राजनीति संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनी हिंदी June 18, 2022 / June 18, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव आखिरकार दीर्घकालिक प्रयासों के बाद भारत की राजभाषा हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बन गई है। भारत की ओर से लाए गए हिंदी के प्रस्ताव को महासभा ने मंजूरी दे दी। इसके साथ बांग्ला और उर्दु को भी इस श्रेणी में लिया गया है। अब संयुक्त राष्ट्र में सभी कामकाज और जरूरी संदेश व समाचार इन तीनों […] Read more » Hindi made the language of the United Nations संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनी हिंदी
राजनीति अग्निपथ योजना के लागू होने से रोजगार के अतिरिक्त अवसर निर्मित होंगे, युवाओं में कौशल एवं देशभक्ति का भाव विकसित होगा June 18, 2022 / June 18, 2022 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारतीय अर्थव्यवस्था के कोरोना महामारी के बाद तेजी से पटरी पर लौटने के साथ ही देश में बेरोजगारी की दर में भी कमी आने लगी है। देश में रोजगार के अधिक से अधिक नए अवसर उत्पन्न कराने की दृष्टि से केंद्र सरकार द्वारा लगातार कई नवोन्मेष उपाय किए जा रहे हैं, जिसमें शीघ्र ही केंद्र […] Read more » additional employment opportunities will be created skill and patriotism will be developed among the youth. With the implementation of Agneepath scheme अग्निपथ योजना के लागू होने से रोजगार के अतिरिक्त अवसर निर्मित होंगे
राजनीति हरियाणा – राज्यसभा चुनाव में पैराशूट पर भारी ‘म्हारा छोरा’ June 17, 2022 by दीपक कुमार त्यागी | Leave a Comment दीपक कुमार त्यागी देश के 15 राज्यों की 57 सीटों पर हाल ही में राज्यसभा चुनाव की प्रक्रिया पूर्ण हुई है। इन 57 में से 41 सीटों पर तो प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हो गया था। वहीं चार राज्यों की 16 सीटों के लिए 10 जून को मतदान संपन्न होकर बाद में परिणाम घोषित होने […] Read more » कार्तिकेय शर्मा
राजनीति पश्चिम एशिया में नया चौगुटा June 17, 2022 / June 17, 2022 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अगले माह सउदी अरब की यात्रा पर जा रहे हैं। उस दौरान वे इजराइल और फिलीस्तीन भी जाएंगे लेकिन इन यात्राओं से भी एक बड़ी चीज जो वहां होने जा रही है, वह है— एक नए चौगुटे की धमाकेदार शुरुआत! इस नए चौगुटे में अमेरिका, भारत, इजराइल और संयुक्त अरब अमीरात […] Read more » quad in west asia पश्चिम एशिया में नया चौगुटा
राजनीति देश के साथ गद्दारी जैसा है केन्द्र के हर फैसले पर हंगामा June 17, 2022 / June 17, 2022 by संजय सक्सेना | Leave a Comment योगी सरकार अग्निपथ ट्रेंड युवाओं को पुलिस में वरीयता देगीसंजय सक्सेनादेश तरक्की करे,विकास की नई ऊचांइयों पर पहुंचे। देश में खुशहाली आए। यह बातें तो अक्सर नेताओं से सुनने को मिल जाती है,लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी पार्टी को देश की चिंता नहीं है।सभी दलों का नेतृत्व इसी ताल-तिकड़म में लगा रहता है […] Read more » Uproar over every decision of the Center is like a traitor to the country अग्निपथ अग्निपथ ट्रेंड युवाओं को पुलिस में वरीयता अग्निपथ योजना तीनों सेनाओं में भर्ती की नई योजना अग्निपथ
राजनीति चिकित्सा-शिक्षा में गुणवत्ता की कमी June 15, 2022 / June 15, 2022 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भः स्नातकोत्तर पाठ्यक्रामों में 1456 सीटें रह गई खाली।प्रमोद भार्गवदेश में चिकित्सकों की कमी के बावजूद चिकित्सा शिक्षा में स्नातकोत्तर कक्षाओं में 1456 सीटें खाली रह जाना चिंता का सबब हैं। ये सीटें राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (नीट पीजी) के बाद खाली रही हैं। इसे लेकर शीर्ष न्यायालय ने भी नाराजी जताते हुए चिकित्सा परामर्श […] Read more » चिकित्सा-शिक्षा में गुणवत्ता की कमी
राजनीति समाज अराजक आपातकाल की ओर बढ़ता देश ! June 15, 2022 / June 15, 2022 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment विदेशी शक्तियों की दासता से मुक्त हुए पिचहत्तर वर्ष बीत रहे हैं। देश आजादी का अमृत-महोत्सव मनाने में मस्त है और देश विरोधी ताकतें आजादी के नाम पर उन्माद, आगजनी, भड़काऊ बयानबाजी, हिंसा और तोड़फोड़ में व्यस्त हैं। आम नागरिक डरा सहमा है और अपराधी तत्व निरंकुश हो रहे हैं। आंदोलनों और विरोध-प्रदर्शनों के नाम पर भीड़ एकत्रित कर जनजीवन को त्रस्त और अशांत बना देना कुछ लोगों के लिए आम बात हो गई है। भीड़ को पुलिस-प्रशासन का भय नहीं रह गया है, कानून की परवाह नहीं है और दंड की चिंता नहीं है क्योंकि हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ पर उतारू भीड़ जानती है कि उसके इन आपराधिक कुकृत्यों पर उसे दंडित करने वाली संवैधानिक प्रक्रियाएं इतनी लंबी हैं कि उसका कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। बड़े-बड़े विपक्षी नेता उसके पक्ष में खड़े मिलते हैं और बड़े-बड़े वकील निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक उसकी सुरक्षा और उसके हितों की रक्षा के लिए कमर कसकर खडे़ हैं। जे.एन.यू. में ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’जैसे देश विरोधी नारे लगाने वालों के समर्थन में खड़े बड़े नेताओं और दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में दंगाइयों के अवैध निर्माण ढहाने की सरकारी मुहिम को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देकर विफल कर देने बाले कानून के रखवालों की कारगुजारियां इस तथ्य को दूर तक स्पष्ट करती हैं। जब शीर्ष नेतृत्व, कानून के मंजे हुए खिलाड़ी और दूर विदेशों तक सक्रिय भारत-विरोधी प्रचारतंत्र तथा गुमनाम आर्थिक शक्तियां इस उन्मादी भीड़ की पृष्ठभूमि में पूरी ताकत से सक्रिय हों तो प्रतिकूल विषम परिस्थितियों से पार पाना और भी कठिन हो जाता है। देश की चुनी हुई संवैधानिक लोकतांत्रिक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के निर्णयों को उग्र हिंसक आंदोलनों के बल पर बदलने, वापस कराने का यह खतरनाक खेल देश की प्रगति, शांति और सुरक्षा के लिए जितना बड़ा खतरा है विपक्षी राजनेताओं के लिए भी उतना ही अशुभ और विनाशकारी है क्योंकि भविष्य के निर्वाचनों में यदि वे सत्ता में आए तो यही हिंसक उन्मादी भीड़ उनकी राजनीति का पथ भी कंटकाकीर्ण कर देगी और तब उनके लिए भी लोकतांत्रिक मानमूल्यों का संरक्षण करना कठिन होगा। अतः उग्र-हिंसक आंदोलनों को उकसाना, दंगे भड़काना किसी के भी हित में नहीं है– ना सत्तापक्ष के, ना विपक्ष के और ना जनता के। अब यह खतरनाक खेल बंद होना चाहिए। एक पुरानी फिल्म का गीत है ‘पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए’ । यही बात आज हमारे देश में उग्र-हिंसक आंदोलनों के संदर्भ में सत्य सिद्ध हो रही