यूनिफाइड पेंशन स्कीम में सरकार कर्मचारियों को कितना देना चाहती है!
Updated: January 27, 2025
बजट से पहले केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) का विकल्प पेश किया है। सरकार…
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भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है गौवंश !
Updated: January 27, 2025
भारत एक ऐसा देश है जहां गाय को माता का दर्जा दिया गया है। भारत विश्व का ऐसा देश है जहां पर दुनिया में सबसे…
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लोकतंत्र को मजबूती देने के लिये मतदाता को जागना होगा
Updated: January 27, 2025
राष्ट्रीय मतदाता दिवस – 25 जनवरी, 2025– ललित गर्ग – भारत में राष्ट्रीय मतदाता दिवस प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को मनाया जाता है। विश्व में…
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महाकुंभ
Updated: January 27, 2025
महाकुंभ के अमृत जल मेंभाव-भक्ति और दर्शन है डूबाफिर सौंदर्यबोध की कस्तूरी मेंचंचल मन जाने यह क्यों डूबा काया का कलुष मिटाती गंगायम से भी…
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उत्तर प्रदेश में धर्म वापसी शुरू
Updated: January 27, 2025
प्रदेश में जौनपुर के डेहरी गांव में 36 मुस्लिम परिवारों ने अपने नामों में बदलाव करते हुए हिंदू सरनेम जोड़ लिया है। उनका दावा है…
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औरंगजेब ने 3 लाख सैनिको सहित किया था मथुरा पर हमला -20 हजार किसानों ने 4 दिनों तक लड़ा युद्ध हजारो महिलाए जौहर की आग में खाक हुई
Updated: January 27, 2025
आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार भारत के इतिहास में ऐसे-ऐसे योद्धा हुए हैं, जिनकी वीरता पूरे देश के लिए आदर्श एवं प्रेरणादायी रही है किन्तु…
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प्रगतिशील भारत के निर्माण में समर्पित होने का संकल्प लेने का दिन है गणतंत्र दिवस
Updated: January 27, 2025
(76 वें गणतंत्र दिवस पर विशेष आलेख) गणतंत्र शब्द का साधारण अर्थ है ’’लोगों का तंत्र’’ यानी कि जिस संविधान द्वारा हमारे देश में कानून…
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सामूहिक भागीदारी से स्लम बस्तियों का विकास संभव है
Updated: January 24, 2025
मीना गुर्जरजयपुर, राजस्थान देश के सभी नागरिकों को एक समान बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिले इसके लिए केंद्र से लेकर सभी राज्यों की सरकारें प्रयासरत…
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नये संकल्पों एवं नये प्रयोगों से समृद्ध होता गणतंत्र
Updated: January 24, 2025
-ललित गर्ग- गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन 26 जनवरी, 1950 को हमारी संसद ने भारतीय संविधान को पास किया। इस दिन भारत…
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दोषी बचे नहीं और निर्दोष को सज़ा मिले नहीं !
