विविधा विकासमूलक संचार की तलाश में March 12, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment विकासमूलक सम्प्रेषण का लक्ष्य है शोषण से मुक्ति दिलाना। व्यक्तिगत और सामुदायिक सशक्तिकरण। इस अर्थ में विकासमूलक सम्प्रेषण सिर्फ संदेश देने का काम नहीं करता बल्कि ‘मुक्तिकामी सम्प्रेषण’ है। आम लोगों में यह भाव पैदा करता है कि वे स्वयं भविष्य निर्माता बनें। इस प्रक्रिया में सभी शामिल हों। न कि सिर्फ लक्ष्यीभूत ऑडिएंस। इस […] Read more » Developement विकासमूलक संचार
विविधा कहां गई गौरैया की चहचहाहट March 12, 2010 / December 24, 2011 by लिमटी खरे | 1 Comment on कहां गई गौरैया की चहचहाहट याद है, जब छोटे थे, तब स्कूल जाने के लिए अलह सुबह उठाया जाता था, यह कहकर देखो चिडिया आई, देखो कौआ आया, वो देखो मोर आया। घर की मुंडेर पर छोटी सी चिडिया चहकती रहती, और उठकर स्कूल के लिए तैयार होने लगते। गरमी में कोयल की कूक मन को अलग ही सुकून देती […] Read more » Sparrow गौरैया
विविधा शांति का आधार: शिक्षा – डॉ रामजी सिंह March 12, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on शांति का आधार: शिक्षा – डॉ रामजी सिंह शांति जीवन की आधारभूत अशंका है, लेकिन विडंबना है, वह आदिकाल से इसके लिए अशांति के आयोजन में लगा रहा है। यही कारण है अशांति कभी धर्म के रथ पर आती है तो कभी राजनीति की सखी बनकर प्रस्तुत होती है। यही कारण है कि विश्व मानवता हिंसा से लहूलुहान हो चुकी है और लगभग […] Read more » Education शिक्षा
विविधा सफ़ेद दूध का काला कारोबार March 11, 2010 / December 24, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | Leave a Comment उपभोक्तावादी संस्कृति के चलते धन की चाहत ने लोगों को संवेदनहीन बना दिया है। वे पैसा कमाने के लिए खाद्य पदार्थों में भी मिलावट करने लगे हैं। कुछ जालसाज और स्वार्थी लोगों द्वारा शुद्ध दूध के नाम पर ‘सिंथेटिक दूध’ पीने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह सिंथेटिक दूध रिफाइंड आयल, कास्टिक सोडा, […] Read more » Milk दूध का काला कारोबार
विविधा ऊर्जा का वैकल्पिक स्त्रोत है शैवाल March 1, 2010 / December 24, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 9 Comments on ऊर्जा का वैकल्पिक स्त्रोत है शैवाल बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में संपन्न हुई अंतराष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी में ऊभर कर आई यह बात वाराणसी, 28 फरवरी (हि.स.)। शैवाल मानव जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण और बहुगुणी है। यह न केवल खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग में लाई जा सकती है बल्कि गंदगी साफ करने तथा स्वास्थ्य की ह्ष्टि से भी विशेष महत्व […] Read more » Energy ऊर्जा
विविधा मंदी व मंहगाई की मार झेलती जनता हो रही है ठगी का भी शिकार February 27, 2010 / December 24, 2011 by निर्मल रानी | Leave a Comment अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर छाई मंदी जहां बड़े -बडे उद्योगों तथा कारपोरेट जगत से जुडे लोगों को आर्थिक संकट से ठीक तरह से उबरने नहीं दे रही है वहीं बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने भी आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है। हालांकि सरकार द्वारा मंदी व महंगाई को लेकर तरह तरह के तर्क पेश […] Read more » Inflation ठग
विविधा छोटी खबर बडा असर! February 27, 2010 / December 24, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment राजस्थान के एक दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय संस्करण में छोटी सी खबर प्रकाशित हुई कि राजस्थान के पूर्व में स्थित करौली जिले के एक गाँव के युवक की इस कारण से मौत हो गयी, क्योंकि उसकी आँख में चेंपा घुस गया, जिसके चलते उसने मोटरसाईकल का सन्तुलन खो दिया और वह पत्थरों से जा […] Read more » Bike चेंपा बाइक मोटरसाइकिल
विविधा ‘तेरा’ ‘मेरा’ ग्लोबल प्रेत February 27, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment प्रेत कभी अकेले नहीं आते हमेशा अनेक के साथ आते हैं। यह वर्णशंकर प्रेत है। यह आधा भारतीय है और आधा विलायती है। इसका राजनीतिक शरीर भी वर्णशंकर है। आधा ”हमारा” और आधा ”तुम्हारा”। यह अद्भुत मिश्रित क्लोन है। ग्लोबल कल्चर की उपज है। इसके कपड़े और मुखौटे जरूर राजनीतिक दलों के हैं किंतु इसकी […] Read more » Global प्रेत
विविधा निराशा असमय मृत्यु और आशा जीवन की वीणा है February 27, 2010 / December 24, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 1 Comment on निराशा असमय मृत्यु और आशा जीवन की वीणा है मित्रों, हममें से अधिकतर लोग इस कारण से दुःखी, परेशान और तनावग्रस्त रहते हैं, क्योंकि हम जाने-अनजाने अपने वर्तमान को, स्वयं ही नष्ट कर रहे हैं। कोई भी सामान्य व्यक्ति यदि ईमानदारी से स्वयं का आकलन करेगा तो वह पायेगा कि गुजर चुका समय और आने वाला समय हमेशा उसे परेशान रखता है और भूत […] Read more » Death निराशा मृत्यु
विविधा गांधी केवल बहस का मुद्दा न बने February 26, 2010 / December 24, 2011 by शिवानंद द्विवेदी | Leave a Comment भारतीय स्वतंत्रता इतिहास के पन्नो को अगर पलट कर देखा जाय तो महात्मा गाँधी के अलावा शायद ही कोई व्यक्तित्व मिलेगा जो गाँधी के बराबर में विश्व समुदाय को प्रभावित किया हो। अफ्रीका की बात करें या अमेरिका की, गाँधी का प्रभाव सार्थक परिणाम के साथ देखने को मिलता है। चाहे मार्टिन लूथर किंग हों […] Read more » Mahatma Gandhi महात्मा गांधी
विविधा आज भी प्रासंगिक हैं गांधी के विचार February 26, 2010 / December 24, 2011 by पवन कुमार अरविन्द | Leave a Comment भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सत्य और अहिंसा का उद्घोष कर आंदोलन की धार को और पैनी करने वाले महात्मा गांधी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने स्वतन्त्र भारत के पुनर्निर्माण के लिए रामराज्य का स्वप्न देखा था। वे कहा करते थे कि “नैतिक और सामाजिक उत्थान को ही हमने अहिंसा का नाम दिया […] Read more » Mahatma Gandhi महात्मा गांधी
विविधा हाय महंगाई… February 25, 2010 / December 24, 2011 by गोपाल सामंतो | 2 Comments on हाय महंगाई… आज देश में न जाने कितने ही लोग ऐसे है जो अपनी जेब में दो-दो मोबाईल फोन रखते हैं पर आश्चर्य की बात यह है कि अब खाने की थाली में एक साथ दो सब्जियां मुश्किल से ही देखने को मिलता है। दिन-ब-दिन ऐशो-आराम की वस्तुएं सस्ती होती जा रही है, पर मूलभूत आवश्यकताओं की […] Read more » Inflation महंगाई