आर्थिकी विविधा मोदी के आर्थिक सुधारों पर अंतर्राष्ट्रीय मोहर November 23, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment “कालखंड या समय या इतिहास को हम दो भागों में विभाजित करते हैं, एक bc अर्थात बिफोर क्राइस्ट और दुसरे dc अर्थात एन्नो डोमिनी. इस प्रकार स्वातंत्र्योत्तर भारत कीअर्थव्यवस्था अब दो कालखंडो से जानी जायेगी एक नरेंद्र मोदी/नोटबंदी के पूर्व की अर्थव्यवस्था और दुसरी नरेंद्र मोदी द्वारा इस प्रतिबंध के बाद की अर्थव्यवस्था”. 9 नवम्बर2016 को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सनसनीखेज ढंग से घोषित की गई नोटबंदी के तत्काल बाद एक समाचार पत्र हेतु लिखी गई अपनी त्वरित टिप्पणी में जब मैंने यह उपरोक्तवाक्य लिखा था तब इस वाक्य पर मैं स्वयं केवल दृढ़ था किंतु मेरे इस कथन पर आज मैं दृढ़ से एक कदम आगे बढ़कर सुदृढ़ हूँ. इस संदर्भ में एक कथन और स्मरण कराता हूँ किदेश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रम पद पर आसीन होने के बाद कहा था कि –“ हम कारोबारी सुगमता में विश्व बैंक की रेटिंग को 50 वें स्थान से नीचें ले जायेंगे”. मोदी जी कायह वचन व संकल्प पूर्णता की ओर बढ़ता दिखाई पड़ रहा है. विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के बाद यह विश्वास व्यक्त किया जाने लगा था कि अब विश्व व्यापार जगत में भारत कीस्थिति में सुधार होगा व अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग की मूडीज व फ्लीच जैसी संस्थाएं भारत की क्रेडिट रेटिंग में खासा सुधार कर सकती हैं. अब मध्य नवंबर, 2017 तक यहसंभावना तथ्य में बदल गई है और मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधार कर देश के ठीक ठाक चल रहे आर्थिक मूड को प्रसन्नचित्त व तेजी के मूड में बदल दिया है. इस क्रेडिटरेट में सुधार से पूर्व भारत की रेटिंग दयनीय स्थिति में पहुँच गई थी और “जंक स्टेटस” से मात्र एक कदम दूर थी. भारत के संदर्भ में यह रेटिंग सुधार पिछले 13 वर्षों में पहलीबार हुआ है. इस रेटिंग सुधार ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि भारत हेतु केंद्र में एक ईमानदार व स्पष्ट बहुमत धारी सरकार कितना महत्त्व रखती है. नोटबंदी व जीएसटी जैसे बड़े व क्रांतिकारी निर्णयों के बाद मोदी सरकार कई बार दबाव में दिखती थी व प्रतीत होता था कि आलोचनाएँ उसे कुंठित करेंगी किंतु सरकारइन दुराशाओं को झुठलाया व सतत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही. इस संदर्भ में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी उसकी महत्वाकांक्षी योजनाओं ने सरकारी धन के तथाकथितलीकेज को एकदम बंद कर दिया अरबों रुपया यथोचित आवश्यकता वाले व्यक्तियों तक सीधा पहुँचने लगा. कालेधन की समानान्तर अर्थव्यवस्था बड़े स्तर प प्रभावित हुई वदेश का राजस्व बढ़ने लगा है. इस बढ़े राजस्व से केंद्र की मोदी सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं को निर्बाध चला सकती है व चला भी रही है. नोटबंदी के नवम्बर 2016 के बाद पहली नवम्बर 2017 को विश्व बैंक ने कारोबारी सुगमता विषयक एक रिपोर्ट प्रस्तुत की. कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डुइंगबिजनस लिस्ट ) की इस रिपोर्टिंग में विश्व बैंक ने भारत की रेटिंग में 30 अंकों का सुधार करते हुए भारत को 130 वें स्थान से सुखद रूप से 100 वें स्थान पर ला खड़ा किया.