वर्त-त्यौहार पुकरणा ब्राह्मण समाज की होली March 17, 2011 / December 14, 2011 by श्याम नारायण रंगा | Leave a Comment दुनियाभर में होली का त्यौंहार जहाँ उत्साह, उमंग व मस्ती के साथ मनाया जाता है वहीं पुकरणा ब्राह्मण समाज की चोवटिया जोशी जाति के लिए होली खुशी का नहीं वरन ाोक का त्यौंहार है। ये लोग होली का त्यौंहार हँसी खुशी न मनाकर ाोक के साथ मनाते हैं। इन दिनों में होलकाटक से लेकर धुलण्डी […] Read more » Holi
ज्योतिष शनि अमावस्या का दुर्लभ योग 24 दिसंबर,2011 को ; Shani Amavasyaa February 7, 2011 / February 7, 2012 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment –(57 वर्ष बाद अपने नक्षत्र में शनि मानेगी अमावस्या) शनि अमावस्या शुभ हो—- शनिश्चरी अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव सभी को अभय प्रदान करते हैं। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। सनातन संस्कृति में अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका मतलब सोने पर सुहागा से […] Read more » Shani Amavasyaa शनि अमावस्या
वर्त-त्यौहार बूढ़ी दीवाली December 2, 2010 / December 19, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment मार्गषीर्ष अमावस्या (5.12.2010) पर विशेष रोचक जानकारी पूरे विश्व में कार्तिक अमावस्या को दीवाली मनायी जाती है। कहते हैं कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता जी 14 साल के वनवास के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में प्रजा ने दीपमालिका सजाकर उनका स्वागत किया। न जाने कब से यह परम्परा चल रही […] Read more » Diwali बूढ़ी दीवाली
वर्त-त्यौहार जागरूकता का प्रकाश ही दिवाली! November 6, 2010 / December 20, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ हमारे पूर्वजों द्वारा लम्बे समय से दिवाली के अवसर पर रोशनी हेतु दीपक जलाये जाते रहे हैं। एक समय वह था, जब दीपावली के दिन अमावस की रात्रि के अन्धकार को चीरने के लिये लोगों के मन में इतनी श्रद्धा थी कि अपने हाथों तैयार किये गये शुद्ध घी के दीपक […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार ‘दिवाली तो दिवाला निकाल देगी’ November 6, 2010 by हिमांशु डबराल | 1 Comment on ‘दिवाली तो दिवाला निकाल देगी’ -हिमांशु डबराल ‘दीपावली’ अर्थात दिपों की पंक्ति, एक पावन त्यौहार जिसे दिपोत्सव नाम से भी जाना जाता है। इस मौके पर दीप जलाकर अंधेरे को दूर किया जाता हैं, खुशियां मनायी जाती हैं, तरह-तरह की मिठाईयां, पकवान, पटाखे और नये कपड़े खरीदे जाते हैं, घरों की सफाई की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली के […] Read more » दीपावली
वर्त-त्यौहार विश्व प्रसिद्ध त्योहार है दीपावली November 6, 2010 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment पंडित आनन्द अवस्थी दीपावली भारतवर्ष में ही नहीं कई देषों में अपना विशेष महत्व रखती है। कहा जाता है कि त्योहारों के माध्यम से सभी धर्मों की रक्षा भी होती है। सामाजिक सौहार्द्र, सामाजिक संरचना निर्माण कार्यों में यह त्योहार अपना विषिष्ट स्थान रखते हैं। धार्मिक परंपराओं में तमाम वैज्ञानिक कारण भी शामिल हैं। दीपावली […] Read more » दीपावली
वर्त-त्यौहार दीपावली November 6, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -पंडित आनन्द अवस्थी कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली का विश्व प्रसिद्ध त्योहार मनाने की परंपरा है इस दिन मां भगवती महालक्ष्मी का उत्सव बडे धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो दीपावली मुख्यत: वैश्वों का त्योहार है लेकिन जहां जहां हिंदू हैं वहां वहां दीपावली की महक बिखरती रहती है इसदिन लक्ष्मी जी […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम November 4, 2010 / December 20, 2011 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on लक्ष्मी-गणेश या विक्टोरिया-पंचम सोने-चांदी के सिक्के और दीपावली पूजन -लोकेन्द्र सिंह राजपूत भारत का सबसे बड़ा त्योहार है दीपावली। हर कोई देवी लक्ष्मी को प्रसन्न कर उनका स्नेह चाहता है। इसी जद्दोजहद में व्यक्ति अनेकों जतन करता है धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी को। पूजन के दौरान कोई गुलाब के तो कोई कमल के फूलों से उनका आसन […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार कविता : जिनके पास पैसे कम हैं November 4, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on कविता : जिनके पास पैसे कम हैं महँगी हुई दीवाली अब पापा क्या करें पापा की जेब है खाली अब पापा क्या करें महँगी हुई दीवाली अब पापा क्या करें पापा की जेब है खाली अब पापा क्या करें चुन्नू को चाहिए महँगी फुलझरियां मुन्नू को महँगे बम,पटाके इन पर पैसे खर्च दिए तो घर में पड़ जाएँगे फाके अब पापा क्या […] Read more » Diwali दीपावली
वर्त-त्यौहार कविता : बस एक दिया November 4, 2010 / December 20, 2011 by राजीव दुबे | 6 Comments on कविता : बस एक दिया मुझे इस अँधेरे में डर लगता है इसलिये नहीं कि इस अँधेरे में मुझे कुछ दिखायी नहीं देता बल्कि इसलिये कि इस अँधेरे में ‘वे’ देख सकते हैं। मैं जानता हूँ कि जैसे जैसे इस अँधेरे की उम्र खिंचती जायेगी ’उनकी’ आंखें और अभ्यस्त होती जाएँगी ’उनके’ निशाने और अचूक होते जायेंगे। तब तो उस […] Read more » poem कविता
वर्त-त्यौहार सामाजिक बदलाव के माध्यम बन सकते हैं हमारे उत्सव October 19, 2010 / December 20, 2011 by प्रो. बृजकिशोर कुठियाला | 1 Comment on सामाजिक बदलाव के माध्यम बन सकते हैं हमारे उत्सव -प्रो. बृजकिशोर कुठियाला अक्टूबर का महीना त्यौहारों व उल्लास का समय है। चारों तरफ आस्था- पूजा संबंधी आयोजन हो रहे हैं और पूरा समाज भक्तिभाव में डूबा हुआ है। न केवल मंदिरों में बाजारों और मोहल्लों में भी स्थान-स्थान पर नवरात्रों के उपलक्ष्य में दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती की आराधना से वातावरण चौबीसों घंटे गूंजता […] Read more » Programme उत्सव
वर्त-त्यौहार दुर्गापूजा के बहाने स्त्री संस्कृति की खोज- हम व्रत क्यों करते हैं? October 13, 2010 / December 21, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 7 Comments on दुर्गापूजा के बहाने स्त्री संस्कृति की खोज- हम व्रत क्यों करते हैं? -जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों पश्चिम बंगाल देवी-पूजा में डूबा हुआ है। चारों कोलकाता शहर में देवीमंडप सजे हैं। जिनमें नवीनतम कला रूपों का कलाकारों-मूर्तिकारों ने प्रयोग किया है। चारों ओर तरह-तरह के सांस्कृतिक अनुष्ठानों का आयोजन हो रहा है और सारा राज्य उसमें डूबा हुआ है। इस पूजा के अवसर पर आम लोग आनंद से […] Read more » Woman Culture दुर्गापूजा स्त्री संस्कृति