है। रोज किसी न किसी बहाने से उग्र-हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। कभी किसी राजनीतिक दल की शक्ति प्रदर्शनकारी रैली के नाम पर, कभी आरक्षण अथवा अन्य किसी मांग की पूर्ति के नाम पर, कभी एनआरसी, सीएए अथवा किसान आंदोलन के नाम पर तो कभी किसी धार्मिक उत्सव के अवसर पर चल समारोह के विरुद्ध एकत्रित की गई भीड़ ध्वंस का नग्न-नृत्य करती ही रहती है। हर बार भीड़ कुछ निर्दोषों की बलि ले लेती है, कुछ पुलिसकर्मी अधिकारी हत-आहत हो जाते हैं, फिर पुलिस फ्लैग मार्च निकालती है, एफ आई आर दर्ज होती हैं, कानून की चक्की धीमी गति से चलती है और तब तक केंद्र अथवा राज्य सरकार बदल जाने पर केस वापस ले लिए जाते हैं। प्रायः अपराधी अपराध करने के बाद भी दंडित नहीं हो पाते। ऐसी स्थितियों में भीड़ को एकत्रित कर उसे अपने निहित स्वार्थों के लिए देश के विरुद्ध एक प्रभावी शस्त्र के रूप में प्रयोग करना देश-विरोधी और सत्ता की प्रतिपक्षी ताकतों के लिए और भी सहज हो जाता है। इन्हीं कारणों से ये हिंसक प्रदर्शन बराबर बढ़ रहे हैं, बढ़ते ही जा रहे हैं। यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो इन्हें नियंत्रित कर पाना और भी कठिन हो जाएगा। हमारी संवैधानिक व्यवस्था में अपनी बात रखने का सबको बराबर अधिकार है किंतु झूठी बयानबाजी करने और मनमाने कृत्यों द्वारा दूसरों की भावनाओं को आहत करने की छूट किसी को नहीं है। भाजपा की प्रवक्ता नूपुर शर्मा के जिस बयान को लेकर जुमे की नमाज के बाद देश में अनेक स्थानों पर उग्र प्रदर्शन हुए वह बयान भी इसी दृष्टि से विचारणीय है। यदि नूपुर शर्मा ने हजरत मोहम्मद साहब के विरुद्ध कोई मनगढ़ंत झूठी बात कहकर उनका अपमान करके संप्रदाय विशेष के लोगों की भावनाओं को आहत किया है तो उनके विरुद्ध भारतीय दंडविधान के अनुरूप न्यायिक कार्यवाही अवश्य होनी चाहिए किंतु यदि उन्होंने इस्लामी पवित्र ग्रंथों में कथित किन्ही तथ्यों की ही पुनप्र्रस्तुति की है तो फिर इतना बवाल क्यों ? क्या संप्रदाय विशेष अपने ही ग्रंथों में उल्लिखित तथ्यों के प्रति आस्था और विश्वास नहीं रखता ? धार्मिक महापुरुषों और कथित पैगंबरों-अवतारों के जीवन सत्य को आज बदला नहीं जा सकता। उसे उसी रूप में स्वीकार करना होगा जिस रूप में वह उनसे संबंधित मूल प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है। अतः विवेचना का विषय यह होना चाहिए कि नूपुर शर्मा के कथन के स्रोत क्या हैं और उन स्रोतों की सत्यता विश्वसनीयता कितनी है ? सच को सामने लाए बिना केवल उग्र प्रदर्शन कर जनजीवन को अशांत करना आज के इक्कीसवीं शताब्दी के सभ्य समाज के मस्तक पर कलंक के सिवा कुछ भी नहीं है। इसे प्रदर्शनकारियों का बौद्धिक दिवालियापन ही कहा जा सकता है। यह भी अत्यंत रोचक और दुखद विषय है कि जिस संप्रदाय विशेष के लोग अपनी धार्मिक भावनाएं आहत होने के कारण उग्र हिंसक प्रदर्शन पर जब-तब उतर आते हैं वे समाज के अन्य संप्रदायों की भावनाओं के साथ निरंतर खिलवाड़ करते रहते हैं ? रांची में हिंसक भीड़ से बचने के लिए मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों, पत्रकारों और अन्य धर्मावलंबियों ने मेनरोड स्थित महावीर मंदिर में शरण लेकर अपने प्राण बचाए तो उपद्रवियों ने मंदिर के बंद द्वार और छत पर पत्थर फेंक कर महावीर मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया। क्या महावीर मंदिर पर हुए इस आक्रमण के कारण इस मंदिर से जुड़े लोगों की भावनाएं आहत नहीं हुईं ? कैसी विडंबना है कि जो कट्टर मानसिकता पिछले 1000 वर्षों से भी अधिक समय से भारतवर्ष के पूजा स्थलों को नष्ट करती आ रही है, उनकी मूर्तियों को तोड़ती रही है, उनके अश्लील चित्र अंकित करके हर प्रकार से उन्हें अपमानित करने में ही स्वयं को गौरवान्वित मानती है वह अन्य धर्मावलंबियों द्वारा उनके पैगंबर के संबंध में कुछ कहे जाने मात्र से हिंसा पर उतर आती है। अपने महापुरुष, अपने पूजास्थल और अपनी संस्कृति के सम्मान के प्रति अत्यंत जागरूक इस समुदाय को अन्य धर्मों का सम्मान करना भी सीखना होगा, सीखना भी चाहिए अन्यथा अन्य पक्षों की रोषाग्नि उन्हें भी झुलसा सकती है। शिवाजी का आक्रोश औरंगजेब की सत्ता को कमजोर कर के उसे विनाश की ओर ही धकेलेगा। अनेक मीडिया चैनलों पर प्रसारित होने वाले तथाकथित डिबेट के ऐसे कार्यक्रम भी गंभीर चिंता का विषय हैं। धर्म आदि अत्यंत संवेदनशील ऐसे मुद्दे जो प्रशासनिक एवं न्यायिक स्तरों पर विचाराधीन हैं, उन पर ऐसी बहसों का आयोजन उनकी टीआरपी बढ़ाने की दृष्टि से भले ही उनके लिए लाभप्रद हो किंतु जनमानस पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं डाल पाता क्योंकि इन विमर्शों का निष्कर्षहीन अंत कुछ ज्वलंत प्रश्न ही छोड़ता है, कोई सार्थक समाधान नहीं देता। सब जानते हैं कि जो प्रवक्ता जिस धर्म अथवा राजनीतिक दल की ओर से आया है वह हर प्रकार से अपने पक्ष का ही समर्थन करेगा। सत्य-असत्य से दूर जाकर तर्कों-कुतर्कों के सहारे प्रस्तुत होने वाली ये बहसें सच को सामने लाने के स्थान पर भ्रांतियां ही अधिक निर्मित करती हैं। सामंतवादी युग में तीतर-बटेर और मुर्गों की लड़ाई के प्रदर्शन जैसे यह डिबेट आयोजन समय और श्रम की बर्बादी के साथ-साथ जनता जनार्दन के मध्य वैमनस्य भी उत्पन्न करते हैं अतः इनकी आवश्यकता भी विचार का विषय है। नूपुर शर्मा का बयान और उस से उपजा बवाल इस दिशा में गंभीरता पूर्वक विचार की अपेक्षा करता है। यदि यह डिबेट नहीं हुई होती तो यह अनावश्यक बवाल भी नहीं होता। इस प्रकार के उग्र-हिंसक प्रदर्शन भी आतंक का ही एक रूप हैं जो समाज और शासन-प्रशासन पर अनुचित दबाव डालकर अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ऐसे दबाव स्वीकार नहीं किए जा सकते, किए भी नहीं जाने चाहिए क्योंकि इनसे राज्य-सत्ता की दुर्बलता प्रकट होती है और दबाव डालने वाली अलोकतांत्रिक ताकतों का मनोबल बढ़ता है। कृषि-विधेयक के विरोध में गणतंत्र दिवस के दिन लालकिले पर हुए तथाकथित किसानों का उग्र खालिस्तानी अलगाववादी प्रदर्शन, शाहीन बाग का प्रदर्शन, कोविड-19 के समय कुछ विशेष बस्तियों के लोगों द्वारा चिकित्सकों और नर्सों पर की गई पत्थरबाजी तथा जब तब भड़कते दंगों में पुलिस बल पर होने वाले हमले लोकतंत्र के आकाश पर मंडराते गहराते काले बादलों की ओर इशारा कर रहे हैं। सबका साथ और सबका विकास का नारा देकर सबको समान रूप से निशुल्क अन्न बांटने वाली, आवास और अन्य सुविधाएं देने वाली सरकार सब का विश्वास जीतने में अभी भी विफल है क्योंकि हैदराबाद से ओवैसी और कश्मीर घाटी से महबूबा मुफ्ती जैसे नेता अभी भी समुदाय विशेष को बहकाने-भड़काने में लगे हैं। परिस्थितियां विषम हैं। देश एक अघोषित अराजक आपातकाल की ओर जा रहा है। राजनेता अपने-अपने दलों का हित ध्यान में रखकर निर्णय ले रहे हैं अतः हम नागरिकों का दायित्व है कि वर्ग, धर्म आदि के खांचों में विभाजित राजनीति और उसके रहनुमाओं के चंगुल से निकलकर देशहित में स्वयं निर्णय लें और आपराधिक मानसिकता वाले कथित नेताओं के हाथों में हथियार बन कर अपने ही देश की देह लहूलुहान ना करें। राष्ट्र की एकता, अखंडता और स्वायत्तता के लिए समर्पित हों। डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र Read more » अराजक आपातकाल की ओर बढ़ता देश
राजनीति राजनीति का नया स्वरूप दंगा पॉलिटिक्स June 15, 2022 / June 15, 2022 by डॉ नीलम महेन्द्रा | Leave a Comment बीते दौर में किसी शायर ने कहा था कि बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। लेकिन आज की परिस्थितियों में तो लगता है कि बात निकलेगी तो हिंसा तक जाएगी। टीवी डिबेट में किसी राजनैतिक दल की एक कार्यकर्ता द्वारा सामने वाले पैनलिस्ट की बात के प्रत्यत्तर में कहे गए वचन देश के कुछ हिस्सों […] Read more » Redesign of politics Riot politics दंगा पॉलिटिक्स राजनीति का नया स्वरूप दंगा पॉलिटिक्स
राजनीति क्या नियम-कानूनों से ऊपर है गांधी परिवार? June 15, 2022 / June 15, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग – यह विडम्बनापूर्ण घटनाक्रम है कि लगातार सत्ता का सुख भोगने एवं देश की सबसे बड़े राजनीतिक दल होने का अहंकार पालने के कारण कांग्रेस के चरित्र में जिस तरह का बदलाव देखने को मिल रहा है, कांग्रेस के कार्यकर्त्ताओं एवं नेताओं में ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के स्थान पर गलत को सही […] Read more » Is the Gandhi family above the rules and regulations? नियम-कानूनों से ऊपर गांधी परिवार
राजनीति विधि-कानून चुनावी रिफॉर्म्स की फिर वकालत June 15, 2022 / June 15, 2022 by श्याम सुंदर भाटिया | Leave a Comment प्रो. श्याम सुंदर भाटिया आजादी के अमृत महोत्सव बरस में चुनाव आयोग और शक्तिशाली होना चाहता है। 72 साल के अपने लंबे एवम् कटु अनुभवों के आधार पर इलेक्शन कमीशन ने बड़े बदलाव की कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया है। नए मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई मैराथन मीटिंग में छह सिफारिशों […] Read more » Advocating for electoral reforms again चुनावी रिफॉर्म्स चुनावी रिफॉर्म्स की फिर वकालत
राजनीति चंपारण सत्याग्रह: किसानों के शांतिपूर्ण विद्रोह का प्रतीक June 12, 2022 / August 12, 2022 by कल्पना पांडे | Leave a Comment इस अप्रैल मे चंपारण के किसान आंदोलन को 105 वर्ष पूर्ण हुए। खेती के कोर्पोरेटाइजेशन या कंपनीकरण और शोषण की संगठित लूट के खिलाफ चले आंदोलन की कई मांगों की जड़ें चंपारण तक पहुंची मिलेंगी। इसके पहले विद्रोह हुए थे परंतु इस तरह का संगठित नियोजनपुर्ण प्रयास नहीं हुआ था। ये एक सदी पहले किसानों […] Read more » Champaran Satyagrah चंपारण सत्याग्रह
राजनीति सच्चे इस्लामिक राष्ट्र पाकिस्तान का असली चेहरा पहचाने June 10, 2022 / June 10, 2022 by ललित गर्ग | Leave a Comment भारतीय मुसलमानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने और अभी हाल में पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर की गईं टिप्पणियों के बहाने आसमान सिर पर उठाने तथा इस्लामी जगत को भारत के खिलाफ उकसाने वाला पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों का किस प्रकार दमन, दोहन, उत्पीड़न कर रहा है, इसका ताजा प्रमाण है कराची में एक मंदिर […] Read more » पाकिस्तान का असली चेहरा