समाज दिल्ली गैंगरेपः कानून नहीं व्यवस्था बदलने की ज़रूरत है! December 22, 2012 / December 22, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | 2 Comments on दिल्ली गैंगरेपः कानून नहीं व्यवस्था बदलने की ज़रूरत है! इक़बाल हिंदुस्तानी रोज़ देश में सैकड़ों बलात्कार होते हैं तो इतना शोर नहीं मचता? दिल्ली में हुए गैंगरेप की चौतरफा निंदा के साथ यह सवाल भी उठना चाहिये कि देश के विभिन्न राज्यों के दूरदराज़ के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रोज़ होने वाले सैंकड़ों बलात्कार के मामलों को मीडिया कभी इतनी ज़ोर शोर से […] Read more » DELHI GANG RAPE दिल्ली गैंगरेप
समाज बलात्कारियों की सज़ा को लेकर छिड़ी बहस December 22, 2012 / December 22, 2012 by निर्मल रानी | 5 Comments on बलात्कारियों की सज़ा को लेकर छिड़ी बहस निर्मल रानी विश्वगुरु कहे जाने वाले भारत महान में इन दिनों बलात्कार की घटनाओं को लेकर राष्ट्रव्यापी चिंता बनी हुई है। आए दिन देश के किसी न किसी भाग से न केवल व्यस्क लडक़ी अपितु अव्यस्क, किशोरी यहां तक कि गोद में उठाई जाने वाली बच्चियों तक के साथ बलात्कार किए जाने की घटनाओं […] Read more »
समाज बलात्कार से निजात कैसे? December 21, 2012 / December 21, 2012 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 4 Comments on बलात्कार से निजात कैसे? डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ एक पुलिस का जवान कानून व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिये पुलिस में भर्ती होता है, लेकिन पुलिस अधीक्षक उसे अपने घर पर अपनी और अपने परिवार की चाकरी में तैनात कर देता है। (जो अपने आप में आपराधिक न्यासभंग का अपराध है और इसकी सजा उम्र कैद है) जहॉं उसे […] Read more » बलात्कार से निजात कैसे?
शख्सियत समाज आदिवासी संस्कृति को संजोते 70 वर्षीय शिव सिंह आंचला December 19, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment देवलाल नरेटी भारत विश्व के उन चुनिंदा देशों में एक है जहां आज भी आदिकाल की संस्कृति की झलक न सिर्फ जिंदा है बल्कि उसका प्रचार प्रसार भी हो रहा है। अपनी महान संस्कृति को संजोये आदिवासी समाज वक्त के साथ कदम से कदम मिलाकर निरंतर आगे बढ़ने को प्रयासरत हैं। प्राकृतिक संपदा से भरपूर […] Read more » शिव सिंह आंचला
समाज के. रहमान और शिक्षा का विषाक्तीकरण-डॉ. मनोज चतुर्वेदी December 16, 2012 / December 15, 2012 by डॉ. मनोज चतुर्वेदी | 1 Comment on के. रहमान और शिक्षा का विषाक्तीकरण-डॉ. मनोज चतुर्वेदी संप्रग-1 तथा संप्रग-2 ने आपने नए-नए कारनामों से भारतीय राजनीति तथा शिक्षा को विषाक्त करने का प्रयास किया है। सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह सरकार के नए-नए कारनामों की शुरूआत आते-आते ही कर दिया है। उनका यह कहना है कि देश भर में 5 नए अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय तथा 93 नए अल्पसंख्यक विद्यालय अल्पसंख्यक बहुल जिलों में खोले […] Read more » के. रहमान और शिक्षा का विषाक्तीकरण
शख्सियत समाज अन्ना की राह पर जनरल वी.के.सिंह December 14, 2012 / December 14, 2012 by प्रमोद भार्गव | 2 Comments on अन्ना की राह पर जनरल वी.के.सिंह प्रमोद भार्गव पूर्व थल सेना अध्यक्ष वी.के. सिंह गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर है। किसानों की मांग है कि गन्ना का मूल्य बढ़ाया जाए और चीनी कारखाने खरीदे गये गन्ने की आधी कीमत नगदी के रुप में तत्काल अदा करें। वी.के. सिंह किसानों की मांगों को मजबूती देने […] Read more » general v.k.singh
