राजनीति बसपा और मायावतीजी के दिन चुनौती भरे January 3, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी आज बसपा और कुमारी बहन मायावती उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक चर्चित शक्शियत बन गई हैं। चार प्रमुख पार्टियों में उनका खासा स्थान है। वह प्रदेश की चार बार मुख्य मंत्री भी रह चुकी हैं। इस बार उनका वजूद सामान्य सा नही दिख रहा है। यह बहुत चुनौती भरा भी हो […] Read more » BSP Featured mAYAWATI JI बसपा मायावतीजी के दिन चुनौती भरे
राजनीति कभी ‘कठोर’ कभी ‘मुलायम’ January 3, 2017 / January 3, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  राजनीति कैसे-कैसे खेल कराती है और कैसे आदमी अपने ही बनाये-बुने मकडज़ाल में फंसकर रह जाता है-इसका जीता जागता उदाहरण मुलायम सिंह यादव हैं। एक समय था जब नेताजी भारत की राजनीति को प्रभावित करते थे और दिल्ली दरबार उनके आदेश की प्रतीक्षा किया करता था, आज वही व्यक्ति निढाल, बेहाल, […] Read more » Featured Mulayam Singh Yadav कभी 'कठोर' कभी 'मुलायम'
राजनीति कश्मीरियत बनाम भारतीयता January 2, 2017 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार देश विभाजन के वक्त पाकिस्तान से जम्मु कश्मीर में आए 7 लाख हिन्दू शरणार्थी जो अब 50 लाख से ऊपर हो चुके है, सन् 1947 से लेकर अभी तक अमानवीय परिस्थितियों में जीने को बाध्य हैं। उन्हें देश की नागरिकता तो प्राप्त है लेकिन जम्मू कश्मीर की नागरिकता प्राप्त नहीं है। स्थिति […] Read more » Featured refugee hindus from Pakistan refugees कश्मीरियत कश्मीरियत बनाम भारतीयता भारतीयता मुस्लिम शरणथियो को नागरिकता रोहिग्या मुस्लिमान हिंदू शरणार्थी
राजनीति समाजवादी पार्टी में उत्तराधिकार की लड़ाई January 2, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी मुगल साम्राज्य से प्रेरित पुरानी पीढ़ी बनाम नई पीढ़ीः-उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में जारी पारिवारिक घमासान भी मुगलों की याद दिलाता है. पार्टी में बाप से बेटे व चाचा भतीजे की बगावत और पार्टी के अंदर एक दूसरे के खिलाफ साजिश और षड्यंत्र से मुगल साम्राज्य की स्मृति ताजी हो […] Read more » Featured अखिलेश यादव के छवि व कार्यो पर फोकश अखिलेश सपा के अध्यक्ष उत्तराधिकार की लड़ाई चुनाव चिह्न पर कब्जे की जंग शुरू: बनावटी ड्रामा- वास्तविक संकट समाजवादी पार्टी समाजवादी पार्टी में उत्तराधिकार की लड़ाई समाजवादी पार्टी में जारी उठा-पटक नाटकीय:-
राजनीति अखिलेश-मुलायम दंगल, भिड़ने से बचे January 2, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment जैसा कि मैंने कल लिखा था, अपने टीवी चैनल और अखबार लखनऊ के मामले में जरुरत से ज्यादा आशावादी दिखाई पड़ रहे थे। मैंने मुंबई में बैठे हुए लिखा था कि लखनऊ में होने वाले समाजवादी पार्टी के अधिवेशन में धमाका हो सकता है। मैंने समाजवादी पार्टी के टूटने की भी आशंका व्यक्त की थी। […] Read more » अखिलेश-मुलायम अखिलेश-मुलायम दंगल
राजनीति तो क्या फिर भड़केगी गुर्जर आरक्षण की आग ? January 2, 2017 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment जग मोहन ठाकन गुर्जर फिर स्तब्ध हैं और नौ साल की लंबी अवधि की लड़ाई के बाद पुनः जहां से चले थे वहीं पहुँच गए हैं । राजस्थान हाई कोर्ट ने गुर्जर सहित पाँच जातियों को एसबीसी में पाँच प्रतिशत आरक्षण देने के अधिनियम -2015 को रद्द कर गुर्जर आरक्षण पर खुशियाँ मना रहे गुर्जर […] Read more » Gujjar Reservation politics on Gujjar reservation कैप्टन गुर्विन्दर सिंह गुर्जर आरक्षण गुर्जर नेता किरोड़ी सिंह बेंसला
राजनीति सपा का नाटक कहीं प्रायोजित तो नहीं ? January 2, 2017 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्थानी उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी में जिस प्रकार से विभाजन की पटकथा लिखी जा रही है, वह पूरी तरह से प्रायोजित कार्यक्रम की तरह ही दिखाई दे रहा है। सपा में एक समय मुख्यमंत्री के दावेदार के तौर पर दिखाई देने वाले मुलायम सिंह के भाई शिवपाल सिंह को इस दावेदारी से अलग करने […] Read more » Akhilesh ji UP drama of sp sponsored Featured Mulayam Ji UP sp सपा का नाटक सपा का नाटक प्रायोजित
राजनीति कुनबे की कलह से ढहेगा समाजवादी साम्राज्य December 31, 2016 / December 31, 2016 by अर्पण जैन "अविचल" | Leave a Comment अखिलेश यादव के पार्टी से निष्कासन पर विशेष ‘वंशवाद’शब्द नेहरू-गांधी परिवार की निंदा के लिए विद्वत्ता का मुखौटा लगाने का अवसर देता है। किन्तु जब परिवारवाद की गिरफ़्त में रहकर राजनीतिक अवधारणा का नवसिंचन होता है तो पौध भी अल्पविकसित होने का राग ही आलापती है| राजनीति में वंशवाद को लेकर हमारे जनमानस में […] Read more »
राजनीति कंगाली के पचास दिन और देश का विश्वास December 31, 2016 by निरंजन परिहार | Leave a Comment निरंजन परिहार लालू यादव भले ही देश को याद दिला रहे हो कि 31 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसी चौराहे का इंतजाम कर लीजिए। लेकिन सवाल न तो किसी चौराहे का है और ना ही प्रधानमंत्री द्वारा गोवा से देश को दिए संदेश में उनके 50 दिन में सब कुछ ठीक हो […] Read more » 50 days of demonetization 50 days of notebandi Featured notebandi कंगाली के पचास दिन देश का विश्वास
राजनीति शख्सियत जेटली की जिंदगी का राजनीतिक मायाजाल December 31, 2016 by निरंजन परिहार | Leave a Comment निरंजन परिहार- अरुण जेटली का अतीत दुनियादारी के अंदाज में काफी सफल रहा है। दिल्ली युनिवर्सिटी में जब वे पढ़ते थे, तब भले ही बस के पैसे भी उनके पास नहीं हुआ करते थे, लेकिन आज सैकंड के हिसाब से वकालात की फीस की गणना करनेवाले देश के शिखर के वकीलों में जेटली नंबर वन […] Read more » Featured अरुण जेटली का राजनीतिक मायाजाल अरुण जेटली की जिंदगी जेटली की जिंदगी का राजनीतिक मायाजाल
राजनीति देश मजहब-प्रेम से ऊपर है December 31, 2016 / December 31, 2016 by अनुश्री मुखर्जी | Leave a Comment दीदी का मुस्लिम प्रेम ही था कि उन्होंने 30000 मदरसों को 2500 रुपये और 1500 मस्जिदों को 1500 रुपए प्रतिमाह देने का फैसला कर लिया था, जिसकी भविष्य में गंभीरता को देखते हुए माननीय कोलकाता हाईकोर्ट ने उस फैसले को ही खारिज कर दिया था। मां, माटी और मानुष की राजनीति के नारे की उस वक्त भी पोल खुली, जब मालदा हमले के ठीक पहले एक मदरसे के प्रधानाध्यापक काजी मसूम अख्तर पर इसलिए हमला कर दिया गया क्योंकि काजी छात्रों से राष्ट्रीय गान सुनना चाहते थे। यही नहीं सरकार ने कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों द्वारा आपत्ति जताने के बाद बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन द्वारा लिखी गई पटकथा वाले नाटक सीरीज के प्रसारण पर भी रोक लगा दी और सलमान रुश्दी को कोलकाता आने पर प्रतिबंध लगा दिया। Read more » communal riots communal riots in Dhulagarh communal riots in west bengal Featured Muslim atrocity on Hindus in Mamta's West Bengal कोलकाता हाईकोर्ट तृणमूल कांग्रेस धुलागढ़ धुलागढ़ सांप्रदायिक हिंसा पश्चिम बंगाल पश्चिम बंगाल का धुलागढ़ सांप्रदायिक हिंसा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुस्लिम-प्रेम सांप्रदायिक हिंसा
राजनीति आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा तक पर एतराज क्यों ..? December 29, 2016 / December 29, 2016 by संदीप त्यागी | 1 Comment on आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा तक पर एतराज क्यों ..? धीरे-धीरे ही सही लेकिन चीजें बदलनी शुरू हुई हैं। दलित और पिछड़े समाज का शहरी युवा भी राजनैतिक दलों के इस गोरखधंधे को बखूबी समझने लगा है और समझने लगा है, कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रतियोगिता से ही पार पाया जा सकेगा। यही नहीं आरक्षण के बूते दलित और पिछड़े समाज के राजनैतिक मठाधीशों को लेकर भी समाज में माहौल अब बदल रहा है। लोग मानने लगें कि आरक्षण का यह लाभ जरूरतमंदों तक न पहँुचकर कुछ लोगों की जागीर बन रहा है। दलित और पिछड़े समाज के जागरूक युवाओं में भी यह धारणा बन रही है, कि आरक्षण व्यवस्था का लाभ जातिगत न होकर जरूरतमंदों को मिले तो समाज की तस्वीर ज्यादा तेजी के साथ बदलेगी। Read more » Featured Reservation System आरक्षण व्यवस्था आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा