लेख संतानों के दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न से जटिल होती वृद्धावस्था

संतानों के दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न से जटिल होती वृद्धावस्था

विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस – 15 जून, 2024– ललित गर्ग – देश ही नहीं, दुनिया में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, हिंसा बढ़ती जा…

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लेख छात्रों में तनाव और चिंता का कारण बनती प्रश्नपत्र लीक होने की बढ़ती घटनाएं 

छात्रों में तनाव और चिंता का कारण बनती प्रश्नपत्र लीक होने की बढ़ती घटनाएं 

 यह दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षा क्षेत्र की कई समस्याओं के समाधान की कोई राह नहीं दिख रही है। इन्हीं में से एक है…

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राजनीति संसद में दागी नेताओं की संख्या बढ़ना चिन्ताजनक

संसद में दागी नेताओं की संख्या बढ़ना चिन्ताजनक

-ललित गर्ग- देश में 18वीं लोकसभा चुनी जा चुकी है, मंत्रिमंडल का गठन हो चुका है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और रिकॉर्ड संख्या में…

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राजनीति मध्यप्रदेश में शिवराज के बढ़े कद से बड़ी बेचैनी

मध्यप्रदेश में शिवराज के बढ़े कद से बड़ी बेचैनी

प्रमोद भार्गव                 मध्यप्रदेश  के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकप्रिय नेता शिवराज सिंह चौहान को केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें ठिकाने लगाने की कई कोशिशें कीं, लेकिन शिवराज सभी…

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पर्यावरण मौसम नहीं है मेहरबान: सिर्फ छह महीने में हज़ारों की गई जान, 41 अरब डॉलर का नुकसान

मौसम नहीं है मेहरबान: सिर्फ छह महीने में हज़ारों की गई जान, 41 अरब डॉलर का नुकसान

अंतरराष्ट्रीय विकास संस्था क्रिश्चियन एड की एक ताजा रिपोर्ट ने जलवायु संकट की विभीषिका को उजागर किया है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले छह महीनों में…

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राजनीति मतदान प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती!

मतदान प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती!

लोकसभा चुनाव-2024 के पहले दो चरणों में हुए कम मतदान ने ‘अनिवार्य मतदान’ संबंधी प्रस्ताव को एकबार फिर बहस का विषय बना दिया। हालाँकि, चुनाव…

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आर्थिकी आर्थिक विकास के दृष्टि से वित्तीय वर्ष 2023-24 भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ

आर्थिक विकास के दृष्टि से वित्तीय वर्ष 2023-24 भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ

हाल ही में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए विकास से सम्बंधित आंकड़े जारी किये गए है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत की रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वैश्विक स्तर पर कार्यरत विभिन्न वित्तीय संस्थानों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान लगाते हुए कहा था कि यह 7 प्रतिशत के आसपास रहेगी। परंतु, वित्तीय 2023-24 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर इन अनुमानों से कहीं अधिक रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में भी भारत की आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत रही है जो पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही थी। पूरे विश्व में प्रथम 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक विकास दर भारत की आर्थिक विकास दर के कहीं आसपास भी नहीं रही है। अमेरिका की आर्थिक विकास दर 2.3 प्रतिशत, चीन की आर्थिक विकास दर 5.2 प्रतिशत, जर्मनी की आर्थिक विकास दर तो ऋणात्मक 0.3 प्रतिशत रही है। जापान की आर्थिक विकास दर 1.92 प्रतिशत, ब्रिटेन की 0.1 प्रतिशत, फ्रान्स की 0.9 प्रतिशत, ब्राजील की 2.91 प्रतिशत, इटली की 0.9 प्रतिशत एवं कनाडा की 1 प्रतिशत रही है, वहीं भारत की आर्थिक विकास दर 8.2 प्रतिशत रही है। 8 प्रतिशत से अधिक की विकास दर को देखते हुए अब तो ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2027 तक जर्मनी एवं जापान की अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था निश्चित ही बन जाएगा। विनिर्माण, खनन, भवन निर्माण एवं सेवा क्षेत्र, यह चार क्षेत्र ऐसे हैं जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद को तेजी से आगे बढ़ाने में अपना विशेष योगदान देते हुए नजर आ रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते ही सम्भव हो पा रहा है।  वास्तविक सकल मान अभिवृद्धि के आधार पर, वित्तीय वर्ष 2023-24 की चतुर्थ तिमाही में विनिर्माण के क्षेत्र में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में केवल 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जा सकी थी। इसी प्रकार, खनन के क्षेत्र में भी इस वर्ष की चतुर्थ तिमाही में वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत की रही है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.9 प्रतिशत की रही थी। भवन निर्माण के क्षेत्र में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 7.4 प्रतिशत की रही थी। नागरिक प्रशासन, सुरक्षा एवं अन्य सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई है। ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि दर पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में 7.3 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष चौथी तिमाही में 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। परंतु, कृषि, सेवा एवं वित्तीय क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में कुछ कम रही है। वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद में लगातार कम हो रही वृद्धि दर के बावजूद भारत के सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि दर का होना यह दर्शाता है कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं में आ रही परेशानियों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं के बराबर हो रहा है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी आंतरिक शक्ति के बल पर तेज गति से आर्थिक वृद्धि करने में सफल हो रही है।  परंतु, भारत में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जिन पर, आर्थिक विकास की गति को और अधिक तेज करने के उद्देश्य से विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे, हाल ही के समय में भारत में निजी खपत नहीं बढ़ पा रही है और यह 4 प्रतिशत की दर पर ही टिकी हुई है। साथ ही, निजी क्षेत्र में पूंजी निवेश भी नहीं बढ़ पा रहा है। भारत में निजी खपत कुल सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत है। यदि सकल घरेलू उत्पाद के इतने बड़े हिस्से में वृद्धि नहीं होगी अथवा कम वृद्धि दर होगी तो देश में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर भी विपरीत रूप से प्रभावित होगी। भारत में निजी खपत इसलिए भी नहीं बढ़ पा रही है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में घरेलू देयताएं सकल घरेलू उत्पाद के 5.7 प्रतिशत के उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गईं हैं एवं बचत की दर भी सकल घरेलू उत्पाद के  5.2 प्रतिशत पर अपने निचले स्तर पर आ गई है, जो 10 वर्ष पूर्व 7 प्रतिशत से अधिक थी।  वहीं दूसरी ओर, दिसम्बर 2023 के प्रथम सप्ताह में भारत ने फ्रान्स एवं ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में पूरे विश्व में पांचवा स्थान हासिल कर लिया था। भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं हांगकांग थे। परंतु, केवल दो माह से भी कम समय में भारत ने शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए विश्व में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का हो गया है। अब ऐसा आभास होने लगा है कि भारत अर्थ के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों के कुल बाजार पूंजीकरण का स्तर 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर जुलाई 2017 में पहुंचा था और लगभग 4 वर्ष पश्चात अर्थात मई 2021 में 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया था तथा केवल लगभग 2.5 वर्ष पश्चात अर्थात दिसम्बर 2023 में यह 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर गया था और अब यह 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर से भी आगे निकल गया है। इस प्रकार भारत शेयर बाजार पूंजीकरण के मामले में आज पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है।   प्रथम स्थान पर अमेरिकी शेयर बाजार है, जिसका पूंजीकरण 50.86 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। द्वितीय स्थान पर चीन का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 8.44 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। वर्ष 2023 में चीन के शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को ऋणात्मक प्रतिफल दिए हैं। तीसरे स्थान पर जापान का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 6.36 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। चौथे स्थान पर भारत का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पांचवे स्थान पर हांगकांग का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.29 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। जिस तेज गति से भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण आगे बढ़ रहा है, अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय पश्चात ही भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण जापान शेयर बाजार के पूंजीकरण को पीछे छोड़ते हुए पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर आ जाएगा। उक्त सफलताओं के साथ ही, भारत ने अपने आर्थिक विकास की दर को तेज रखते हुए अपने राजकोषीय घाटे पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का राजकोषीय घाटा 17 लाख 74 हजार करोड़ रुपए का रहा था जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 16 लाख 54 हजार करोड़ रुपए का रह गया है। यह राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5.8 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 5.6 प्रतिशत रह गया है। भारत के राजकोषीय घाटे को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.1 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत तक नीचे लाने के प्रयास केंद्र सरकार द्वारा सफलता पूर्वक किए जा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी जैसे विकसित देश भी अपने राजकोषीय घाटे को कम नहीं कर पा रहे हैं परंतु भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान यह बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। सरकार का खर्च उसकी आय से अधिक होने पर इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। केंद्र सरकार ने खर्च पर नियंत्रण किया है एवं अपनी आय के साधनों में अधिक वृद्धि की है। यह लम्बे समय में देश के आर्थिक स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आया है। प्रहलाद सबनानी

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राजनीति सफल भी एवं सक्षम भी होगी मोदी की तीसरी पारी

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-ः ललित गर्ग:-एक और इतिहास रचते हुए नरेन्द्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके साथ ही वह पंडित जवाहरलाल…

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धर्म-अध्यात्म तमसो मां ज्योतिर्गमय: गायत्री नमामि नमामि नमामि

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     – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”  गायत्री जयंती ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तो कहीं एकादशी के दिन मनायी जाती है।…

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खान-पान आम के आम गुठली के दाम “चार चिरौंजी” एक भारतीय फल

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  ‌‌ – सुरेश सिंह बैस शाश्वत  आज हम आपको बताने जा रहे हैं यहां पाए जाने वाले चार- चिरोंजी के बारे में, जो स्वाद में काफी…

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लेख फैटी लिवर(Fatty Liver)के बारे में जानें सब कुछ

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लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा वसा जिसे अंग्रेजी में फैट (Fat) कहा जाता है। फैट का शरीर में कहीं भी ज्यादा जमा होना अपने आप…

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पर्यावरण भूमि पुनर्स्थापन से जलवायु परिवर्तन का घटता स्तर

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डॉ. शंकर सुवन सिंह पर्यावरण जीवन का अभिन्न हिस्सा है। भूमि, पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण घटक है। भूमि की उपयोगिता कृषि के साथ साथ वन्य…

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