क्या ‘कैलाश-मानसरोवर’ बनेगा एशिया का दूसरा ‘येरुशलम’ बनेगा या समझदारी दिखाएंगे भारत-चीन?
Updated: January 30, 2025
कमलेश पांडेय साल 2025 की गर्मियों में भारत और चीन के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू हो जाएगी क्योंकि दोनों देशों…
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एक मल्टी टेलेंटेड एक्टर हैं पीयूष मिश्रा
Updated: January 30, 2025
सुभाष शिरढोनकर एक्टिंग के साथ सिंगिंग और राइटिंग जैसी कलाओं में भी माहिर पीयूष मिश्रा एक मल्टी टेलेंटेड एक्टर के रूप में अलग पहचान बना…
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वित्तीयवर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट से मिल सकती हैं कई सौगातें
Updated: January 29, 2025
वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रेल-सितम्बर 2024) में भारत की आर्थिक विकास दर कुछ कमजोर रही है। प्रथम तिमाही (अप्रेल-जून 2024) में तो सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर गिरकर 5.2 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी। इसी प्रकार द्वितीय तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2024) में भी सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। इससे वित्तीय वर्ष 2024-25 में यह वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत की रही थी। वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम छमाही में आर्थिक विकास दर के कम होने के कारणों में मुख्य रूप से देश में सम्पन्न हुए लोक सभा चुनाव है और आचार संहिता के लागू होने के चलते केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्चों एवं अन्य खर्चों में भारी भरकम कमी दृष्टिगोचर हुई है। साथ ही, देश में मानसून की स्थिति भी ठीक नहीं रही है। केंद्र सरकार ने हालांकि मुद्रा स्फीति पर अंकुश लगाने में सफलता तो अर्जित कर ली है परंतु उच्च स्तर पर बनी रही मुद्रा स्फीति के कारण कुल मिलाकर आम नागरिकों, विशेष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों, की खर्च करने की क्षमता पर विपरीत प्रभात जरूर पड़ा है और कुछ मध्यमवर्गीय परिवारों के गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों की श्रेणी में जाने का खतरा उत्पन्न हो गया है। किसी भी देश में मध्यमवर्गीय परिवारों की जितनी अधिक संख्या रहती है, उस देश की आर्थिक विकास दर ऊंचे स्तर पर बनी रहती है क्योंकि मध्यमवर्गीय परिवार ही विभिन्न प्रकार के उत्पादों (दोपहिया वाहन, चारपहिया वाहन, फ्रिज, एयर कंडीशनर जैसे उत्पादों एवं नए फ्लेट्स एवं भवनों आदि) को खरीदने पर अपनी आय के अधिकतम भाग का उपयोग करता है। इससे आर्थिक चक्र में तीव्रता आती है और इन उत्पादों की बाजार में मांग के बढ़ने के चलते इनके उत्पादन को विभिन्न कम्पनियों द्वारा बढ़ाया जाता है, इससे इन कम्पनियों की आय एवं लाभप्रदता में वृद्धि होती है एवं देश में रोजगार के नए अवसर निर्मित होते हैं। भारत में पिछले कुछ समय से मध्यमवर्गीय परिवारों की व्यय करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है अतः दिनांक 1 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारामन से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि वे वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्र सरकार के बजट में मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए विशेष रूप से आय कर में छूट की घोषणा करेंगी। देश के कई अर्थशास्त्रियों का तो यह भी कहना है कि न केवल आय कर में बल्कि कारपोरेट कर में भी कमी की घोषणा की जानी चाहिए। इनफोसिस के संस्थापक सदस्यों में शामिल श्री मोहनदास पई का तो कहना है कि 15 लाख से अधिक की आय पर लागू 30 प्रतिशत की आय कर की दर को अब 18 लाख से अधिक की आय पर लागू करना चाहिए। आय कर मुक्त आय की सीमा को वर्तमान में लागू 7.75 लाख रुपए की राशि से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर देना चाहिए। आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत किए जाने निवेश की सीमा को भी 1.50 लाख रुपए की राशि से बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर देना चाहिए। मकान निर्माण हेतु लिए गए ऋण पर अदा किए जाने वाले ब्याज पर प्रदान की जाने