प्रवक्ता न्यूज़ श्री गुरुजी – शक्तिशाली भारत के कल्पक February 19, 2025 / February 24, 2025 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment जन्मजयंती 19 फरवरी पर विशेष श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर, शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। वे भारत की सौम्यता, अनेकता में एकता, समरसता के मर्मज्ञ थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे” शब्द कहना सर्वथा अनुचित होगा, वे आज भी हमारे मध्य; पराक्रमी भारत, ओजस्वी भारत, अजेय भारत, […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ भीड़ February 17, 2025 / February 17, 2025 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल भीड़ सिर्फ भीड़ हैभीड़ का न संविधान है न विधानभीड़ की न कोई भाषा है न परिभाषाभीड़ एक हास और परिहास हैभीड़ के पास न सोच न विवेकभीड़ सिर्फ चिल्लाती और शोर मचाती हैभीड़ सिर्फ रुलाती हैभीड़ सिर्फ तालियां बजाती हैभीड़ सिर्फ अपनी बात करती हैभीड़ सिर्फ अपना सोचती हैभीड़ जाति की हैभीड़ […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ संत रविदास का मुगल विरोध और भीम मीम का छलावा February 11, 2025 / February 11, 2025 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment 12 फर. माघ पूर्णिमा, संत रविदास जयंती पर विशेष – लगभग सवा छः सौ वर्ष जन्में संत रैदास भारत के आदि, मुखर धर्मांतरण विरोधी रहें हैं। वे घर वापसी के भी पुरोधा पुरुष रहे हैं। स्वामी रामानंद जी के शिष्य रविदास जी के कालजयी लेखन को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि उनकें रचित […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ भारत में आर्थिक विकास दर को 8 प्रतिशत से ऊपर ले जाने के हो रहे हैं प्रयास February 4, 2025 / February 4, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment विश्व के कुछ देशों में सत्ता परिवर्तन के बाद आर्थिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हुए दिखाई दे रहे हैं। विशेष रूप से अमेरिका में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प विभिन्न देशों को लगातार धमकी दे रहे हैं कि वे इन देशों से अमेरिका में होने वाले आयात पर कर की दर में वृद्धि कर देंगे। दिनांक 4 फरवरी 2025 से कनाडा एवं मेक्सिको से अमेरिका में होने वाले उत्पादों के आयात पर 20 प्रतिशत एवं चीन से होने वाले आयात पर 10 प्रतिशत का आयात कर लगा दिया है। वैश्विक स्तर पर उक्त प्रकार की उथल पुथल के अतिरिक्त रूस यूक्रेन युद्ध जारी ही है एवं कुछ समय पूर्व तक हमास इजराईल युद्ध भी चलता ही रहा था। वैश्विक स्तर पर उक्त विपरीत परिस्थितियों के बीच भी भारत, अपनी आर्थिक विकास दर को कायम रखते हुए, विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। हां, वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम दो तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर गिरकर 5.2 प्रतिशत एवं 5.3 प्रतिशत क्रमशः के आसपास रही है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लिया है। यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है तो आगे आने वाले दो दशकों तक आर्थिक विकास दर को 8 प्रतिशत से ऊपर रखना आवश्यक होगा। अतः केंद्र सरकार द्वारा भारत की आर्थिक विकास दर को इस वित्तीय वर्ष की दो तिमाहियों में दर्ज की गई लगभग 5.3 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर को 8 प्रतिशत से ऊपर ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभी हाल ही में केंद्र सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन ने लोक सभा में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश किया है। इस बजट के माध्यम से ऐसे कई निर्णय लिए गए हैं जिससे देश की आर्थिक विकास दर पुनः एक बार 8 प्रतिशत से ऊपर निकल जाए। दरअसल, आज देश में उत्पादों की मांग को बढ़ाना अति आवश्यक है जो पिछले कुछ समय से लगातार कम होती दिखाई दे रही है। इसके लिए आम नागरिकों के हाथों में अधिक धनराशि उपलब्ध रहे, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं। जैसे, आयकर की सीमा को वर्तमान में लागू सीमा 7 लाख रुपए प्रतिवर्ष से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष कर दिया गया है। साथ ही, आय पर लगने वाले कर की दर को भी बहुत