समाज गरीबों के खेत, अमीरों के पेट September 15, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on गरीबों के खेत, अमीरों के पेट -देवाशीष मिश्रा पिछले कुछ समय से दो खबरों से जुड़ी बातें लगातार अखबारों और इलेक्ट्रानिक चैनलों में जोर-शोर से आ रहीं हैं। एक बढ़ती मँहगाई जिससे आम जन त्राहि-त्राहि कर रहा है। दूसरा सरकारी व्यवस्था में सड़ता अनाज। भारत में रोज ना जाने कितने पेट खाली ही सो जाते हैं, इस उम्मीद में कि शायद […] Read more » Rich अमीर गरीब
समाज शिक्षा, संस्कृति और समाज… September 15, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on शिक्षा, संस्कृति और समाज… -राजीव बिश्नोई प्रेम को परिभाषित करना वर्तमान परिदृश्य में मुश्किल है। चूँकि हर रोज इस बात पर बहस ज्यादा हो रही है कि क्या प्रेम करने वालों को सामाजिक मान्यता मिलनी चाहिए विशेषकर उस समाज में जिसकी बुनियाद मनु, अरुस्तु या ओशो का मिला-जुला रूप हो सकती हैं। जबकि प्रेम का आंकलन उन लोगों के […] Read more » Education शिक्षा समाज संस्कृति
समाज यौन उत्पीड़न का मकड़जाल August 30, 2010 / December 22, 2011 by सतीश सिंह | 1 Comment on यौन उत्पीड़न का मकड़जाल -सतीश सिंह जब रक्षक ही अपने महिला सहकर्मियों का यौन शोषण करें तो आम महिला की हालत क्या होगी इसका आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं। दिल्ली के पुलिसवालों पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते ही रहते हैं, लेकिन अपने महिला सहकर्मियों के साथ यौन उत्पीड़न की बात का खुलासा हाल ही में सूचना के […] Read more » Sexual harassment यौन उत्पीड़न
समाज हाय गाय, अब तुम फिर कटोगी…? / गिरीश पंकज August 28, 2010 / June 6, 2012 by गिरीश पंकज | 53 Comments on हाय गाय, अब तुम फिर कटोगी…? / गिरीश पंकज दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने जा रहे है. खेल के पहले भ्रष्टाचार के तरह-तरह के जो महान खेल हो रहे है, उनसे पूरा देश परिचित हो चुका है. लेकिन एक नया तथ्य यह सामने आया है कि राष्ट्रकुल खेलों में शामिल होने आ रहे अनेक विदेशी खिलाडियों के स्वागत में हमारी गौ माताए भी अपनी […] Read more » Commanwealth Games गो हत्या राष्ट्रमंडल खेल
समाज जाति प्रथा का विनाश August 26, 2010 / April 13, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो -भीमराव आंबेडकर जाति-व्यवस्था पर फिर से सवाल उठ रहे हैं। नए सिरे से मूल्यांकन हो रहा है। जाति-व्यवस्था को लेकर सबसे अधिक आरोपों का सामने करने वाली संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि हिंदू जाति-व्यवस्था की दीवारों को ढहा दें। इस व्यवस्था पर सबसे अधिक सुगठित […] Read more » Dr Bhim Rao Ambedkar जाति प्रथा डॉ. भीमराव आंबेडकर
समाज आपका व्यवहार और जीवन दृष्टि August 26, 2010 / December 22, 2011 by तरुण विजय | 3 Comments on आपका व्यवहार और जीवन दृष्टि -तरुण विजय बहुत आसान है वेद, पुराण, मनुस्मृति और अन्य शास्त्रीय ग्रंथ उठाकर सामने रखना और कहना कि इनमें कहीं भी अस्पृश्यता को मान्य नहीं किया गया है और व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार समाज में सम्मान पाता है अत: जाति और जन्म के अनुसार जो सामाजिक स्थान का निरुपण करते हैं वे गलत हैं। […] Read more » Behave जीवन दृष्टि