रेटिंग के इस सुधार ने दुसरे ही दिन सेंसेक्स और एनएसई में आई उछाल से अपना महत्त्व स्पष्ट कर दिया था. यद्दपि इस रेटिंग के निर्धारण में नोटबंदी को वैश्विक सन्दर्भों मेंअपवाद घटना मानकर निर्णायक तथ्यों से अलग रखा गया है तथापि नोटबंदी का, अनिवार्यतः जो प्रभाव समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ा, उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दोनों हीस्थितियों में विश्व बैंक की रेटिंग के संदर्भ में अलग नहीं रखा जा सकता है. मेरा कथन बड़ा ही स्पष्ट है कि चालू वर्ष में जबकि नोटबंदी व जीएसटी के बाद के कई सुधार अपनाव्यापक प्रभाव बताने लगे हैं. यह निश्चित लग रहा है कि ये प्रभाव इस रेटिंग को और श्रेयस्कर स्तर पर ले जाने में खासे सफल होंगे. अमेरिकी रेटिंग्स एजेंसी मूडीज ने भारत कीसॉवरन क्रेडिट रेटिंग्स को एक पायदान ऊपर कर दिया. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत सरकार के स्थानीय और विदेशी मुद्रा जारी करनेवाली रेटिंग्स ‘Baa3′ से बढ़ाकर’Baa2’ कर दी और रेटिंग आउटलुक को स्थिर से बढ़ाकर सकारात्मक कर दिया. यहां यह बड़ी ही उल्लेखनीय बात है कि देश के तीन वित्तीय विशेषज्ञ माने जाने वाले तीन पूर्ववित्त मंत्री मनमोहन, चिदंबरम व यशवंत सिन्हा बड़े ही दुराशयी, मिथ्या व तर्कहीन सिद्ध हो गए. नोटबंदी व जीएसटी के ये तीन बड़े आलोचक जो आर्थिक क्षेत्रों के बड़ेजानकार माने जाते हैं, उनकी आलोचना के मुख्य बिंदु ही धराशायी हो गए. विपक्ष के हाथों से आर्थिक आलोचना का एक बड़ा मुद्दा न केवल खसक गया अपितु अकारण,निराधार व थोथी आलोचना हेतु विपक्ष की भद्द भी पिट गयी. कांग्रेस व भाजपा के ही यशवंत सिन्हा को सिरे से नकारते हुए मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी को एक अच्छाकदम बताया है, साथ ही अन्य कई फैसलों की भी तारीफ की है. मूडीज़ की रिपोर्ट में इस रैंकिंग में सुधार की वजह भारत के द्वारा किए जा रहे आर्थिक और सांस्थानिक सुधार हैंको भी बताया है. भारत को निवेश हेतु बेहतर माहौल वाला देश बताया गया है और मूडीज ने मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्ज को कम करने की प्रवृत्ति को रेटिंग सुधार काएक कारण बताते हुए उसकी प्रसंशा की है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के कारण तीव्र गति से बढ़ने वाले अंतर्राज्यीय व्यापार से भी बहुत आशाएं व्यक्त की हैं. आधार,डॉयरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम जैसे सुधारों से भी नॉन परफॉर्मिंग लोन और बैंकिंग सिस्टम में आये सुधार की भी प्रसंशा की गई है. मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में भारतीयजीडीपी में आई कमी को तात्कालिक कमी बताया है व मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों को दीर्घकालिक सुधार बताते हुए उनकी प्रसंशा की है और इस आधार पर भारत कीजीडीपी ग्रोथ मार्च 2018 तक 6.7 % होगी, यह अनुमान लगाया है. और इसके भी आगे जाकर 2019 तक जीडीपी एक बार फिर 7.5 फीसदी तक पहुंचेगी इस आशा को भीबलवती बताया है. निश्चित ही विश्व बैंक व मूडीज की रिपोर्टों व प्रसंशा से भारत का आर्थिक माहौल सुधरा है और अब अनेक प्रकार की आशाएं व्यक्त की जाने कगी हैं, जैसे – देश में भीकर्ज सस्ता होगा, भारतीय कंपनियों को सस्ता कर्ज मिलेगा. विदेशी कम्पनिया भारत में अधिक पैसा लगाएंगी. अन्य अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग कम्पनियां भी भारत की रेटिंग मेंवृद्धि करेंगी. आम जनता, कारोबारियों व उद्योगपतियों का सरकार पर भरोसा बढ़ेगा जिससे सकल उत्पाद बढेगा व इन सबके परिणाम स्वरूप महंगाई कम होगी. शेयर बाजारसुधरेंगे, आम