Updated: January 27, 2025
हाल ही में पश्चिमी बंगाल और केरल में कोर्ट के दो फैसले पूरे देश में चर्चा का विषय रहे। उल्लेखनीय है कि कोलकाता के बहुचर्चित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लेडी डॉक्टर के साथ हुए दिल दहला देने वाले रेप और मर्डर केस में सियालदह कोर्ट ने हाल ही में दोषी संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है।इस फैसले ने एक ओर न्याय व्यवस्था में विश्वास को मजबूत किया है, वहीं पर दूसरी ओर पीड़ित परिवार और समाज के एक बड़े वर्ग को निराश भी किया। माननीय कोर्ट ने इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ नहीं माना और दोषी को मौत की सजा देने से इनकार कर दिया। इधर, केरल के तिरुवनंतपुरम में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 24 वर्षीय ग्रीष्मा को अपने बायफ्रेंड की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2022 में ग्रीष्मा ने अपने प्रेमी शेरोन राज की आयुर्वेदिक टॉनिक में जहर मिलाकर हत्या कर दी थी।माननीय कोर्ट ने अपने 586 पत्रों के फैसले में इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला करार दिया और कहा कि ग्रीष्मा ने जानबूझकर और योजनाबद्ध तरीके से शेरोन की हत्या की। अपने फैसले के दौरान अदालत ने यह भी कहा कि ‘ग्रीष्मा का यह अपराध न केवल क्रूर था, बल्कि यह समाज को गलत संदेश देने वाला है।’ बहरहाल, यहां यह जानना जरूरी है कि आखिर ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर'(दुर्लभतम से दुर्लभ) केस आखिर है क्या ? इस संबंध में पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि वर्ष 1980 में पंजाब में बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य का एक ऐसा मामला आया था जब देश में फांसी की सजा पर बहस छिड़ी थी।बच्चन सिंह नाम के एक शख्स को अपनी पत्नी की हत्या के जुर्म में 14 साल की सजा सुनाई गई। जेल से छूटने के बाद वह अपने भाई के साथ उसी के घर पर रहने लगा, लेकिन भाई हुकुम सिंह और उसके बीवी-बच्चों को यह पसंद नहीं था, इसलिए विवाद लगातार बढ़ता चला गया और 4 जुलाई, 1977 को गुस्से में आकर बच्चन सिंह ने कुल्हाड़ी से अपनी दो भतीजी और भतीजे को मार डाला। हुकुम सिंह की एक और बेटी पर वार किए गए, लेकिन वो बच गई। इसके बाद सेशन कोर्ट की मौत की सजा को माननीय हाइकोर्ट ने भी बरकरार रखा।बच्चन सिंह ने संविधान के अनुच्छेद 136 के आधार पर स्पेशल लीव पीटिशन (एसएलपी) दायर की। संविधान के अनुच्छेद 14,19 और 21 का हवाला देकर उसने फांसी की सजा के खिलाफ अपील की। भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21 ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार’ देता है। इसका तात्पर्य है कि किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता जब तक कि विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन न किया जाए। इसके बाद धारा 302 में सजा को लेकर पूरे देश में बहस शुरू हो गई। इस संदर्भ में बाद में माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी एक बहुत ही ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बच्चन सिंह की फांसी को बरकरार रखा लेकिन साथ ही फांसी की सजा की परिभाषा को विस्तार देते हुए माना कि ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ केस में भारतीय संविधान में दिए गए जीने के अधिकार को वापस लिया जा सकता है। भारत के इतिहास में यह पहला मामला था, जब ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ की बात कही गई थी। कहना ग़लत नहीं होगा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में फैसला सुनाते हुए फांसी को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ में डाला। साथ ही यह भी कहा कि फांसी की सजा तभी दी जानी चाहिए, जब उम्रकैद काफी न हो।अगर हत्या या अपराध करने का तरीका बहुत ही बर्बर है तो फांसी की सजा सुनाई जा सकती है। संक्षेप में कहें तो, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ‘दुर्लभतम’ (रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस) सिद्धांत की स्थापना की, जिसमें कहा गया है कि मृत्युदंड केवल सबसे असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए। इतना ही नहीं, माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अदालतों को इतनी कड़ी सजा देने के लिए विशेष कारण बताने चाहिए। वास्तव में, कानून की नजरों में एक भी दोषी बचना नहीं चाहिए और किसी भी निर्दोष को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो सारे दोषी भले ही छूट जाएं लेकिन एक निर्दोष को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। सुनील कुमार महला
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विश्व के लिए प्रेरक है भारतीय संविधान
Updated: January 24, 2025
-डॉ. सौरभ मालवीयभारत एक विशाल एवं विभिन्न संस्कृतियों वाला देश है। यहां विभिन्न संप्रदायों, पंथों एवं जातियों आदि के लोग निवास करते हैं। उनके रीति-रिवाज,…
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भजन : द्रौपदी पुकार
Updated: January 24, 2025
तर्ज : लोक गीत ब्रज रसिया मु : ओ प्यारे कृष्णा मुरार। -२,सुनलो कृष्णा की पुकार,अब क्यों है लगाई देरी,ओ द्वारिका के सरकार। -२ अ…
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