूटी हैं बेड़ियां ,लड़कर थकी नहीं,सड़क का कूड़ा , समय से लड़ती कूचीदिमाग का दही बनाती है कविता “ जी नहीं अंतिम लाइन कोई स्टेटमेंट नहीं है ,अलबत्ता कविता का ही हिस्सा है ।आजकल कुछ कविताएं […] Read more » कुविता में कविता
व्यंग्य “कबिरा खड़ा बाजार में “ March 14, 2021 / March 14, 2021 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment इधर अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हुई उधर सिद्धवाणी का उद्घघोष शुरू हो गया । वैसे सिद्धवाणी जो खुद को कबीरवाणी भी कहती रही है कि खासियत ये है कि इसकी तुलना आप क्रिकेटर -कम -नेता नवजोत सिंह सिद्धू के स्वागत भाषणों से भी कर सकते हैं जिसका कंटेंट वही रहता है तारीफ चालीसा का बस […] Read more »
राजनीति व्यंग्य रवीश कुमार को रामकिशोर की चिट्ठी March 1, 2021 / March 1, 2021 by डॉ.रामकिशोर उपाध्याय | Leave a Comment डिअर रवीश कुमार पांडे जी बेरोजगारों के पक्ष में प्रधान मंत्री जी को पत्र लिखने और समाप्त होती पत्रकारिता पर शोक व्यक्त करने के लिए आभार | जानकर प्रसन्नता हुई कि देश-विदेश के युवा बेरोजगार अपनी समस्याएँ लेकर आपके पास आते हैं | कन्हैया कुमार, उमर खालिद,सरजील इमाम से लेकर दिशा रवि तक सैकड़ों […] Read more » रवीश कुमार को रामकिशोर की चिट्ठी
व्यंग्य इजहार-ए-इश्क में लुटे-पीटे बांकेलाल February 12, 2021 / February 12, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment बसंत के मौसम में बांकेलाल के चेहरे की रौनक बौराई अमराई और गदराई सरसों की तरह दिख रहीं थी। आमतौर पर उनके चेहरे की रौनक बुझी सी दिखती थी। ‘वेलेंटाइन दिवस’ पर मसाज पार्लर से निकलते देख हमने उन्हें छेड़ ही दिया। क्या हाल हैं जनाब ! आजकल बदले-बदले से दिख रहे हैं। क्या इरादा […] Read more » Bankelal beaten in ezhar-e-ishq इजहार-ए-इश्क में लुटे-पीटे बांकेलाल
व्यंग्य हे भाय ! कम्बल है कि पद्मश्री सम्मान…? January 31, 2021 / January 31, 2021 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल भगवान ने ठंड और गरीबों की जोड़ी काफी शोध के बाद बनाई है। गरीबी को लेकर रोना आम है। लेकिन उनकी हस्ती है कि मिटती नहीं है। गरीबी मिटाने को अनगिनत लोग आए और नारे भी लाए। गरीबी तो नहीं मिटा पाए, समय […] Read more » कम्बल वितरण समारोह कम्बल है कि पद्मश्री सम्मान
राजनीति व्यंग्य चौथी कसम उर्फ दिल्ली पहुंचकर मारे गये गुलफाम January 28, 2021 / January 28, 2021 by नवेन्दु उन्मेष | Leave a Comment नवेन्दु उन्मेष तीसरी कसम फिल्म का हीरामन अपनी बैल गाड़ी हांकता हुआ किसान आंदोलन मेंशामिल होने के लिए दिल्ली पहुंच गया। उसके दिल्ली पहुंचते ही अन्यकिसानों ने उसका जमकर स्वागत किया। हीरामन से कहा कि अच्छा हुआ हीरामनतुम दिल्ली आ गये। यहां तो सिर्फ बिहार के किसानों की कमी खल रही थी। कुछदलों की ओर […] Read more » दिल्ली पहुंचकर मारे गये गुलफाम हीरामन अपनी बैल गाड़ी हांकता हुआ किसान आंदोलन में