निवेशकों को अधिक रिटर्न देंगे इससे भारतीय मुद्रा रुपया मजबूत होगा और अन्ततोगत्वा सरकार का राजस्व बढ़ेगा जिससे चहुँओर विकास होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहप्रदेश गुजरात में चल रहे चुनाव इस दिशा में निश्चित ही मोदी सरकार को कुछ बढ़त प्रदान करेंगे. व्यवसाइयों के प्रदेश गुजरात के इनचुनावों में कांग्रेस के पास जातिवाद का जहर फैलाने के अतिरिक्त नोटबंदी, जीएसटी और कारोबारी विफलता ही एक मात्र मुद्दा थी. अब स्थिति यह है कि गुजरात की जनताजातिवाद के नाम पर विभक्त हो नहीं रही व मूडीज की सुधरी हुई रेटिंग ने व विश्व बैंक की प्रसंशा ने कांग्रेस से एक बड़ा चुनावी हथियार छीन लिया है. अन्तराष्ट्रीय संस्थानों सेकेंद्र सरकार को और उसके बहुचर्चित निर्णयों को जो मान्यता मिली है इसके दीर्घकालीन व तात्कालिक दोनों ही परिणाम मोदी सरकार को मिलेंगे इतना तय है. 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विविधा अयोध्या पर क्या मंजूर है शिया वफ्फ का फैसला ! November 23, 2017 / November 23, 2017 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल अयोध्या में राममन्दिर निर्माण पर दोनों पक्षकारों और समुदाय के बीच धर्मगुरु और आर्ट्सआफ लीवींग के संस्थापक श्री- श्री रविशंकर जी और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी की पहल कितनी कामयाब होगी अभी कहना मुश्किल है । लेकिन इस प्रयास का स्वागत किया जाना चाहिए। क्योंकि श्री के पास जहाँ इस […] Read more » Featured अयोध्या इलाहाबाद हाईकोर्ट बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि राममंदिर राममंदिर निर्माण वसीम रिजवी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड श्री- श्री रविशंकर जी हिंदू-मुस्लिम पक्षकार
विविधा मुस्लिम तीर्थ सऊदी में योग की जय जय November 18, 2017 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment इस्लाम को जन्म देनें वाली भूमि, मुसलमानों की उद्गम भूमि सऊदी अरब ने शुद्ध वैदिक, सनातनी व हिंदू अवधारणा (कंसेप्ट) “योग” को एक खेल के रूप में मान्यता दे दी है.प्राचीन व प्रागेतिहासिक विश्वगुरु रहे भारत व हिंदूत्व हेतु यह एक छोटी सी घटना है किंतु वर्तमान परिप्रेक्ष्य के भारतीय सामजिक ताने बाने हेतु यह एक अनुकरणीय दृष्टांत है.एक आधिकारिक शासकीय घोषणा में सऊदी अरब ने न केवल योग को एक खेल के रूप में मान्यता दी है बल्कि योग को शरीर विज्ञान का अद्भूत ज्ञान पूंज बताते हुए इसकीमहिमा भी वर्णित की है. सऊदी के इस आदेश के तहत अब सऊदी अरब में योग के शिक्षण प्रशिक्षण, प्रचार, योग शिविर लगाने व इसके मेडिकल व्यावसायिक स्वरूप को भीमान्यता दे दी है. जब उधर इस्लाम के तीर्थ में योग के प्रसंशा गीत और स्वीकार्यता के आदेश लिखे जा रहे थे तब इधर भारत में भारतीय मुस्लिम झारखंड में योग की लानतमलामत कर रहे थे. झारखंड की राजधानी रांची में मुस्लिम समुदाय के लोग एक मुस्लिम लड़की राफिया नाज और उसकी मासूम बेटी के खून के प्यासे हो गए थे क्योंकि वहयोग सीखा रही थी. राफिया के योग करने और बच्चों को योग सिखाने से चिढ़े मुस्लिम युवाओं के एक समूह ने राफिया नाज और उसकी बेटी को बलात्कार और क़त्ल की धमकीदेते हुए योग बंद करने का फतवा दे दिया. विशुद्ध इस्लामिक देश सऊदी अरब में योग को एक खेल के तौर पर आधिकारिक मान्यता दे दी है, और अब वहां लाइसेंस लेकर योग सिखाया जा सकेगा. नोफ मारवाईनामक एक महिला ने ही सऊदी अरब में अभियान चलाकर योग को मान्यता दिलाई है. नोफ मरवाई