शख्सियत समाज भगवान बिरसा मुण्डा November 28, 2012 / November 28, 2012 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment न भूतो न भविष्यति वीरेन्द्र सिंह परिहार मुण्डा जाति वर्तमान झारखण्ड राज्य के दक्षिण-पूर्वी तथा सिंहभूमि से सटे भागों में निवास करती है। मुण्डाओं की भाषा मुण्डारी कहलाती है। मुण्डा जाति अनेक गोत्र समूहों से मिलकर बनी है, जिन्हे किलि कहा जाता है। एक किलि के सभी सदस्य एक ही पूर्वज के माने जाते है। […] Read more » birsa munda बिरसा मुण्डा
समाज क्यों होती है कन्या भ्रूण हत्या ? November 27, 2012 / November 26, 2012 by बीनू भटनागर | 6 Comments on क्यों होती है कन्या भ्रूण हत्या ? बीनू भटनागर कहने को तो बहुत से लोग कह देते हैं कि बेटे और बेटी मे कोई फ़र्क नहीं है पर फिर भी गाँवों मे छोटे बड़े शहरों मे ,पढे लिखे समाज मे भी क्यों होती हैं कन्या भ्रूण हत्यायें ? इस प्रश्न पर गहराई से सोचने की आवश्यकता है। कानून बनते हैं तो तोडने […] Read more » कन्या भ्रूण हत्या
समाज अपनी ही जड़ों से उखड़ते आदिवासी November 24, 2012 / November 24, 2012 by आर.एल. फ्रांसिस | 7 Comments on अपनी ही जड़ों से उखड़ते आदिवासी आदिवासियों के नायक बिरसा मुण्डा की जंयती के अवसर पर दिल्ली में देश के दूर दराज के राज्यों से आए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने ‘भारतीय आदिवासी जनमंच के अध्यक्ष विवेकमणि लाकड़ा के नेतृत्व में आदिवासियों के अधिकारो की आवाज बुंलद की। महामहिम राष्ट्रपति को दिये गए ज्ञापन में कहा गया कि आदिवासी समाज में […] Read more » अपनी ही जड़ों से उखड़ते आदिवासी
आलोचना समाज राम बनाम राम जेठामलानी November 24, 2012 / November 24, 2012 by वीरेंदर परिहार | 7 Comments on राम बनाम राम जेठामलानी वीरेन्द्र सिंह परिहार देश के ख्याति-लब्ध अधिवक्ता और भाजपा के राज्यसभा सासंद रामजेठामलानी का गत दिनों का यह कथन काफी तूल पकड़ चुका है कि राम एक बुरे पति थें। गीता में कृष्ण ने कहा है-बड़े लोग जैसा आचरण करते है,आम लोग उसका अनुकरण करते है। अब जहां तक राम के सीता-निष्कासन का प्रश्न है,वह […] Read more » राम राम जेठामलानी
समाज बुरके के पीछे सिर्फ कट्टरपंथ November 22, 2012 / November 21, 2012 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनुप नकाब, हिजाब या बुरके के पीछे सिर्फ मुस्सिम कट्टरपंथ की शिकार ही नहीं छिपी होती, बल्कि रेडिकल विचार भी पनप रहे होते हैं, यह सऊदी अरब की कवयित्री हिसा हिलाल ने साबित कर दिया है। सऊदी अरब वह मुल्क है, जिसने इस्लाम की सबसे प्रतिक्रियावादी व्याख्या अपने नागरिकों पर थोपी हुई है। इसकी […] Read more »
समाज परंपराओं के अजीबोगरीब घालमेल November 22, 2012 / November 21, 2012 by अनिल अनूप | Leave a Comment अनिल अनुप नसीब खान ने हाल ही में अपने बेटे प्रकाश सिंह की शादी राम सिंह की बेटी गीता से की. तीन महीने पहले हेमंत सिंह की बेटी देवी का निकाह एक मौलवी की मौजूदगी में लक्ष्मण सिंह से हुआ. माधो सिंह को जब से याद है वो गांव की ईदगाह में नमाज पढ़ते आ […] Read more » chita-mairat