कविता :- एक बात कहूं
Updated: February 27, 2025
यूं ज़ख्म भीड़ में खोले होइक बात कहूं? तुम भोले हो मरहम न कोई लायेगाबस नमक छिड़क कर जायेगातुम व्यर्थ वेदना झेलोगेना कोई गले लगायेगावो…
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भजन: प्रभु महिमा
Updated: February 27, 2025
तर्ज: नई………। मु: ओ सृष्टि के रचियता —- 4, तूने क्या गजब किया।बनाई सारी सृष्टि उसमें खुद ही छिप गया।।ओ सृष्टि के रचियता —- 4,…
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भजन: श्री खाटू श्याम जी
Updated: February 27, 2025
भजन: श्री खाटू श्याम जीतर्ज: पंजाबीबोल: ओ खाटू वाले शरण तेरी आके(एक हारे भक्त की करुण पुकार) दोहा: खाटू वाले श्याम धनी का जग में…
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प्रयागकुम्भ की उत्पत्ति तथा इतिहास
Updated: February 27, 2025
आत्माराम यादव पीव पृथिव्यां कुम्भयोगस्य चतुर्धा भेट उच्यते। चतुस्थले च पतनात् सुधाकुम्मस्य भूतले ।। विष्णुद्वारे तीर्थराजेऽपन्त्यां गोदावरी तटे। सुधाबिन्दुविनिक्षेपात् कुम्मपर्वेति विश्रुतम्।।” अर्थात अमृतकुम्भ के छलकने पर पृथ्वीतल…
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‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को ऐसे समझिए, जनकल्याणक है
Updated: February 27, 2025
कमलेश पांडेय शिव पूजा का तातपर्य हमेशा लोककल्याणकारी-जनकल्याणकारी कार्यों से है। इसलिए ‘महाशिवरात्रि’ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रहस्यों को अवश्य समझना चाहिए। यथासम्भव दूसरों को बतलाना चाहिए। शिवकथा का उद्देश्य यही है जो जन कल्याणक और लोकमंगलकारी है। शिवरात्रि अर्थात् भगवान शिवजी की रात्रि। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी तिथि की रात्रि को भगवान शिवजी का विवाह पार्वती जी से हुआ था। लिहाजा, यह भगवान शिवजी की आराधना की रात्रि है जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी (चौदस) को मनायी जाती है। क्या आपको पता है कि जब अन्य देवताओं का पूजन-यजन दिन में होता है तो फिर शिवजी का पूजन रात्रि में ही क्यों, अक्सर यह विचार आपके मन में उत्पन्न हो सकता है। इसलिए आपको बता दें कि भगवान शिव तमोगुण प्रधान संहार के देवता हैं। अत: तमोमयी रात्रि से उनका ज्यादा स्नेह है। चूंकि रात्रि संहारकाल का प्रतिनिधित्व करती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में रात्रिकालीन प्रकाश का स्रोत चन्द्रमा भी पूर्ण रूप से क्षीण होता है। लिहाजा जीवों के अन्दर भी तामसी प्रवृत्तियाँ कृष्ण पक्ष की रात में बढ़ जाती हैं। यही वजह है कि जैसे पानी आने से पहले पुल बाँधा जाता है, उसी प्रकार चन्द्र क्षय तीज आने से पहले उन तामसी प्रवृत्तियों के शमन (निवारण) हेतु भगवान आशुतोष (शिव) की आराधना का विधान शास्त्रकारों ने बनाया। यही रहस्य है जो लोककल्याणक है। मंगलकारी है। दरअसल, संहार के पश्चात् नई सृष्टि अनिवार्य है अर्थात् संहार के बाद पुन: सृष्टि होती है। इसलिए आप देखते हैं कि फाल्गुन मास में सभी पेड़-पौधों (लगभग सभी) के पत्ते झड़ जाते हैं उसके बाद ही नई पत्तियाँ निकलती हैं। इसे सृष्टि का नया स्वरूप जानो। समझो। महाशिवरात्रि इसके निखरने की पावन बेला है। सवाल है कि महाशिवरात्रि पर लोग उपवास और रात्रि जागरण क्यों करते हैं? इसकी धार्मिक विधि क्या है? से स्पष्ट करें? क्या इसका कोई वैज्ञानिक कारण है? यहां पर आपकी जिज्ञासा शांति के लिए बता दें कि जिस प्रकार शराब, भाँग, गाँजा, अफीम आदि पदार्थों में मादकता (नशा) होती है उसी प्रकार अन्न में भी मादकता होती है। शायद कुछ लोग इस बात को न जानते हों किन्तु यह सत्य है कि अन्न में मादकता होती है। आप भोजन करने के बाद शरीर में शिथिलता और आलस्य महसूस करते होंगे जबकि सिर्फ फलाहार या मात्र दूध का सेवन करने से आलस्य नहीं महसूस होता है। लिहाजा, अन्न की मादकता कम करने के लिए ही पूर्वकाल के मनीषियों ने उपवास/व्रत को प्राथमिकता दी। क्योंकि उपवास करने से शरीर की मादकता कम होती है जिससे शुद्धता आती है और मन धार्मिक कार्यों में लगता है। वहीं, रात्रि जागरण का अर्थ निद्रा और आलस्य को त्यागने से है। प्राचीनकाल के ऋषि-महर्षियों ने अपनी कठिन तपस्याओं के पश्चात् यह निष्कर्ष निकाला कि निद्राकाल को ‘काल’ का स्वरूप जानो, क्योंकि इन्सान की आयु श्वाँसों पर निर्धारित है। प्रत्येक इन्सान को परमात्मा की ओर से एक निश्चित श्वाँसें ही मिली हैं और जागृत (जागते हुए) अवस्था से ज्यादा श्वाँसें सुप्तावस्था (सोये हुए) में