समाज Honor Killing September 30, 2014 by बीनू भटनागर | 7 Comments on Honor Killing Honor Killing के लियें हिन्दी मे कोई सही शब्द नहीं मिल रहा, इसलियें हिन्दी लेख का शीर्षक इंगलिश मे देने के लिये मजबूर हूँ।Honor Killing का शाब्दिक अर्थ तो सम्मान हत्या हुआ, इसका अर्थ क्या निकालें सम्मान की हत्या या हत्या का सम्मान! ये तो दोनो ही ग़लत हैं। सम्मान की हत्या हो भी सकती […] Read more » Honor Killing
समाज वैधव्य September 22, 2014 by बीनू भटनागर | 9 Comments on वैधव्य अभी कुछ दिनो पहले नृत्याँगना, अभिनेत्री और भाजपा की मथुरा से सांसद, स्वप्नसुंदरी हेमा मालिनी का वृंदावन मे बसी विधवाओं के बारे मे एक बयान आया था।उन्होने बताया था कि वहाँ 40,000 विधवायें रह रही है, और इससे ज्यादा को रखने की वहाँ जगह नहीं हैं। उन्होने कहा था कि ये विधवायें मौत के इंतज़ार […] Read more » वैधव्य
समाज आर्य-वैदिक साहित्य में आदिवासियों के पूर्वजों का उल्लेख September 20, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 1 Comment on आर्य-वैदिक साहित्य में आदिवासियों के पूर्वजों का उल्लेख आर्य-वैदिक साहित्य में आदिवासियों के पूर्वजों का राक्षस, असुर, दानव, दैत्य आदि के रूप में उल्लेख लेखक : डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ रामायण में असुर की उत्पत्ति का उल्लेख :- सुराप्रतिग्रहाद् देवा: सुरा इत्याभिविश्रुता:। अप्रतिग्रहणात्तस्या दैतेयाश्चासुरा: स्मृता:॥ उक्त श्लोक के अनुसार सुरा का अर्थ ‘मादक द्रव्य-शराब’ है। चूंकि आर्य लोग मादक तत्व […] Read more » आर्य-वैदिक साहित्य में आदिवासियों के पूर्वजों का उल्लेख
समाज समानता और समरसता September 18, 2014 by राजीव गुप्ता | Leave a Comment भारत की गुलामी के कालखंड में भारतीय शास्त्रों पर टीकाकारों ने कई टीकाएँ लिखी गई. उन्हीं कुछ टीकाओं में से शब्दों के वास्तविक अर्थ अपना मूल अर्थ खोते चले गए. इतना ही नही मनुस्मृति में भी मिलावट की गई. डा. पी.वी. काने की समीक्षा के अनुसार मनुस्मृति की रचना ईसापूर्व दूसरी शताब्दी तथा ईसा के […] Read more » समानता और समरसता
समाज राजनाथ को सराहौं या सराहौं आदित्यनाथ को! September 18, 2014 by संजय द्विवेदी | 2 Comments on राजनाथ को सराहौं या सराहौं आदित्यनाथ को! संजय द्विवेदी भारतीय जनता पार्टी में लंबे समय से एक चीज मुझे बहुत चुभती रही है कि आखिर एक ही दल के लोगों को अलग-अलग सुर में बोलने की जरूरत क्या है? क्यों वे एक सा व्यवहार और एक सी वाणी नहीं बोल सकते? माना कि कुछ मुद्दों पर बोल नहीं सकते तो क्या चुप […] Read more » राजनाथ को सराहौं सराहौं आदित्यनाथ को!