समाज बुर्के पर सेक्युलर सोच क्या हो? August 25, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on बुर्के पर सेक्युलर सोच क्या हो? -के. विक्रम राव बुर्के पर प्रतिबंध के मुद्दे पर भारत के प्रगतिषील और सेक्युलर समझवाले लोग, विषेषकर समाजवादी और माक्र्सवादी पार्टियों के पुरोधाजन, चुप्पी साधे हैं। उनकी सोच दुहरी है, दबाव वोट का है। मसलन भारत के सोशलिस्ट भी अपने फ्रेंच हमराहियों की भांति बुर्के की बात पर निर्विकार हो गये हैं। वर्ना इस मौजूं […] Read more » Secular बुर्का
समाज रमजान और स्वास्थ्य August 25, 2010 / December 22, 2011 by विजय कुमार | 6 Comments on रमजान और स्वास्थ्य -विजय कुमार कुछ दिन पूर्व दूरदर्शन पर एक मौलाना रमजान का महत्व बता रहे थे। पहले तो उन्होंने इसे अध्यात्म से जोड़ा और फिर स्वास्थ्य रक्षा और शरीर शुद्धि से। उन्होंने बताया कि जैसे अन्य धर्मों में व्रत और उपवास होता है, वैसे ही हमारे यहां रोजे होते हैं। रोजे को स्वास्थ्य से जोड़ने वाली […] Read more » Ramjan रमजान
समाज इफ्तार की दावत August 25, 2010 / December 22, 2011 by विजय कुमार | 3 Comments on इफ्तार की दावत -विजय कुमार रमजान का महीना प्रारम्भ होते ही इफ्तार की दावतों का दौर चल पड़ता है। जहां तक मुझे पता है, सूर्योदय से सूर्यास्त तक भूखे रहने के बाद जब मुसलमान कुछ खाते-पीते हैं, तो उसे इफ्तार कहते हैं; पर जो रोजा नहीं रखते, वे इफ्तार कैसे कर सकते हैं, यह मेरी समझ में नहीं […] Read more » Iftar इफ्तार
समाज भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन August 23, 2010 / December 22, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | 3 Comments on भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है रक्षाबंधन -फ़िरदौस ख़ान रक्षाबंधन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है. यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन बांधकर उनकी लंबी उम्र और कामयाबी की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं. रक्षाबंधन के बारे में अनेक […] Read more » Raksha Bandhan रक्षाबंधन
समाज जनगणना और हम August 17, 2010 / December 22, 2011 by विजय कुमार | 5 Comments on जनगणना और हम -विजय कुमार हर दस साल बाद होने वाली जनगणना का कुछ अंश पूरा हो चुका है, जबकि मुख्य काम (संदर्भ बिन्दु) नौ से 28 फरवरी, 2011 तक होगा। इससे संबंधित दो विषय महत्वपूर्ण हैं। एक है धर्म और जाति का, जबकि दूसरा भाषा और बोली का है। इन दोनों पर विचार कर हमें अपनी भूमिका […] Read more » Census जातीय जनगणना
जरूर पढ़ें समाज पुरुष से ऊंचा स्थान है नारी का हिंदू परंपरा में August 13, 2010 / April 13, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो | 127 Comments on पुरुष से ऊंचा स्थान है नारी का हिंदू परंपरा में -राजीव त्रिपाठी भारतीय संस्कृति में नारी का उल्लेख जगत्-जननी आदि शक्ति-स्वरूपा के रूप में किया गया है। श्रुतियों, स्मृतियों और पुराणों में नारी को विशेष स्थान मिला है। मनु स्मृति में कहा गया है- यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रेतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तफला: क्रिया।। जहाँ नारी का समादर होता है वहाँ देवता प्रसन्न रहते […] Read more » Hindu Religion नारी हिंदू धर्म