खेत-खलिहान इस सवाल का जवाब जरूरी है April 10, 2015 / April 11, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment मेरे पूर्व लिखित लेखों में भूमि अर्जन, पुनस्र्थापन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता कानून-2013 के पक्ष में कई तर्क हैं। इन तर्कों को सामने रख कोई सहमत हो सकता है कि वह भूमि बचाने वाला कानून था। वह बहुमत की राय के आधार पर भूमिधर को भूमि बेचने, न बेचने की आजादी देता […] Read more » Featured अन्ना अरुण तिवारी भूमि अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण क़ानून
खेत-खलिहान ओला-अनावृष्टि पीड़ित किसानों की आत्महत्याओं पर निष्ठुर नसीबवाले चुप क्यों हैं ? April 8, 2015 / April 11, 2015 by श्रीराम तिवारी | 1 Comment on ओला-अनावृष्टि पीड़ित किसानों की आत्महत्याओं पर निष्ठुर नसीबवाले चुप क्यों हैं ? इस देश का गरीब किसान तो सदियों से ही आत्महत्या के लिए मजबूर होता रहा है किन्तु ‘नसीबवालों’ के राज में तो गजब हो गया। हर संवेदनशील इंसान को देश के कोने-कोने से, प्रकृति की मार से पीड़ित किसानों की बिधवाओं का चीत्कार ही सुनायी दे रहा है। ओला-अनावृष्टि पीड़ित किसानों की आत्महत्याओं पर निष्ठुर नसीबवाले चुप क्यों हैं ? न केवल वामपंथी किसान संगठन […] Read more » Featured आत्महत्या ओला-अनावृष्टि किसानों की आत्महत्या पीड़ित किसान श्रीराम तिवारी ओला-अनावृष्टि पीड़ित किसानों की आत्महत्याओं पर निष्ठुर नसीबवाले चुप क्यों हैं ?
खेत-खलिहान किसानों को स्नेह और सहानुभूति की जरुरत April 7, 2015 / April 11, 2015 by रमेश पांडेय | 1 Comment on किसानों को स्नेह और सहानुभूति की जरुरत असमय बारिश और ओलावृष्टि ने उत्तर भारत के किसानों को तबाह कर रखा है। देश के कोने-कोने से किसानों के आत्महत्या करने और फसल की बर्बादी को देख सदमे से मौत हो जाने की खबरें आ रही हैं। ऐसी खबरों से साफ है कि किसान और उनके परिवारीजन कितनी भयावह मनोदशा से गुजर रहे होंगे। […] Read more » Featured असमय बारिश ओलावृष्टि किसानों को स्नेह और सहानुभूति की जरुरत रमेश पाण्डेय
खेत-खलिहान राजनीति प्राकृतिक आपदा से हुए कृषि विनाश में कृषिक संरक्षण हेतु कुछ विचार April 6, 2015 / April 11, 2015 by मानव गर्ग | 3 Comments on प्राकृतिक आपदा से हुए कृषि विनाश में कृषिक संरक्षण हेतु कुछ विचार गत एक मास में भारत के अनेक क्षेत्रों में अनपेक्षित महती वृष्टि और शिलावृष्टि (ओलावृष्टि) हुई, जिससे इन क्षेत्रों में हो रही कृषि को और कृषिकों को महान् हानि पहुँची है । विशेषतः उत्तर भारत में इसका दुष्प्रभाव सर्वाधिक हुआ है, यहाँ तक कि अनेक किसानों के आघात (सदमे) के कारण मृत्यु या आत्महत्या के […] Read more » Featured किसानों के आत्महत्या के समाचार प्राकृतिक आपदा से हुए कृषि विनाश में कृषिक संरक्षण हेतु कुछ विचार मानव गर्ग
आर्थिकी खेत-खलिहान राजनीति अन्नदाताओं से नीरस संवाद March 24, 2015 / March 24, 2015 by प्रमोद भार्गव | 2 Comments on अन्नदाताओं से नीरस संवाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के बहाने रेडियो के माध्यम से देश के अन्नदाताओं से जो इकतरफा व एकपक्षीय संवाद किया, उसने साफ है कि केंद्र सरकार के लिए किसान एवं कृषि हित से कहीं ज्यादा औद्योगिक हित महत्वपूर्ण हैं। जबकि मोदी ने तूफानी चुनावी दौरों में किसानों को भरोसा जताया था […] Read more » mann ki bat अन्नदताओं से नीरस संवाद किसान अत्महात्या कृषि मजदूर प्रमोद भार्गव प्राकृतिक आपदा भूमि अधिग्रहण
आर्थिकी खेत-खलिहान राजनीति कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब March 24, 2015 by आदर्श तिवारी | 1 Comment on कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेअपने ६वें ‘मन की बात’ कार्यक्रम किसानों से किया लेकिन, बात किसानों की मन की नहीं बल्कि अगर हम ये कहें कि मोदी अपने सरकार पर लग रहे भूमि अधिग्रहण बिल के आरोपो का स्पष्टीकरण देकर किसानों का भरोसा जीतने की कवायद की तो ये तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं होगी. बेमौसम हुए […] Read more » आदर्श तिवारी कभी दिल की भी सुन लिया करो साहब बेमौसम बरसात भूमि अधिग्रहण बिल मन की बात
आर्थिकी खेत-खलिहान लोकतंत्र में महत्वपूर्ण कौन: क्रिकेट या किसान? March 21, 2015 / March 21, 2015 by शैलेन्द्र चौहान | Leave a Comment यहकतई आश्चर्य की बात नहीं है कि आजकल अखबार व दृश्य श्रव्य मीडिया का पहलासमाचार क्रिकेट है, फिर राजनीतिक उठापटक और अपराध या फ़िल्मी सितारों की चमकदमक वगैरह। जंतर मंतर पर लाखों किसान देश के दूर दराज इलाकों से आकर अपनीसमस्याएं बताना चाहते हैं लेकिन मीडिया लोकसभा और राज्यसभा में किसानों केचिंतकों की बात तो […] Read more » क्रिकेट या किसान लोकतंत्र में महत्वपूर्ण कौन क्रिकेट या किसान ? शैलेन्द्रचौहान
खेत-खलिहान संकट में अन्नदाता किसान March 19, 2015 by निर्मल रानी | 1 Comment on संकट में अन्नदाता किसान निर्मल रानी हमारे देश का अन्नदाता यानी भारतीय किसान वैसे तो लगभग प्रत्येक वर्ष देश के किसी न किसी हिस्से में आने वाली बाढ़ अथवा सूखे के कारण संकट का सामना करता ही रहता है। खासतौर पर गरीब व मध्यमवर्गीय किसान तो ऐसे हालात से प्राय: प्रभावित ही रहता है। परंतु इस वर्ष मार्च के […] Read more » संकट में अन्नदाता
आर्थिकी खेत-खलिहान प्राकृतिक आपदा से संकट में खेती-किसानी March 14, 2015 / March 14, 2015 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि से खेती-किसानी जबरदस्त संकट में हैं। इस संकट को भ्रष्ट प्रषासनिक व्यवस्था और राजनीतिक लापरवाही ने किसान को बेहद मायूस कर दिया है। किसान को जहां खरीफ फसल की बोनी के दौरान सूखे ने परेशानी में डाला वहीं इस ओलावृष्टि और बेमौसम बरसात ने […] Read more » agriculture disaster agriculture problem indian agricultural problems Indian farmer
खेत-खलिहान किसान किस पर विश्वास करे ? April 11, 2014 / April 11, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment आजकल गेहूं, चावल, मक्का, कॉटन आदि अनेक फसलों के ऐसे बीज उपलब्ध हैं जो प्राकृतिक नहीं होते बल्कि प्रयोगशालाओं में तैयार किये जाते हैं. ये बीज Genetically Modified अथवा जी-एम् कहलाते हैं. अप्रैल 3, 2014 एक खबर के अनुसार केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर जवाब देते हुए प्रार्थना की है […] Read more » किसान किस पर विश्वास करे ?
खेत-खलिहान छत्तीसगढ़ की कृषि नीति July 25, 2013 by संजय पराते | Leave a Comment निजी क्षेत्र की पैरोकारी, उदारीकरण से यारी –संजय पराते छत्तीसगढ़ की कृषि और किसान समुदाय दोनों गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। इस संकट की अभिव्यक्ति प्रदेश में घटते कृषि रकबे, बढ़ती लागत, ग्रामीणों के गिरते जीवन स्तर, कृषि निवेश में कमी, कृषि ऋण व फसल बीमा तक पहुंच न होने, लाभकारी मूल्य के अभाव […] Read more »
खेत-खलिहान बहुफसलीय खेती की जरुरत June 7, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment हरित क्रांति का अभिशाप झेल रहा पंजाब बहुफसलीय खेती की ओर मुड़ता दिखाई दे रहा है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि खेती में विविधता न केवल भूजल स्तर को बनाए रखने के लिए उपयोगी होगी, बल्कि फसलों की पैदावार में जो एकरुपता आ गई है, बल्कि फसलों की पैदावार में जो एकरुपता आ गई […] Read more » बहुफसलीय खेती की जरुरत