
अस्तित्व के संकट से जुझ रहे विश्व को संबल देता है गांधी दर्शन
Updated: December 5, 2011
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर विशेष समन्वय नंद विश्व आज अनेक समस्याओं से दो- चार हो रहा है, और इनके कारण उनके अस्तित्व पर ही…
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कहो कौन्तेय-३७
Updated: December 5, 2011
विपिन किशोर सिन्हा (मार्कण्डेय जी द्वारा कलियुग-वर्णन) समय भी कैसा पखेरू है! अपने श्याम-धवल पंखों को फैलाए निरन्तर उड़ता ही चला जाता है। कभी थकता…
Read moreअन्ना जी, आप भी
Updated: December 5, 2011
‘मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना, यहां भी अन्ना, वहां भी अन्ना, ‘अन्ना नहीं ये आंधी है, नए भारत का गांधी है, ऐसे ही कुछ…
Read moreआरक्षण: दलितों में क्रीमीलेयर तो अभी गिनती के हैं!
Updated: December 5, 2011
इक़बाल हिंदुस्तानी पिछड़ों का कोटा कम होने से इसकी ज़रूरत वहां वाजिब थी! देश में एक वर्ग ऐसा मौजूद है जो इस सच को आज…
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योगगुरू बाबा रामदेव ने सरकार को औक़ात बतादी है!
Updated: October 2, 2011
इक़बाल हिंदुस्तानी बाबा को घेरने का षडयंत्र नाकाम होने से सरकार नतमस्तक! सरकार अब बाबा रामदेव के अभियान पर सफार्इ देती नज़र आ रही है।…
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पेड़ गिरा तो उसने दिवार ढहा दी
Updated: October 1, 2011
पेड़ गिरा तो उसने दिवार ढहा दी फिर एक मुश्किल और बढ़ा दी। पहले ही मसअले क्या कम थे उन्होंने एक नई कहानी सुना दी।…
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कहो कौन्तेय-३६
Updated: October 1, 2011
(अर्जुन का निवातकवच दानवों से युद्ध) विपिन किशोर सिन्हा मैंने उनकी आज्ञा शिरिधार्य की। मातलि दिव्य रथ के साथ उपस्थित हुआ। स्वयं देवराज ने मेरे…
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कहो कौन्तेय-३४ (महाभारत पर आधारित उपन्यास अंश)
Updated: December 6, 2011
(अर्जुन को दिव्यास्त्रों की प्राप्ति) विपिन किशोर सिन्हा हिमालय और गंधमादन पर्वत को लांघते हुए अति शीघ्र मैं इन्द्रकील पर्वत पर पहुंचा। मुझे देवराज इन्द्र…
Read moreकहो कौन्तेय-३५
Updated: October 1, 2011
(अर्जुन की सदेह स्वर्ग-यात्रा) विपिन किशोर सिन्हा – क्या खोया की गणना कर ही रहा था कि देवराज के रथ की घरघराहट सुनाई पड़ी। जैसे-जैसे…
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खेती-बाड़ी और बोलीभाषा
Updated: December 6, 2011
क्षेत्रपाल शर्मा खेतीबाड़ी …… सुर्खरू होता है इन्सां ठोकरें खाने के बाद रंग देती है हिना पत्थर पे घिस जाने के बाद बहुत समय पहले…
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व्यंग्य/ नारद की चुप्पी के निहितार्थ
Updated: December 6, 2011
अशोक गौतम सुनो विक्रम! जैसे ही उन्होंने घोषणा की कि देश के प्रधानमंत्री बनने के उनके मुकाबले उनके अधिक चांस है तो बाबा के बुरे…
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अफसरान को उपकृत करने का औचित्य
Updated: December 6, 2011
लिमटी खरे तीस से चालीस बरस सरकार की सेवा करने के बाद सेवानिवृत हो जाते हैं सरकारी कर्मचारी। इसके बाद भी इनका मन नहीं भरता।…
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