विविधा केरल से…एक यात्रा संस्मरण December 23, 2012 by बीनू भटनागर | 6 Comments on केरल से…एक यात्रा संस्मरण बीनू भटनागर ईश्वर ने तो पूरा ब्रह्मांड रचा है, फिर भी कहते हैं ईश्वर की अपनी धरती केरल है। भारत के दक्षिण पश्चिम छोर पर यह प्रदेश बहुत ही सुन्दर और हरा भरा है। हाल ही में मुझे सपरिवार इस प्रदेश की यात्रा करने का अवसर मिला। ये यात्रा मेरी अति सुखद और यादगार यात्रा […] Read more » केरल पर्यटन
विविधा कब आएगी सुनहरी सुबह? December 19, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on कब आएगी सुनहरी सुबह? मृदु भाषनी हर सुबह के बाद एक रात आती है। और हर रात के बाद सुबह आती है। मगर कुछ बदकिस्मत ऐसे भी हैं, जिन्हें अब तक उस सुबह का इंतजार है जो उनके जीवन के अंधेरा को दूर कर दे। धरती का स्वर्ग कहलाने वाले जम्मू कश्मी र के पुंछ जिला से लगभग 10 […] Read more »
विविधा पदोन्नति में आरक्षण December 19, 2012 / December 19, 2012 by विपिन किशोर सिन्हा | 7 Comments on पदोन्नति में आरक्षण विपिन किशोर सिन्हा कोई भी व्यक्ति या संस्था अगर सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना करती है, तो पूरे देश में एकसाथ बवाल मच जाता है, लेकिन अगर सरकार ही इस संवैधानिक संगठन के आदेश को मानने से इंकार कर दे, तो क्या किया जा सकता है! केन्द्र की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में सर्वोच्च न्यायालय […] Read more » पदोन्नति में आरक्षण
विविधा जापानी भाषा कैसे सक्षम बनी ?–डॉ. मधुसूदन December 18, 2012 / December 18, 2012 by डॉ. मधुसूदन | 8 Comments on जापानी भाषा कैसे सक्षम बनी ?–डॉ. मधुसूदन ॐ –जापानी भाषा कैसे विकसी ? ॐ –जापान को देवनागरी की सहायता. ॐ —जापानी, हमारी भाषा से कमज़ोर थी. ॐ —अनुवाद करो या बरखास्त हो जाओ की नीति अपनायी . (१) जापान और दूसरा इज़राएल. मेरी सीमित जानकारी में, संसार भर में दो देश ऐसे हैं, जिनके आधुनिक इतिहास से हम भारत-प्रेमी अवश्य सीख ले […] Read more » जापानी भाषा
विविधा भ्रष्टाचारी पति की पत्नी को भी मिली सजा December 18, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment सीबीआई विशेष न्यायालय का अनूठा फैसला प्रमोद भार्गव दिल्ली की सीबीआई अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में अनूठा फैसला सुनाकर दण्ड का भय कायम करने की शानदार मिसाल पेश की है। दिल्ली में सीबीआई विशेष न्यायालय के जज धर्मेश शर्मा ने दिल्ली नगर निगम के इंजीनियर को रिश्वत तथा भ्रष्टाचार का दोषी पाया। न्यायालय ने […] Read more »
विविधा कठघरे में सीबीआई की साख December 18, 2012 by डॉ0 आशीष वशिष्ठ | Leave a Comment डॉ. आशीष वशिष्ठ देश की प्रमुख जांच एजेंसियों में शुमार सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन अर्थात सीबीआई का प्रयोग राजनीतिक हित साधने और विरोधियों को औकात में रखने के लिए किया जाना कोई नयी खबर नहीं है. कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन का तमगा तक सीबीआई को मिल चुका है. विपक्ष शुरू से सीबीआई के दुरूपयोग का […] Read more » सीबीआई