समाज लव जेहादः थोड़ी सी हक़ीक़त, ज़्यादा है फ़साना! September 15, 2014 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 6 Comments on लव जेहादः थोड़ी सी हक़ीक़त, ज़्यादा है फ़साना! इक़बाल हिंदुस्तानी मुसलमानों के खिलाफ़ हिंदू ध्रुवीकरण के लिये सियासी हथियार? ‘‘लव जेहाद** वो शब्द है जो पहले भी कभी कभी सुनने में आता था लेकिन पिछले दिनों यह तब ज़्यादा चर्चा में आया जब यूपी में उपचुनाव होने थे। भाजपा चाहे जितना इनकार करे लेकिन सच यही है कि यह उसका एक सोचा […] Read more » लव जेहाद
राजनीति समाज भारतीय मुसलमानों के पक्ष में September 13, 2014 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 29 Comments on भारतीय मुसलमानों के पक्ष में आरएसएस और उसके सहयोगी संगठनों ने मुसलमानों के खिलाफ जिस तरह प्रचार आरंभ किया है उसे देखते हुए सामयिक तौर पर मुसलमानों की इमेज की रक्षा के लिए सभी भारतवासियों को सामने आना चाहिए। मुसलमानों को देशद्रोही और आतंकी करार देने में इन दिनों मीडिया का एक वर्ग भी सक्रिय हो उठा है,ऐसे में मुसलमानों […] Read more » Civil Disobedience Movement marginalized Muslims Muslim appeasement secular-democratic secular-democratic culture of India The concept of Hindutva the Constitution of India आरएसएस धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक देश नागरिक अवज्ञा आंदोलन भारत का संविधान भारत की धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक संस्कृति भारतीय मुसलमान भारतीय मुसलमानों के पक्ष में मुसलमान कट्टरपंथी होते हैं मुसलमान हाशिए पर मुस्लिम तुष्टीकरण मुस्लिम साम्प्रदायिकता संघ की हिन्दुत्व की अवधारणा साम्प्रदायिक राजनीति साम्प्रदायिक राजनीति का अंग
समाज सांप्रदायिकता से कौन लड़ना चाहता है? September 13, 2014 by संजय द्विवेदी | Leave a Comment यह सवाल आज फिर मौजूं हो उठा है कि आखिर सांप्रदायिकता से कौन लड़ना चाहता है? देश के तमाम इलाकों में घट रही घटनाएं बताती हैं कि समाज में नैतिकता और समझदारी के बीज अभी और बोने हैं। हिंसा कर रहे समूह, या हिंसक विचारों को फैला रहे गुट आखिर यह हिंसा किसके खिलाफ […] Read more » सांप्रदायिकता से कौन लड़ना चाहता है?
समाज अधर्म है धर्म के नाम पर समाज को बांटना September 12, 2014 by निर्मल रानी | 3 Comments on अधर्म है धर्म के नाम पर समाज को बांटना निर्मल रानी अच्छे दिन आने वाले हैं का ‘लॉलीपाप’ दिखाकर सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी लोगों को दिखाए गए सपनों को पूरा करने के बजाए देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने के प्रयास में जुटी प्रतीत हो रही है। ‘सब का साथ सब का विकास’ जैसे नारे महज़ पाखंड नज़र आ रहे […] Read more » अधर्म है धर्म के नाम पर समाज को बांटना
समाज यकीं मानिए- दुनिया में सिर्फ दो-कौम हैं ! September 11, 2014 / September 11, 2014 by नीरज वर्मा | 4 Comments on यकीं मानिए- दुनिया में सिर्फ दो-कौम हैं ! दुनिया में सिर्फ 2 कौम हैं ! अमीर-गरीब ! गर हिन्दुस्तान की बात करें तो टाटा-बिड़ला और अम्बानी-अडानी जैसों की अलग कौम और खून पसीने से रोटी का जुगाड़ करने वालों की अलग कौम ! मुकेश अम्बानी, टाटा-बिरला-अदानी, सचिन तेंदुलकर, शाहरुख़ खान जैसों के पास अरबों-करोड़ों के बंगले और बेशुमार-दौलत , 40% भारतीयों के पास […] Read more »
व्यंग्य समाज जोधाएं बचेंगी तब न… September 10, 2014 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on जोधाएं बचेंगी तब न… ऋतू कृष्णा चैटरजी अकबर को जोधा नही दोगे ठीक बात है किन्तु अपने लिए भी नही चुनोगे ये कहां का इंसाफ है, उलटा जहां तक संभव होगा जोधा को धरती पर आने ही नही दोगे। भईया! अकबर को जोधा देने न देने की स्थिति तो तब आएगी न जब जोधाएं बचेंगी। लड़कियां बची ही कहां […] Read more » जोधाएं बचेंगी तब न
समाज मानव तस्करी का धंधा September 9, 2014 by इन्द्रमणि | Leave a Comment बुनियादी सुविधाओं, जागरूकता एवं प्रशासन की कारगुजारियों की वजह फल-फूल रहा है कोडरमा में मानव तस्करी का धंधा पिछले दिनों बेंगलूरू के कोल्स पार्क के इलाके में काम कर रहे झारखंड के 17 बच्चों को मुक्त किया गया। जिसमें 9 बच्चें कोडरमा के थे। मुक्त कराये गये सभी बच्चों की उम्र 12 से 18 साल […] Read more »