वाली आयकर छूट की सीमा को 2 लाख रुपए से बढ़ाकर 3 लाख रुपए किया जाना चाहिए। फरवरी 2025 माह में ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मोनेटरी पोलिसी की घोषणा भी होने जा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक से अब यह अपेक्षा की जा रही है कि वे रेपो दर में कम से कम 25 अथवा 50 आधार बिंदुओं की कमी तो अवश्य करेंगे। क्योंकि, पिछले लगातार लगभग 24 माह तक रेपो दर में कोई भी परिवर्तन नहीं करने के चलते मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा मकान निर्माण एवं चार पहिया वाहन आदि खरीदने हेतु बैकों से लिए गए ऋण की किश्त की राशि का बोझ बहुत अधिक बढ़ गया है। बैकों से लिए गए इस प्रकार के ऋणों एवं माइक्रो फाइनैन्स की किश्तों की अदायगी में चूक की घटनाएं भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। अब मुद्रा स्फीति की दर खाद्य पदार्थों (फलों एवं सब्जियों आदि) के कुछ महंगे होने के चलते ही उच्च स्तर पर आ जाती है जबकि कोर मुद्रा स्फीति की दर तो अब नियंत्रण में आ चुकी है। खाद्य पदार्थों की मंहगाई को ब्याज दरों को उच्च स्तर पर बनाए रखकर कम नहीं किया जा सकता है। अतः भारतीय रिजर्व बैंक को अब इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में सम्पन्न हुए लोक सभा चुनाव के चलते देश में पूंजीगत खर्चों में कमी दिखाई दी है। इसीलिए अब लगातार यह मांग की जा रही है कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन कानून को शीघ्र ही लागू किया जाना चाहिए क्योंकि बार बार देश में चुनाव होने से केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आचार संहिता के लागू होने के चलते अपने बजटीय खर्चों को रोक दिया जाता है जिससे देश का आर्थिक विकास प्रभावित होता है। अतः वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लोक सभा में पेश किए जाने वाले बजट में पूंजीगत खर्चों को बढ़ाने पर गम्भीरता दिखाई जाएगी। हालांकि वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 7.50 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था, वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 10 लाख करोड़ रुपए एवं वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में 11.11 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किया गया था। अब वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कम से कम 15 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत खर्चों का प्रावधान किये जाने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इससे देश में धीमी पड़ रही आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में सहायता मिलेगी और रोजगार के करोड़ों नए अवसर भी निर्मित होंगे, जिसकी वर्तमान समय में देश को अत्यधिक आवश्यकता भी है। विभिन्न राज्यों द्वारा चलायी जा रही फ्रीबीज की योजनाओं पर भी अब अंकुश लगाए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए। इन योजनाओं से देश के आर्थिक विकास को लाभ कम और नुक्सान अधिक होता है। केरल, पंजाब, हिमाचल प्रदेश एवं दिल्ली की स्थिति हम सबके सामने है। इस प्रकार की योजनाओं को चलाने के कारण इन राज्यों के बजटीय घाटे की स्थिति दयनीय स्थिति में पहुंच गई है। पंजाब तो किसी समय पर देश के सबसे सम्पन्न राज्यों में शामिल हुआ करता था परंतु आज पंजाब में बजटीय घाटा भयावह स्थिति में पहुंच गया है। जिससे ये राज्य आज पूंजीगत खर्चों पर अधिक राशि व्यय नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि इन राज्यों की न तो आय बढ़ रही है और न ही बजटीय घाटे पर नियंत्रण स्थापित हो पा रहा है। पिछले कुछ समय से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भी कम हो रहा है। यह सितम्बर 2020 तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत था जो अब गिरकर सकल घरेलू उत्पाद का 0.8 प्रतिशत के स्तर तक नीचे आ गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इस विषय पर भी गम्भीरता से विचार किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2019 के बजट में कोरपोरेट कर की दरों में कमी की घोषणा की गई थी, जिसका बहुत अच्छा प्रभाव विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पर पड़ा था और सितम्बर 2020 में तो यह बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत तक पहुंच गया था। अब एक बार पुनः इस बजट में कोरपोरेट कर में कमी करने पर भी विचार किया जा सकता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित करने वाले उद्योगों को भी कुछ राहत प्रदान की जा सकती है क्योंकि आज देश में रोजगार के करोड़ों नए अवसर निर्मित करने की महती आवश्यकता है। विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग को विशेष सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। हां, साथ में तकनीकी आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा देना होगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर भी हमारे उद्योगों को हमें प्रतिस्पर्धी बनाना है। ग्रामीण इलाकों में आज भी भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी निवास करती है अतः कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण क्षेत्र में कुटीर एवं लघु उद्योगों पर अधिक ध्यान इस बजट के माध्यम से दिया जाएगा, ताकि रोजगार के अवसर ग्रामीण इलाकों में ही निर्मित हों और नागरिकों के शहर की ओर हो रहे पलायन को रोका जा सके।
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अमेरिका की फंडिंग बन्द होने से बीमार होता विश्व स्वास्थ्य संगठन
Updated: January 29, 2025
-प्रियंका सौरभ यू.एस. विश्व स्वास्थ्य संगठन की वित्तीय स्थिति वापसी के कारण तनावपूर्ण है। यू.एस. विश्व स्वास्थ्य संगठन के बजट का सबसे बड़ा दाता था,…
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दिल्ली चुनाव में महिला वोटरों की उदासीनता
Updated: January 29, 2025
डॉ. रमेश ठाकुर अरविंद केजरीवाल ने अपने चुनावी घोषणापत्र में एक बार फिर फ्रीबीज की झड़ी लगाई है। कितने सफल होंगे, ये तो आने वाला…
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भाजपा के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर पार्टी से लेकर संघ तक चल रही है माथापच्ची !
Updated: January 29, 2025
कमलेश पांडेय भारतीय जनता पार्टी का अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसको लेकर अब सियासी हल्के में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं क्योंकि जो…
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जलवायु परिवर्तन से बच्चों का जीवन संकट में
Updated: January 29, 2025
-ललित गर्ग –संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘लर्निंग इंटरप्टेड रू ग्लोबल स्नैपशॉट ऑफ क्लाइमेट-रिलेटेड स्कूल डिसरप्शंस इन 2024’ में चौंकाने वाले तथ्यों…
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लॉस एंजेलेस में भीषण जंगल की आग: जलवायु परिवर्तन बना खलनायक
Updated: January 29, 2025
लॉस एंजेलेस में जनवरी 2025 की शुरुआत में लगी जंगल की आग ने इतिहास में सबसे विनाशकारी आग के रूप में अपनी छाप छोड़ी है।…
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ग्रामीण भारत की कहानी बदल रही है स्वामित्व योजना
Updated: January 29, 2025
-डॉ सत्यवान सौरभ स्वामित्व की आवश्यकता भारत में ग्रामीण भूमि सर्वेक्षण और बंदोबस्त का दशकों से अभाव रहा है। कई राज्यों में गांवों के आबादी…
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दिल्ली-देवी से मुलाक़ात
Updated: January 29, 2025
कस्तूरी दिनेश कल शाम दिल्ली-देवी से मुलाक़ात हो गई |तुम हंस रहे हो …? अरे मजाक नहीं कर रहा हूँ भाई…!हमारे यहाँ वन-देवी,ग्राम…
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अब बनने लगा है गांधी के सपनों का भारत
Updated: January 28, 2025
गांधी निर्वाण दिवस -30 जनवरी 2025 पर विशेष-ललित गर्ग – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के निर्वाण दिवस जब हम नये भारत-सशक्त भारत को विकसित होते हुए…
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आखिर कौन लागू करवाएगा दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में आचार संहिता?
Updated: January 28, 2025
कमलेश पांडेय दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में चीनी दबदबे को नियंत्रित करने के लिए एक आदर्श आचार संहिता लागू करने की मांग सही है लेकिन…
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