विविधा एक खुला पत्र नीतिश कुमार के नाम July 17, 2012 / July 17, 2012 by प्रवीण गुगनानी | 5 Comments on एक खुला पत्र नीतिश कुमार के नाम माननीय नीतिश कुमार जी, मुख्यमंत्री बिहार , नमस्कार , आपके कथन कि “ प्रधानमन्त्री पद पर कोई हिन्दुत्ववादी व्यक्ति आसीन नहीं हो सकता “ को पढ़ने सुनने के बाद ह्रदय को ठेस लगी और आपसे खुला पत्र व्यवहार करने का मन हुआ अतः लिख रहा हूँ — आपने कहा है कि कोई हिन्दुत्ववादी -साथ साथ […] Read more » Nitish Kumar
विविधा धर्म से जुड़ी कुछ विसंगतियां July 17, 2012 by बीनू भटनागर | 1 Comment on धर्म से जुड़ी कुछ विसंगतियां बीनू भटनागर आस्था, विश्वास ,अंधविश्वास ,संस्कार, संसकृति ,परम्परा, आध्यात्म और धर्म तथा ऐसे ही कुछ और शब्द आपस मे बहुत उलझे हुए हैं। मै इन शब्दों की परिभाषा नहीं कर रही हूँ बल्कि इन उलझे हुए शब्दों को सुलझाने का प्रयास करना चाहती हूँ। इन शब्दों में कुछ समानताएं होते हुए भी ये व्यापक अर्थ […] Read more » धर्म
महत्वपूर्ण लेख विविधा मीनाकुमारी, सारथी – पासवान और दिल्ली की मोमबत्तियाँ July 16, 2012 / July 16, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 2 Comments on मीनाकुमारी, सारथी – पासवान और दिल्ली की मोमबत्तियाँ [राजगीर भ्रमण करते हुए] राजीव रंजन प्रसाद “मीना कुमारी हमको बहुत पसंद है सर इसलिये अपनी घोडी का नाम भी यही रख दिये हैं”। सुरेन्द्र पासवान, जो राजगीर में मेरे सारथी थे, कुछ मुस्कुराकर और थोड़ी उँची आवाज में बोले। मौसम मनोनुकूल था, बादल छाये हुए थे और हवा की सामान्य से कुछ तेज गति […] Read more » राजगीर प्रवास
विविधा लैला की हत्या के पीछे के रहस्य July 16, 2012 / July 17, 2012 by केशव पटेल | Leave a Comment पाकिस्तानी मूल की बॉलीवुड अभिनेत्री लैला खान और उसके परिवार की हत्या के रहस्य पर से आखिर कब पर्दा उठेगा, कोई नहीं जानता, पर उसकी हत्या का रहस्य एक सामान्य अपराध का विषय न होकर गंभीर और चिंताजनक है। क्योंकि लैला खान पाकिस्तानी नागरिक थी। उसके जेहादियों से संबंध के बारे में भी शंका थी […] Read more » murder mystery of Laila khan बॉलीवुड अभिनेत्री लैला खान लैला खान
विविधा संस्मरण / दीदी July 12, 2012 by गंगानन्द झा | Leave a Comment – गंगानन्द झा डॉक्टर कल्याणी दास मिश्र मनुष्य ने भगवान से कहा—“विधाता! तुम्हारी दुनिया तो बहुत ही निर्मम और हृदयहीन है। इसको रहने लायक बनाने के लिए मैं कुछ नहीं कर पा रहा।“ भगवान ने मनुष्य से कहा— “कुछ और करने के बजाय बस तुम अपने आपको थोड़ा बेहतर बना लो।“ दिल्ली के जंतर मंतर […] Read more »
महत्वपूर्ण लेख विविधा अगर तुम न होते ह्वेनसांग…। July 12, 2012 / July 12, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 3 Comments on अगर तुम न होते ह्वेनसांग…। [यात्रा वृत्तांत] – राजीव रंजन प्रसाद ——————————— [लेखन करते हुए ह्वेनसांग, संग्रहाल से एक तैलचित्र] रिक्शेवाले से नाम ठीक तरह उच्चारित नहीं हो रहा था। उसनें कहा कि “यहाँ हंसवांग का महल है”। मैं मुस्कुरा दिया, मैंने पूछा कि “जानते हो कौन था यह हंसवांग?” अब कि मुस्कुराने की बारी रिक्शावाले की थी बोला […] Read more » यात्रा वृत्तांत
महत्वपूर्ण लेख विविधा नालंदा, बख्तियार खिलजी और आज हमारी शिक्षा व्यवस्था के दायरे July 12, 2012 / July 12, 2012 by राजीव रंजन प्रसाद | 1 Comment on नालंदा, बख्तियार खिलजी और आज हमारी शिक्षा व्यवस्था के दायरे [यात्रा वृतांत] – राजीव रंजन प्रसाद नालंदा में एक बहुत उँची सी दीवाल के सामने खड़ा मैं उस भयावह दृश्य की कल्पना कर रहा था जब तुर्क लुटेरे बख्तियार खिलजी नें सन 1199 ई. में इस विश्वविद्यालय को आग के हवाले कर दिया होगा। कई दीवारों पर आग से जलने के चिन्ह मौजूद हैं जो […] Read more » नालंदा बख्तियार खिलजी शिक्षा
विविधा भारत में विश्व जनसँख्या दिवस के मायने July 11, 2012 by राजीव गुप्ता | 1 Comment on भारत में विश्व जनसँख्या दिवस के मायने राजीव गुप्ता गत वर्ष 31 अक्टूबर 2011 को गैर सरकारी संस्थाओ के अनुसार भारत में 7 अरबवें बच्चे के जन्म के साथ विश्व की जनसँख्या 7 अरब हो गयी ! संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) के प्रतिनिधि ब्रूस कैम्पबेल ने एक संवाददाता सम्मेलन में ने इस बढ़ती हुई आबादी को एक चुनौती मानते हुए […] Read more » World Population Day विश्व जनसँख्या दिवस
विविधा एनजीओ पर नकेल क्यों और कैसे? / -राजेश कश्यप July 11, 2012 / July 11, 2012 by राजेश कश्यप | Leave a Comment देश में एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) का मकड़जाल चरम पर पहुंच चुका है। इन एनजीओ की प्रकृति परजीवी अमरबेल की तरह हो चुकी है, जो ऊपरी तौरपर तो सुनहरी दिखाई देती है, लेकिन वास्तव में वह उसी पेड़ की शाखाओं को चूसती रहती है और धीरे-धीरे अपना तिलिस्मी मकड़जाल बढ़ाते हुए, पूरे पेड़ को अपने […] Read more » ban on NGO एनजीओ पर नकेल एनजीओ पर नकेल क्यों
विविधा लेखन के बहुआयामी आयाम July 10, 2012 by राखी रघुवंशी | 1 Comment on लेखन के बहुआयामी आयाम राखी रघुवंशी ” अब्बा थैंक्यू, आपने मुझे इस लेखन कार्यशाला में आने दिया। यह बात भोपाल की तंग गलियों में बने एक मदरसे में लेखन कार्यशाला के दौरान हुर्इ गतिविधि में तैयबा ने लिखी। कार्यशाला में ”अपनों के नाम चिटठी लिखने की एक गतिविधि हुर्इ, जिसमें ज्यादातर लड़कियों ने अपने पिता के नाम चिटठी लिखीं, […] Read more » Journalism लेखन के बहुआयामी आयाम
विविधा बबुआ जी ! लोग भले बिहारी कहे……हम तो भारत के हैं ! July 9, 2012 / July 9, 2012 by राजीव पाठक | 1 Comment on बबुआ जी ! लोग भले बिहारी कहे……हम तो भारत के हैं ! राजीव पाठक चेरापूंजी पहुँचाने से पहले ही मेरे दोस्त की नैनों कार में कुछ खराबी आ गई | काफी देर तक हम दोनों गाड़ी को स्टार्ट करने की कोशिश में जुटे रहे | हालाँकि मुझे न तो ड्राइविंग आती थी और न ही गाड़ी के किसी कल-पुर्जे का ही मुझे ज्ञान था इसिलिय मैं तो […] Read more »
विविधा नए खून को आगे आने दें July 4, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment बुजुर्ग संरक्षक और मार्गदर्शक बनें – डॉ. दीपक आचार्य लगता है जैसे सब कुछ ठहर सा गया है। पुराने लोगों का जमघट इस कदर हावी है कि नई पौध को आगे आने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है और इस वजह से पुरानी पीढ़ी कहीं स्पीड़ ब्रेकर तो कहीं दूसरी-तीसरी भूमिकाओं में धुँध […] Read more » युवा