को ही सऊदी अरब की पहली योग प्रशिक्षक का दर्जा भी मिल गया है. प्रश्नयह है कि जब इस्लाम के जन्म की धरती सऊदी अरब सहित कई मुस्लिम देश योग को अपना रहें हैं तो फिर भारतीय मुल्ला, मौलवियों और फतवेबाजों को योग से क्या आपत्तिहै?! स्पष्ट है कि यह आपत्ति योग से नहीं बल्कि भारतीयता से है. यह भी स्पष्ट है कि भारतीय मुस्लिम समाज के तथाकथित नेता भारत के इस्लाम को तनिक सा भी प्रगतिशील,शिक्षित व सुसंस्कृत होते हुये नहीं देखना चाहता. तभी तो सऊदी अरब में योग की स्वीकार्यता के सच को झूठलाते हुए, सच से मूंह छुपाते हुए और कुतर्क करते हुए देवबंद केउलेमा का कहना है कि सऊदी हुकूमत ने स्कूलों में वर्जिश को अनिवार्य किया है. योग तो शिर्क (गलत) है, इसलिए वहां की हुकूमत उसे कभी लागू नहीं कर सकती. फतवाऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारूकी भी भारत में अनावश्यक वितंडा फैला रहें है और बेसुरी जहरीली व साम्प्रदायिक राग आलाप रहें है कि सऊदी अरब केस्कूलों में किसी चीज को अनिवार्य किया गया है वो योग नहीं बल्कि वर्जिश है और शरीयत के लिहाज से योग शिर्क (वर्जित) है और सऊदी अरब अपने यहां शिर्क को कभी लागूनहीं कर सकता. और आगे बढ़ते हुए और सऊदी अरब के ज्वलंत सच को झूठलाते हुए उन्होंने कहा कि वर्जिश सही है, लेकिन योग इस्लामी नुकते नजर से गलत है, दुनिया केनक्शे में वो जो तब्दीलियां कर रहे हैं जरूरी नहीं की हम भी उन्हें माने. हम सिर्फ शरीयत को मानते और उसी पर चलते हैं, और शरीयत में योग की कोई गुंजाइश नहीं है. भारतमें कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा भारतीय मूल्यों से हद दर्जे की घृणा करने और समाज में धार्मिक उन्माद का जहर फैलाने का यह कोई प्रथम अवसर नहीं है. कट्टरपंथी, धर्मान्थ औरघोर हिंदू विरोधी मुस्लिम तत्व ऐसा अक्सर करते रहते हैं. ऐसा हर बार होता है कि भारतीय मुस्लिमों द्वारा, भारत की प्राचीनता, संस्कृति, धर्म व परम्पराओं से उपजी किसीभी बात को, कुतर्कों के आधार पर अनावश्यक ही शरियत विरोधी सिद्ध कर दिया जाता है. आज परम आवश्यकता इस बात की हो गई है कि भारत का पढ़ा लिखा, सभ्य,प्रगतिशील मुस्लिम वर्ग इस बात को समझें व इन कट्टरपंथी, तर्कहीन, अशिक्षित, लट्ठमार मुसलमानों से स्वयं को अलग करके भारत में एक नई इबारत लिखने हेतु आगे बढ़े.भारतीय मुस्लिमों के शिक्षित वर्ग को योग ही नहीं बल्कि हर विषय में, इन कट्टरपंथियों से यह बात पूछना चाहिए कि उन्हें योग से घृणा या भारतीय संस्कृति से? आज सऊदीअरब ने विशुद्ध वैदिक विचार, योग को स्वीकार्यता देकर भारतीय मुस्लिमों के समक्ष एक सकारात्मक पहल प्रस्तुत कर दी है. अब भारतीय मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवों वउन्मादित बातों में न आयें व योग को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर प्रेम, सौहाद्र व सद्भाव का एक उदाहरण प्रस्तुत करे. आज जब योग को सम्पूर्ण विश्व स्वीकार कर चुका है.संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा धरती के सबसे लम्बे व दीर्घ दिन 21 जून को “विश्व योग दिवस” की मान्यता मिल चुकी है, तब भारतीय मुस्लिमों द्वारा योग का विरोध करना कूए केमेंढक बने रहने जैसा ही कहलायेगा और उनके घोर धर्मांध होनें व धर्म के नाम पर अनावश्यक ही हर भारतीय विचार के विरोधी होने की एक ज्वलंत प्रतीक घटना भी बनजायेगी. अमेरिकी नागरिक डेविड फ्राली ने सऊदी अरब द्वारा योग को स्वीकार किये जाने के संदर्भ में भारत के मुस्लिम समुदाय व ईसाई समुदाय से बड़ा ही