विविधा “ताजमहल हिन्दू कलाकृति का उत्कृष्ठ उदाहरण है” June 10, 2013 / June 10, 2013 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment अनेक विचारकों ने गहन शोध के उपरान्त इस स्थापत्य को बारहवी शताब्दी के पूर्वार्ध में निर्मित भगवान शंकर का मंदिर मानते है । जिसे बुंदेलखंड के महाराजा पर्माद्रि देव ने बनवाया था । पंद्रहवी शताब्दी में जयपुर के राजा ने राजा पर्माद्रि देव के वंशजो को पराजित कर आगरा को अधिन कर लिया । और […] Read more » ताजमहल ताजमहल हिन्दू कलाकृति हिन्दू कलाकृति
विविधा जल ही जीवन है June 8, 2013 by डॉ.प्रेरणा चतुर्वेदी | 1 Comment on जल ही जीवन है जिस देश को ‘सोने की चिड़िया ’ कहा जाता था। जहाँ दूध की नदियाँ बहती थीं। उसी देश में अब दूध तो दूर दो बूँद पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है । क्योंकि प्रकृति द्वारा प्रदत्त इस अपार, अकूत और बहुमूल्य तोहफे का इंसान लगातार अपने स्वार्थ के लिए दुरूपयोग करता ही जा […] Read more » जल ही जीवन है
विविधा बारिश June 8, 2013 by डॉ.प्रेरणा चतुर्वेदी | Leave a Comment आधी रात से शहर में झमाझम बारिश हो रही है। रह-रहकर बिजली जब तेज आवाज से कड़कती है, तो दिल बैठने लगता है। बादलों को चीरती हुई तेज गड़गडाहट के साथ, युद्ध में किसी महाबली सम्राट की चमकती, तेज, खून की प्यासी, तलवार की तरह बिजली चमक रही है। सुबह के सवा आठ बज चुके […] Read more » बारिश
जरूर पढ़ें विविधा चित्रा, विशाखा, फाल्गुनी….. नक्षत्रों का शब्द गुंजन June 8, 2013 / July 19, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 11 Comments on चित्रा, विशाखा, फाल्गुनी….. नक्षत्रों का शब्द गुंजन ॐ–नक्षत्रों की अवधारणा भारत की देन ॐ –विश्व-व्यापी अंतरिक्षी मानसिकता ॐ –नक्षत्रों के काव्यमय सुंदर नाम (एक)गुजराती विश्वकोश गुजराती विश्वकोश कहता है, कि,”नक्षत्रों की अवधारणा भारत छोडकर किसी अन्य देश में नहीं थी। यह, अवधारणा हमारे पुरखों की अंतरिक्षी वैचारिक उडान की परिचायक है, नक्षत्रों का नामकरण भी पुरखों की कवि कल्पना का और […] Read more » चित्रा फाल्गुनी..... नक्षत्रों का शब्द गुंजन विशाखा
विविधा इन्सानियत और मानवता है सबसे बड़ा धर्म June 7, 2013 by नरेंद्र भारती | 5 Comments on इन्सानियत और मानवता है सबसे बड़ा धर्म इनसानियत व मानवता सबसे बड़ा धर्म है । कहते हैं दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो इनसान को गिरा सके, इन्सान ,इन्सान द्वारा ही गिराया जाता है । दुनिया में ऐसा नहीं है कि सभी लोग बुरे हैं, इस जगत में अच्छे-बुरे लोगों का संतुलन है । आज संस्कारों का चीरहरण हो रहा […] Read more » इन्सानियत और मानवता है सबसे बड़ा धर्म
महिला-जगत विविधा बेटियों को देवी रूप में चरण स्पर्श करने की परंपरा June 6, 2013 / June 7, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment यदि कन्या को किसी व्यक्ति का पैर छू जाए तो तुरंत उस कन्या के (देवी रूप मानकर) चरण स्पर्श करने की परंपरा भारत में है। चरण छूने की यह परंपरा इसलिए है कि कन्या के शरीर से पैरों का स्पर्श होना ‘पाप’ माना जाता है। उस पाप से मुक्त होने के लिए ही व्यक्ति क्षमा […] Read more » भारत में बेटियों को देवी रूप में चरण स्पर्श करने की परंपरा
विविधा कहां गुम हो जाती हैं टॉपर बेटियां? क्या सपने सचमुच साकार हो रहे हैं ? June 6, 2013 / June 7, 2013 by लीना | 2 Comments on कहां गुम हो जाती हैं टॉपर बेटियां? क्या सपने सचमुच साकार हो रहे हैं ? इन दिनों परीक्षा परिणामों का दौर रहा है। बेटियां इतिहास रच रही हैं, अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। लगभग सभी परीक्षाओं में लड़कों के मुकाबले वे ही अव्वल आ रही हैं, टॉप कर रही हैं। छात्राओं के उतीर्ण होने का प्रतिशत भी छात्रों की अपेक्षा अधिक ही रह रहा है। सीबीएससी 10वीं की […] Read more » कहां गुम हो जाती हैं टॉपर बेटियां? क्या सपने सचमुच साकार हो रहे हैं ?
