लेख जितना स्वस्थ होगा पर्यावरण, उतना बेहतर होगा स्वास्थ्य

जितना स्वस्थ होगा पर्यावरण, उतना बेहतर होगा स्वास्थ्य

विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस (26 सितम्बर पर विशेष)– योगेश कुमार गोयलहमारा पर्यावरण जितना स्वस्थ होगा, हमारा स्वास्थ्य भी उतना ही अच्छा होगा। इसका सीधा सा…

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शख्सियत पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता

पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता

भारत के राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक इतिहास में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम एक ऐसे महापुरुष के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने भारतीय चिंतन…

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राजनीति संवाद से समाधान तक: लेह-लद्दाख में हिंसा का सबक

संवाद से समाधान तक: लेह-लद्दाख में हिंसा का सबक

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा देने व संविधान के अंतर्गत विशेष संरक्षण देने वाली छठी अनुसूची में शामिल करने के लिये चल…

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राजनीति विश्व पर्यटकों के लिये अनंत संभावनाओं का देश है भारत

विश्व पर्यटकों के लिये अनंत संभावनाओं का देश है भारत

विश्व पर्यटन दिवस- 27 सितम्बर, 2025 पर विशेष– ललित गर्ग –विश्व पर्यटन दिवस- 27 सितम्बर, 2025 इस बात का स्मरण कराता है कि पर्यटन केवल…

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लेख लाइब्रेरी तक लड़कियों की पहुंच अब भी दूर है

लाइब्रेरी तक लड़कियों की पहुंच अब भी दूर है

आराधनालूणकरणसर, राजस्थान रात का सन्नाटा था और मिट्टी के आँगन में टिमटिमाती लालटेन की रोशनी में सरिता अपनी किताब खोलकर बैठी थी। वह परेशान है…

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लेख एकात्मता के जीवंत पर्याय: पंडित दीनदयाल उपाध्याय

एकात्मता के जीवंत पर्याय: पंडित दीनदयाल उपाध्याय

-संदीप सृजन भारतीय चिंतन परंपरा में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो न केवल एक विचारधारा के प्रणेता होते हैं, बल्कि पूरे समाज को एक नई…

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राजनीति आखिर कौन कर रहा है सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश ?

आखिर कौन कर रहा है सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश ?

मृत्युंजय दीक्षितउत्तर प्रदेश के कानपुर में बारावफात जुलूस के दौरान लगे, “आई लव मोहम्मद” बोर्ड से शुरू हुआ विवाद अब देशभर में फैल रहा है।…

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राजनीति एच-वन-बी वीज़ा विवाद और आत्मनिर्भर भारत का अवसर

एच-वन-बी वीज़ा विवाद और आत्मनिर्भर भारत का अवसर

अमेरिकी एच-वन-बी वीज़ा विवाद : भारतीय प्रवासी के लिए संकट, भारत के लिए अवसर अमेरिका का नया एच-वन-बी वीज़ा शुल्क केवल आप्रवासन नीति का मुद्दा…

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राजनीति एकात्म मानववाद के प्रणेता पं दीनदयाल उपाध्याय

एकात्म मानववाद के प्रणेता पं दीनदयाल उपाध्याय

25 सितंबर, दीनदयाल जयंती डा. विनोद बब्बर  एक संगोष्ठी में एक शोधार्थी ने मुझसे पूछा कि ‘क्या दीनदयाल जी भाजपा के गांधी हैं?’ तो मेरा उत्तर था…

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राजनीति अन्त्योदय नये भारत का आधारः वंचित के उत्थान का संकल्प

अन्त्योदय नये भारत का आधारः वंचित के उत्थान का संकल्प

अन्त्योदय दिवस -25 सितंबर, 2025-ललित गर्ग- भारत की सांस्कृतिक और दार्शनिक चेतना में सदैव यह विचार रहा है कि समाज की वास्तविक उन्नति तभी संभव…

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राजनीति यूरोपीय देशों के समर्थन से फिलिस्तीन को क्या मिला

यूरोपीय देशों के समर्थन से फिलिस्तीन को क्या मिला

राजेश कुमार पासी ऐसा लग रहा है कि यूरोपीय देशों में फिलिस्तीन को मान्यता देने की होड़ लग गई है. एक-एक करके कई देशों ने फिलिस्तीन…

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कला-संस्कृति नवरात्रि का माहात्म्य

नवरात्रि का माहात्म्य

विवेक रंजन श्रीवास्तव नवरात्र भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो केवल धार्मिक आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू को स्पर्श करता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है चैत्र और आश्विन मास में  और दोनों ही बार यह ऋतु परिवर्तन के संधि-काल में अपना विशेष महत्व लेकर आता है। नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, नौ रात्रियों का उत्सव है। ये नौ रातें और नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं, जो शक्ति, ज्ञान, समृद्धि और शांति के प्रतीक हैं। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है, जहाँ एक मिट्टी के घड़े में जौ बोए जाते हैं। यह  जीवन के अंकुरण, नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। अगले नौ दिनों तक, देवी के नौ रूपों की पूजा का एक विशेष क्रम होता है। प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप की आराधना की जाती है, जो मानव जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक का यह सफर केवल पूजा अर्चना का ही नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और आंतरिक शुद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस पर्व का सबसे गहरा महत्व इसकी आध्यात्मिकता में निहित है। मान्यता है कि इन्हीं नौ दिनों में देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने अंदर की काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार जैसे दसों प्रकार के राक्षसों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है। नवरात्रि केवल पूजा पाठ का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उल्लास का भी अवसर है। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गरबा और डांडिया का आयोजन इसका उदाहरण है। रातभर चलने वाले इन नृत्यों में समुदाय के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ मिलकर नृत्य करते हैं। यह सामाजिक सद्भाव और सामूहिक उल्लास का अनूठा दृश्य होता है। घरों में रंगोली बनाने, दीये जलाने और पारंपरिक वस्त्र पहनने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखती है। इस पर्व का एक वैज्ञानिक पक्ष भी है। ऋतु परिवर्तन के इस समय में उपवास रखना और सात्विक आहार लेना शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। यह शरीर को शुद्ध करने, पाचन तंत्र को आराम देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार, नवरात्रि शरीर, मन और आत्मा तीनों के लिए शुद्धि का कार्य करती है। नवरात्रि का संदेश अत्यंत सारगर्भित है। यह हमें बाहरी आडंबरों से ऊपर उठकर आंतरिक शुद्धि की ओर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता और शांति के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर की नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्त करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएं। नवरात्रि आस्था, संस्कृति और विजय का अनूठा संगम है, जो हमें न केवल बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी फैलाती है। यही कारण है कि सदियों से यह पर्व हमारी सांस्कृतिक चेतना का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। विवेक रंजन श्रीवास्तव

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