सटीक प्रश्न किया हैकि जब समूचा विश्व योग को एक आयुर्विज्ञान विषय मान रहा है तब केवल भारत के मुस्लिम ही इसका विरोध करते क्यों दिखलाई पड़ रहे हैं?! भारतीय मुस्लिम जगत में योग को लेकर तब ही विरोध के स्वर सामने आ गये थे जब पहली बार विश्व भर मे 21 जून 2015 को योग दिवस प्रतिष्ठा पूर्वक मनायागया था. भारतीय मुस्लिम योग के धार्मिक न होने के तथ्य को नरेन्द्र मोदी के उस कथन से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनेभाषण में कहा था कि – “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है;विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है. यह योग केवल व्यायाम के बारे में नहीं है,अपितु अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है. हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददकर सकता है”. मोदी के इस कथन के बाद 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में 193 सदस्यों द्वारा 21 जून को “अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलीथी. भारत के इस योग के प्रस्ताव को विश्व समुदाय ने मात्र 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया, जो कि संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कमसमय है. आज विश्व के 177 देशों में योग को वैधानिक मान्यता मिली हुई है. आशा है योग की अन्तराष्ट्रीय मान्यता, योग के आयुर्वैज्ञानिक महत्त्व, इसकी सहज, निःशुल्क उपब्धता व महातम्य को देखते हुए भारतीय मुस्लिमों में से ही शिक्षितमुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग योग को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार करके इस्लाम को प्रगतिवाद के मार्ग पर अग्रसर करेगा. Read more » Featured yoga as a play in Saudi Arabia yoga as a sports ईसाई समुदाय मुस्लिम समुदाय योग को एक खेल सऊदी अरब में योग
विविधा जानिए दान के लाभ एवं हानि — November 18, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | Leave a Comment (दान से भी हो सकते नुकसान)—- प्रिय पाठकों/मित्रों,हमारे हिन्दू धर्म में दान का अत्यधिक महत्व माना गया है, यह सिर्फ केवल हमारा रिवाज एवं परम्परा मात्र नहीं है बल्कि दान करने के पीछे हमारे धर्मिक ग्रंथो एवं शास्त्रों में महत्वपूर्ण उद्देश्य बताए गए है. ग्रंथो के अनुसार जब कोई व्यक्ति दान करता है तो उसके […] Read more » benefits of donation Featured what to donate दान के लाभ एवं हानि दान से भी हो सकते नुकसान
विविधा कुरान, इस्लाम और मुसलमान November 18, 2017 by शालिनी तिवारी | Leave a Comment वर्ष 2010 के एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाँ के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक सम्प्रदाय इस्लाम के तकरीबन 1.6 अरब अनुयायी हैं. जोकि विश्व की आबादी की लगभग 23% हिस्सा हैं, जिसमें 80-90 प्रतिशत सुन्नी और 10-20 प्रतिशत शिया हैं. मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, अफ्रीका का हार्न, सहारा, मध्य एशिया एवं एशिया के अन्य कई हिस्सों […] Read more » Featured Islam muslims quran इस्लाम कुरान मुसलमान
विविधा सिनेमा मैंने देखी पद्मावती: सच्चाई क्या है ? November 18, 2017 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | 2 Comments on मैंने देखी पद्मावती: सच्चाई क्या है ? डॉ. वेदप्रताप वैदिक फिल्म पद्मावती को लेकर आजकल जैसा बवाल मच रहा है, अफवाहों का बाजार जैसे गर्म हुआ है, वैसा पहले किसी भी फिल्म के बारे में सुनने में नहीं आया। बवाल मचने का कारण भी है। पद्मावती या पद्मिनी सिर्फ राजस्थान ही नहीं, सारे भारत में महान वीरांगना के तौर पर जानी जाती […] Read more » Featured पद्मावती