कम कर दिया गया है। इस प्रकार लगभग 1 करोड़ मध्यमवर्गीय करदाताओं को लगभग 1.10 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष का अधिकतम लाभ होने जा रहा है। इस राशि से विभिन्न उत्पादों का उपभोग बढ़ेगा एवं देश की आर्थिक विकास दर में तेजी दिखाई देगी। हालांकि इससे केंद्र सरकार के बजट पर एक लाख करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। परंतु, फिर भी बजटीय घाटा वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.8 प्रतिशत से घटकर वित्तीय वर्ष 2025-26 में 5.4 प्रतिशत रहने की सम्भावना व्यक्त की गई है। अतः देश की वित्तीय स्थिति को सही दिशा दिए जाने के सफल प्रयास हो रहे हैं। विनिर्माण के क्षेत्र को गति देना भी आज की आवश्यकता है। राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन भी चलाए जाने का प्रस्ताव है। आज देश में एक करोड़ से अधिक सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योग हैं जो 7.5 करोड़ नागरिकों को रोजगार उपलब्ध कर रहे हैं एवं भारत के कुल उत्पादन में 36 प्रतिशत का योगदान दे रहे हैं तथा देश से होने वाले विभिन्न उत्पादों के निर्यात में भी 45 प्रतिशत की भागीदारी इन उद्योगों की रहती हैं। कुल मिलाकर भारत आज अपनी इन कम्पनियों को वैश्विक स्तर पर ले जाना चाहता है। भारत में आज निर्यात प्रोत्साहन मिशन को चालू किया जा रहा है ताकि भारत की कम्पनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले। इसी प्रकार भारत को वैश्विक स्तर पर खिलौना उत्पादन के केंद्र के रूप में विकसित किये जाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। केवल एक दशक पूर्व भारत में खिलौनों का शुद्ध आयात होता था आज भारत खिलौनों का शुद्ध निर्यातक देश बन गया है। पिछले 10 वर्षों में भारत में खिलौनों के निर्यात में 200 प्रतिशत की वृद्धि एवं खिलौनों के आयात में 52 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है। भारत ने 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि के खिलौनों का निर्यात किया है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 5 प्रतिशत है। विशेष रूप से वाराणसी, श्री अयोध्या धाम, उज्जैन एवं महाकुम्भ, प्रयागराज में पर्यटकों के लिए विकसित की गई आधारभूत सुविधाओं के बाद इन सभी शहरों की पहचान धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में पूरे विश्व में कायम हुई है। आज आध्यात्म की ओर पूरा विश्व ही आकर्षित हो रहा है अतः भारत में अन्य धार्मिक केंद्रों को भी इसी तर्ज पर विकसित किया जाना चाहिए जिससे विभिन्न देशों के नागरिक भी इन धार्मिक स्थलों पर आ सकें एवं जिससे देश के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 2,541 करोड़ रुपए की राशि का आबंटन किया गया है जबकि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 850 करोड़ रुपए की राशि आबंटित की गई थी। भारतीय पर्यटन उद्योग का आकार 25,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है, जो कि बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तर पूर्व के राज्यों से लेकर जम्मू एवं कश्मीर तक 50 नए पर्यटन केंद्र विकसित किए जा रहे हैं। यह ऐसे पुराने पर्यटन केंद्र हैं जिनकी पहचान कहीं खो गई है। अब इन पर्यटन केंद्रों पर आधारभूत सुविधाओं को विकसित किये जाने की योजना बनाई जा रही है। इन केंद्रो पर पहुंच को आसान बनाने के उद्देश्य से यातायात के साधनों का विकास किया जाएगा, सर्वसुविधा सम्पन्न होटलों का निर्माण किया जाएगा, एवं इन स्थलों पर अन्य प्रकार की समस्त सुविधाएं पर्यटकों को उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, भारत में मेडिकल पर्यटन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है क्योंकि विकसित देशों की तुलना में भारत में विभिन्न बीमारियों का उच्चस्तरीय इलाज बहुत ही सस्ते दामों पर उपलब्ध है। और फिर, भारतीय नागरिकों के डीएनए में ही सेवा भावना भरी हुई है, अतः इन देशों के नागरिकों को भारत में इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। वैश्विक स्तर पर मेडिकल पर्यटन का आकार 13,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। अतः भारत में मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित किए जा सकते हैं। इसी प्रकार भारत में सुरक्षा के क्षेत्र में भी अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। भारत अभी तक अपनी सुरक्षा सम्बंधी आवश्यकताओं के लिए सुरक्षा उपकरणों का बड़ी मात्रा में आयात करता रहा है। परंतु, पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का स्पष्ट असर अब दिखाई देने लगा है और भारत आज मिसाईल सहित कई सुरक्षा उपकरणों का निर्यात करने लगा है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए केंद्र सरकार के बजट में सुरक्षा क्षेत्र के लिए 4.92 लाख करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि का आबंटन किया गया है, साथ ही, पूंजीगत खर्चों में भी सुरक्षा क्षेत्र के लिए 2 लाख करोड़ रुपए के बजट का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार, देश में अधोसंरचना को और अधिक मजबूत बनाने के उद्देश्य से पूंजीगत खर्चों को भी 11.20 लाख करोड़ रुपए के स्तर पर रखा गया है। साथ ही, सरकारी उपक्रमों एवं निजी क्षेत्र की कम्पनियां भी अपने पूंजी निवेश को बढ़ाने का प्रयास यदि करती हैं एवं विदेशी कम्पनियों द्वारा किए जाने वाले विदेशी निवेश को मिलाकर पूंजीगत मदों पर खर्चे को 15 लाख करोड़ रुपए की राशि तक ले जाया जा सकता है। इसके लिए देश में ईज आफ डूइंग बिजनेस को अधिक आसान बनाना होगा एवं पुराने कानूनों को हटाकर उद्योग मित्र कानून बनाए जाने की आवश्यकता है। चूंकि विश्व के कई देशों, विशेष रूप से विकसित देशों, में प्रौढ़ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है अतः इन देशों में युवाओं की संख्या में कमी के चलते विभिन्न संस्थानों में कार्य करने वाले नागरिकों की कमी हो रही है। अतः भारत को पूरे विश्व में कौशल से परिपूर्ण युवाओं के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। जापान, ताईवान, इजराईल, वियतनाम सहित कई विकसित देशों ने तो भारत से कौशल से परिपूर्ण इंजनीयर्स, डॉक्टर एवं नर्सों की मांग भी की है। आज भारत पूरे विश्व को ही कौशल से परिपूर्ण युवाओं को उपलब्ध कराने की क्षमता रखता है। साथ ही, देश में रोजगार के अधिकतम अवसर निर्मित हों, इसके प्रयास भी किए जा रहे हैं। विशेष रूप से रोजगार उन्मुख क्षेत्रों, यथा, कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (टेक्स्टायल उद्योग, फूटवेयर उद्योग, खिलोना उद्योग, पर्यटन उद्योग, आदि सहित) एवं सेवा क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, स्टार्ट अप को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 10,000 करोड़ रुपए का विशेष फंड बनाया गया है ताकि स्टार्ट अप को भारत में सफल बनाया जा सके। देश में स्टार्ट अप के माध्यम से भी लाखों नए रोजगार निर्मित हो रहे हैं। इस फंड में केंद्र सरकार एवं निजी क्षेत्र ने मिलकर भागीदारी की है। अभी तक 1,100 से अधिक स्टार्ट अप ने इस फंड का लाभ उठाया है। इसी प्रकार, केंद्र सरकार चाहती है कि वैश्विक स्तर पर भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स (एआई) का केंद्र बने। एआई के क्षेत्र में भारतीय इंजीनियरों में कौशल विकास के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जा रही है एवं इस सम्बंध में 13 नए कौशल विकास केंद्रों की स्थापना भी की जा रही है। देश में हाल ही के समय में सरकारी कम्पनियों की कार्यप्रणाली में बहुत सुधार हुआ है एवं अब इन कम्पनियों की लाभप्रदता में अतुलनीय सुधार दिखाई दिया है और आज यह कपनियां केंद्र सरकार को लाभांश की मद में भारी भरकम राशि प्रदान करने लगी हैं। वरना, एक समय था जब प्रतिवर्ष केंद्र सरकार को इन कम्पनियों को चलायमान रखने के उद्देश्य से भारी भरकम राशि का निवेश करना होता था। वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारतीय रिजर्व बैंक सहित केंद्र सरकार के विभिन्न उपक्रमों द्वारा केंद्र सरकार को 2.56 लाख करोड़ रुपए की राशि का लाभांश प्रदान करने की सम्भावना व्यक्त की गई है। इसी प्रकार, केंद्र सरकार के कई उपक्रमों द्वारा अपनी संपतियों का मौद्रीकरण किया जा रहा है। केंद्र सरकार के इन उपक्रमों द्वारा लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की राशि का मौद्रीकरण किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विनिवेश के लक्ष्य को भी बढ़ाकर 47,000 करोड़ रुपए किया गया है जो वर्ष 2024-25 के लिए संशोधित अनुमान के अनुसार 33,000 करोड़ रुपए का था। प्रहलाद सबनानी Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ सुभाषचन्द्र बोसः आजादी की सबसे उजली उम्मीद बने January 23, 2025 / January 27, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment सुभाषचन्द्र बोस जन्म जयन्ती 23 जनवरी, 2025-ललित गर्ग- खून के बदले आजादी देने का वादा करने वाले भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के करिश्माई नेता, महान स्वतंत्रता सेनानी और विलक्षण एवं साहसी व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा है। उनका त्याग, उनका बलिदान, उनकी साहसिकता, उनकी राष्ट्रीयता सर्वोपरि रहने […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ क्यों हैं हमारे समाज में इतने अतुल सुभाष ? January 16, 2025 / January 16, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment भाषणा बंसल गुप्ता अतुल सुभाष का केस हमारे पूरे समाज के मुंह पर जोरदार तमाचा है। यही सुनते आए हैं कि विवाह एक सामाजिक संस्था है मगर अब इस संस्था का संपूर्ण ढांचा चरमरा रहा है। इस संस्था की विवाह रूपी गिरती हुई इमारत को अगर समय रहते नहीं संभाला गया तो पता नहीं कितने अतुल […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ पशु चिकित्सकों की कमी से चुनौती बनता पशुपालन January 15, 2025 / January 15, 2025 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment शारदा मेघवाललूणकरणसर, राजस्थान देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान के बीकानेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पशुपालन न केवल रोजगार का प्रमुख साधन है बल्कि इससे जुड़े आर्थिक और सामाजिक पहलू भी इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. लेकिन पशुपालन में बढ़ती कठिनाइयों ने किसानों और पशुपालकों के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ वीर सावरकर: कॉलेज के नाम पर विवाद क्यों? January 10, 2025 / January 10, 2025 by प्रो. महेश चंद गुप्ता | Leave a Comment प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल में दिल्ली यूनिवर्सिटी में महान स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर वीर सावरकर के नाम पर नए कॉलेज की आधारशिला रखी। इसी के साथ सावरकर के नाम पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस ने सावरकर के नाम पर विरोध जताना शुरू कर दिया है। कांग्रेस इस कॉलेज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री […] Read more » Veer Savarkar: Why the controversy over the name of the college? वीर सावरकर कॉलेज
प्रवक्ता न्यूज़ सत्ता पक्ष को फिर मिला जनादेश November 25, 2024 / November 25, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्तानी देश के दो राज्यों के साथ कुछ राज्यों के उपचुनाव के परिणाम ने सत्ता पक्ष के प्रति अपना जनादेश दिया है। हर चुनाव में सत्ता के प्रति जनता में किसी न किसी बात पर आक्रोश रहता है, लेकिन महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनाव में ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं दिया। जनता ने फिर […] Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ ब्रिक्स समूह देशों के सम्मेलन में बढ़ा है भारत का कद November 13, 2024 / November 13, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment हाल ही में ब्रिक्स समूह के देशों का सम्मेलन रूस के कजान शहर में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में रूस ने भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का गर्मजोशी से स्वागत तो किया ही, साथ ही, चीन के राष्ट्रपति के साथ भी भारत के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय वार्ता सम्पन्न हुई। इस वार्ता में चीन ने भारत की सीमा के पास जमा कर रक्खे अपने सैनिकों को पीछे हटाकर, सीमा पर वर्ष 2020 की स्थिति बहाल करने की घोषणा की है। भारत को भी अपने सैनिकों को सीमा पर पीछे की ओर ले जाना होगा। इससे भारत एवं चीन की सीमा पर पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहे तनाव को कम करने में सफलता हासिल होगी। इस संदर्भ में विभिन्न समाचार पत्रों में छपी जानकारी के अनुसार चीन एवं भारत ने अपने 80 से 90 प्रतिशत सैनिकों को वापिस पीछे की ओर हटा लिया है। चीन और भारत के आपस में सम्बंध सुधरने का असर केवल इन दोनों देशों के आपसी तनाव को ही कम नहीं करेगा