विविधा समाज देश में बढते अपराध, बेलगाम होते अपराधी, जिम्मेवार कौन ? June 5, 2013 / June 6, 2013 by नरेंद्र भारती | 2 Comments on देश में बढते अपराध, बेलगाम होते अपराधी, जिम्मेवार कौन ? कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अपराधों का काला साया फैलता जा रहा है यह बहुत ही घातक व अशुभ संकेत है। विश्वगुरु के नाम से विख्यात भारत संगीन अपराधों के कारण कुख्यात होता जा रहा है। प्रतिदिन अपराधों की इबारतें लिखी जा रही हैं। खून की होली खेली जा रही है, हत्याओं ,बलात्कारों, की घटनाओं […] Read more » जिम्मेवार कौन ? देश में बढते अपराध बेलगाम होते अपराधी
विविधा समय के साथ बदली हिन्दी पत्रकारिता May 30, 2013 / May 30, 2013 by हिमकर श्याम | Leave a Comment हिमकर श्याम हिन्दी पत्रकारिता का विस्तार और विकास अभिभूत करनेवाला है। 30 मई, 1826 को पं0 युगुल किशोर शुक्ल ने प्रथम हिन्दी समाचार पत्र उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन आरम्भ किया था। उदन्त मार्तण्ड इसलिए बंद हुआ कि उसे चलाने लायक पैसे पं युगुल किशोर शुक्ल के पास नहीं थे। उस दौर में किसी ने भी […] Read more » हिन्दी पत्रकारिता
विविधा आम जन की बेबसी पर पूंजीवादियों – शोषकों का ऐश्वर्यपान May 30, 2013 / May 30, 2013 by अरविन्द विद्रोही | 1 Comment on आम जन की बेबसी पर पूंजीवादियों – शोषकों का ऐश्वर्यपान अरविन्द विद्रोही गर्मी के चढ़ चुके तापमान का असर आम जन मानस के जीवन को अस्त-व्यस्त कर चुका है । लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राजनेताओं को मत देकर अपना प्रतिनिधि चयनित करने की मजबूरी के ही चलते जनमानस चुनावों में कभी दलीय आधार पर तो कभी व्यक्ति विशेष के प्रभाव में अपना अमूल्य मत देता […] Read more » आम जन की बेबसी
विविधा हमारी शब्द रचना क्षमता May 30, 2013 / July 19, 2013 by डॉ. मधुसूदन | 5 Comments on हमारी शब्द रचना क्षमता डॉ. मधुसूदन सूचना: विषय कुछ कठिन है। धीरे धीरे आत्मसात करते हुए पढें। प्रश्न अवश्य पूछें, शंका-समाधान करने का प्रयास अवश्य किया जाएगा। पर त्वरित उत्तर की अपेक्षा ना करने का अनुरोध करता हूँ। (एक)पवित्र ज्योतिःपुंज नियति ने हमारे भरोसे एक पवित्र ज्योतिःपुंज सौंपा है; जो, आध्यात्मिक ज्ञान का अथाह सागर भी है।जिसकी शब्द […] Read more » हमारी शब्द रचना क्षमता
जरूर पढ़ें विविधा भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ? May 29, 2013 / July 19, 2013 by विनोद कुमार सर्वोदय | 29 Comments on भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ? आजम खान जी क्या भारतीय मुस्लिमों के कारनामें देशभक्ति पूर्ण हैं ? उत्तर प्रदेश के शहरी विकास मंत्री व अखिलेश सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले आजम खां ने इलाहाबाद स्थित मठ बाघंबरी गद्दी में 27 मई, 2013 को आयोजित एक सम्मान समारोह में कहा कि ‘‘भारत के मुसलमानों की देशभक्ति पर संदेह […] Read more »