नष्ट होती हैं। अतएव जितनी श्वाँसें आप बचायेंगे, आपकी आयु उसी हिसाब में बढ़ती चली जायेगी। मसलन, आपने प्रमाण भी देखा होगा कि कुछ ऋषि-मुनि एक सौ पचास वर्षों तक या उससे ज्यादा जीवित रहे। क्या आपने कभी जानने का प्रयास किया कि ऐसा क्यों? आखिर हम और आप क्यों नहीं जीवित रह सकते? इसका एक मात्र कारण है योगासन! इस प्रकार उनकी आयु बढ़ती चली जाती थी। आप भी योगासन करके लम्बी आयु प्राप्त कर सकते हैं। आजकल वैज्ञानिक और डॉक्टर भी योगासन को महत्व देते हैं। कभी-कभी उपवास भी करने को कहते हैं। जिससे शरीर की पाचन प्रक्रिया सही बनी रहे। वहीं, एक सवाल यह भी है कि शिवलिंग की पूजा क्यों करते हैं? क्या इसमें कोई वैज्ञानिक रहस्य भी छिपा हुआ है? तो यह जान लीजिए कि शिव और शिवलिंग की पूजा किसी-न-किसी रूप में सम्पूर्ण विश्व में अनादि काल से होती चली आ रही है। इस समाज के कुछ आलोचक ऐसे हैं जो ‘लिंग’ शब्द का अर्थ अश्लीलता से जोड़कर सभ्य और धार्मिक विचार वाले व्यक्तियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। यह मूर्खतापूर्ण प्रयास है क्योंकि शिवलिंग का स्वरूप आकार विशेष से रहित है अर्थात् निराकार ब्रह्म के उपासक जिस प्रकार हाथ-पैर, शरीर रहित, रूप-रंग रहित ब्रह्म की उपासना करते हैं। ऐसा ही शिवलिंग का स्वरूप है। आपको पता होना चाहिए कि जब संसार में कुछ नहीं था, सर्वत्र शून्य (०) या अण्डे के आकार का, जिसे वेदों पुराणों की भाषा में ‘अण्ड’ कहा जाता है, वैसा ही स्वरूप शिवलिंग का है जिससे सिद्ध होता है कि शिव और शिवलिंग अनादि काल से हैं। जिस प्रकार से यह ० (शून्य) किसी अंक के दाहिनी ओर होने पर उस अंक के महत्व को दस गुणा बढ़ा देता है, उसी प्रकार से शिव भी दाहिने होकर अर्थात् अनुकूल होकर मनुष्य को सुख-समृद्धि और मान-सम्मान प्रदान करते हैं। इसलिए जनकल्याणक, लोककल्याण कारी बने रहिए। चूंकि ग्यारह रुद्रों में भगवान शिव की गणना होती है और एकादश (ग्यारह) संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व हिन्दी (वर्ष) के ग्यारहवें महीने में ही सम्पन्न होता है। इसलिए श्रद्धा एवं उत्साह पूर्वक शिवरात्रि मनाइए। कमलेश पांडेय
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2050 तक दुनिया की आधी आबादी को हो सकता है निकट दृष्टि दोष
Updated: February 27, 2025
पुनीत उपाध्याय आधुनिक जीवन शैली के नाम पर बदली लाइफ स्टाइल के चलते मधुमेह और ह्रदयघात के बढ़ती रोगियों की संख्या पहले से ही चिंता…
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आखिर क्या हल हो पार्किंग अव्यवस्थाओं का?
Updated: February 27, 2025
सुनील कुमार महला भारत आज विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र है। बढ़ती जनसंख्या और देश में बढ़ते वाहनों के साथ ही आज देश…
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सीएजी की रिपोर्ट ने केजरीवाल की पोल खोल दी
Updated: February 27, 2025
राजेश कुमार पासी अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने कैग की रिपोर्ट का हवाला देकर ही कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे । केजरीवाल…
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महाकुंभ की सफलता ने दुनिया को चौंकाया
Updated: February 27, 2025
-ः ललित गर्ग:-समुद्र मंथन के दौरान निकले कलश से छलकीं अमृत की चंद बूंदों से युगों पहले शुरू शुरू हुई कुंभ स्नान की परंपरा का…
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प्रोसेस्ड, फास्ट फूड के सेवन से पनपती स्वास्थ्य समस्याएँ
Updated: February 27, 2025
-डॉ. सत्यवान सौरभ भारत की खाद्य संस्कृति वैश्वीकरण, शहरीकरण और बदलती जीवनशैली के परिणामस्वरूप बदल रही है, जो प्रमुख सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का कारण…
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जब नेताजी को भारत को सौंप रहा था रूस ?
Updated: February 27, 2025
लाल बहादुर शास्त्री हमारे अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों में से अकेले एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें लोग आज भी सम्मान के साथ ‘ शास्त्री…
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क्या जघन्य अपराधियों की न सुनी जाये पैरोल की अर्ज़ी?
Updated: February 26, 2025
-डॉ. सत्यवान सौरभ पैरोल सुधार और पुनः एकीकरण पर आधारित है, लेकिन जब इसका उपयोग गंभीर अपराधों के लिए किया जाता है, तो यह नैतिक…
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