बल्कि इन सम्बन्धों में सुधार का असर आर्थिक क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा। दरअसल चीन आज आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, चीन में आर्थिक विकास की दर तिमाही दर तिमाही कम हो रही है। चीन के अमेरिका के साथ सम्बंध बहुत अच्छे नहीं रहे है। अमेरिका एवं कई यूरोपीयन देशों ने चीन से विभिन्न वस्तुओं के आयात पर करों को बढ़ा दिया है ताकि चीन से आयात को कम किया जा सके। चीन की आंतरिक अर्थव्यवस्था में भी उत्पादों की मांग लगातार कम हो रही हैं। साथ ही, चीन के भवन निर्माण क्षेत्र एवं बैकिंग क्षेत्र में भी कई प्रकार की समस्याएं खड़ी हो गई हैं। चीन के अपने पड़ौसी देशों, ताईवान, फिलिपींस, जापान, भारत आदि के साथ भी सम्बंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। इस सबका असर यह रहा है कि चीन ने भारत के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारने की पहल शुरू की है ताकि वह भारत के साथ अपने व्यापार को बढ़ा सके एवं अपनी आर्थिक स्थिति को कुछ हद्द तक सुधार सके। हालांकि चीन के विस्तरवादी नीतियों पर चलने के कारण चीन पर तुरंत विश्वास करना बहुत कठिन है। इस संदर्भ में चीन का इतिहास भी इस बात का साक्षी नहीं रहा है कि चीन के सम्बंध किसी भी देश के साथ स्थायी रूप से बहुत अच्छे रहे हों। ब्रिक्स देशों में विश्व की 45 प्रतिशत आबादी निवास करती है, पूरे विश्व की 33 प्रतिशत भूमि इन देशों के पास है एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था में 28 प्रतिशत हिस्सेदारी ब्रिक्स के सदस्य देशों की है। ब्रिक्स समूह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह गैर पश्चिमी देशों का एक समूह जरूर है, परंतु वह पश्चिमी देशों के विरुद्ध नहीं है। ब्रिक्स समूह को स्थापित करने वाले देशों में ब्राजील, रूस, भारत एवं चीन (BRIC) थे एवं वर्ष 2009 में दक्षिणी अफ्रीका को भी इस समूह में शामिल कर इस BRICS का नाम दिया गया। आगे चलकर मिश्र (ईजिप्ट), ईथीयोपिया, ईरान, सऊदी अरब एवं यूनाइटेड अरब अमीरात को भी ब्रिक्स समूह में शामिल कर इस समूह का विस्तार किया गया। आज विश्व के कई अन्य देश भी ब्रिक्स समूह के सदस्य बनकर ग्लोबल साउथ की आवाज बनना चाहते हैं। हाल ही में रूस के कजान शहर में सम्पन्न ब्रिक्स समूह के सम्मेलन में स्थायी, अस्थाई एवं आमंत्रित 36 देशों ने भाग लिया। ब्रिक्स के इस सम्मेलन में इस विषय पर भी विचार किया गया कि ब्रिक्स देशों के पास एक अपना पेमेंट सिस्टम होना चाहिए एवं वैश्विक स्तर पर हो रहे व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिए। पश्चिमी देश वर्तमान में पूरे विश्व में लागू स्विफ्ट सिस्टम का दुरुपयोग कर रहे हैं एवं इसके माध्यम से अन्य देशों पर अपनी चौधराहट स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं। स्विफ्ट सिस्टम के माध्यम से पूरे विश्व के देशों के बीच धन सम्बंधी व्यवहारों को सम्पन्न किया जाता है। यदि किसी देश को इसकी सदस्यता से हटा लिया जाता है तो वह देश विश्व के अन्य देशों के साथ आर्थिक (धन सम्बंधी) व्यवहार नहीं कर सकता है। रूस यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने जब रूस पर सैंक्शन लगाए थे तब रूस को स्विफ्ट सिस्टम से हटा दिया गया था जिससे रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने व्यापार के लेनदेनों का निपटान करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इस संदर्भ में, भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भारत में लागू यूनिफाईड पेयमेंट सिस्टम (यूपीएस), जिसे भारत में ही विकसित किया गया है, को भी ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों में लागू करने पर विचार करने हेतु समस्त सदस्य देशों से आग्रह किया है। अभी तक भारत के यूनीफाईड पेयमेंट सिस्टम को 7 देशों ने अपना लिया है एवं 30 से अधिक देश इसे अपनाने के लिए विचार कर रहे हैं। भारत में यह सिस्टम बहुत ही सफलता पूर्वक कार्य कर रहा है। दूसरे, पूरे विश्व में डॉलर के प्रभाव को कम करने हेतु भी ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के बीच चर्चा हुई है। डॉलर के स्थान पर ब्रिक्स करेन्सी को अपनाने अथवा ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों की बीच हो रहे व्यापार सम्बंधी व्यवहारों के निपटान हेतु ये देश आपस में अपनी करेन्सी के उपयोग पर जोर देने पर भी सहमत होते दिखे हैं। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ही भारत एवं चीन के बीच हाल ही में सम्पन्न हुए बॉर्डर समझौते के बावजूद भारत को चीन से भारत में होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर अपनी गहरी नजर बनाए रखना चाहिए। भविष्य में भी भारत को चीन से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति सोच समझकर ही देना चाहिए। क्योंकि, चीन के इतिहास को देखते हुए उस पर आज भी विश्वास नहीं किया जा सकता है। भारत ने हालांकि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत में होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को निर्धारित किया है। चीन के साथ भारत के सम्बंध सुधरने के पश्चात इस लक्ष्य को प्राप्त करने में आसानी हो सकती है। परंतु, यह कार्य फिर भी बहुत सोच समझकर ही करना होगा। चीन के साथ भारत का विदेशी व्यापार अत्यधिक मात्रा में ऋणात्मक ही है। भारत ने केलेंडर वर्ष 2023 में चीन से 12,100 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि के उत्पादों का आयात किया था, परंतु भारत से चीन को निर्यात बहुत ही कम मात्रा में हो रहे हैं तथा चीन द्वारा भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी बहुत कम मात्रा में ही किए जा रहे हैं। चीन, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने वाले देशों की सूची में 22वें स्थान पर है और भारत में होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में चीन की हिस्सेदारी केवल 0.37 प्रतिशत की ही है। यह सही है कि चीन के साथ बॉर्डर समझौते के बाद चीन से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ सकता है परंतु भारत को चीन के इतिहास को देखते हुए अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता है। ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के बीच आज भारत का कद तो बढ़ ही रहा है, साथ ही, आज विश्व के कई देशों द्वारा यूरोप एवं अमेरिका के प्रभाव से बाहर निकलने के प्रयास भी लगातार किए जा रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति ने ब्रिक्स समूह की बैठक में बताया है कि विश्व के कई देश आज ब्रिक्स समूह की सदस्यता ग्रहण करना चाहते हैं। इस प्रकार, ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिणी अफ्रीका) एवं शंघाई समूह आदि संगठन बहुत तेजी से अपने प्रभाव को वैश्विक स्तर पर बढ़ा रहे हैं। दरअसल, आज अमेरिका सहित यूरोपीयन देशों (फ्रान्स, जर्मनी, ब्रिटेन आदि) की आर्थिक परिस्थितियां लगातार बिगड़ती जा रही हैं और इन देशों की आर्थिक प्रगति धीमे धीमे कम हो रही है और ये देश मंदी की चपेट में आने की ओर आगे बढ़ रहे हैं जबकि आर्थिक विकास की दृष्टि से यह सदी अब भारत की होने जा रही है। आने वाले समय में, वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद में होने वाली वार्धिक वृद्धि में भारत का योगदान लगभग 16 प्रतिशत तक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। अतः विश्व के कई शक्तिशाली देश आज भारत के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूती देना चाहते हैं, इसी के चलते ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों के बीच भी भारत का कद अब बढ़ता दिखाई दे रहा है। प्रहलाद सबनानी Read more »
प्रवक्ता न्यूज़ पाकिस्तान की राह पर कनाडा ? November 8, 2024 / November 8, 2024 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment राकेश सैन कनाडा में जिस तरीके से खालिस्तानी अलगाववादियों व आतंकी तत्वों को खुल कर मनमानी करने का अधिकार मिलता जा रहा है और इस पर वहां की सरकार मौन साधे बैठी है, उससे लगने लगा है कि दुनिया में पाकिस्तान के बाद कनाडा ऐसा देश है जो आतंकवाद को आतंकवाद को अपनी स्टेट पॉलिसी […] Read more »
धर्म-अध्यात्म प्रवक्ता न्यूज़ मेरे मानस के राम : अध्याय 54 September 23, 2024 / September 24, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अग्नि परीक्षा और सीता जी सीता जी ने उपस्थित महानुभावों के समक्ष अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए रामचंद्र जी से कहा कि जिस समय रावण ने मुझे पकड़ा था, उस समय उसने मेरा शरीर अवश्य स्पर्श किया था, परंतु तब मैं विवश थी। मेरी इच्छा से उसने मेरा शरीर नहीं छुआ था। इसमें मेरा […] Read more »