पर्यावरण विविधा धुंध का समाधान – गोवंश आधारित खेती November 13, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment इन दिनों दिल्ली और पूरा उत्तर भारत धुंध से परेशान है। प्रशासन ने कई जगह छोटे बच्चों के स्कूल बंद करा दिये हैं। सांस तथा फेफड़े के मरीजों को विशेष सावधानी रखने तथा अधिकाधिक तरल पदार्थ लेने को कहा जा रहा है। सुबह टहलने वालों को भी कुछ दिन घर ही रहने की सलाह दी […] Read more » Featured गोवंश आधारित खेती धुंध का समाधान
पर्यावरण विविधा दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का जिम्मेदार कौन ? November 13, 2017 / November 23, 2017 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल दिल्ली की आबोहवा दमघोंटू हो चुकी है। सांस लेना भी मुश्किल हो चला है। हमारे लिए यह कितनी बड़ी बिडंबना है। जहरीली होती दिल्ली हमारे लिए बड़ा खतरा बन गई है। पर्यावरण की चिंता किए बगैर विकास का सिद्धांत मुश्किल में डाल रहा है। यह पूरी मानव सभ्यता के लिए चिंता का विषय […] Read more » Featured pollution in Delhi दिल्ली दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-63 November 12, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इतनी बड़ी संख्या में समाजसेवी संगठनों के होने के उपरान्त भी यदि परिणाम आशानुरूप नहीं आ रहे हैं तो यह मानना पड़ेगा कि कार्य उस मनोभाव से या मनोयोग से नहीं किया जा रहा है-जिसकी अपेक्षा की जाती है। हमें अपने सामाजिक स्वयंसेवी संगठनों की कार्यशैली को सुधारना होगा। जातिगत आधार पर बनने वाले सामाजिक […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू
विविधा वैश्विक उन्नति का आधार भारतीय संस्कृति November 12, 2017 by विनोद बंसल | Leave a Comment – विनोदबंसल दुनिया में भौतिक उन्नति के नित नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं. व्यक्ति जहां चन्द्रमा से बहुत ऊपर तक पहुँच गया है वहीँ समुद्र तल की गहराइयों की सीमाओं को भी लांघ चुका है. तकनीक के माध्यम से घर बैठे सफलतापूर्वक ड्रोन हमले संभव हुए हैं तो वहीँ व्यक्ति विकास के नित नए […] Read more » Featured भारतीय संस्कृति वैश्विक उन्नति का आधार
विविधा छात्रों में पनपती हिंसक प्रवृत्ति November 10, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल के छात्र प्रद्यम्न ठाकूर हत्या मामले में सीबीआई जांच के बाद जो नया मोड़ आया है, वह हैरानी में डालने वाला है। पुलिस और सीबीआई जांच के बाद एक ही सबूतों के आधार पर जो विरोधाभासी निष्कर्ष निकले हैं, उनसे यह संशय भी आम लोगों में उत्पन्न हुआ […] Read more » Featured प्रद्युम्न हत्याकांड रेयान इंटरनेशनल स्कूल सीबीआई जांच
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-64 November 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment उपरोक्त लेखक आगे लिखते हैं कि-‘‘रोम में कैथोलिकों की जनसंख्या लगभग पच्चीस लाख (1978 में) है। यहां प्रतिवर्ष सत्तर नये पादरी निर्माण किये जाते थे। जब 1978 में लुसियानी (जॉन पॉल प्रथम) पोप बने तब मात्र छह पादरी ही निर्माण होते थे। वस्तुत: शहर के अधिकांश क्षेत्रों में पैगन (अर्थात मूत्र्तिपूजक हिन्दू लोग) भरे थे […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू