राजनीति समस्या बढ़ाता राष्ट्रवादी सोच का अभाव July 16, 2022 / July 16, 2022 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment आर. विक्रम सिंह (लेखक पूर्व सैनिक अधिकारी एवं पूर्व प्रशासक हैं) साभार::दैनिक जागरण 7.7.22 हमारे देश के कुछ समूहों, वर्गों और राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों में राष्ट्रवाद का अभाव ही हमारी कई समस्याओं की जड़ है। देशवासियों में प्रबल राष्ट्रवाद की भावना जगाकर अब तक हम वह सब कुछ हासिल कर सकते थे, जिनका […] Read more » Lack of nationalist thinking compounding the problem
राजनीति सशक्त विपक्ष के बिना लोकतंत्र अधूरा July 16, 2022 / July 16, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग :-भारतीय लोकतंत्र के सम्मुख एक ज्वलंत प्रश्न उभर के सामने आया है कि क्या भारतीय राजनीति विपक्ष विहीन हो गई है? आज विपक्ष इतना कमजोर नजर आ रहा है कि सशक्त या ठोस राजनीतिक विकल्प की संभावनाएं समाप्त प्रायः लग रही हैं। इतना ही नहीं, विपक्ष राजनीति ही नहीं, नीति विहीन भी […] Read more » Democracy incomplete without strong opposition सशक्त विपक्ष के बिना लोकतंत्र अधूरा
राजनीति राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री एक गाड़ी के दो पहिए July 16, 2022 / July 16, 2022 by अरूण कुमार जैन | Leave a Comment प्रधानमंत्राी नरेंद्र मोदी ने जब से देश की बागडोर संभाली है, तब से देश एवं विदेश में कुछ न कुछ बेहतर होता जा रहा है। होने के लिए तो वैसे भी बहुत अच्छा हो रहा है किंतु मैं तो यही मानकर चल रहा हूं कि यदि धीरे-धीरे थोड़ा-थोड़ा भी बेहतर होता रहे तो भी कम […] Read more » President and Prime Minister President and Prime Minister are two wheels of a cart राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री
राजनीति विश्ववार्ता श्रीलंका – ग़लत नीतियों के चलते बर्बादी के कगार पर एक मुल्क! July 14, 2022 / July 14, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती, साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ कविता की यह चंद पंक्तियां अक्सर मुझे […] Read more » Sri Lanka - A country on the verge of ruin due to wrong policies! ग़लत नीतियों के चलते बर्बादी के कगार पर श्रीलंका श्रीलंका
राजनीति क्या भारत के कुछ राज्य श्रीलंका की राह पर चल पड़े हैं? July 14, 2022 / July 14, 2022 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment यूं देखा जाय तो श्रीलंका भी भारत के एक राज्य जितना बड़ा है। यदि श्रीलंका को भारत में मिलाया जाय तो वह भारत के किसी भी एक राज्य के समान ही रहेगा। आज भारत के कुछ राज्यों की आर्थिक स्थिति भी एक तरह से श्रीलंका की राह पर जाती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक […] Read more » freebie politics Freebie politics invites serious economic crisis Have some Indian states followed the path of Sri Lanka?
राजनीति समाज महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत July 14, 2022 / July 14, 2022 by ललित कौशिक | Leave a Comment -ललित गर्ग- भारत के लिये यह बेहद चिन्ताजनक एवं दुखद स्थिति है कि बड़ी संख्या में नवयुवतियां एवं महिलाएं धूम्रपान के जाल में फंसती जा रही है। ताजा अध्ययन बताते हैं कि 20 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू उत्पादों की गिरफ्त में फंस चुकी हैं। वे इस बात से बेखबर है कि धूम्रपान की लत उन्हें जीवनभर […] Read more » Smoking addiction is increasing in women महिलाओं में बढ़ रही है धूम्रपान की लत
राजनीति एक मजबूत, शक्तिशाली और विकासशील भारत। July 14, 2022 / July 14, 2022 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment -सत्यवान ‘सौरभ’ भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आजादी के बाद से एक लंबा सफर तय किया है, कई सही और गलत फैसलों से परहेज किया है, जो कई ऐसे […] Read more » A strong powerful and developing India.
राजनीति शेरों के बहाने हंगामा, विपक्ष की दहशत का प्रतीक July 13, 2022 / July 13, 2022 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment -प्रियंका ‘सौरभ’ अशोक स्तंभ संवैधानिक रूप से भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अपनाया था. इसे शासन, संस्कृति और शांति का सबसे बड़ा प्रतीक माना गया है. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसको अपनाने के पीछे सैकड़ों वर्षो का लंबा इतिहास छुपा हुआ है और इसे समझने के […] Read more » symbol of panic of opposition Uproar on the pretext of lions विपक्ष की दहशत का प्रतीक शेरों के बहाने हंगामा
राजनीति चारित्रिक अवमूल्यन जॉनसन को ले डूबा July 12, 2022 / July 12, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की विदाई का कारण स्वच्छन्द, भ्रष्ट एवं अनैतिक राजनीति बना। समूची दुनिया के शासनकर्त्ताओं को एक सन्देश है बोरिस की इस बेकद्री से बेआबरु होकर विदा होना। किस तरह कांड-दर-कांड का सिलसिला चला और जॉनसन ने 2019 के चुनावों में जो राजनीतिक प्रतिष्ठा अर्जित की थी, वह धीरे-धीरे […] Read more » Character devaluation drowns Johnson ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की विदाई
राजनीति क्या प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे का निधन भारत के लिए व्यक्तिगत क्षति हैं ? July 12, 2022 / July 12, 2022 by डॉ. संतोष कुमार | Leave a Comment डॉ. संतोष कुमार जापान के भूतपूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो की कल एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गयी। उनके निधन से ने केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में उनके प्रशंषको में एक धक्का सा लगा है। भारत शिंज़ो अबे की मृत्यु को एक व्यक्तिगत क्षति के रूप में देखता है। […] Read more » क्या प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे का निधान भारत के लिए व्यक्तिगत क्षति प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे का निधन भारत के लिए व्यक्तिगत क्षति
राजनीति भारत-जापान के रिश्तों को नया आयाम देने वाली शख्सियत थे ‘शिंजो आबे’ July 11, 2022 / July 11, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी शुक्रवार की सुबह जब हम लोग अपने दैनिक कार्यों को शुरू करने की तैयारी कर रहे थे, तब ही देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 5507 किलोमीटर दूर जापान के नारा शहर में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को गोली मारने देने की झकझोर देने वाली घटना घटित हो गयी। चंद […] Read more » Shinzo Abe was the person who gave a new dimension to India-Japan relations. शिंजो आबे
राजनीति भूखमरी का बढ़ता दायरा एवं संवेदनहीन शासन-व्यवस्थाएं July 11, 2022 / July 11, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ः ललित गर्ग:- संयुक्त राष्ट्र की ताजा वैश्विक खाद्य सुरक्षा रिपोर्ट में दुनिया में भुखमरी की स्थिति पहले के मुकाबले ज्यादा विकराल होने की स्थितियां तमाम विकास की तस्वीरों पर एक बदनुमा दाग है। दुनिया में उभरती आर्थिक महाशक्तियों, व्यवस्थाओं एवं विकास के बीच भूखे लोगों की तादाद में इजाफा होना दुनिया के विकास एवं […] Read more » Increasing scope of hunger and insensitive governance systems भूखमरी का बढ़ता दायरा एवं संवेदनहीन शासन-व्यवस्थाएं