विविधा मेरी दृष्टि में ‘शांतिनिकेतन’ – सारदा बनर्जी December 17, 2012 / December 17, 2012 by सारदा बनर्जी | Leave a Comment यदि रवीन्द्रनाथ को जानना, समझना और अनुभव करना हो तो ‘शांतिनिकेतन’ सबसे उत्तम स्थान है। रवीन्द्रनाथ जिस विश्व-शांति का उद्घोष शांतिनिकेतन की प्रतिष्ठा द्वारा करना चाहते थे, उस ‘शांति’ को शांतिनिकेतन या बीरभुम की भूमि में, वहां के रम्य वातावरण में सहज ही अनुभव किया जा सकता है। कोलाहल-मुक्त प्रकृति का आस्वाद अभी भी इस […] Read more » शांति निकेतन
विविधा विवाह में सामाजिक दखल बंद हो December 15, 2012 / December 15, 2012 by अनूप आकाश वर्मा | Leave a Comment अनूप आकाश वर्मा बात, पिछले वर्ष की है जब दिल्ली विश्वविद्यालय की एक दलित छात्रा ने अपने ही विभाग के विभागाध्यक्ष पर ये आरोप लगा कर खलबली मचा दी थी कि वो उसे इसलिए ज्योतिषशास्त्र नहीं पढ़ने देना चाहते क्योंकि वह दलित है| इसलिए बड़ा सीधा सवाल है, यदि कोई ब्राह्मण पुत्र व्यापारी जीवन व्यतीत […] Read more » विवाह में सामाजिक दखल
विविधा दुर्व्यवस्था की शिकार भारतीय रेल December 13, 2012 / December 13, 2012 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी भारतीय रेल व्यवस्था का नाम हालांकि विश्व के चंद गिने-चुने सबसे बड़े नेटवर्क में गिना जाता है। स्वतंत्रता से लेकर अब तक भारतीय रेल ने निश्चित रूप से काफी तरक्की भी की है। चाहे वह उच्चस्तरीय रख-रखाव वाले रेल पथ संचालन की बात हो या फिर उस पर दौडऩे वाली तेज़ रफ्तार रेलगाडिय़ों […] Read more » दुर्व्यवस्था की शिकार भारतीय रेल
विविधा बेलगाम होता भ्रष्टाचार December 13, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव पिछले दो साल में तमाम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलानों के बावजूद आम आदमी को भ्रष्टाचार से कोई राहत नहीं मिली है। अन्ना आंदोलन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जनभावना को जबरदस्त ढंग से उभारा था। इससे यह अहसास हुआ था कि कैंसर की तरह नौकरशाही में फैली इस बुराई पर शायद काबू पा लिया जाएगा। […] Read more »
विविधा आखिर कितनी लड़ाईयां और लड़नी पडे़ंगीं जन्मभूमि के लिए ? December 6, 2012 by विनोद बंसल | Leave a Comment विनोद बंसल हमारे ऋषियों मनीषियों ने माता व मातृभूमि को स्वर्ग के समान संज्ञा देते हुए सर्वोच्च माना है। ’’जननी जन्म भूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी‘‘ इस वाक्य के आधार पर अनगिनत लोग बिना किसी कष्ट या अवरोधों की परवाह किये, मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्योक्षावर कर गये। मातृभूमि का अर्थ उस भू भाग से लगाया […] Read more » श्रीरामजन्मभूमि
विविधा भाषा की टूटती मर्यादाएं-अरविंद जयतिलक December 6, 2012 / December 6, 2012 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment नैतिकता के उच्च आदर्शों का परखा जाना कभी खत्म नहीं होता। लेकिन बात जब सियासतदानों पर आ टिकती है तो सब कुछ बेमानी हो जाता है। उनके लिए न तो भाषा की शुचिता का महत्व रह जाता है और न ही राजनीतिक मर्यादा का मतलब। वे संविधान, संसद और जनमत सबसे उपर हो जाते हैं। […] Read more »